[पूर्वाग्रह]
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Toggleपूर्वाग्रह शब्द अंग्रेजी भाषा के prejudice शब्द का पर्याय है, जो लैटिन भाषा के prejudium शब्द से बना है जिसमें का pre अर्थ है :-पहले और judium का अर्थ है:- निर्णय।
अर्थात किसी व्यक्ति समूह वस्तु स्थान के बारे में विचार करने की पूर्व भी निर्णय कर देना।
किसी व्यक्ति, वस्तु, समूह, स्थान आदि के बारे में समुचित जानकारी प्राप्त करने के पूर्व ही परंपरागत मान्यताओं या भावनाओं के आधार पर सकारात्मक या नकारात्मक मनोवृति/धारणा बना लेना पूर्वाग्रह कहलाता है।
उदाहरण:-
प्रत्येक लड़की के प्रति बलहीनता की मनोवृति बना लेना।
कुरूप व्यक्ति को देखकर यह धारणा बना लेना कि वह कम बुद्धिमान होगा। सुंदर व्यक्ति को देखकर यह धारणा बना लेना कि यह बुद्धिमान होगा।
उच्च जाति के व्यक्ति के बारे में पहले से ही यह धारणा बना लेना कि वह शाकाहारी एवं ज्ञानी होगा।
निम्न जाति की व्यक्तियों के प्रति यह धारणा बना लेना कि वह अशुद्धता से रहते हैं।
प्रत्येक पाकिस्तानियों के प्रति आतंकवादी एवं मांसाहारी होने की मनोवृत्ति बना लेना।
अंग्रेजी भाषा में बात करने वाले व्यक्ति के प्रति अधिक बुद्धिमान एवं ज्ञानी होने की मनोवृत्ति बना लेना।
परिभाषा:-
हार्डिंग के अनुसार:- “यदि किसी व्यक्ति की मनोवृत्ति में अन्य जातीय समूह या वर्गों के प्रति तार्किकता, न्याय और मानवता का अभाव है तो इसे पूर्वाग्रह कहा जाता है।”
पूर्वाग्रह की विशेषताएं/स्वरूप:-
तार्किकता/सत्यता का अभाव:-
पूर्वाग्रह तर्कों एवं तथ्यों पर आधारित ना होकर ,परंपरागत रूढ़िवादी धारणाओं पर आधारित होते हैं।
जैसे:-
केवल लड़के को ही बुढ़ाते का सहारा मानना ,लड़की को नहीं।
लड़का पैदा ना होने पर बहू को दोष देना बेटे को नहीं।
न्याय का अभाव:-
पूर्वाग्रह न्यायिक ना होकर जाति, धर्म, लिंग, सुंदरता,भाषा, क्षेत्र आदि के विभेद पर आधारित होते हैं।
जैसे:-
उच्च जाति के व्यक्ति को स्वच्छ मानना और निम्न जाति के व्यक्ति को अस्वच्छ समझना।
हिंदी भाषा बोलने वाले को निम्न स्तर का और अंग्रेजी भाषा बोलने वाले को उच्च स्तर का समझना।
सुंदर व्यक्ति को बुद्धिमान और कुरूप व्यक्ति को बुद्धिहीन मानना।
महिला को बलहीन तथा पुरुष को बलवान समझना।
किसी क्षेत्र विशेष के सभी लोगों को बुरा समझना।
मानवता का अभाव:-
पूर्वाग्रह में मानव को मानव समझने वाले गुणों जैसे- प्रेम ,दया ,करुणा आदि का अभाव होता है।
जैसे:- हिंदुओं के अंदर असहाय मुसलमान के प्रति दया के स्थान पर कटुता का भाव होना।
प्रायः नकारात्मक होना:-
किसी के विषय प्रति पूर्वाग्रह सकारात्मक या नकारात्मक हो सकते हैं किंतु पूर्वाग्रह का प्रभाव सामान्यतः नकारात्मक ही होता है।
जैसे:-
कभी-कभी सुंदर दिखने वाले व्यक्ति के प्रति यह धारणा होती है कि वह अधिक बुद्धिमान होगा, इसलिए उसे नौकरी में रख लिया जाता है किंतु वास्तविकता में वह कम बुद्धिमान होता है, जबकि कम सुंदर दिखने वाले व्यक्ति जो अधिक बुद्धिमान होता है उसे नौकरी पर नहीं रखा जाता है इसका प्रभाव कार्यक्षेत्र पर नकारात्मक पड़ता है।
पूर्वाग्रह अर्जित मनोवृत्ति है:-
पूर्वाग्रह जन्मजात न होकर, समाजीकरण प्रक्रिया द्वारा अर्जित मनोवृति है।
जैसे:-
हिंदु बालक के अंदर मुसलमानों के प्रति आतंकवादी, कातिल या मांसाहारी होने का पूर्वाग्रह समाज द्वारा ही भरा जाता है।
