ग्रामीण नेतृत्व एवं गुटबाजी
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Toggleग्रामीण नेतृत्व-:
मेकओवर एवं पेज के अनुसार- “नेतृत्व से हमारा अभिप्राय लोगों को प्रोत्साहित करने या निर्देशित करने की क्षमता से है, जो व्यक्तिगत गुणों से उत्पन्न होती है”
ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएं-:
ग्रामीण नेतृत्वकर्ता सामान्यतः उच्च जाति का होता है।
ग्रामीण नेतृत्वकर्ता पांच या सरपंच आदि पदाधिकारी होता है।
ग्रामीण नेता अधिकांशत वायोवृद्ध या अनुभवी व्यक्ति होता है।
ग्रामीण नेतृत्व में सामाजिक तथा सांस्कृतिक आधारों का विशेष महत्व होता है।
ग्रामीण लोगों में अपने नेता के प्रति स्वाभाविक समर्पण की भावना होती है।
ग्रामीण नेतृत्व के आधार-:
परंपरागत आधार
जाति ग्रामीण नेतृत करता सामान्य उच्च जाति का ही होता था।
आयु– ग्रामीण नेतृत्वकर्ता वयोवृद्ध व्यक्ति को बनाया जाता था।
प्रतिष्ठा-परंपरागत रूप से अधिक प्रतिष्ठित व्यक्ति ही नेता बनता था।
आर्थिक स्थिति आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति ही ग्रामीण नेतृत्व करता बनता था।
परंपराओं का ज्ञान-जिस व्यक्ति को परंपराओं का अधिक ज्ञान होता था वही नेतृत्व की भूमिका निभाता था।
उच्च स्तर से संपर्क-जिन व्यक्तियों का संपर्क उच्च अधिकारियों नेताओं से होता है लोगों का काम आसानी से करवा देते हैं अतः नेता बनते हैं।
आधुनिक आधार –
संप्रेषण क्षमता– जिनमें अधिक होती है वही नेता बनते हैं।
शिक्षा – ग्रामीण लोक शिक्षित व्यक्ति को ही अपना नेतृत्व करता चुनते हैं।
आर्थिक स्थिति-आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति लोगों की सहायता करके नेतृत्व कर्ता की स्थिति प्राप्त करते हैं।
युवाओं का बढ़ता प्रतिनिधित्व-: आजकल उम्र तथा अनुभव से ज्यादा, व्यक्ति की दूरदर्शी प्लान के आधार पर नेता का चयन किया जाता है।
सहज व्यक्तित्व-ऐसे व्यक्ति जो सबकी प्रति दया, करूणा, परोपकार की भावना रखते हैं, उन्हें लोग अपना नेता बनते हैं।
ग्रामीण समाज में नेतृत्व करता के कार्य-:
ग्रामीणों की सामूहिक उद्देश्यों(पेयजल, सड़क निर्माण) की पूर्ति करना।
आपसी झगड़ों का समाधान करना।
ग्रामीण विकास से संबंधित योजनाओं का निर्माण करना।
ग्रामीण विकास की नीतियों का प्रशासन के साथ मिलकर प्रभावी क्रियान्वयन करवाना।
विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ ग्राम वासियों को दिलाना।
ग्राम वासियों का उचित मार्गदर्शन करना।
अतः वर्तमान में केवल परंपरागत और उच्च जाति के नेतृत्वकर्ता ही नहीं, बल्कि शिक्षित युवा तथा महिला नेतृत्वकर्ता का भी महत्व बढ़ता जा रहा है।
ग्रामीण गुटबाज़ी
ग्रामीण गुट-:
ग्रामीण लोगों का वह समूह जो अपने उद्देश्यों या हितों की पूर्ति के लिए संघर्षरत होता है।
गुटबाजी -:
विभिन्न ग्रामीण गुटों के मध्य अपने हितों की पूर्ति के लिए संघर्ष की स्थिति को गुटबाजी कहा जा सकता है।
ग्रामीण गुट की विशेषताएं
गुट एक सामाजिक समूह होता है।
इसका आकार सीमित होता है।
प्रत्येक गुट का कोई ना कोई निश्चित उद्देश्य होता है।
गुट की सदस्यता स्वैच्छिक होती है।
प्रत्येक गुट का कोई ना कोई एक नेतृत्व कर्ता आवश्यक होता है।
एक गुट की सभी सदस्यों के मध्य आपसी सहयोग की भावना पाई जाती है।
एक गुट में दूसरे गुट के प्रति संघर्ष या विरोध की भावना रहती है।
ग्रामीण गुट अस्थाई प्रकृति का होता है किंतु लंबे समय तक इसका अस्तित्व हो सकता है।
ग्रामीण गुट के प्रकार -:
स्थानीय गुट-कुटुंब ,परोसियों का गुट।
संस्थागत गुट-: जाति आधारित गुट, धर्म आधारित गुट।
प्रतिष्ठा गुट- अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखने के लिए निर्मित गुट।
ग्रामीण समाज में गुटबाजी के आधार
जाति आधारित गुटबाजी।
धर्म आधारित गुटबाजी।
परिवार आधारित गुटबाजी।
जमीन आधारित गुट बाजी।
चुनाव आधारित गुटबाजी।
वर्गीय चेतना आधारित गुटबाजी।
गुटबाजी के लाभ-
सामूहिक उद्देश्यों की सरलता से प्राप्ति।
एक गुट के लोगों में आपसी सहयोग की भावना जो एकता में सहायक है।
चुनाव संबंधी लाभ दिलाने में सहायक।
गुटबाजी से हानि-:
विभिन्न गुटों के मध्य शत्रुता एवं संघर्ष होना।
संपूर्ण ग्रामीण सामाजिक एकता के लिए घातक।
समाज में भय या डर का माहौल।