[मुहावरा एवं कहावतें- 03]
मुहावरा |
अर्थ |
वाक्य प्रयोग |
सांप छछूंदर की गति होना |
असमंजस की स्थिति में होना |
मैं किसकी सहायता करूं किसकी ना करूं समझ ही नहीं आ रहा, मेरी तो सांप छछूंदर की गति हो गई। |
सिट्टी पिट्टी गुम हो जाना |
होश उड़ जाना |
जब उच्च अधिकारी ने आंख दिखाई तो तहसीलदार की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। |
सिर पर खून सवार होना |
मरने मारने पर उतारू होना |
रमेश से बात मत करो उसके सिर पर तो खून सवार है। |
सुई की नोक के बराबर |
जरा सा |
मैं तुम्हें सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं दूंगा। |
सूरज को दीपक दिखाना |
प्रसिद्ध व्यक्ति का परिचय देना |
भारतीयों के सामने महात्मा गांधी का परिचय देना सूरज को दीपक दिखाना है। |
सोने में सुहागा होना |
अच्छी वस्तु का और अधिक अच्छा होना |
रमेश पहले से ही पढ़ाई में सबसे अब्बल था , और अब अमेरिका से प्रशिक्षण भी ले आया है यह तो सोने में सुहागे जैसी बात हो गई। |
हवा का रुख पहचानना |
अक्षर की आवश्यकता को समझना |
राजनेता हवा का रुख पहचान कर तुरंत बदल जाते है। |
हवाई किले बनाना |
ऊंची ऊंची काल्पनिक योजना बनाना। |
अरे रमेश! तुम कुछ करो-धरो हवाई किले बनाने से कुछ हाथ नहीं आएगा। |
हाथ खाली होना |
पैसा समाप्त हो जाना |
जब तक पैसा पास रहता है तब तक सभी मित्र जुड़े रहते हैं हाथ खाली होने पर अपने भी पराए हो जाते हैं। |
हाथ उठाना |
मरने को तत्पर होना |
बच्चों एवं महिलाओं पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। |
हाथ पीले कर देना |
शादी कर देना |
रमेश ने अपनी दोनों लड़कियों के हाथ पीले कर दिये। |
हाथ-पैर मारना |
कोशिश करना |
रमेश ने अनेकों जगह हाथ-पैर मारे, लेकिन नौकरी नहीं मिली। |
हुलिया बिगाड़ देना |
दुर्दशा कर देना |
पुलिस ने चोर को मार मार कर उसका हुलिया बिगाड़ दिया। |
हाथ पर हाथ रखकर बैठना |
खाली बैठना |
हाथ पर हाथ धरकर बैठने से तुम्हारा कुछ नहीं होने वाला। |
हाथ साफ करना |
चुरा लेना |
रात को ,सेठ गोविंद दास की दुकान से चोर सारे माल पर हाथ साफ कर गए। |
हंसी खेल समझना |
साधारण काम समझना |
आईएएस की परीक्षा पास करना हंसी खेल नहीं है। |
हाथों के तोते उड़ना |
अचानक से घबरा जाना |
आयकर विभाग के नोटिस को पढ़कर रमेश के हाथों के तोते उड़ गए। |
कुर्सी तोड़ना |
खाली बैठना |
सरकारी स्कूल के शिक्षक बैठे-बैठे खुशी तोड़ते रहते हैं। |
[प्रमुख लोकोक्तियां]
लोकोक्ति |
अर्थ |
वाक्य में प्रयोग |
अंडे सेने कोई बच्चा लेवे कोई |
मेहनत कोई और करें और लाभ किसी अन्य को मिले। |
ब्रिटिश शासन के दौरान बेचारी कास्तकार मेहनत करके पूरी खेती बारी करते थे, लेकिन खेती का मुनाफा साहूकार एवं अंग्रेज वसूल लेते थे इसे कहते हैं अंडा सेवे कोई और बच्चा लेवे कोई। |
अंत भला सो सब भला |
यदि कार्य का अंतिम निष्कर्ष अच्छा है तो सब अच्छा माना जाता है। |
रमेश के घर में रात को चोर घुस आया था कुछ सामान चोरी करके ले जाने लगे सो घर वाले उसको पकड़ने को दौड़े, अंत में वह पकड़ा गया जिससे सारा सामान वापस मिल गया। सच ही कहा गया है-अंत भला तो सब भला। |
अपना हाथ जगन्नाथ |
स्वयं का कार्य स्वयं द्वारा करना अच्छा होता है |
अपना काम सेंड करना चाहिए ना कि दूसरों से करवाना चाहिए क्योंकि दूसरों से करवाने पर काम सही समय पर उपयुक्त तरीके से नहीं होता, कहावत भी है अपना हाथ जगन्नाथ। |