सामाजिकरण प्रक्रिया द्वारा बालकों को यह भी सिखाया जाता है कि लड़कों का काम आजीविका चलाना होता है और लड़कियों का काम खाना बनाना।
पूर्वाग्रह भावनात्मक होते हैं:-
पूर्वाग्रह में किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान ,या समूह के प्रति पसंदगी या नापसंदगी का भाव निहित होता है।
जैसे:-
एक मुस्लिम व्यक्ति दूसरे मुस्लिम व्यक्ति के प्रति पसंदगी का भाव आधारित पूर्वाग्रह रखता है जबकि हिंदू व्यक्ति के प्रति नापसंदगी के भाव पर आधारित पूर्वाग्रह रखता है।
एक क्षेत्र का व्यक्ति अपने क्षेत्र के दूसरे व्यक्ति के प्रति प्रेम, करुणा, दया का भाव रखता है।
पूर्वाग्रह व्यक्ति को मानसिक संतुष्टि प्रदान करते हैं।
जैसे:-
पूर्वाग्रह के करण पुरुषों को यह संतुष्टि होती है कि, हम महिलाओं से श्रेष्ठ हैं।
उच्च जाति के लोगों को यह संतुष्टि होती है कि हम निम्न जाति के लोगों से श्रेष्ठ हैं
पूर्वाग्रह के प्रकार
जातिगत पूर्वाग्रह:-
किसी व्यक्ति की जाति के आधार पर,उसके प्रति अतार्किक सकारात्मक या नकारात्मक मनोवृति(धारणा) बना लेना जातिगत पूर्वाग्रह कहलाता है।
जैसे:-
ब्रह्मण जाति के लोग ज्ञानी होते हैं।
ठाकुर लोग कठोर या कसाई होते हैं।
वह निम्न जाति का है, इसीलिए वह तो मांसाहारी होगा।
धार्मिक पूर्वाग्रह:-
अपने धर्म के लोगों को श्रेष्ठ समझ कर दूसरे धर्म के लोगों को निम्न समझने की अतार्किक मनोवृत्ति, धार्मिक पूर्वाग्रह कहलाता है।
जैसे:-
मुस्लिम धर्म के लोग मुसलमानों को खुदा की औलाद बताते हैं, और दूसरे धर्म के लोगों को काफिर कहते हैं।
क्षेत्रीय पूर्वाग्रह:-
जब क्षेत्र के आधार पर किसी व्यक्ति या समूह के प्रति, सकारात्मक या नकारात्मक मनोवृति बना ली जाती है तो इसे क्षेत्रीय पूर्वाग्रह कहते हैं।
जैसे:-
शहर के लोग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नासमझ या बेवकूफ समझते हैं।
दक्षिण भारत में बिहार के लोगों को बुद्धू एवं झगड़ालू समझा जाता है।
भाषायी पूर्वाग्रह:-
जब किसी व्यक्ति द्वारा बोली जाने वाली भाषा के आधार पर उस व्यक्ति के प्रति, अतार्किक सकारात्मक या नकारात्मक मनोवृति बना ली जाती है, तो इसे भाषाई पूर्वाग्रह कहते हैं।
जैसे:-
अंग्रेजी बोलने वाले को पढ़ा-लिखा एवं बुद्धिमान समझना हिंदी बोलने वाले को कम बुद्धिमान समझना।
यौन पूर्वाग्रह
जब लिंग के आधार पर, सकारात्मक या नकारात्मक मनोवृति विकसित कर ली जाती है, तो उसे यौन पूर्वाग्रह कहते हैं।
जैसे:-
प्रत्येक स्त्री को बलहीन, मुलायम हृदय वाली, दूसरों पर निर्भर रहने वाली समझा जाना तथा प्रत्येक पुरुषों को बलवान समझा जाना।
शारीरिक पूर्वाग्रह:-
जब व्यक्ति की शारीरिक सुंदरता,संरचना या उसके हाव-भाव के आधार पर, उसके प्रति सकारात्मक या नकारात्मक धारणा विकसित कर ली जाती है तो उसे शारीरिक पूर्वाग्रह कहते हैं।
जैसे:-
सुंदर व्यक्ति को बुद्धिमान समझना।
काले व्यक्ति को बुद्धू या निम्न स्तर का समझना।
वेशभूषा आधारित पूर्वाग्रह
जब किसी व्यक्ति की उसकी वेशभूषा के आधार पर, उसकी प्रति सकारात्मक या नकारात्मक धारणा बना लेना वेशभूषा आधारित पूर्वाग्रह कहलाता है।
जैसे:-
कोट पेंट पहने वाले व्यक्ति को बहुत अमीर समझना।
दाढ़ी रखे हुए व्यक्ति को मुसलमान समझना।
आयु आधारित पूर्वाग्रह
जब किसी व्यक्ति की आयु के आधार पर उसके प्रति सकारात्मक या नकारात्मक धारणा बना ली जाती है तो इसे आयु आधारित पूर्वाग्रह कहते हैं।
जैसे:-
