[ई गवर्नेंस]
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Toggleई गवर्नेंस शब्द का शाब्दिक अर्थ है- इलेक्ट्रॉनिक शासन प्रशासन।
अर्थात जब शासन-प्रशासन के विभिन्न क्रियाकलाप व सेवाओं का संचालन इंटरनेट द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है तो उसे ई-गवर्नेंस कहते हैं।
जैसे-:
DBT तकनीक के अंतर्गत इंटरनेट के माध्यम से किसी भी सरकारी योजना की लाभराशि सीधे संबंधित हितग्राहियों के खाते में डाला जाना,ऑनलाइन रिजर्वेशन होना,ऑनलाइन सरकारी बिल पेमेंट होना आदि ई गवर्नेंस के उदाहरण।
ई गवर्नेंस के उद्देश्य-:
इंटरनेट द्वारा सरकार और जनता को आपस में जोड़कर, दोनों के मध्य की आपसी दूरी को कम करना।
सरकारी क्रियाकलापों को आसान बनाना।
प्रशासन में पारदर्शिता लाना ताकि भ्रष्टाचार कम हो सके।
ई गवर्नेंस के लिए आवश्यक पहल-:
ई गवर्नेंस व्यवस्था लाने के लिए निम्न कदम उठाना आवश्यक है-:
कंप्यूटरीकरण-: सभी सरकारी रिकार्डों को कंप्यूटर के अंदर डिजिटल फॉर्म में रखा जाए।
इंटरनेट का विस्तार-: सभी नागरिकों तक इंटरनेट एक्सेस की पहुंच सुनिश्चित की जाए।
डिजिटल जागरूकता-: लोगों को डिजिटल रूप से जागरूक किया जाए ताकि वे इनकी सेवाओं का इंटरनेट के माध्यम से उपयोग कर सकें।
ऑनलाइन क्रियाशीलता-: सभी सरकारी कामकाज की प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया जाए।
कंप्यूटरीकरण-:
विभिन्न रिकॉर्डों को डिजिटल फॉर्म में कंप्यूटर के अंदर रखना कंप्यूटरीकरण कहलाता है।
ई गवर्नेंस के मॉडल-:
गवर्नमेंट की अन्य व्यक्तियों के साथ पार्टनरशिप के आधार पर ई गवर्नेंस के निम्न चार मॉडल है-:
गवर्नमेंट टू सिटीजन (G2C)
गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट(G2G)
गवर्नमेंट टू एम्पलाई(G2E)
गवर्नमेंट टू बिजनेस(G2B)
गवर्नमेंट टू सिटीजन (G2C)-:
ई-गवर्नेंस का वह मॉडल जिसके अंतर्गत, इंटरनेट के माध्यम से सरकार और नागरिकों की मध्य ऑनलाइन संपर्क स्थापित किया जाता है। ताकि नागरिक, ऑनलाइन माध्यम से ही सरकार की सेवा एवं सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर सकें।
जैसे-:
नागरिकों को ऑनलाइन भू अभिलेख प्राप्त करने, ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने,ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनाने, ऑनलाइन ही सरकारी फीस भरने की सुविधा दिया जाना।
गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट(G2G)-:
ई-गवर्नेंस का वह मॉडल जिसके अंतर्गत, इंटरनेट के माध्यम से, विभिन्न सरकारों या विभिन्न सरकारी विभागों के मध्य ऑनलाइन संपर्क स्थापित किया जाता है।
जैसे-:
विभिन्न सरकारी विभागों के मध्य ऑनलाइन तरीके से इंफॉर्मेशन को साझा किया जाना।
विभिन्न सरकारी विभागों की आपसी ऑनलाइन मीटिंग होना।
गवर्नमेंट टू एम्पलाई(G2E)
ई गवर्नेंस का मॉडल जिसके अंतर्गत इंटरनेट के माध्यम से, सरकार और सरकारी कर्मचारियों के मध्य ऑनलाइन संपर्क स्थापित किया जाता है। ताकि सरकारी कर्मचारी ऑनलाइन माध्यम से सरकारी रिकॉर्ड को एक्सेस एवं संशोधित कर सकें।
जैसे-:
पटवारी को सरकारी सर्वर पर ऑनलाइन भू अभिलेख में दर्ज करने की सुविधा दिया जाना।
सोसाइटी प्रबंधक को ऑनलाइन, पंजीयन संशोधन करने की सुविधा दी जाना।
गवर्नमेंट टू बिजनेस(G2B)-:
ई गवर्नेंस का मॉडल जिसके अंतर्गत इंटरनेट के माध्यम से सरकार और व्यवसायी के मध्य ऑनलाइन संपर्क स्थापित किया जाता है। ताकि व्यवसायी ऑनलाइन तरीके से ही सरकारी कार्यों को संपादित कर सकें।
जैसे-:
व्यवसायियों को कंपनी खोलने की ऑनलाइन अनुमति मिलना,बिजनेस टैक्स को ऑनलाइन तरीके से भरने की सुविधा दी जाना।
ई गवर्नेंस के लाभ-:
सरकारी कार्य में तीव्रता-:
