[आयुष चिकित्सा पद्धति]
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Toggleआयुष (AYUSH)शब्द का प्रत्येक अक्षर निम्न चिकित्सा पद्धति को इंगित करता है-:
A-: Ayurveda.
Y-: yoga.
U-: Unani treatment.
S-: siddha.
H-: homoeopathy.
वर्ष 2010 में आयुष पद्धति के अंतर्गत” सेवा रिग्पा” चिकित्सा पद्धति शामिल कर लिया गया है।
अर्थात आयुष चिकित्सा पद्धति एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का एक बेहतरीन विकल है।
आयुष चिकित्सा पद्धति का महत्व-:
आयुष चिकित्सा पद्धति में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति की तुलना में लागत बहुत कम आती है। क्योंकि इसमें इलाज रसायनों के माध्यम से नहीं बल्कि प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से किया जाता है।
आयुष चिकित्सा पद्धति का एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति की भांति कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। अतः यह गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के लिए भी दी जा सकती है।
आयुष चिकित्सा पद्धति रोग का स्थाई इलाज है क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति में रोग के कारण को समाप्त कर दिया जाता है। जबकि एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में रोग के प्रभाव को समाप्त किया जाता है।
आयुष चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक नियमों पर आधारित चिकित्सा पद्धति है अतः इस चिकित्सा पद्धति को अपनाना सरल एवं लाभदायक होता है
आयुष चिकित्सा पद्धति हमारे भारत की मूल एवं परंपरागत चिकित्सा पद्धति है इसमें अधिकांश शोध किए जा चुके हैं तथा भारत मेंn/ इसके विकास की अपार संभावनाएं हैं अतः इसका विकास एवं विस्तार करके हम स्वाn/ स्थ्य के क्षेत्र में विश्व में अलग पहचान बनाकर आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकते हैं। b2ṇ
इस चिकित्सा पद्धति कि विकास की प्रमुख चुनौतियां-:
गुणवत्तापूर्ण आयुष चिकित्सा संस्थान में कमी-:
पर्याप्त मात्रा में एवं गुणवत्तापूर्ण आयुष चिकित्सा संस्थान की कमी है।
दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधियों की कमी
आयुष चिकित्सा पद्धति प्रकृति पर आधारित चिकित्सा पद्धति है किंतु वर्तमान में वन एवं दुर्लभ औषधियों में लगातार कमी होती जा रही है जिससे इस पद्धति के विस्तार में रुकावट आ रही।
आयुष चिकित्सा में अनुसंधान की कमी
आयुष चिकित्सा पद्धति में अनुसंधान एवं विकास की कमी है, वर्तमान के बदले हुए युग में भी प्राचीन समय में रचित आयुष ग्रंथों के आधार पर ही आयुष चिकित्सा की जाती है।
आयुष चिकित्सा का आपातकालीन स्थिति में लाभदायक ना होना
आयुष चिकित्सा आपातकाल की स्थिति में तत्कालीन उपचार के माध्यम से मरीज को बचाने में एलोपैथिक की तुलना में कम सक्षम अतः इसकी लोकप्रियता कम है।
फर्मों द्वारा किया जाने वाला भ्रामक प्रचार
वर्तमान में अनेकों औषधि निर्माता उद्योग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की मांगों के अनुसार औषधियों का उत्पादन किए बिना, आयुर्वेदिक औषधियों के नाम से अपनी औषधियां बैंचते हैं जिनकी प्रभावशीलता एवं गुणवत्ता बहुत कम होती है जिससे लोगों के मन में आयुर्वेद की प्रति भरोसा कम होता है और वे आयुर्वेदिक चिकित्सा नहीं करवाते।
भारत में आयुष चिकित्सा पद्धति के विकास के लिए किए गए प्रयास-:
वर्ष 2014 में आयुष चिकित्सा पद्धति के विकास एवं विस्तार हेतु भारत सरकार ने स्वतंत्र आयुष मंत्रालय का गठन किया।
2014 में राष्ट्रीय आयुष मिशन की शुरुआत की गई।
राष्ट्रीय आयुष मिशन के उद्देश्य
आयुष अस्पतालों या औषधालय हो की संख्या एवं सुविधा में बढ़ोतरी करना।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ,जिला अस्पतालों में आयुष सुविधाओं की सह-स्थापना करना।
औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देना।
आयुष दवाओं का मानको के अनुसार गुणवत्तापूर्ण तरीके से निर्माण को बढ़ावा देना।
सभी लोगों तक आयुष स्वास्थ्य सेवा की जागरूकता एवं पहुंच सुनिश्चित करना।
भारत की पहल से 21 जून को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा है। जिसकी शुरुआत वर्ष 2015 से की गई।
भारत में प्रति वर्ष धन्वंतरी जयंती के अवसर पर आयुर्वेदिक दिवस मनाया जाता है जिसकी शुरुआत वर्ष 2016 से की गई।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है। जिसमें प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाई जाती है। इसकी शुरुआत वर्ष 2018 से की गई।
आयुष सूचना केंद्र -: आयुष चिकित्सा पद्धतियों के बारे में उपयुक्त जानकारी का प्रचार प्रसार करने के लिए , भारत द्वारा 31 देशों में 33 आयुष सूचना केंद्रों की स्थापना की गई।