अंधा पीसे कुत्ता खाए |
किसी की अज्ञानता अथवा असावधानी का लाभ उठाना |
किसान दिन रात मेहनत करके अपनी फसल उपजाता है, लेकिन बिचौलिए उनकी फसल को कम दामों में खरीद कर व्यापार द्वारा अधिक लाभ कमा लेते हैं इसे कहते हैं अंधा पीसे कुत्ता खाए। |
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता |
अकेला आदमी दूसरों की सहायता के बिना कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता है। |
रमेश तुम इतने उतावले न हो, तुम अकेले पूरी खेती-बाड़ी नहीं कर सकते इसके लिए तुम्हें अन्य लोगों की जरूरत होगी सही कहा गया है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता। |
अक्ल बड़ी की भैंस |
शारीरिक बल से बुद्धि श्रेष्ठ होती है। |
कीचड़ में फंसी गाड़ी को चार पांच लोग मिलकर भी नहीं निकाल पा रहे तब रमेश गड्ढे में कुछ डाल दी, जिससे गाड़ी आसानी से निकल गई इसे कहते हैं अक्ल बड़ी की भैंस |
अधजल गगरी छलकत जाए |
अल्प ज्ञान का अधिक प्रदर्शन |
देखो,वह व्यक्ति जो अंग्रेजी का रौब झाड़ रहा है , उसे अंग्रेजी व्याकरण तक की समझ नहीं है इसे कहते हैं अधजल गगरी छलकत जाए। |
अकेली मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है |
एक दुष्ट आदमी समूचे वातावरण को दूषित कर देता है |
एक बच्चे को सिगरेट पीता देख मोहल्ले के सभी बच्चे सिगरेट पीने लगते हैं सच ही कहा गया है अकेली मछली सारे तालाब के अंदर कर देती। |
अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता |
स्वयं के परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती। |
परीक्षा का समय निकट आ रहा है, सभी छात्रों को स्वंय डटकर अध्ययन करना अपेक्षित है, तभी उत्तीर्ण हो सकोगे, क्योंकि आप मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता है। |
अपनी करनी पार उतरनी |
अपने कर्म के अनुसार फल प्राप्त होना। |
रमेश का बड़ा बेटा बचपन से ही बहुत ज्यादा मेहनत इतनी पढ़ाई करता था इसलिए आज उसकी जिंदगी ऐसो आराम में है, जबकि छोटा बेटा बचपन से ही लड़ाई झगड़े और बात करता था इसलिए आज का सजा काट रहा है सही कहा गया है:-अपनी करनी पार उतरनी। |
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत |
अवसर निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है |
पूरी साल तो पढ़ाई ना करके खेलकूद और मस्ती करते रहे, परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर दुख क्यों मना रहे हो, सच ही कहा गया है:- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। |
आगे कुआं पीछे खाई |
दोनों तरफ मुसीबत होना |
समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं और क्या न करूं, यदि ऑपरेशन करवाता हूं तो मौत का डर है और नहीं करवाता हूं तो दर्द बढ़ने का डर है सच में:- आगे कुआं है तो पीछे खाई। |
आप भला तो जग भला |
अच्छे व्यक्ति के लिए पूरा संसार अच्छा होता है |
दूसरे लोग मेरा सम्मान इसलिए करते हैं क्योंकि मैं उनका सम्मान करता हूं। सच ही कहा गया है :- आप भला तो जग भला। |
आम के आम गुठलियों के दाम |
दोहरा लाभ |
रमेश एक नया ट्रैक्टर लिया और जब वह ट्रैक्टर पुराना हो गया तो उस ट्रैक्टर का इंजन निकल कर मिल लगवा लिया, जिससे उसे दोहरा लाभ हुआ। इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम। |