ई गवर्नेंस से सरकारी कार्य में तीव्रता आती है, क्योंकि ई गवर्नेंस के अंतर्गत कोई भी सरकारी कार्य इंटरनेट द्वारा ऑनलाइन होता है, जैसे- ऑनलाइन सरकारी बिल भुगतान, ऑनलाइन फॉर्म फिलिंग।
सरकारी कार्यों में परिशुद्धता-:
ई गवर्नेंस के माध्यम से सरकारी कार्य में परिशुद्धता बढ़ती है क्योंकि मनुष्य की तुलना में कंप्यूटर से गलती होने की संभावना नगण्य होती है, जिससे कोई भी सरकारी कार्य जैसे- पासबुक एंट्री, डाटा अरेंजमेंट अधिक शुद्धता के साथ होता।
लालफीताशाही में कमी-:
इगवर्नेंस लालफीताशाही में कमी आती है, क्योंकि नागरिकों को कोई भी सरकारी काम करवाने के लिए विभिन्न ऑफिसों का चक्कर लगाकर अधिकारियों की जी हुजूरी नहीं करनी पड़ती, बल्कि वे घर बैठे हैं केवल अपने कंप्यूटर के माध्यम से ही सरकारी सेवा एवं सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। जैसे- हम स्वयं से ही ऑनलाइन जाति प्रमाण पत्र बना लेना, ऑनलाइन पंजीयन कर लेना।
प्रशासन में पारदर्शिता-:
ई गवर्नेंस के अंतर्गत सभी सरकारी कार्य इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन किए जाते हैं जिनका रिकॉर्ड, डिजिटल फोम में इंटरनेट पर उपलब्ध होता है, जिसे नागरिक एक्सेस कर सकते हैं परिणाम स्वरूप प्रशासनिक पारदर्शिता एवं जवाबदेहिता बढ़ती है। जैसे- ई टेंडर सिस्टम।
भ्रष्टाचार में कमी-:
ई गवर्नेंस के अंतर्गत जनता का सरकार से और सरकार का जनता से सीधा संपर्क होता है जिससे मध्यस्थों द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार में कमी आती है जैसे-: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर तकनीक के अंतर्गत सरकार सीधे एक क्लिक में किसी भी योजना की लाभ राशि सीधे लाभार्थियों तक भेज देती है, जिसके कारण विभिन्न स्तर में बैठे अधिकारी लाभार्थियों की लाभ-राशि नहीं खा सकते।
लागत में कमी-:
ई गवर्नेंस से सरकारी लागत में भी कमी आती है क्योंकि इसके अंतर्गत न तो सरकारी रिकॉर्ड को रखने के लिए बड़ी-बड़ी फाइलों की आवश्यकता होती है और ना ही उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए सुरक्षित परिवहन की आवश्यकता होती है। बल्कि केवल आईडी-पासवर्ड द्वारा किसी भी रिकॉर्ड को कहीं भी एक्सेस किया जा सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण में कमी-:
ई गवर्नेंस प्रणाली के अंतर्गत सभी कार्य कागज के स्थान पर कंप्यूटर में किए जाते हैं जिससे कागज के इस्तेमाल में कमी आती है, परिणाम स्वरूप कागज बनाने के लिए कम पेड़ कटते हैं और पर्यावरण प्रदूषण कम होता है।
लोकतंत्र में मजबूती-:
ई गवर्नेंस लोकतंत्र की मजबूती में भी सहायक है क्योंकि ई गवर्नेंस के अंतर्गत जनता ऑनलाइन माध्यम द्वारा आसानी से अपनी सलाह एवं सुझाव सीधे सरकार को देकर अपनी राय के अनुसार कार्य करवा सकती है। इस संदर्भ में माय गवर्नमेंट पोर्टल की महत्वपूर्ण भूमिका है।
ई गवर्नेंस चुनौतियां-:
ई गवर्नेंस के विकास की राह में अनेकों चुनौतियां सामने है जैसे -:
भारत के अधिकांश लोग अशिक्षित हैं जो ना तो इंटरनेट जानते हैं ना ही ई-गवर्नेंस अतः वे ई गवर्नेंस का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
ई गवर्नेंस के लिए इंटरनेट होना आवश्यक है किंतु अभी तक भारत के सभी गांव में इंटरनेट की पर्याप्त पहुंच सुनिश्चित नहीं हो सकी जिससे वहां के लोग चाह कर भी e-governance का फायदा नहीं ले पाते।
ई गवर्नेंस के लिए कंप्यूटर की आवश्यकता होती है किंतु भारत के सभी नागरिकों के पास कंप्यूटर की सुविधा मौजूद नहीं है।
अतः इन्हीं सभी चुनौतियों के समाधान हेतु, स्थानीय स्तर पर कॉमन सर्विस सेंटर(CSC) खोले गए हैं जहां पर एक अनपढ़ व अशिक्षित व्यक्ति भी ई गवर्नेंस की सेवा एवं सुविधाओं का लाभ ले सकता है।
भारत में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयास-:
