भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृतियां एवं चुनौतियां
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मिश्रित अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था ना तो पूर्णता पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है और ना ही पूर्णता समाजवादी अर्थव्यवस्था बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था में दोनों की विशेषताओं का मिश्रण है अतः भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है हालांकि 1947 से लेकर 1991 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का झुकाव समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर रहा तथा 1991 के बाद भारत का झुकाव पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर है।
कृषि पर निर्भरता
भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाला देश है क्योंकि भारत की लगभग 50% जनसंख्या प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. हालांकि भारत की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 16-17% है.
क्योंकि भारत की कृषि में मशीनीकरण लगभग 40% है परिणाम स्वरूप कृषि में श्रमबल अधिक।
वहीं अमेरिका की कृषि ने मशीनीकरण 95% तक है अतः वहां पर कृषि में प्रत्यक्ष रूप से निर्भर लोगों की संख्या कम है।
-: कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार में भारत का अग्रणी स्थान है।
मन्द औद्योगिक विकास
भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में औद्योगिक विकास की गति बहुत ही मन्द है जिसका प्रमुख कारण भारत में अधोसंरचना का पर्याप्त विकास ना होना है जैसे परिवहन संचार ऊर्जा शिक्षा स्वास्थ्य जल आदि की व्यवस्था का अभाव
उदाहरण के लिए जहां अमेरिका में expressway 95000k.m. लंबा है वहीं भारत में expressway मात्र 1800 k.m. लम्बी है।
इसी प्रकार जहां चीन में प्रतिवर्ष लगभग 7000 trillion watt hour विद्युत का उत्पादन होता है
वहीं भारत में मात्र 1500 trillion watt hour विद्युत का उत्पादन होता है
तकनीकी पिछड़ापन
भारतीय अर्थव्यवस्था मैं मन्द औद्योगिक विकास होने का एक प्रमुख कारण तकनीकी पिछड़ापन है तकनीकी पिछड़ापन इसलिए है क्योंकि
-भारत से देसी प्रतिभा का पलायन हो जाता है
-अनुसंधान एवं विकास पर कम खर्च किया, जैसे भारत की कुल जीडीपी का केवल 0.8% हिस्सा ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च किया जाता है जबकि यूएसए की जीडीपी का 2.7 प्रतिशत हिस्सा रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च किया जाता है।
व्यापक निर्धनता /प्रति व्यक्ति आय कम होना
भारत में प्रति व्यक्ति आय लगभग 2000 डॉलर (डेढ़ लाख)वार्षिक है
जबकि अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय लगभग65000 डॉलर है।
अब अब भारत की 2200 डॉलर तथा अमेरिका की 80000 डॉलर।
-‘जबकि पीपीपी की मामले में भारत की प्रति व्यक्ति आय 7100 है।
भारत की 29% जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती
इसके पीछे का मुख्य कारण भारत की जनसंख्या वृद्धि तथा विनिर्माण क्षेत्र का जीडीपी में कम योगदान होना है
आय की असमानता
2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की राष्ट्रीय आय का 67% से अधिक हिस्सा केवल 10% अमीर लोगों के पास है बाकी 90% लोगों के पास राष्ट्रीय आय का 33% से भी कम हिस्सा है
अतः आए कि काफी ज्यादा समय तक जो भारत की एक प्रमुख समस्या है।
जीडीपी में तृतीय क्षेत्र का बढ़ता योगदान -:
1951 में भारत की जीडीपी में सेवा क्षेत्र का योगदान 28 % था जो अब बनकर 2020 में 53% से अधिक हो गया है जबकि भारत की कुल श्रमशक्ति में से केवल 23% श्रम शक्ति ही सेवा क्षेत्र में लगी है।