60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति के प्रति बलहीनता, आध्यात्मिकता का पूर्वाग्रह।
पूर्वाग्रह निर्माण के कारक
धरती के अंदर पूर्वाग्रह जन्मजात नहीं होती बल्कि वह अपने जीवन काल में विभिन्न अनुभव एवं सामाजिकरण प्रक्रिया द्वारा अर्जित करता है।
पूर्वाग्रह के निर्माण में निम्न कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
परिवारिक अधिगम(learning) एवं अनुकरण(following):-
बालक के अंदर पूर्वाग्रह निर्माण की प्रक्रिया घर परिवार से शुरू होती है, क्योंकि बालक के अंदर अनुकरण की प्रक्रिया बहुत तीव्र होती है वह अपने घर परिवार के सदस्यों का अनुकरण करता है, अतः घर परिवार के सदस्य जिन पूर्वाग्रह को मानते हैं एवं जिन पूर्वाग्रहों को मानने का निर्देश देते हैं बालक के अंदर वहीं पूर्वाग्रह विकसित हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए:-
यदि परिवार के सदस्य पंडितों को ज्ञानी मानते हैं तो बालक पंडितों को ज्ञानी मानने लगता है।
यदि परिवार के सदस्य निचली जाति के लोगों को अशुद्ध मानते हैं तो बालक भी निचली जाति के लोगों को अशुद्ध मानने लगता है।
यदि घर के सदस्य यह बताते हैं की मुस्लिम लोग कातिल होते हैं जो बिलक अंदर भी मुसलमान के प्रति कातिल होने का पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
सामाजिक असमानता
सामाजिक असमानता के कारण समाज के एक वर्ग के लोग दूसरे वर्ग के लोगों के प्रति पूर्वाग्रह की भावना विकसित कर लेते हैं।
जैसे :-उच्च वर्ग के लोग निम्नवर्गों के लोगों को निष्क्रिय, आकांक्षाविहीन समझते हैं। तो वहीं दूसरी ओर निम्न वर्ग के लोग उच्च वर्ग के लोगों को शोषक ,भ्रष्ट ,मक्कार ,बेईमान होने का पूर्वाग्रह रखते हैं।
सांस्कृतिक परिवेश
व्यक्ति जिस सांस्कृतिक परिवेश में रहता है, उस संस्कृति को श्रेष्ठ और दूसरी संस्कृति को निम्न समझने लगता है
जैसे:-
जो व्यक्ति हिंदू संस्कृति के परिवेश में रहता है तो वह शाकाहार के प्रति सकारात्मक मनोवृति रखता है, और मांसाहार के प्रति नकारात्मक मनोवृति रखने लगता है।
(उसके अंदर यह पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है कि शाकाहार व्यक्ति अच्छे, सभ्य एवं ज्ञानी होते हैं और मांसाहारी व्यक्ति बुरे, असभ्य होते हैं)
सूचना एवं संचार
हमें किसी व्यक्ति ,वस्तु, जाति, धर्म, क्षेत्र, समूह के बारे में जैसी सूचना प्राप्त होती है वैसे ही हमारे अंदर पूर्वाग्रह विकसित हो जाते हैं।
जैसे:-
किसी अधिकारी भ्रष्टाचार के सूचना मिलने पर, अधिकारियों के प्रति भ्रष्टाचार का पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
जब हमें यह सूचना मिलती हैं कि पाकिस्तानी व्यक्ति ने मान्यताओं में आतंकवाद फैलाया पाकिस्तान के प्रति आतंकवादी होने का पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
व्यक्तिगत अनुभव
आघातजन्य व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर भी पूर्वाग्रह विकसित होता है।
जैसे:- यदि हम किसी विशेष कार्य के लिए दमोह जाते हैं और वहां पर कोई व्यक्ति हमारे पैसे चुरा लेता है, तो दमोह के व्यक्तियों के प्रति चोर होने का पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
यदि किसी लड़की के साथ , उच्च जाति का व्यक्ति जबरदस्ती बलात्कार करता है तो उस लड़की के अंदर उच्च जाति के सभी व्यक्तियों के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह बन जाता है।