ई गवर्नेंस के माध्यम से जहां एक ओर प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ती है जिससे भ्रष्टाचार कम होता है, तो वहीं दूसरी ओर नागरिकों को घर बैठे ही आसानी से सरकारी सेवाएं एवं सुविधाएं प्राप्त हो जाती है। अतः भारत में ई गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अनेकों प्रयास किए गए हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-:
1970 में-: इलेक्ट्रॉनिक विभाग की स्थापना की गई।
1977 में-: नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर की स्थापना की गई, जो ई गवर्नेंस के विस्तार के लिए विभिन्न सरकारी निकायों को बुनियादी ढांचा एवं सेवाएं प्रदान करता है। इसी के द्वारा दिल्ली में ‘नेशनल डाटा सेंटर’ तथा राज्यों की राजधानी में स्टेट डाटा सेंटर स्थापित किए गए।
2006 को-: राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना लागू की गई जिसका उद्देश्य आम नागरिकों को, कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए सभी सरकारी सेवाएं प्रदान करना था। इस योजना के तहत अनेकों ग्राहक सेवा केंद्र खोले गए तथा swan(state wide area network) का विकास किया गया।
2012 में-: मोबाइल-गवर्नेंस की शुरुआत की गई। जिसके अंतर्गत मोबाइल के माध्यम से सरकारी सेवाओं एवं सुविधाओं का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
2015 में-: डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत की गई। जो नागरिकों को सभी सरकारी सेवाएं डिजिटल रूप से ऑनलाइन उपलब्ध करवाने एवं डिजिटल साक्षरता बढ़ाने का मिशन है।
मध्य प्रदेश में ई गवर्नेंस को बढ़ावा देने हेतु किए गए सरकारी प्रयास-:
Swan-:
भारत सरकार की राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश में गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (Swan) का विकास किया गया जिसके अंतर्गत मध्य प्रदेश की स्टेट डाटा सेंटर को संभाग, जिला ,ब्लाक तथा तहसील से वाइड एरिया नेटवर्क के द्वारा जोड़ा गया ताकि सभी स्तर के सरकारी कार्यालयों के मध्य हाई स्पीड डाटा ट्रांसफर एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा सुनिश्चित की जा सके।
एमपी ऑनलाइन पोर्टल-:
मध्य प्रदेश के नागरिकों को, विभिन्न सरकारी विभागों व संस्थानों की सभी प्रमुख ऑनलाइन सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2006 में एमपी ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की गई, जिसके अंतर्गत सरकारी बिल भुगतान करने, ऑनलाइन प्रमाण पत्र प्राप्त करने ,ऑनलाइन फॉर्म भरने आदि की सेवाएं प्रदान की जाती है।
ई डिस्टिक्ट प्रोजेक्ट-:
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत मध्य प्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 के तहत वर्ष 2011 में की गई, जिसके अंतर्गत ई डिस्टिक पोर्टल बनाया गया जहां पर मध्य प्रदेश के नागरिकों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर,विभिन्न सरकारी विभागों की योजनाओं एवं प्रमाण पत्र संबंधी सेवाएं ऑनलाइन प्रदान की जाती है।
कॉमन सर्विस सेंटर-:
मध्यप्रदेश में आम नागरिकों को ई-गवर्नेंस की सुविधाओं का लाभ देने के लिए लगभग 50,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर खोले गए।
ग्राहक सेवा केंद्र, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित ऐसे ऑनलाइन केंद्र होते हैं, जहां पर आम नागरिकों को न्यूनतम शुल्क पर गवर्नमेंट की विभिन्न डिजिटल सेवा एवं सुविधा प्रदान की जाती है। जैसे-आधार कार्ड बनाने की सेवा, बैंक से पैसे निकालने की सुविधा।
इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ई गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए और अन्य भी प्रयास किए गए जैसे-
ई-स्कॉलरशिप प्रोग्राम
ई-लैंड रिकॉर्ड
ई ड्राइविंग लाइसेंस सेवा आदि।