आसमान से गिरा तो खजूर में लटका |
एक मुसीबत से निकलकर दूसरी मुसीबत में फंसना |
रमेश बड़ी मुश्किल से नौकरी में चयनित हुआ था, लेकिन डॉक्यूमेंट गुम जाने के कारण उसे अभी तक उसी जॉइनिंग नहीं मिल सकी इसे कहते हैं आसमान से गिरा तो खजूर में लटका। |
आई तो रोज ही नहीं तो रोजा |
कमाया तो खाया नहीं तो भूखे |
ग्रामीण क्षेत्र के मजदूर परिवार रोजाना परिश्रम करके ही खा पाते हैं जिस दिन परिश्रम नहीं करते उस दिन उन्हें खाने तक को नहीं मिलता। यह तो आई तो रोज ही नहीं तो रोजा कहावत के समान है। |
आंख का अंधा गांठ का पूरा |
वह व्यक्ति जो मूर्ख है परंतु धनवान है |
रमेश भले ही अज्ञानी है लेकिन उसके पास का बहुत ज्यादा धन है। इसे कहते हैं आंख का अंधा गांठ का पूरा। |
आंख के अंधे ,नाम नयनसुख |
गुण के विपरीत नाम |
उस व्यक्ति का नाम संतोष है जबकि वह जरा जरा सी बात पर रोहित हो जाता है उत्पाद मचाता है इसे कहते हैं:-आंखों का अंधा नाम नयनसुख। |
आगे नाथ न पीछे पगहा |
जिसका कोई ना हो |
रमेश नाम के इकलौते पति की मृत्यु के बाद रमेश के माता-पिता की स्थिति तो आगे नाथ न पीछे पगहा वाली हो गई। |
लोकोक्ति |
अर्थ |
वाक्य में प्रयोग |
आ बैल मुझे मार |
जानबूझकर विपत्ति बोल देना |
तुमने इस लुटेरे को अपने घर में पनाह देकर ‘आ बैल मुझे मार’ जैसा कार्य किया है। |
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास |
उद्देश्य पूर्ण काम छोड़कर अन्य काम में लग जाना |
रमेश माता पिता के कहने पर दिल्ली पढ़ने के लिए आया था लेकिन वहां पर होटल में नौकरी करने लगा इसे कहते हैं आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास। |
उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई |
प्रतिष्ठा चली जाने पर भय समाप्त हो जाता। |
2 दिन बाद जेल चले जाने के बाद अपराधी को अब अपराध करके जेल जाने से डर नहीं लगता। ठीक ही कहते हैं उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई। |
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे |
स्वयं गलती करना तथा उस गलती के लिए दूसरों को डांटना |
परीक्षा में नकल करते पकड़ा गया छात्र शिक्षक को धमकी देने लगा यह वैसी ही स्थिति थी:- जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। |
ऊंची दुकान फीका पकवान |
बहुत चर्चित किंतु गुणवत्ता निम्न |
अधिक खींच लेने वाली कोचिंग में गुणवत्ता पूर्ण पढ़ाई नहीं होती यहां पर ऊंची दुकान फीका पकवान चरितार्थ होता है। |
एक अनार सौ बीमार |
चीज कम चाहने वाले बहुत |
स्कूल में 50 विद्यार्थी हैं लेकिन 10 विद्यार्थियों के लिए किताबें भेजी गई यह तो वैसी ही स्थिति हो गई जैसे एक अनार सौ बीमार। |
ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर। |
कार्य प्रारंभ कर देने पर कार्य से संबंधित चुनौतियां से ना डरना। |
श्रीमान अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार मिटाने का संकल्प लिया ,उनके लिए भ्रष्टाचारियों की धमकियों से कोई डर नहीं था उनका यही सिद्धांत था कि ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर। |
एक तो करेला कड़वा ,दूसरा नीम चढ़ा |
स्वाभाविक दोष साथ कोई अन्य दोष भी होना। |
रमेश तो पहले से ही निकम्मा था अब उसे शराब की लत भी लग गई है,इसे कहते हैं एक तो करेला कड़वा दूसरा नीम चढ़ा। |
एक तो चोरी,दूसरे सीनाजोड़ी |
अपराधी होने के बावजूद अकड़ दिखाना |
एक तो उस गाड़ी वाले ने गाड़ी से मेरे को टक्कर मारी ऊपर से मुझे की डांट रहा था यह तो वैसी ही स्थिति हो गई एक तो चोरी दूसरे सीनाजोड़ी। |
एक म्यान में दो तलवार नहीं समा सकती |
किसी एक वस्तु के दो अधिकारी नहीं हो सकते। |
इस घर में या तो मैं रहूंगी या तुम्हारी रखैल रहेगी एक म्यान में दो तलवार नहीं समा सकती |
एक हाथ से ताली नहीं बजती |
किसी भी विवाद में दोनों पक्षों का हस्तक्षेप होता है |
तुम मुझे मत समझा मैं सब जानता हूं, तुम्हारी और रमेश की लड़ाई में केवल रमेश की गलती नहीं क्योंकि एक हाथ से ताली नहीं बजती। |
कहां राजा भोज कहां गंगू तेली |
दो असामान व्यक्ति की तुलना |
तुम अपनी चलना अमेरिकी राष्ट्रपति से मत करो कहां राजा भोज कहां गंगू तेली। |
कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता |
कहने पर वही काम ना करना जो रोज करता हैं |
मोनू गाने का शौकीन है और रोजाना गाना गाता रहता है लेकिन जब मैंने जन्मदिन के अवसर पर उसे गाना गाने को कहा तो उसने गाना गाने से मना कर दिया तभी सभी लोगों ने कहा :- कहने से धोबी गधे पर नहीं चलता |
काम का ना काज का दुश्मन अनाज का |
कामना करती बैठे-बैठे खाने वाला |
रमेश कुछ काम तो करता नहीं बैठे-बैठे खाता है इसलिए सभी लोग उसके बारे में कहते हैं:-काम का ना काज का दुश्मन अनाज का। |
का वर्षा जब कृषि सुखाने |
समय पर वांछित सूचना मिलने पर उसकी कोई उपयोगिता ना होना |
जब भूख लगी थी तब तो खाना मिला नहीं अब खाना मिलने से क्या फायदा? यह तो वही हुआ :- का वर्षा जब कृषि सुखाने। |
काला अक्षर भैंस बराबर |
बिल्कुल अनपढ़ |
रमेश अनपढ़ आदमी है उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है। |
खग जाने खग की ही भाषा |
एक ही वर्ग के लोग एक दूसरे की बात अच्छी तरह से समझ सकते हैं |
एक महिला की समस्या दूसरी महिला की समझ सकती है ठीक ही कहा गया है खग जाने खग की भाषा। |
खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे |
अपना क्रोध किसी और पर निकालना |
बॉस की बात को सुनकर वर्मा जी घर आकर अपनी पत्नी पर गुस्सा निकाल रहे हैं,इसे कहते हैं खिसयाई बिल्ली खंबा नोचे। |
खोदा पहाड़ निकली चुहिया |
परिश्रम बहुत अधिक, फल बहुत कम |
रमेश ने करोड़ों रुपए खर्च करके लोहा फैक्ट्री लगाई लेकिन उससे केवल ₹50000 का लाभ हुआ इसे कहते हैं खोदा पहाड़ निकली चुहिया। |
गुरु गुड ही रहे और चेला शक्कर बन गया |
शिष्य का गुरु से भी आगे निकल जाना |
मनीष शर्मा सर पहले भी कोचिंग पढ़ाते थे और आज भी कोचिंग पढ़ा रहे जबकि उनका पढ़ाया हुआ छात्र रमेश आज आईएस बन गया सही कहा गया है गुरु गुड ही रहे और चेला शक्कर बन गया। |
लोकोक्ति |
अर्थ |
वाक्य में प्रयोग |
चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए |
तनिक रुपए भी खर्च ना करना/बहुत कंजूस होना |
सेठ गोविंद दास बहुत ही कंजूस आदमी है उसका तो सिद्धांत यह है कि चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए। |
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात |
थोड़े दिन की मौत फिर वही कष्ट |
रमेश ,तुम्हारी शादी हुई है इसलिए तुम बहुत खुश हो और होना भी चाहिए लेकिन एक कहावत मत भूलना:- 4 दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात। |
जाको राखे साइयां मार सके ना कोय |
जिसका रक्षक भगवान है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता |
चलती बस से भी रमेश गिरने के बाद सुरक्षित रहा यह तो भगवान की लीला है सही कहा गया है जाके राखो साईयां मार सके ना कोय। |
जिसकी लाठी उसकी भैंस |
सक्षम एवं बलवान का ही प्रभुत्व होता है |
रमेश जो कि मेरे बेटे से कम योग्य है उसे अतिथि शिक्षक की नौकरी मिल गई क्योंकि उसके पिता स्वयं उस स्कूल के शिक्षक हैं सही ही कहा गया है जिसकी लाठी उसकी भैंस। |
घर की मुर्गी दाल बराबर |
उपलब्ध चीजें कम मूल्यवान होती है, |
यह बात सत्य है की यदि किसी घर में पहले से चार चार कारें हो तो एक और नई कार लेने पर उतनी खुशी नहीं होती जितनी खुशी एक गरीब परिवार को कार लेने पर होती है। सही ही कहा गया है ‘घर की मुर्गी दाल बराबर।’ |
घर का जोगी जोगड़ा आन गांव का सिद्ध |
पास में ही उपलब्ध ज्ञानी व्यक्ति को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना दूर के ज्ञानी व्यक्ति को दिया जाता है। |
पड़ोस के पंडित इतने विद्वान हैं कि दूर-दूर से लोग उनसे ज्योतिष पूछने आते हैं लेकिन घर की ही लोग ज्योतिष पूछने के लिए मंदिर के पुजारी के पास जाते हैं उनके पास नहीं सही कहा गया:-घर का जोगी जोगड़ा आन गांव का सिद्ध |
छछूंदर के सिर में चमेली का तेल |
अयोग्य को कुछ विशिष्ट वस्तु प्राप्त होना |
इस अनपढ़ गंवार व्यक्ति को हाई प्रोफाइल टेक्नोलॉजी युक्त रोबोट प्राप्त हुआ है जो ऐसा प्रतीत होता है कि छछूंदर के सिर में चमेली का तेल। हो |
जंगल में मोर नाचा किसने देखा |
बिना प्रमाण किसी घटना पर अविश्वास जाहिर करना |
रामू को जितना ज्ञान है उतना गाव के किसी के पास नही है पर उसने किसी को इस बारे मे पता नही है यही है जंगल मे मोर नाचा किसने देखा । |
जल में रहकर मगरमच्छ से बैर |
किसी सक्षम व्यक्ति के प्रभाव क्षेत्र में उसी से दुश्मनी लेना। |
रमेश अपने उच्चाधिकारियों की डांट सुनता रहता है लेकिन कभी भी उनसे नजर उठा कर बात नहीं करता क्योंकि उसे पता है कि मैं जल में रहकर मगर से बैर नहीं किया जाता। |
जस दूल्हा तब बारात |
जैसा अगुआ वैसे अनुगामी |
जब इस संस्था के प्रबंधक ही देर से आते हैं तो कर्मचारी तो देर से आएंगे ही क्योंकि :- जस दूल्हा तब बारात। |
जहां जाए भूंखा, वहां पडे़ सूखा |
दिन अच्छे न होने पर कहीं भी मदद ना मिलना। |
जब मेरे कैसे खत्म हुए तो मैंने अपने रिश्तेदारों से पैसे मांगे लेकिन उनके यहां अभी इसी वक्त फसल अच्छी नहीं जिसके कारण वहां से भी पैसे प्राप्त नहीं हो सकते इसे कहते हैं जहां जाए भूंखा, वहां पडे़ सूखा |
जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि |
जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती वहां कवि की कल्पना पहुंचती है |
कालिदास और भवभूति जैसे कवियों की रचनाओं को पढ़कर कहा जा सकता है – जहाँ न जाए रवि वहाँ जाए कवि। |
जाके पांव न फटी बिवाई,वो क्या जाने पीर पराई |
स्वयं कष्ट का अनुभव किए बिना दूसरों का कष्ट नहीं समझा जा सकता। |
केवल ऐसे राजनेता एवं मंत्री ग्रामीण जनता के कष्ट को समझ सकते हैं जो स्वयं ग्रामीण क्षेत्र के निवासी रहे हैं इसलिए कहा गया है जाके पांव न फटी बिवाई,वो क्या जाने पीर पराई |
जैसा देश वैसा भेष |
जगह के अनुसार अपने आपको डालना |
सदैव धोती पजामा पहनने वाले नेता अमेरिका जैसे शहरों में कोट पैंट और टाई लगाकर जाती है उनका यह पहनावा इस कहावत को चरितार्थ करता है कि:- जैसा देश वैसा भेष। |
जो गरजते हैं वह बरसते नहीं |
अधिक बोलने वाले व्यक्ति कथनानुसार पूरा कार्य नहीं करते। |
रमेश बहुत ही लंबी चौड़ी बातें बताता है लेकिन करता कुछ नहीं है सही कहा गया है जो गरजते हैं वह बरसते नहीं। |
तू डाल डाल मैं पात पात |
अगर तुम श्रेष्ठ हो तो मैं अति श्रेष्ठ हूं |
पुलिस के रहते भी चोर चोरी करके ले गए यह तो वही बात हुई तू डाल डाल मैं पात पात। |
डूबते को तिनका सहारा |
विपत्ति के समय थोड़ी सी सहायता बहुत बड़ी सहायता लगती है। |
वह किसान चारों तरफ की समस्याओं से ग्रसित होकर आत्महत्या करने वाला था लेकिन सेठ गोविंद दास में उसे समझा कर थोड़े से पैसे उधार दे दिए जिससे वह आत्महत्या नहीं किया इसे कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा। |
थोथा चना बाजे घना |
अल्पज्ञ लोग हमेशा अपनी ज्ञान का प्रदर्शन करते हैं |
रमेश को कुछ ज्यादा ज्ञान नहीं है इसके बावजूद भी वह अपने थोड़े से ज्ञान का प्रदर्शन करके अपने को ज्ञानी बताता है यह तो थोथा चना बाजे घना के सामान्य स्थिति हो गई। |
दाल भात में मूलचंद |
अवांछित दखलअंदाजी |
दिल्ली का मुखर्जी नगर पढ़ाई का स्थान है वहां पर तुम दोनों छात्रों को जाना चाहिए ना जाकर वहां क्या करूंगा दाल भात में मूलचंद का क्या काम । |
लोकोक्ति |
अर्थ |
वाक्य में प्रयोग |
धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का |
दोनों तरफ से किसी काम के ना रहना |
रमेश ने अपनी नौकरी छोड़ कर खेती करना प्रारंभ किया किंतु बरसात अच्छी ना होने पर खेती भी चौपट हो गई अब उसकी स्थिति धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का जैसी हो गयी है। |
ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी |
असंभव शर्तों के द्वारा काम को टालना |
कल मैं रमेश से उधार मांगने गया लेकिन वह कहा कि मैं उधार तभी दूंगा जब तुम 2 तोला सोना रखो जबकि मेरे पास तो इतना सोना है ही नहीं यह तो वही बात हो गई कि ‘ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगई’ |
नाच ना आवे आंगन टेढ़ा |
स्वयं के आयोग होने पर दूसरों को दोष देना |
रमेश से लिखते तो बनता नहीं है बोलता है तुम्हारा पेन खराब है यह तो वही बात हो गई नाच ना आवे आंगन टेढ़ा। |
नेकी कर कुएं में डाल |
उपकार करके उसे जताना नहीं चाहिए |
सुनो बेटा रमेश नेक कार्य करना चाहिए लेकिन उस उपकार को बार-बार बताना नहीं चाहिए इसीलिए कहां गया है नेकी कर कुएं में डाल। |
नौ नगद न तेरह उधार |
नगद लेनदेन अच्छा होता है |
लव भाई 11 की जगह ₹10 ही दे दो मगर अभी दे दो “नौ नगद न तेरह उधार। “ |
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद |
मूर्ख व्यक्ति गुणवान वस्तु का महत्व नहीं समझता |
रमेश एक गांव का अनपढ़ व्यक्ति उसे मूवी दिखाने ले गए तो वह बोलने लगा यह तो अंधेरा कमरा है चलो बाहर चले ,तब मुझे यह बात याद आई बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। |
पढ़े फारसी बेचे तेल ,यह देखो कुदरत का खेल |
कुशल व्यक्ति होकर भी अपनी कुशलता से छोटा कार्य करना |
रमेश एक पढ़ा लिखा आदमी है लेकिन नौकरी न मिलने के कारण पान बेच रहा है इसे कहते हैं पढ़े फारसी बेचे तेल यह देखो कुदरत का खेल। |
बासी बचे ना कुत्ता खाए |
अपव्यय को रोकना/ केवल आवश्यकतानुसार उत्पादन करना। |
एक उत्पादक को बाजार में खपत को देखते हुए ही उत्पादन करना चाहिए ताकि गोदाम में माल सड़े नहीं ,मेरा सिद्धांत है कि बासी बचे ना कुत्ता खा। |
मन चंगा तो कठौती में गंगा |
मन शुद्ध है तो सब पवित्र है |
संत रविदास ना मंदिर जाते थे ना तीर्थ, उनका दृढ़ विश्वास था कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। |
भागते भूत की लंगोटी ही सही |
जो मिल जाए वही अच्छा है |
रमेश ने अपनी फैक्ट्री बंद कर दी थी बस कर्मचारियों को आधा वेतन दे रहा था बहुत तो ने नहीं लिया लेकिन मैंने ले लिया क्योंकि भागते भूत की लंगोटी ही सही होती है। |
मुंह में राम बगल में छुरी |
कपटपूर्ण दिखावा करना |
वह अधिकारी देखने एवं बोलने में तो एक ईमानदार व्यक्ति लगता है लेकिन दरअसल में वह पीठ पीछे लाखों रुपए का भ्रष्टाचार करता है सही कहा गया है कुछ लोग मुंह में राम बगल में छुरी लिए रहते हैं। |
मेंढकी को जुखाम होना |
असंभव प्रतीत आश्चर्यजनक कार्य करना |
पंडित दीनानाथ कट्टर ग्राम है उनके द्वारा नमाज पढ़ा जाना मेंढकी को जुखाम होने के समान है। |
मान न मान मैं तेरा मेहमान |
जबरदस्ती मेहमान बनना |
मैं आपको जानता भी नही और इतनी रात को आप मेरे घर पर आकर कह रहे हो की मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूं यह तो वही बात हुई की मान न मा मैं तेरा मेहमान |
रस्सी जल गई ऐठन आ गई |
बर्बाद हो जाने के बाद भी घमंड कम ना होना |
मुकदमा हारने के बाद रमेश बाबू की हालत काफी खस्ता हो चुकी है लेकिन अभी भी दे अपने पुरानी बातों का रौब झाड़ते है। इसे कहते हैं रस्सी जल गई पर ऐंठन न गरी। |
रोज कुमावत ना रोज पानी पीना |
रोज कमाना रोज खाना |
ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों की आदत रोज कुमार खोजना रोज पानी पीने के समान है। |
लातों के भूत बातों से नहीं मानते |
दुष्ट व्यक्ति दंड के बिना भयभीत नहीं होती |
ट्रैफिक पुलिस ने एक व्यक्ति को रोककर उसी लाइसेंस दिखाने को कहा तो उसने अकड़न दिखाते हुए विधायक को फोन लगाएं लेकिन जब ट्रैफिक पुलिस ने उसे डंडा मारा तो वह पुलिस के सामने हाथ जोड़कर लाइसेंस दिखाने लगा, इसे कहते हैं लातों के भूत बातों से नहीं मानते। |
सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे |
काम भी बन जाए हानि भी ना हो |
बिना कोचिंग तथा ऑनलाइन मटेरियल की एग्जाम पास करना है वैसा ही है जैसे कि सांप भी मर जाए लेकिन लाठी ना टूटे। |
सांच को आंच नहीं |
सच्चे व्यक्ति को डरने की आवश्यकता नहीं होती |
जब तुमने कोई अपराध नहीं किया तो फिर परेशान होने की क्या बात है? तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा सांच को आंच नहीं आती। |
सीधी उंगली से घी नहीं निकलता |
बिल्कुल सीधेपन से काम नहीं चलता |
रमेश सीधा साधा आदमी है इसलिए आज उसका काम नहीं हो पाया सही कहा गया है सीधी उंगली भी नहीं निकलता। |
लोकोक्ति |
अर्थ |
वाक्य में प्रयोग |
सौ सुनार की एक लोहार की |
अनेक चिड़िया की उपेक्षा एक क्रिया का अधिक प्रभावशाली होना |
रमेश हमेशा मेरी चुगली करता रहता है करने दीजिए, जिस दिन मैंने उसके चारित्रिक पतन की बात बता दी ना उस दिन सौ सुनार की एक लोहार की जैसी स्थिति हो जाएगी। |
सिर मुड़ाते ही ओले पड़े |
काम शुरू करते ही ,विघ्न पडना। |
कुछ नहीं आज की तो कपड़े की दुकान रखी लेकिन आज से 7 दिन के लिए कपड़े की दुकान बंद कर दी गईं हैं इसे कहते हैं सिर मुड़ाते ही ओले पड़े। |
हसुआ के ब्याह में खुरपे का गीत |
बिना मेरी की बात करना |
कहां बात हो रही थी रमेश की इमानदारी की, और तुमने भूत की बात शुरू कर दी इसे कहते हैं ‘हसुआ के ब्याह में खुरपे का गीत’ |
हाथ कंगन को आरसी क्या |
प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती |
मैं एक गायक हूं यदि विश्वास नहीं होता तो मुझसे गाना गवा कर देख लो, हाथ कंगन को आरसी क्या! |
हींग लगे ना फिटकरी रंग भी चोखा |
बिना खर्च के अच्छी चीज प्राप्त हो जाना |
आज कुछ ऐसा बनाओ जिसमें ना आलू लगे ना मसाला और खाने में भी स्वादिष्ट हो, अर्थात हींग लगे न फिटकरी रंग फिर भी चोखा हो। |
होनहार बिरवान के होत चिकने पात |
होनहार व्यक्तियों की प्रतिभा के लक्षण बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं |
जयशंकर प्रसाद ने पहली कविता केवल 8 वर्ष की उम्र में लिख डाली थी सच ही कहा गया है”होनहार बिरवान के होत चिकने पात” |
हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और |
कहना कुछ और और वास्तव में करना कुछ और |
आजकल के राजनेता कहते कुछ और हैं और करते कुछ और अर्थात उनकी स्थिति हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और के समान है। |
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है |
एक बार धोखा खाया हुआ व्यक्ति बाद के लिए सावधान हो जाता है |
जब से उनके परिवार में सर्दी जुखाम के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई तब से उस परिवार के लोग सर्दी जुकाम होने पर तुरंत अस्पताल ले सही कहते हैं दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है। |
ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी |
झगड़े को जड़ से खत्म कर देना। |
टिवी देखने के लिए दोनो भाई लड रहे थे तो उनके पिताजी ने उस टिवी को ही उठाकर उपर रख दिया इसे कहते है न रहेगा बाँस न बजेगी बासुरी |
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है |
अपने घर या गली में बहादुरी दिखाना |
तुम अपने मोहल्ले में बहादुरी दिखा रहे हो। अरे,अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है बाहर निकलो तो जाने। |
उल्टे बांस बरेली को |
जहां जिस वस्तु की आवश्यकता ना हो ,उसे वहां ले जाना। |
जब रमेश शहर से अनाज खरीद कर गांव ले गया तो उसके पिताजी ने कहा यह तो उल्टे बांस बरेली को वाली बात हुई। |
उसी पर जूता उसी का सिर |
उसी के हथियार या चाल से उसी को मारना |
चोर पुलिस की बंदूक को पकड़कर पुलिस को भी मारने लगातार लोगों ने कहा ‘उसी का जूता उसी कि सिर।’ |
उधो का लेना न माधो का देना |
केवल अपने काम से काम रखना |
प्रोफेसर साहब केवल अध्ययन अध्यापन में लगे रहते हैं किसी से कोई मतलब नहीं रखते। उनका सिद्धांत और न ऊधो का लेना न माधो का देना है। |
हाथी चले बाजार कुत्ते भोंके हजार |
लोगों की परवाह किए बिना अपने काम को करते जाना |
राहुल लोगों की परवाह किए बिना अपने उद्देश्य की प्राप्ति हेतु लगातार अपने कार्य में व्यस्त रहता है वह मानता है कि हाथी चले बाजार कुत्ते भोंके हजार। |
खाली दिमाग शैतान का घर |
खाली बैठने से तरह-तरह के बुरे एवं शरारती विचार आते हैं |
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