निराशा एवं आक्रामकता
जब व्यक्ति को किसी कारण से इच्छा अनुसार सफलता प्राप्त नहीं होती तो निराशा का भाव पैदा होता है ऐसी स्थिति में वह, उस कार्य के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह बना लेता है।
जैसे:-
किसी नौकरी की बहुत तैयारी करने के बावजूद भी नौकरी ना मिलने पर, यह पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है की पढ़ाई व्यर्थ होती है।
लगातार दो या तीन बार फसल खराब हो जाने पर यह पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है कि खेती में कुछ भी फायदा नहीं है।
प्रचार:-
विभिन्न संचार के साधनों के माध्यम से किया गया प्रभावशाली प्रचार भी हमारे अंदर पूर्वाग्रह का निर्माण करता है।
जैसे:-
जब प्रभावशाली प्रचार द्वारा बार-बार यह बताया जाता है कि आशीर्वाद आटा, चक्की से सबसे शुद्ध आता है तो हमारे अंदर उस आटा के प्रति शुद्धता का पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
पूर्वाग्रह के परिणाम
मनोविज्ञान को के अनुसार पूर्वाग्रह के प्रभाव सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरह के होते हैं किंतु अधिकतर प्रभाव नकारात्मक ही होते हैं।
सकारात्मक प्रभाव
पूर्वाग्रह लोगों के मध्य वर्ग आधारित एकता एवं भाईचारा की भावना बढ़ाने में सहायक है।
जैसे:- पूर्वाग्रह के कारण हिंदू धर्म का प्रत्येक व्यक्ति, दूसरे हिंदू के प्रति लगाव की भावना रखता है, जिससे हिंदुओं के मध्य आपसी एकता एवं भाईचारे की भावना बढ़ती है।
उसी प्रकार एक क्षेत्र का व्यक्ति अपने क्षेत्र के दूसरे व्यक्ति के प्रति आपसी प्रेम एवं लगाव की भावना रखता है।
पूर्वाग्रह व्यक्ति को मानसिक संतुष्टि प्रदान करते हैं।
जैसे:- पूर्वाग्रह के करण पुरुषों को यह संतुष्टि होती है कि, हम महिलाओं से श्रेष्ठ हैं।
उच्च जाति के लोगों को यह संतुष्टि होती है कि हम निम्न जाति के लोगों से श्रेष्ठ हैं
पूर्वाग्रह से आर्थिक फायदा भी हो जाता है।
जैसे:-
सामान्यतः यह माना जाता है कि पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक मेहनती एवं बुद्धिमान होते हैं, इसलिए पुरुषों को महिलाओं की तुलना में सभी प्रकार की नौकरी एवं अधिक सैलरी प्राप्त होती है।
पूर्वाग्रह के दुष्परिणाम:-
पूर्वाग्रह से भेदभाव बढ़ता है।
जैसे:- पूर्वाग्रह के कारण लड़कों को लड़कियों की तुलना में अधिक श्रेष्ठ एवं बुद्धिमान समझा जाता है, जिससे लिंग विभेद को बढ़ावा मिलता है।
पूर्वाग्रह सामाजिक बुराइयों को बढ़ाता है।
जैसे:- पूर्वाग्रह के कारण यह माना जाता है कि लड़के बुढ़ापे का सहारा होते हैं लड़कियां नहीं, इस इस पूर्वक ग्रह के प्रभाव से पुत्र प्राप्ति की लालसा हेतु अधिक संतान पैदा की जाती है,कन्या भ्रूण हत्या की जाती।
पूर्वाग्रह के कारण यह भी माना जाता है कि निम्न जाति के लोग बुरे विचार वाले एवं अशुद्ध होते हैं इस पूर्वाग्रह के करण छुआछूत एवं जाति प्रथा को बढ़ावा मिलता है।
पूर्वाग्रह राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है।
क्योंकि पूर्वाग्रह के कारण ही क्षेत्रवाद, भाषावाद ,संप्रदायवाद बढ़ता है।
जैसे:- पूर्वाग्रह के कारण एक संप्रदाय के लोग केवल अपने संप्रदाय के लोगों के प्रति लगाव का भाव रखते हैं तथा दूसरे संप्रदाय के सभी लोगों के प्रति विरोध का भाव रखते हैं जिससे सांप्रदायिकता को बढ़ावा मिलता है।
