[ऊर्जा संरक्षण एवं ऊर्जा दक्षता]

.[ऊर्जा संरक्षण एवं ऊर्जा दक्षता]

उर्जा हमारे लिए प्रकृति का दिया हुआ एक वरदान है जिसके माध्यम से ही हम कोई भी जैविक एवं रासायनिक अभिक्रिया कर पाते हैं ऊर्जा के बिना जीवन संभव ही नहीं है, किंतु वर्तमान में लगातार जनसंख्या के बढ़ने से तथा औद्योगीकरण एवं शहरीकरण के विस्तार होने से ऊर्जा की खपत लगातार बढ़ती जा रही है, किंतु जिस गति से ऊर्जा की मांग बढ़ रही है उस गति से ऊर्जा की पूर्ति नहीं बढ़ रही है क्योंकि देश में परंपरागत संसाधन सीमित है और गैर परंपरागत स्त्रोतों से उर्जा उत्पादन तकनीकी का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया है। जिससे ऊर्जा संकट की संभावना बढ़ रही हैं जो हमारे भविष्य का एक बड़ा संकट हो सकता है अतः  ऊर्जा के अपव्यय को रोकते हुए, ऊर्जा का संरक्षण करने की आवश्यकता है।

ऊर्जा संरक्षण का तात्पर्य-: ऊर्जा के अपव्यय को रोककर करके, ऊर्जा की बचत करने से है।

और ऊर्जा संरक्षण के लिए आवश्यक है कि- 

  • ऊर्जा के अनावश्यक प्रयोग को रोका जाए, जैसे- घर से बाहर जाने पर लाइट पंखा बंद कर देना, दिन के समय बल्ब बंद कर देना,आवश्यक ना होने पर वाहनों के स्थान पर पैदल चलना। 

  • ऊर्जा के दक्षतापूर्ण प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए, जैसे- टंगस्टन वाले बल्ब के स्थान पर एलईडी बल्ब का उपयोग करना, पुरानी इंजन वाली गाड़ी के स्थान पर नए इंजन वाली गाड़ी का उपयोग करना ताकि पेट्रोल कम लगे। 

ऊर्जा-दक्षता-:

ऊर्जा दक्षता का तात्पर्य-: कम से कम ऊर्जा का कुशलतम प्रयोग करके, अधिकतम आउटपुट प्राप्त करने से है। और ऊर्जा दक्षता के लिए हमें ऐसे उपकरणों का उपयोग करना चाहिए दक्षतापूर्ण  हों,जैसे-:

  • पुरानी इंजन वाली गाड़ी के स्थान पर नए इंजन वाली गाड़ी का उपयोग करना ताकि कम पेट्रोल में अधिकतम दूरी तय की जा सके।

  • टंगस्टन वाले बल्ब के स्थान पर एलईडी बल्ब का उपयोग करना,ताकि कम ऊर्जा-खपत द्वारा भी घर को प्रकाशित किया जा सके। 

  • बिना ढके बर्तन के स्थान पर ढक्कन वाले बर्तनों(कुकर) में खाना बनाना। 

ऊर्जा संरक्षण (ऊर्जा दक्षता) की आवश्यकता-:

  • बढ़ती ऊर्जा की मांग की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु,

  • भविष्य को ऊर्जा की पूर्ति के मामले में सुरक्षित रखने के लिए,सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु,

  • बढ़ते ग्रीन हाउस प्रभाव को रोकने हेतु,

  • ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए,

ऊर्जा संरक्षण (ऊर्जा-दक्षता) का महत्व/लाभ-:

ऊर्जा के दक्षतापूर्ण प्रयोग से ऊर्जा की मांग कम होगी तथा ऊर्जा की पूर्ति बढ़ेगी जिससे निम्न लाभ होंगे-:

  • ऊर्जा का कम उत्पादन करना पड़ेगा जिससे ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी, जो पर्यावरण संरक्षण में सहायक है। 