जबकि तुलनात्मक रूप से प्राथमिक क्षेत्र का योगदान कम होता जा रहा है
तीव्र गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सर्वाधिक तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक प्रमुख अर्थव्यवस्था है
बर्थ 2017 भारत में जीडीपी की वृद्धि दर 7.7% रही जो अन्य देशों की तुलना में सर्वाधिक थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख चुनौतियां
गरीबी एवं बेरोजगारी
रंगराजन समिति के अनुसार वर्ष 2011-12 में भारत की 29.5% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही थी।
भारत में औसतन बेरोजगारी दर 8% है जबकि जापान की औसत बेरोजगारी दर मात्र 3% से भी कम है
वर्ष 2011 में भारत में बेरोजगारी दर 5.6% जो 2021 में लॉकडाउन के चलते बढ़कर 10.6% तक हो गई
मन्द औद्योगिक विकास
भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में औद्योगिक विकास की गति बहुत ही मन्द है जिसका प्रमुख कारण भारत में अधोसंरचना का पर्याप्त विकास ना होना है जैसे परिवहन संचार ऊर्जा शिक्षा स्वास्थ्य जल आदि की व्यवस्था का अभाव
उदाहरण के लिए जहां अमेरिका में expressway 95000k.m. लंबा है वहीं भारत में expressway मात्र 1643 k.m. लम्बी है।
इसी प्रकार जहां चीन में प्रतिवर्ष लगभग 7000 trillion watt hour विद्युत का उत्पादन होता है
वहीं भारत में मात्र 1500 trillion watt hour विद्युत का उत्पादन होता
आय की असमानता
2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की राष्ट्रीय आय का 50% से अधिक हिस्सा केवल 10% अमीर लोगों के पास है बाकी 90% लोगों के पास राष्ट्रीय आय का 50% से भी कम हिस्सा है
अतः भारत में प्रति व्यक्ति आय काफी ज्यादा असमानता है जो भारत की एक मुख्य समस्या है
तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या
भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है और भारत में जनसंख्या वृद्धि दर अन्य देशों की तुलना में काफी जाता है भारत की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 1% है जबकि चीन की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 0.3% है.
जनसंख्या वृद्धि से प्रति व्यक्ति आय काफी ज्यादा कम हो जाती है, कृषि भूमि का विभाजन हो जाता है, सीमांत कृषकों की संख्या बढ़ती है।
खाद्य आपूर्ति में समस्या उत्पन्न होती है।
अकुशल मानव संसाधन
भारत की कुल कार्यशील जनसंख्या में से केवल 4.59 प्रतिशत जनसंख्या ही किसी एक कार्य को करने में दक्ष है जबकि जापान में यही आंकड़ा 90% से भी अधिक है
अकुशल जनसंख्या होने के कारण भारत प्राकृतिक संसाधन एवं जनसंख्या अधिक होने पर भी उत्पादन नहीं हो पाता।
- गैर निष्पादित संपत्ति (NPA)का बढ़ना
बैंक द्वारा दिया गया वह लोन जिसकी किस्त जमा करने की तिथि से 90 दिनों के बाद तक किस्त जमा ना की गई हो अर्थात् उधार लिया गया ऋण बैंक को चुकाया ना जाए तो उस ऋण को एनपीए कहते हैं
और भारत की सरकारी बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति बढ़ती जा रही है जैसे आंध्र बैंक द्वारा दिया गया कुल बैंक का 86% ऋण एनपीए घोषित हो चुका है यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का 78% ऋण एनपीए घोषित हो चुका है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए 2 ट्रिलियन रूपए है।
एनपीए की संपत्ति का विकास के कार्यों में कोई उपयोग नहीं होता अतः एनपीए का बढ़ना भारत के लिए एक बड़ी समस्या है
काले धन की समस्या
अवैध तरीके से अर्जित किया गया धन काला धन कहलाता है
जैसे -: कर देने योग्य वह धन जिस पर करना दिया गया हो उसे काला धन कहते हैं।
भारत की राष्ट्रीय आय का लगभग 18 से 21% हिस्सा काला धन के रूप में है।