उसी प्रकार एक क्षेत्र के लोग अपने क्षेत्र के सभी लोगों के प्रति लगाव का भाव रखते हैं और दूसरे क्षेत्र के सभी लोगों के प्रति विरोध का भाव रखते हैं जिससे क्षेत्रवाद बढ़ता है।
पूर्वाग्रह से सामाजिक कल्याण में बाधा उत्पन्न होती है।
क्योंकि पूर्वाग्रह के प्रभाव से एक जनसेवक (नेता ,अधिकारी एवं कर्मचारी) स्वच्छंद तरीके से अपना कार्य नहीं करते जिससे सार्वजनिक कल्याण अवरोधित होता है।
जैसे:- एक पूर्वाग्रह से ग्रसित अधिकारी अपने धर्म ,अपनी जाति ,अपने क्षेत्र के लोगों का कार्य दो बड़ी शीघ्रता से उपयुक्त तरीके से करता है लेकिन दूसरे क्षेत्र दूसरे धर्म गुरु जी जाति के लोगों का कार्य उतनी शीघ्रता से नहीं करता।
पूर्वाग्रह व्यक्ति के उत्साह को कम कर देता है।
उत्साह ही किसी कार्य की सफलता की कुंजी होती है, किंतु पूर्वाग्रह अनेकों व्यक्ति के उत्साह को कम कर देता है। जैसे:- महिलाओं के संबंध में पूर्वाग्रह होता है कि वे केवल घर का कार्य करने के लिए तथा अपने पति एवं पुत्र का ध्यान रखने के लिए बनी है। यह पूर्वाग्रह महिलाओं के उत्साह को कम कर देता है। और वे अपनी इच्छा अनुसारौओ़ सफलता प्राप्त नहीं कर पाती हैं।
पूर्वाग्रह रूढ़ियों पर आधारित होता है पता है यह व्यक्ति की वैज्ञानिक मनोवृति के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।
विभेद
जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र, रंग, धन,आयु एवं भाषा आदि के आधार पर व्यक्तियों के साथ किया जाने वाला पक्षपात पूर्ण व्यवहार विभेद कहलाता है।
जैसे:-
कम योग्यता रखने वाले, ऐसे व्यक्ति का चयन कर लेना जो उच्च जाति का हो, जबकि उससे भी अधिक योग्यता रखने वाले निम्न जाति के व्यक्ति का चयन ना करना।
एक प्रशासनिक अधिकारी द्वारा अपने धर्म के लोगों का समय के साथ उपयुक्त तरीके से कार्य कर देना और अन्य धर्म के लोगों का कार्य न करना।
परिवार द्वारा ,बेटा को पढ़ाना लेकिन बेटी ना पढ़ाना, लैंगिक विभेद कहलाएगा।
धनी व्यक्ति की बात सुनना और गरीब व्यक्ति की बात न सुनना आर्थिक विभेद कहलाएगा।
विभेद की विशेषताएं
विभेद, पूर्वाग्रह की व्यावहारिक अभिव्यक्ति होती है।
विभेद , तार्किक न होकर रूढ़िवादिता पर आधारित होता है।
विभेद न्याय संगत ना होकर अन्याय पूर्ण होता है।
विभेद और पक्षपात में अंतर:-
विभेद का तात्पर्य जाति ,धर्म ,लिंग ,भाषा ,रंग ,क्षेत्र आदि के आधार पर व्यक्तियों के साथ किया जाने वाला पूर्वाग्रह युक्त व्यवहार से है। जबकि पक्षपात का तात्पर्य किसी एक पक्ष के प्रति अनुकूल(समर्थन पूर्ण) और दूसरे पक्ष के प्रति प्रतिकूल व्यवहार करने से है।
जैसे:-
परिवार द्वारा केवल बेटा को पढ़ाना बेटी को ना पढ़ाना लैंगिक विभेद कहलाएगा, जबकि बेटा बेटी के झगड़े में केवल बेटा का समर्थन करना बेटी की बात को ना सुनना पक्षपात कहलाएगा।
विभेद और पूर्वाग्रह में अंतर:-
किसी व्यक्ति, वस्तु, समूह, स्थान आदि के बारे में समुचित जानकारी प्राप्त करने के पूर्व ही परंपरागत मान्यताओं या भावनाओं के आधार पर सकारात्मक या नकारात्मक मनोवृति/धारणा बना लेना पूर्वाग्रह कहलाता है। जबकि जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र, रंग, धन,आयु एवं भाषा आदि के आधार पर व्यक्तियों के साथ किया जाने वाला पक्षपात पूर्ण व्यवहार विभेद कहलाता है।
अर्थात पूर्वाग्रह की व्यावहारिक अभिव्यक्ति ही विभेद है।
जैसे:-
प्रत्येक लड़की के प्रति बलहीनता की मनोवृति बना लेना पूर्वाग्रह कहलाएगा जबकि किसी पूर्वाग्रह के आधार पर किसी साहसी कार्य के लिए , योग्य एवं बलवान लड़की का भी चयन ना करना लैंगिक विभेद कहलाएगा।
कुरूप व्यक्ति को देखकर यह धारणा बना लेना कि वह कम बुद्धिमान होगा, यह पूर्वाग्रह कहलाएगा और इसी पूर्वाग्रह के आधार पर अयोग्य होने पर सुन्दर व्यक्ति का चयन करना सुंदरता आधारित विभेद कहलाएगा।
पूर्वाग्रह एवं विभिन्न को दूर करने के उपाय:-
पूर्वाग्रह एवं विभेद के कारण समाज में तनाव एवं संघर्ष को बढ़ावा मिलता है, अतः पूर्वाग्रह एवं विभेद दूर करना आवश्यक होता है, जिसके प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:-
तार्किक शिक्षा देकर
पूर्वाग्रहों के विरुद्ध तार्किक, विवेकशील एवं सामाजिक समरसता आधारित शिक्षा का प्रचार करके पूर्वाग्रहों का उन्मूलन किया जा सकता है।
जैसे:-
जाति ,धर्म,लिंग समानता की शिक्षा देना,
धार्मिक सहिष्णुता की शिक्षा देना।
पूर्वाग्रह विरोधी जन जागरूकता फैलाकर
पूर्वाग्रह से ग्रसित लोगों के मध्य,संचार के साधनों या नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से पूर्वाग्रह की मान्यताओं के विरुद्ध तर्कपूर्ण सूचना फैलाकर भी पूर्वाग्रह को दूर किया जा सकता है।
जैसे:-
रूढ़िवादी हिंदु समाज में मुस्लिमों की उदारता की साक्ष्य आधारित सूचना देकर,
लड़कियों के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह रखने वाले समाज में कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, झांसी की रानी, मैरी कॉम जैसी प्रतिभाओं के बारे में बताकर लड़की के प्रति सकारात्मक सोच करवाना।
नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से पूर्वाग्रह के विरुद्ध संदेश देकर।
कुरूप व्यक्ति की सफकंलता की सूचना दी जाए।
अंतर समूह संपर्क:-
कोई व्यक्ति या समूह जिस व्यक्ति या समूह के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह रखता है, यदि उसे उसी व्यक्ति या समूह के संपर्क में रखा जाए तो उसके प्रति गलतफहमियां समाप्त हो जाएगी और उसका पूर्वाग्रह भी समाप्त हो जाएगा।
जैसे:-
यदि कोई व्यक्ति, किसी मुस्लिम व्यक्ति के कातिल होने का पूर्वाग्रह रखता है तो उसे एक अच्छे मुसलमान के संपर्क में रखा जाए तो मुसलमानों के प्रति उसका पूर्वाग्रह समाप्त हो जाएगा।
अपेक्षित भूमिका निर्वाह
कोई व्यक्ति जिस कार्य के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह रखता है, यदि उस व्यक्ति को वही कार्य करवाया जाए तो उस कार्य के प्रति उसका पूर्वाग्रह समाप्त हो जाएगा।
जैसे:-पुरुषों को यह पूर्वाग्रह रहता है कि खाना बनाना बहुत आसान कार्य है, तो यदि पुरुषों से ही खाना बनवाया जाए, तो पुरुषों के अंदर का खाना बनाने का पूर्वाग्रह समाप्त हो जाएगा।
पूर्वाग्रह बढ़ाने वाले स्त्रोतों को कम करके
व्यक्ति के अंदर पूर्वाग्रह जन्मजात नहीं होता बल्कि वह अपने जीवन काल में सूचना एवं अनुभव द्वारा अर्जित करता है, अतः पूर्वाग्रह बढ़ाने वाले स्त्रोतों को कम कर के पूर्वाग्रह कम किया जा सकता है।
जैसे:-
हिंदू और मुस्लिमो के कटुता पूर्ण विवादों को मीडिया में दिखाने पर रोक लगाई जाए।
किसी क्षेत्र के बुरे कामों को प्रसारित ना किया जाए।
परिवार एवं विद्यालय द्वारा बच्चों को ऐसी शिक्षा ना दी जाए जो पूर्वाग्रह आधारित हो बल्कि सत्यता आधारित शिक्षा दी जाए।
कानूनी प्रतिबंध द्वारा:-
