लोकसेवकों हेतु आचार संहिता

[लोकसेवकों हेतु आचार संहिता]

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समान्यत: लोक प्रशासन या सार्वजनिक पद के अंतर्गत, जन कल्याण का कार्य करने वाले व्यक्ति को लोकसेवक कहते हैं। 

उच्चतम न्यायालय तथा विभिन्न अधिनियमों में दी गई परिभाषा के आधार पर उन व्यक्तियों को लोकसेवक माना जाता है जो

  • सार्वजनिक कल्याण का कार्य करने के लिए उत्तरदाई होते हैं।

  • तथा जिन्हें सरकार द्वारा वेतन भत्ता कमीशन अधिक दिया जाता है। 

लोक सेवक के अंतर्गत सरकारी कंपनियों के अधिकारी ,आयोग एवं बोर्ड के पदाधिकारी, न्यायाधीश तथा न्यायपालिका के गैर न्यायिक पदाधिकारी, सरकारी विश्वविद्यालय कॉलेज एवं अन्य शिक्षण संस्थानों के कार्मिक, एवं सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक संस्थाओं के कर्मचारी शामिल हैं। 

लोक सेवकों के लिए आचार संहिता

लोक प्रशासन का प्रथम उद्देश्य अधिक से अधिक जनकल्याण करना होता है और लोक सेवक इस उद्देश्य की प्राप्ति के साधन होते हैं। 

अतः लोक सेवकों को अपने दायित्वों का पालन करने के लिए जवाबदेह होना चाहिए, और लोक सेवकों को अपने कर्तव्य के प्रति जवाबदेह बनाने तथा उनके आचार व्यवहार का नियमन करने के लिए, लोक सेवकों की आचार संहिता होना आवश्यक है

आचार संहिता:- 

विभिन्न नियमों एवं निर्देशों की वह संहिता या दस्तावेज जो लोक सेवकों को निर्देशित एवं मार्गदर्शित करती है, उसे लोक सेवकों के लिए आचार संहिता कहते हैं। 

विभिन्न नियमों एवं निर्देशों की वह संहिता या दस्तावेज निर्वाचन के समय चुनाव संबंधी प्रक्रिया का निर्देशन करती है निर्वाचन आचार संहिता कहते हैं। 

आचार संहिता की विशेषताएं;-

  • यह लोकसेवकों के व्यवहार को नियमित एवं नियंत्रित करती है, उन्हें इस बात से अवगत करवाती है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

  • आचार संहिता संगठन के सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होती है। 

  • आचार संहिता में उल्लेखित प्रावधानों का उल्लंघन करने पर संबंधित कार्यकर्ता पर दाण्डिक कार्यवाही भी प्रावधान होता है। 

लोक सेवकों के लिए आचार संहिता की आवश्यकता एवं महत्व 

प्रशासनिक सुधार आयोग के अनुसार

इस संदर्भ में प्रशासनिक सुधार आयोग ने कहा है कि:- ‘प्रशासन द्वारा उत्तम नीति से कार्य करना इस बात पर निर्भर नहीं है कि कर्मचारी अति योग्य हो, अपितु इस बात पर निर्भर होता है कि वे अनुशासन एवं नियमों का पालन करते हुए उच्च स्तर का आचरण बनाए रखें, इसके लिए ऐसी संहिता की आवश्यकता है जिसमें लोक सेवकों की कर्तव्य बताए गए हों तथा उनका पालन ना करने पर दंड का भी प्रावधान हों। 

लोक सेवकों के लिए आचरण संहिता की आवश्यकता को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है। 

  • लोक सेवकों को कर्तव्य परायण एवं जवाबदेह बनाने के लिए:-क्योंकि आचार संहिता में लोक सेवकों के कर्तव्यों का भी उल्लेख होता है वो कर्तव्य के पालन ना करने पर दंड का भी प्रावधान होता है। 

  • प्रशासनिक कार्य कुशलता को बढ़ाने के लिए:- आचार संहिता में लोक सेवकों के लिए सभी आवश्यक निर्देश उल्लेखित होते हैं जिनके पालन से प्रशासन की कार्यकुशलता बढ़ती है। 

  • सत्ता के दुरुपयोग को रोकने के लिए:-आचार संहिता अधिकारियों एवं कर्मचारियों की विवेकाधीन शक्तियों को नियंत्रित करती है, जिससे सत्ता का दुरुपयोग पर रोक लगती है। 

  • लोक सेवकों को राजनीतिक रूप से तटस्थ एवं निष्पक्ष बनाने के लिए,

  • भ्रष्टाचार को रोकने के लिए, क्योंकि आचार संहिता में यह प्रावधान होते हैं कि लोक सेवक अपनी संपत्ति का विवरण दे, कोई निजी व्यापार ना करें किसी कंपनी का प्रचार ना करें। 

  • जनता के समक्ष लोक सेवकों का आचरण आदर्श बनाने के लिए, ताकि जनता भी उनके उच्च आदर्श आचरण का पालन कर सकें। 

नैतिक संहिता एवं आचार संहिता में अंतर

  • नैतिक संहिता में सभी नैतिक मूल्यों (सत्य निष्ठा, कर्तव्य परायणता, उदारता, सहनशीलता, संवेदनशीलता) का समावेशन होता है जबकि आचार संहिता में केवल संगठन से संबंधित निर्धारित आदर्शों एवं निर्देशों का समावेशन होता है। 

  • नैतिक संहिता का पालन करना अनिवार्य नहीं होता जबकि आचार संहिता का पालन करना अनिवार्य होता है पालन ना करने पर दाण्डिक कार्रवाई भी की जा सकती है। 

  • नैतिक संहिता अमूर्त होती है जबकि आचरण संहिता मूर्त अर्थात लिखित दस्तावेज के रूप में होती है। 

  • विभिन्न विभागों के लिए नैतिक संहिता एक ही तरह की हो सकती है जबकि आचार संहिता विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग होती है । डॉक्टर के लिए अलग आचार संहिता होती है प्रशासनिक अधिकारी के लिए आचार संहिता होती है निर्वाचन के समय राजनेताओं के लिए अलग  आचार संहिता होती है। 

  • नैतिक संहिता स्थाई होती है जबकि आचार संहिता परिवर्तनशील होती है। जैसे:-नैतिकता के अंतर्गत सत्य निष्ठा का पालन करना आता है जो सदैव करना चाहिए, जबकि निर्वाचन संहिता के सावधान केवल चुनाव के समय ही मान्य होते हैं तथा परिवर्तित भी होते रहते हैं। 

  • नैतिक संहिता के पालन से व्यक्ति में नैतिक आचरण का विकास होता है जबकि आचार संहिता के पालन से संबंधित कार्यकर्ता में अपने कर्तव्यों के प्रति उत्तरदायित्व एवं जवाबदेहिता का विकास होता है।

आदर्श आचार संहिता के तत्व:- 

  • संगठन के लक्ष्य पर आधारित प्रभावशाली प्रावधान हों

  • समय प्रतिबद्धता का प्रावधान हो

  • निष्पक्षता का प्रावधान हो

  • सत्य निष्ठा ,ईमानदारी, पारदर्शिता, कर्तव्य निष्ठा जैसे मूल्यों के पालन की प्रतिबद्धता हो

  • कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति एवं समानुभूति संबंधी निर्देश निहित हों

  • उत्कृष्ट सेवा भाव की प्रधानता हो। 

  • गैर जिम्मेदार होने या भ्रष्टाचार करने पर कठोर दंड का प्रावधान हो। 

भारत में लोक सेवकों के लिए आचरण संहिता:-

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के अनुसार राष्ट्रपति, लोक सेवकों के लिए आवश्यक नियमों पर आधारित आचरण संहिता का निर्माण कर सकते हैं। और इस अधिकार के प्रयोग के तहत भारत में लोक सेवकों के लिए मुख्यतः निम्न आचार संहिताएं बनाई गई:-

  • अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम-1954

  • केंद्रीय सिविल सेवा आचरण नियम -1964

  • रेलवे सेवा के लिए आचरण नियम -1956

इन आचरण संहिता में समय-समय पर अनेकों बदलाव भी किए गए हैं, वर्तमान में लोक सेवकों के लिए आचार संहिता की प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:-

कर्तव्य परायणता

प्रत्येक लोक सेवक अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्ण तरीके से ईमानदारी के साथ पालन करे। 

कानूनों का पालन

लोक सेवक स्वयं अनिवार्य रूप से संविधान, विधि, नियम आदि का पालन करेगा। जैसे:-

  • दो से अधिक बच्चे पैदा नहीं करेगा , 

  • सामान्य स्थिति में एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह नहीं करेगा। 

  • 14 वर्ष से कम उम्र के बालक से सेवा ना लेना। 

  • किसी भी स्थिति में महिला का यौन उत्पीड़न नहीं करेगा। 

अराजनैतिकता

लोक सेवक अपने पद पर आसीन रहते हुए किसी भी राजनीतिक दल से संपर्क नहीं रखेगा , अर्थात मतदान के अलावा किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा जैसे:-

  • राजनीतिक आंदोलन में भाग नहीं लेगा

  • चुनाव नहीं लड़ेगा

  • राजनीतिक दल का प्रचार नहीं करेगा

  • किसी भी राजनीतिक दल को चंदा नहीं देगा।

  • ऐसा कोई वक्तव्य नहीं देगा जिससे किसी एक राजनीतिक दल का हित या अहित हो। 

शासन की आलोचना पर निषेध

लोक सेवक शासन की नीतियों, गतिविधियों एवं फैसले आदि के विरुद्ध अपनी राय प्रकट नहीं करेगा। 

अपवाद-अपने पद की सेवा शब्दों की सुरक्षा से संबंधित विचार व्यक्त कर सकता है। 

उपहार लेने पर निषेध

लोक सेवक किसी कार्यक्रम में निर्धारित सीमा से अधिक कोई उपहार ग्रहण नहीं करेगा। यदि निर्धारित सीमा से अधिक उपहार दिया जाता है तो इसकी जानकारी वह तुरंत ही सरकार को देगा। 

निजी व्यापार पर निषेध

लोक सेवक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी भी प्रकार का निजी व्यापार नहीं कर सकता। वह केवल साहित्यिक एवं कलात्मक गतिविधियों में अवैतनिक रूप से अपना योगदान दे सकता है। 

संपत्ति का विवरण सौंपना:-

प्रत्येक लोकसेवक सरकारी सेवा में आने के पूर्व अपनी चल और अचल संपत्ति का विवरण सरकार को देगा इसके अलावा प्रत्येक वर्ष अर्जित संपत्ति का विवरण भी सरकार को देगा। 

सट्टेबाजी का निषेध

लोक सेवक शेयर मार्केट यह किसी भी प्लेटफार्म में सट्टा नहीं लगा सकता। ना ही किसी कंपनी का पक्षपात या प्रचार-प्रसार कर सकता है। 

संबंधी की नियुक्ति पर प्रतिबंध:-

लोक सेवक सरकार की पूर्व अनुमति के बिना अपने विभाग में अपने परिवार या किसी निकट संबंधी को नियुक्त नहीं करेगा। अर्थात अपने पद के प्रभाव से किसी निकट संबंधी कोई नौकरी नहीं दिलाएगा। 

अशोभनीय कार्य पर प्रतिबंध

लोक सेवक अपनी प्रतिष्ठा बनाकर रखेगा कोई भी अशोभनीय कार्य नहीं करेगा

मादक पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध

लोक सेवक अपने कार्य अवधि के समय मादक पदार्थ का प्रयोग नहीं करेगा ना ही  किसी सार्वजनिक स्थल पर नशे की हालत में उपस्थित होगा। 

पंथनिरपेक्ष आचरण:-

लोक सेवक भले ही व्यक्तिगत जीवन में किसी भी धर्म का अनुसरण करता हूं लेकिन सार्वजनिक पद पर कार्य करते हुए ऐसा कोई कारण नहीं करेगा जिससे किसी एक धर्म का हित या अहित हो। 

 

इसके अलावा लोक सेवक अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पारदर्शिता ,जवाबदेहिता, समय प्रतिबद्धता, शिष्टता ,संवेदनशीलता एवं एकता- अखंडता आदि मूल्यों का पालन करेगा।

भारत में सिविल सेवकों के लिए नैतिक संहिता की मापदंड

हमारे देश में मंत्रियों, विधायकों, प्रशासनिक अधिकारियों ,न्यायाधीशों एवं डॉक्टरों के लिए नियमों एवं निर्देशों पर आधारित आचरण संहिता तो है लेकिन मूल्य मानकों पर आधारित नैतिक संहिता नहीं है, 

हालांकि द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने लोक सेवकों के लिए आचार संहिता के अलावा नैतिक संहिता की आवश्यकता पर बल दिया ताकि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का निष्पादन करते हुए उच्च स्तर के नैतिक मूल्यों को बनाए रखें। इस दिशा में वर्ष 2007 को समस्त सार्वजनिक कर्मचारियों के लिए,

सार्वजनिक सेवा विधेयक-2007

पारित किया गया, जिसमें नैतिक संहिता से संबंधित प्रावधान शामिल है। 

जिसमें से प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-

  • लोक सेवकों को संविधान की उद्देशिका में उल्लेखित सभी आदर्शों के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए। 

  • लोक सेवकों को राजनीति से पृथक रहकर कार्य करना चाहिए। 

  • लोक सेवकों को किसी भी धर्म ,जाति या पार्टी से निष्पक्ष होकर कार्य करना चाहिए। 

  • लोक सेवकों को सरकारी खर्चों में मितव्ययिता लानी चाहिए। 

  • निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही एवं सत्य निष्ठा सुनिश्चित करनी चाहिए।

  • अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्ण तरीके से पालन करना चाहिए। 

कार्य संस्कृति

किसी संगठन में कार्य करने के व्यवहार एवं तरीके को कार्य संस्कृति कहते हैं। 

शासन में उच्च मूल्यों का पालन

समाज एवं कानून द्वारा स्वीकृत ऐसे आदर्श जो मानव जीवन को शुभ एवं गरिमा पूर्ण बना देते हैं उन्हें मूल्य कहते हैं जैसे-: अनुशासन, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा। 

और समाज प्रत्येक व्यक्ति से मूल्यों के अनुपालन की उपेक्षा करता है जो व्यक्ति सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का जितना अधिक पालन करता है, उस व्यक्ति का व्यवहार उतना ही अधिक अच्छा माना जाता है। अर्थात व्यक्ति के व्यवहार का निर्धारण मूल्यों के अनुपालन से होता है,

उसी प्रकार एक प्रशासनिक अधिकारी का मूल्यांकन प्रशासनिक आचार संहिता में निर्धारित मूल्यों के पालन के आधार पर किया जाता है अर्थात जो प्रशासनिक अधिकारी या लोक सेवक प्रशासनिक आचार संहिता के प्रावधानों का जितने उपयुक्त तरीके से पालन करता है वह उतना ही आदर्श लोक सेवक माना जाता है।

उच्च मूल्य

समाज एवं कानून द्वारा स्वीकृत ऐसे आदर्श, जो किसी संगठन में सर्वोच्च रूप से दिशा निर्देश देने का कार्य करते हैं, उन्हें उच्च मूल्य कहा जाता है जैसे:- सत्य निष्ठा ,वस्तुनिष्ठता, उत्तरदायित्व, संवेदनशीलता ,निष्पक्षता आदि।  

शासन के प्रमुख उच्च मूल्य

  • सत्य निष्ठा। 

  • उत्तरदायित्व। 

  • निष्पक्षता एवं असमर्थकवादिता। 

  • वस्तुनिष्ठता। 

  • लोक सेवा (लक्ष्य)के प्रति समर्पण। 

  • सहिष्णुता। 

  • सहानुभूति। 

  • कमजोर वर्ग के प्रति संवेदना एवं करुणा

 

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