  • हमें ऊर्जा संसाधनों का आयात नहीं करना पड़ेगा, परिणामस्वरूप ऊर्जा के मामले में भारत आत्मनिर्भर बनेगा। 

  • ऊर्जा संसाधन के आयात में कमी तथा निर्यात में बढ़ोतरी होगी जिससे हमें आर्थिक लाभ होगा। 

  • व्यक्तियों के, व्यक्तिगत ऊर्जा खर्च में कमी होगी।

ऊर्जा संरक्षण के लिए किए गए सरकारी प्रयास-:

ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001

भारत में ऊर्जा के दक्षतापूर्ण प्रयोग को बढ़ावा देकर, ऊर्जा की मांग को कम करने के उद्देश्य से वर्ष 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम लागू किया गया। 

यह अधिनियम ऊर्जा संरक्षण हेतु कुछ नियामकीय अधिदेश प्रदान करता है। जैसे-:

  • विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की ऊर्जा दक्षता का मानक निर्धारण करना। 

  • वाणिज्यक भवनों के लिए, ऊर्जा संरक्षण भवन कोड(संहिता) निर्धारित करना। 

  • उद्योगों के लिए, ऊर्जा खपत के मापदंड निर्धारित करना। 

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)-:

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की स्थापना ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के तहत वर्ष 2002 में की गई, जिसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। 

उद्देश्य-: ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए कार्य करना। 

कार्य-:

  • ऊर्जा दक्षता के संदर्भ में अनुसंधान करना। 

  • दक्ष ऊर्जा उपकरणों का विकास करके उनके प्रयोग को बढ़ावा देना। 

  • विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की ऊर्जा दक्षता का मानक निर्धारण करना तथा उन्हें ऊर्जा दक्षता के अनुसार रेटिंग देना।

  • वाणिज्यक भवनों के लिए, ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ECBC) का निर्धारित करना। 

  • ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में परामर्शी सेवाएं देना। 

  • ऊर्जा दक्षता के प्रति लोगों को जागरूक करना।

राष्ट्रीय उन्नत ऊर्जा दक्षता मिशन-:

यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत आठ मिशनों में से एक है। जिसे वर्ष 2012 में शुरू किया गया। 

इसके प्रमुख उद्देश्य हैं-:

  • ऊर्जा खपत करने वाले उद्योगों में, ऊर्जा की खपत में कमी लाना। 

  • ऊर्जा दक्षता पर आधारित उपकरणों के करों को कम करना। 

  • परिस्थितिकी स्थिरता के साथ विकास करना। 

उजाला योजना-:

उजाला योजना की शुरुआत वर्ष 2015 को बचत लैंप योजना के स्थान पर की गई जिसका क्रियान्वयन एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड नामक सार्वजनिक कंपनी द्वारा किया जाता है। 

उद्देश्य-: बल्बों के स्थान पर एलइडी लाइट्स का विकास एवं विस्तार करना। 

इस योजना के तहत बहुत ही कम कीमत पर, जनता को एलईडी लाइट वितरित की गई। 

स्ट्रीट लाइट नेशनल प्रोग्राम-:

इस योजना की शुरुआत हुई वर्ष 2015 की ग‌ई, जिसका उद्देश्य रोड़ों में परंपरागत स्ट्रीट लाइट के स्थान पर, स्वचालित एलईडी लाइट लगाना है। ताकि ऊर्जा के अपव्यय पर रोक लगे और ऊर्जा का संरक्षण हो सके। 

वर्तमान में ऊर्जा संरक्षण की चुनौतियां

  • ऊर्जा संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव(जैसे-अनावश्यक होने पर भी पंखा ,एलईडी चलाना। 

  • ऊर्जा-दक्षता वाले उपकरण बनाने की उन्नत तकनीकी ना होना। 

  • सरकार के द्वारा बनाई गई योजनाओं का सफलतापूर्वक लागू न किया जाना।

Other post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *