षोदश संस्कारों का वैज्ञानिक महत्व

षोदश संस्कारों का वैज्ञानिक महत्व

षोदश संस्कारों का वैज्ञानिक महत्व

संस्कार का अर्थ-:

मन वचन कर्म तथा शरीर को शुद्ध करने की धार्मिक क्रिया। 

संस्कारों का जितना सामाजिक एवं धार्मिक महत्व उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है। 

गर्भाधान संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-:

चिकित्सा शास्त्र के अनुसार गर्भाधान के समय माता-पिता जी भाव से भावित होते हैं, उसका सीधा प्रभाव रज-वीर्य में पड़ता है अतः यह संस्कार स्वस्थ एवं तेजस्वी संतान की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

पुंसवन संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-:

इस संस्कार में औषधीय पौधों (जैसे- बट-वृक्ष,पीपल,गिलोय ) का गोल गर्भणी को पिलाया जाता है ताकि बच्चा वट वृक्ष की भांति विशाल एवं दृढ़ी हो, गिलोय की भांति ऊपर उठे तथा इससे कीटाणुओं का विनाश हो जाता है। 

नामकरण संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

वैज्ञानिक तथ्य है कि- व्यक्ति को जिस नाम से पुकारा जाता है उसके अंदर उसी प्रकार की अनुभूति होते हैं अतः वीरों के नाम पर नाम रखने से आत्मविश्वास बढ़ता है। 

अन्नप्राशन संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

“जैसा अन्न, वैसा मन” के सिद्धांत के अनुरूप सात्विक भोजन करने से बच्चों के मानसिक विकास में तीव्रता आती है। 

मुंडन संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

मुंडन करने से बालों में चिपके बैक्टीरिया तथा रोगाणु समाप्त हो जाते हैं। 

विद्याराम संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

संस्कार में ज्ञान अर्जुन की शुरुआत करके उसे सद्गुण एवं विवेकशील बनाया जाता है। 

कर्ण भेदन संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

एक्यूपंक्चर पद्धति के अनुसार- कान के निचले हिस्से की नशें आंखों से जुड़ी होती है इनमें चेतन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है तथा हिस्टीरिया रोग में लाभ मिलता है। 

उपनयन संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

इसमें दाएं कान पर जनेऊ लपेट जाता है, जिससे दाएं कान में थोड़ा सा दबाव बढ़ जाता है, इससे मूत्र मार्ग खुल जाता है मूत्र संबंधी रोग नहीं होते तथा हर्निया बीमारी की रोकथाम हो जाती है। 

विवाह संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

विवाह में आने को रश्मि होती है उनके वैज्ञानिक महत्व है, जैसे- हल्दी की रस्में से शरीर की हानिकारक रोग नष्ट हो जाते हैं, त्वचा में निखार आता है। 

उसी प्रकार मेहंदी की रस्में से शीतलता आती है। 

विवाह के दौरान किए जाने वाले हवन से हवा शुद्ध होती है ऑक्सीजन की पूर्ति बढ़ती है। 

अंतिम संस्कार का वैज्ञानिक महत्व-

शरीर को दाह संस्कार द्वारा जल देने से महामारी नहीं फैलती हैं। 



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