पूर्वाग्रह के विरुद्ध कानून बनाकर तथा उन कानूनों को कड़ाई के साथ लागू करके पूर्वाग्रह को दंड के भय से कम किया जा सकता है , हालांकि इस दिशा में भारत में अनेकों कानून बने भी है जैसे:- निम्न जाति के लोगों के प्रति पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, महिलाओं के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम, सती प्रथा विरोधी, अधिनियम विधवा पुनर्विवाह अधिनियम।
इसके अलावा हमारे संविधान में यह भी पता नहीं कि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ जाति ,धर्म ,लिंग, भाषा आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।
सामुदायिक कार्यक्रम
सामाजिक समरसता को बढ़ाने वाले सामुदायिक कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन किया जाए।
जिसमें सभी धर्म ,सभी जाति, सभी भाषा, सभी क्षेत्र एवं स्त्री-पुरुष समान रूप से भागीदारी हो।
रूढ़िवादिता
किसी क्षेत्र, भाषा, धर्म ,जाति,वर्ग के व्यक्तियों या किसी कार्यपद्धति के बारे में परंपरागत रूप से प्रचलित ऐसी मान्यताएं एवं धारणाएं जो,अतार्किक एवं अवास्तविक होती हैं,उन्हें रूढ़ियां कहा जाता है।
जैसे:-
मुस्लिम आतंकवादी होते हैं।
गरीब चोर होते हैं।
पुरुष बलशाली होते हैं।
जापान के लोग परिश्रमी होते हैं।
बिहार के लोग झगड़ालू होते हैं।
लड़के ही बुढ़ापे का सहारा होते हैं।
छींक आना अशुभ होता है।
बिल्ली द्वारा रास्ता काट जाने पर कार्य सफल नहीं होता।
खाली घट मिल जाना अशुभ होता है।
रूढ़िवादिता की विशेषताएं
रूढ़िवादिता में सत्यता का अभाव होता है।
रूढ़िवादिता परंपरागत मान्यताओं विश्वास में पर आधारित होती है।
धरती के अंदर रूढ़िवादिता जन्मजात नहीं होती बल्कि सामाजिकरण प्रक्रिया द्वारा अर्जित की जाती है।
रूढ़िवादिता सामान्यतः नकारात्मक होती है।
रूढ़िवादिता सामान्यतः स्थाई प्रकृति की होती है, इसे आसानी से परिवर्तित नहीं किया जा सकता। :-भारतीयों को यह समझाना कठिन होगा कि सभी पाकिस्तानी आतंकवादी नहीं होते हैं।
रूढ़िवादिता एवं पूर्वाग्रह:-
हमारे अंदर किसी व्यक्ति, वस्तु या समूह विशेष के सदस्यों के बारे में जो परंपरागत मान्यताएं एवं विश्वास बैठे होते हैं उन्हें रूढ़ियां कहा जाता है जबकि हम किसी व्यक्ति, वस्तु ,स्थान या समूह के बारे में परंपरागत मान्यताओं (रूढ़ियों)के अनुसार जो मनोवृति(सोच) रखते हैं उसे पूर्वाग्रह कहा जाता है।
जैसे:- यह कहना कि केवल लड़के की बुढ़ापे का सहारा होते हैं, लड़की नहीं। रूढ़िवादिता कहलाएगी, जबकि किसी लड़के की जाति ,धर्म , वेशभूषा के आधार पर , उस लड़की के प्रति यह मनोवृति रखना कि वह बुढ़ापे में अपने माता-पिता का साथ देगा, पूर्वाग्रह कहलायेगा।
उसी प्रकार यह कहना कि मुस्लिम आतंकवादी होते हैं रूढ़िवादिता है।
जबकि मुस्लिम होने के कारण किसी व्यक्ति के बारे में नकारात्मक मनोवृति रखना पूर्वाग्रह है।
रूढ़िवादिता से ही पूर्वाग्रह का निर्माण होता है अर्थात रूढ़िवादिता, पूर्वाग्रहों का संज्ञानात्मक कारण है।
रूढ़िवादिता के प्रकार
व्यक्तिगत रूढ़िवादिता
सामूहिक रूढ़िवादिता
व्यक्तिगत रूढ़िवादिता
ऐसी रूढ़ियां जिनका संबंध केवल व्यक्ति विशेष से होता है उन्हें व्यक्तिगत रूढ़िवादिता कहते हैं जैसे:-
किसी एक छात्र की यह व्यक्तिगत रूढि़ हो सकती है कि अध्यापक कठोर एवं निर्दयी होते हैं।
सामूहिक रूढ़िवादिता
ऐसी रूढ़ियां जिनका संबंध समूह से होता है उन्हें व्यक्तिगत रूढ़िवादिता कहते हैं जैसे:-
उच्च जाति के लोग ज्ञानी होते हैं।
व्यक्ति के अंदर रूढ़िवादिता के विकास के कारक
परिवारिक अधिगम(learning) एवं अनुकरण(following)
मिथ्या ज्ञान:-हमें जिस वर्ग के व्यक्तियों के बारे में जैसा ज्ञान प्राप्त होता है हम उसके प्रति वैसा ही रहा रखते हैं, जैसे:-हमें दादी नानी से यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि मुस्लिम लोग कातिल होते हैं, इसलिए हमारे अंदर यह रूढ़िवादिता बन गई कि मुसलमान आतंकवादी होते है।
सांस्कृतिक परंपराएं:- सांस्कृतिक परंपराओं के प्रभाव से भी रूढ़िवादिता का निर्माण होता है
जैसे:- अंतिम संस्कार के लिए लड़का द्वारा अग्नि दिया जाना, की परंपरा से लड़का का महत्व बढ़ जाता है।
सूचना एवं संचार
व्यक्तिगत अनुभव
प्रचार
भारतीय संदर्भ में रूढ़िवादिता
भारत में रूढ़िवादिता व्याप्त होने के कारण:-
शिक्षा एवं जागरूकता में कमी:-भारत के अधिकांश लोग शिक्षित एवं जागरूक ना होने के कारण तार्किक एवं वैज्ञानिक का पर विश्वास नहीं रखते बल्कि अंधविश्वासों पर विश्वास रखते हैं।
परंपरागत रूप से रूढ़िवादी प्रथा का प्रचलन:-भारत में ऐतिहासिक समय से ही अनेक धार्मिक एवं सामाजिक कुरीतियां ,प्रथाएं, परंपरा प्रचलित हैं, जिसका प्रभाव अभी तक भारतीयों में है।
ग्रामीण संस्कृति की अधिकता:-अभी भी भारत की लगभग 70% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है और ग्रामीण संस्कृति परंपराओं, प्रथाओं पर आधारित होती है।
सामाजिक असमानताएं:- भारतीय समाज में विभिन्न जाति ,धर्म ,वर्ग के लोग रहते हैं जिनमें आपसी असमानताएं हैं, जो भी भारत में रूढ़िवादिता का कारण है।
भारत में रूढ़िवादिता के प्रकार:-
जातिगत रूढ़िवादिता
धार्मिक रूढ़िवादिता
लिंग की रूढ़िवादिता
क्षेत्र आधारित रूढ़िवादिता
जातिगत रूढ़ीवादिता:-
जाति के आधार पर पाई जाने वाली रूढ़िवादीता, जातिगत रूढ़िवादिता कहलाती है। और भारत में अनेकों जाति के व्यक्ति निवास करते हैं इसलिए काफी ज्यादा जातिगत रूढ़िवादिता विधमान है।
जैसे:-
अपनी जाति के वर या वधू से विवाह करना अन्य जाति के वर/वधु से नहीं।
दलित जाति को अछूत मानना।
ब्राह्मण जाति को ज्ञानी मानना।
धार्मिक रूढ़िवादिता:-
धर्म से संबंधित रूढ़िवादिता धार्मिक रूढ़िवादिता कहलाती है। और जो कि भारत में हिंदू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई अनेकों धर्म के लोग निवास करते हैं इसलिए अनेकों धार्मिक रूढ़िवादिता पाई जाती है।
जैसे:-
हिंदू धर्म में माना जाता है कि यज्ञ करने से पाप समाप्त हो जाते हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार व्रत उपवास पूजा करने से स्वर्ग मिलता है।
हिंदू धर्म में पहले सती प्रथा की रूढ़िवादिता विद्वान थी।
मुस्लिम धर्म में यह रूढ़िवादिता है कि तलाक के बाद पत्नी को हलाला करवाना होता है।
छींक आ जाने पर कोई भी कार्य करना अशुभ होता है।
लिंग आधारित रूढ़िवादिता
भारत में लैंगिक के रूढ़िवादिता भी पाई जाती है।
जैसे:-
महिला केवल घर का काम करने के लिए बनी होती।
लड़कियां पराया धन होती है
लड़कियां बुढ़ापे का सहारा नहीं बन सकती।
पुरुष बलवान होते हैं।
क्षेत्र आधारित रूढ़िवादिता:-
किसी एक भौगोलिक क्षेत्र के व्यक्तियों के प्रति जो रूढ़िवादिता होती है उसे क्षेत्र आधारित रूढ़िवादिता कहते हैं।
जैसे:-
गुजरात के लोग व्यापारी होते हैं।
बंगाल के लोग डरपोक होते हैं।
हरियाणा पंजाब के लोग बलिष्ठ होते हैं।