आत्महत्या/SUICIDE

[आत्महत्या]

आत्महत्या/SUICIDE

अर्थ -:

आत्महत्या का सामान्य अर्थ है- स्वयं को जानबूझकर नष्ट कर लेना। 

इमाइल दुर्खीम के अनुसार-: “वह मृत्यु, जो मरने वाला व्यक्ति की, सकारात्मक अथवा नकारात्मक क्रिया का परिणाम होती है तथा जिसके भावी परिणाम को वह जानता है”

दुर्खीम का आत्महत्या का सिद्धांत-:

इमाइल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक सुसाइड अ स्टडी इन सोशियोलॉजी 1897 में, आत्महत्या का सिद्धांत प्रतिपादित किया। 

-:दुर्खीम के सिद्धांत के अनुसार आत्महत्या का कारण व्यक्तिगत ना हो तो सामाजिक कारण होता है। आत्महत्या के लिए सामाजिक एकीकरण तथा सामाजिक नियंत्रण का “चरम-स्तर” जिम्मेदार है। 

  • सामाजिक एकीकरण– समुदाय के लोगों के मध्य जुड़ाव। 

  • सामाजिक नियंत्रण- व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले सामाजिक नियम एवं मापदंड। 

जब सामाजिक एकीकरण तथा सामाजिक नियंत्रण उचित स्तर या मध्यम स्तर में होते हैं तो आत्महत्या होने की संभावना कम होती है। 

दुर्खीम के अनुसार आत्महत्या के प्रकार-:

  • अहंकारी आत्महत्या-: जब व्यक्ति सामाजिक एकीकरण (सामाजिक जुड़ाव) की कमी के कारण आत्महत्या करता है, तो इसे अहंकारी आत्महत्या कहते हैं। 

उदाहरण – विधवा की आत्महत्या। 

  • परोपकारी आत्महत्या-: जब व्यक्ति अत्यधिक सामाजिक एकीकरण के कारण आत्महत्या करता है,

उदाहरण- परिवार की किसी सदस्य की मृत्यु होने पर सभी संबंधी द्वारा आत्महत्या। 

  • एनेमिक आत्महत्या-: सामाजिक नियंत्रण में कमी के कारण की जाने वाली आत्महत्या। 

उदाहरण-  स्वैच्छिक रूप से की जाने वाली आत्महत्या। 

  • घातक आत्महत्या-: अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण के कारण की जाने वाली आत्महत्या। 

उदाहरण- दासों, कैदियों, घरेलू हिंसा से ग्रसित महिलाओं की आत्महत्या। 

दुर्खीम द्वारा विभिन्न में समूह में आत्महत्या की दर का अध्ययन किया गया और निम्न निष्कर्ष निकाला गया-

  • अविवाहित लोगों में विवाहित लोगों की तुलना में आत्महत्या की दर अधिक होती है। 

  • पुरुषों में महिलाओं की तुलना में आत्महत्या की तरह अधिक होती है। 

  • अधार्मिक लोगों में धार्मिक लोगों की तुलना में आत्महत्या अधिक होती है। 

भारत में आत्महत्या की स्थिति -:

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार-: 2022 में भारत में आत्महत्या से लगभग 1.7 लाख मौत हुई हैं। 

भारत में आत्महत्या की दर 10.3/प्रति लाख है। 

आत्महत्या से सर्वाधिक मौतें 

  • महाराष्ट्र(34%)। 

  • तमिलनाडु(13%)। 

  • मध्य प्रदेश(9%)। 

आत्महत्या के कारण -:

  • मानसिक कारण- जब जीवन में निराशाजनक परिणाम सामने आते हैं तो लोग अवसाद में चले जाते हैं और यही डिप्रेशन आत्महत्या का कारण बनता है 

  • सामाजिक कारण- 

    • पारिवारिक कलह -परिवार में होने वाले झगड़े। 

    • घरेलू हिंसा। 

    • गलत चरित्रहीन आक्षेप लगाया जाना। 

    • अत्यधिक सामाजिक दबाव। 

  • स्वास्थ्य संबंधिकरण – किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने तथा उससे ठीक ना हो अपने की आशंका। 

  • शैक्षिक कारण- पढ़ाई का अत्यधिक दबाव, फेल होने का डर, मेरिट की होड़ आदि। 

  • आर्थिक कारण- गरीबी, बेरोजगारी, कृषि में सूखा, ऋणग्रस्तता आदि। 

  • अन्य कारण- 

    • सोशल मीडिया का प्रभाव जैसे ब्लैकमेल किया जाना आदि। 

    • ऑनलाइन गेम्स आदि। 

भारतीय दंड संहिता की धारा 309 में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या की कोशिश करता है तो यह अपराध है। 

प्रभाव -: 

आत्महत्या होना जहां एक और नैतिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के पतन को दर्शाता है वहीं इसके प्रभाव से अपराध की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा मिलता है। 

कम करने के सुझाव-

  • माता-पिता द्वारा बच्चों को पढ़ाई का अत्यधिक दबाव नहीं बनना चाहिए, इस हेतु माता-पिता को जागरूक किया जाना चाहिए। 

  • बच्चों को अधिक से अधिक करियर ऑप्शन के बारे में अवगत कारण जाना चाहिए,ताकि वह एक करियर ऑप्शन पर डिपेंड न रहें। 

  • पारिवारिक हैप्पीनेस को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण स्तर पर संस्थान बनाए जाने चाहिए। 

  • गरीबी, बेरोजगारी को कम किया जाना।

  • फसल अधीनस्थ को जाने पर उचित मुआवजा दिए जाना।

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