उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता.

[उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता]

उत्तरदायित्व

उत्तरदायित्व-: 

उत्तरदायित्व दो शब्दों से मिलकर बना है

  • उत्तर

  • दायित्व

यहां पर उत्तर का अर्थ है जवाबदेह होना अर्थात उत्तर देना, तथा दायित्व का अर्थ है अपने कार्य को करने की नैतिक जिम्मेदारी रखना। 

इस प्रकार अपने दायित्व या कर्तव्यों के पालन के प्रति नैतिक एवं कानूनी रूप से जवाबदेह होना उत्तरदायित्व कहलाता है। 

परिभाषा-:

थियो हेमन के अनुसार-: “उत्तरदायित्व उच्चस्थ के प्रति अधीनस्थ द्वारा सत्ता के प्रयोग के संबंध में बंधन है”

जैसे-: एक विद्यार्थी का कर्तव्य पढ़ाई करना है ,अतः वह पढ़ाई करने के लिए उत्तरदाई होता है। 

 

प्रशासनिक उत्तरदायित्व-:

प्रशासनिक उत्तरदायित्व का तात्पर्य किसी प्रशासनिक अधिकारी द्वारा अपने उच्चस्थ अधिकारी या विधिक संस्था को ,अपने कार्यों तथा अधिकारों के प्रयोग की तर्कपूर्ण व्याख्या देने की बाध्यता से है।  

जैसे -: एक थाना प्रभारी ,अपने थाना क्षेत्र में होने वाले अपराधों लड़ाई झगड़ों को सुलझाने के लिए अपने उच्च अधिकारी के प्रति उत्तरदाई होता है,

 

इसके अलावा यदि किसी केस को सुलझाते समय कोई डीएसपी किसी अपराधी की हत्या कर देता है तो वह डीएसपी अपने उच्च अधिकारी या किसी विधिक संस्था के कहने पर अपराधी को मारने की तर्कपूर्ण व्याख्या देनें हेतु बाध्य होगा। 

उत्तर दायित्व से जुड़ी आदर्श व्याख्या के बिंदु

  • व्याख्या तर्कपूर्ण होनी चाहिए,

  • व्याख्या में तारतम्यता अर्थात एक निश्चित क्रम होना चाहिए। 

  • उत्तरदायित्व की व्याख्या साक्ष्य आधारित होना चाहिए। 

 

उत्तरदायित्व की विशेषताएं-: 

  • उत्तरदायित्व अपने कार्य को उचित तरीके से निष्पादित करने का नैतिक बंधन होता है। 

  • उत्तरदायित्व किसी पद से जुड़ा होता है जो भी उस पद को धारण करता है उस पद का उत्तरदायित्व भी उसे प्राप्त हो जाता है। 

  • उत्तरदायित्व का हस्तांतरण नहीं किया जा सकता। 

  • उत्तरदायित्व का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होता है अर्थात निचले स्तर का अधिकारी उच्च स्तर के अधिकारी के प्रति उत्तरदाई होता है। 

उत्तरदायित्व के प्रकार-: 

 

ऊर्ध्वाधर उत्तरदायित्व-: वह उत्तरदायित्व के अंतर्गत कोई अधिकारी या संस्था अपने से उच्च अधिकारी के प्रति उत्तरदाई होता है उसे ऊर्ध्वाधर उत्तरदायित्व कहते हैं। जैसे-: डीएसपी का एसपी के प्रति उत्तरदायी होना। 

क्षैतिज उत्तरदायित्व-: वह उत्तरदायित्व जिसके अंतर्गत कोई अधिकारी या संस्था अपने स्तर की ही अन्य अधिकारी से या अपने स्तर की संस्था के प्रति उत्तरदाई होती है उसे क्षैतिज उत्तरदायित्व कहते हैं

जैसे -:कार्यपालिका का विधायक के प्रति उत्तरदाई होना, डीएसपी का दूसरे डीएसपी के प्रति उत्तरदाई होना। 

राजनीतिक उत्तरदायित्व-: शासक एवं प्रशासक का उपयुक्त तरीके से शासन एवं प्रशासन चलाने के लिए जनता के प्रति उत्तरदाई होना राजनीतिक उत्तरदायित्व कहलाता है। 

संस्थागत उत्तरदायित्व-: अपनी संस्था संगठन से संबंधित कार्यों के प्रति उत्तरदाई होना। 

व्यवसायिक उत्तरदायित्व-: अपने व्यवसाय से संबंधित कर्तव्यों के प्रति उत्तरदाई होना। 

 

प्रशासनिक उत्तरदायित्व का महत्व-: 

  1. जनकल्याणकारी केंद्रित सुप्रशासन की स्थापना होती है। 

  2. प्रशासन में भाई भतीजावाद, परिवारवाद पर लगाम लगती है

  3. प्रशासन में भ्रष्टाचार एवं लालफीताशाही का प्रभाव कम होता है

  4. पात्र व्यक्ति को समयबद्ध तरीके से योजना का समुचित लाभ प्राप्त होता है अर्थात प्रशासनिक कार्यों में समय प्रतिबद्धता बढ़ेगी। 

  5. प्रशासन और जनता के मध्य विश्वसनीयता बढ़ती है।

  6. सार्वजनिक धन का समुचित उपयोग होता है। 

  7. सार्वजनिक विभिन्न विभागों संस्था एवं अधिकारियों के मध्य सहयोग एवं सामंजस्य की भावना में बढ़ोतरी होगी। 

 

प्रशासन में उत्तरदायित्व बढ़ाने के उपाय-: 

  1. ई गवर्नेंस को बढ़ावा दिया जाए अर्थात अधिकांश से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की कार्रवाई को ऑनलाइन किया जाए, ताकि शासन प्रशासन के कार्यों की जानकारी जनता को रहे तथा कार्य ना होने पर जनता संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई कर सकें। 

  2. सर्वेक्षण एवं निरीक्षण तकनीक को बढ़ावा दिया जाए, इसके लिए प्रत्येक विभागों में कम समय अंतराल पर निरीक्षण किया जाए तथा सीसीटीवी कैमरे, माइक लगाई जाए जो 24 घंटे एक्टिव हो। 

  3. प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत निवारण की प्रक्रिया को और भी आसान बनाया जाए, इस दिशा में 181 सीएम हेल्पलाइन अच्छा कदम है। 

  4. सूचना के अधिकार के प्रयोग की जागरूकता बढ़ाई जाए। 

  5. प्रशिक्षण के दौरान लोक सेवकों में उत्तरदायित्व की भावना विकसित की जाए इसके बाद ही जॉइनिंग दी जाए। 

पारदर्शिता

 "पारदर्शिता"

शासन एवं प्रशासन के कार्य एवं गतिविधियों की जानकारी जनता को होना पारदर्शिता कहलाती है।  

अर्थात जनता और सरकार के मध्य कुछ गोपनीयता न होना ही पारदर्शिता है। 

प्रशासन में पारदर्शिता का महत्व

  1. जनकल्याणकारी केंद्रित सुप्रशासन की स्थापना होती है। 

  2. प्रशासन में भाई भतीजावाद, परिवारवाद पर लगाम लगती है

  3. प्रशासन में भ्रष्टाचार एवं लालफीताशाही का प्रभाव कम होता है

  4. पात्र व्यक्ति को समयबद्ध तरीके से योजना का समुचित लाभ प्राप्त होता है अर्थात प्रशासनिक कार्यों में समय प्रतिबद्धता बढ़ेगी। 

  5. प्रशासन और जनता के मध्य विश्वसनीयता बढ़ती है।

  6. सार्वजनिक धन का समुचित उपयोग होता है। 

  7. सार्वजनिक विभिन्न विभागों संस्था एवं अधिकारियों के मध्य सहयोग एवं सामंजस्य की भावना में बढ़ोतरी होगी। 

 

प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय

  • ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया जाए अर्थात अधिकांश से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की कार्रवाई को ऑनलाइन किया जाए, ताकि शासन प्रशासन के कार्यों की जानकारी का अपडेट में जनता को घर बैठे ही प्राप्त होता है। 

  • मीडिया के कार्य क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाए, ताकि मीडिया शासन प्रशासन के कार्यों की जानकारी अनपढ़ जनता तक आसान तरीके से पहुंचाती रहे।

  • प्रत्येक कार्यालय में सीसीटीवी कैमरा माइक अधिक लगाई जाए, ताकि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या राजनेता गुप्तनीय रूप से कर ना कर सके। 

  • जनता में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना पाने का अधिकार की जागरूकता फैलाई जाए, ताकि वे इसका उपयोग करके शासन एवं प्रशासन के ऊपर निगरानी रख सके। 

  • सरकार को प्रतिवर्ष नागरिक अधिकार पत्र प्रकाशित करना चाहिए तथा वर्ष की समाप्ति पर नागरिक अधिकार पत्र में उल्लेखित प्रावधानों का मूल्यांकन का पत्र भी प्रकाशित करना चाहिए। जिससे जनता को सरकार की कार्य विधियों की जानकारी रहे। 

 

जिम्मेदारी-:

जिम्मेदारी का सामान्य तात्पर्य अपने कार्यों(कर्तव्य) का निर्वहन करने से है। 

उदाहरण के लिए -:माता पिता की सेवा करना , अपने बच्चों को पढ़ाना यह जिम्मेदारी है,

जबकि यदि हमारा कोई उच्चस्थ अधिकारी या हमारे पिता कोई आदेश देते हैं तो उस आदेश का पालन हमारा उत्तरदायित्व (जवाबदेहिता )होती है। ऐसा ना करने पर हमें दंडित भी किया जा सकता है।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *