एथिक्स से संबंधित प्रासंगिक मुद्दे
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Toggleनागरिक बोध-:
नागरिक बोध का सामान्य तात्पर्य– नागरिकों की सजकता से है, जिसके अंतर्गत नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक तथा जिम्मेदार रहते हैं।
कुछ विद्वान इसे “सार्वजनिक नैतिकता” के रूप में परिभाषित करते हैं।
उदाहरण-:
ट्रैफिक नियमों का पालन।
कूड़े कचरा को कूड़ा दान में ही फेंकना।
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाना।
नागरिक बोध की विशेषताएं
कानून का पालन करना
सामाजिक मर्यादा (शिष्टाचार)को बनाए रखना
अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन
व्यक्तिगत हितों के साथ दूसरों के हितों की भी रक्षा।
नागरिक बोध का महत्व
देश भक्ति तथा राष्ट्रीयता को बढ़ावा।
सामाजिक न्याय की स्थापना में सहायक।
कानून के बेहतर क्रियान्वयन में सहायक।
सामाजिक समरसता को बढ़ावा।
अन्य लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा में सहायक
नागरिक बोध का विकास-:
नागरिक बौध के विकास में शिक्षा, सामाजिक संगठन, मीडिया,सामाजिक प्रभाव तथा नेतृत्वकर्ता कि अहम भूमिका होती है।
संस्था के प्रति निष्ठा-:
संस्था के प्रति निष्ठा का सामान्य तात्पर्य- संस्था के लक्ष्यों, मूल्यों और मिशनों के प्रति समर्पण तथा प्रतिबद्धता की भावना से है।
और किसी भी संस्था की सफलता का मूल आधार संस्था के कर्मचारियों की, संस्था के प्रति निष्ठा ही होती है।
क्योंकि संस्था के कर्मचारी जितने निष्ठा पूर्ण होंगे उनके कार्य कुशलता एवं समर्पण भी उतना अधिक होगा जिससे संस्था शीघ्रता से लक्ष्य की प्राप्ति कर सकेगी।
संस्था के प्रति निष्ठा को प्रभावित करने वाले कारक
नेतृत्व-: संस्था का प्रभावी एवं पारदर्शी नेतृत्व कर्मचारियों की निष्ठा बढ़ाने में सहायक है।
मान्यता एवं पुरस्कार-: यदि योग्य कर्मचारियों को उनके कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तो उनकी निष्ठा बढ़ जाती है।
कार्य संस्कृति-: संगठन में सामान्य जनक कार्य संस्कृति निष्ठा को बढ़ावा देती है।
निष्पक्ष व्यवहार -: सभी कर्मचारियों के साथ किया जाने वाला निष्पक्ष व्यवहार निष्ठा को बढ़ावा देता है।
मूल्यों से जुड़ाव-: संस्था के मूल्य व्यक्तिगत मूल्य के साथ संरेखित होने पर निष्ठा बढ़ जाती है।
कार्य सुरक्षा-: कर्मचारियों के पद की सुरक्षा होने पर कर्मचारियों में वफादारी बढ़ जाती है।
मतदाता जागरूकता कार्यक्रम-:
मतदाता जागरूकता-
मतदाताओं को चुनाव के महत्व के बारे में बताकर, उन्हें मतदान हेतु प्रेरित करना।
मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के लाभ-:
वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना।
सरकारी निर्णय प्रक्रिया में नागरिक सहभागिता की वृद्धि
सरकार की वैधता में वृद्धि
वास्तविक राजनीतिक प्रतिनिधित्व।
नागरिक बोध की भावना में वृद्धि।
भारत के प्रमुख मतदाता जागरूकता कार्यक्रम-
राष्ट्रीय मतदाता दिवस- वर्ष 2011 से हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। (जिसका उद्देश्य चुनावी जागरूकता लाना है)
SVEEP कार्यक्रम-: सिस्टमैटिक वोटर एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन।
नेशनल आईकॉन-: मतदान जागरूकता के लिए हाल ही में राजकुमार राव को नेशनल आइकॉन बनाया गया।
मतदाता हेल्पलाइन एप-: मतदाताओं की हेल्प के लिए Voter ऐप बनाया गया।
टर्नआउट कार्यान्वयन योजना (TIP)– इसका लक्ष्य मतदान प्रतिशत को 70% से अधिक करना है।
मतदाता पंजीकरण
मतदाता जागरूकता
मतदाता सुविधा
मतदाता प्रतिक्रिया
अन्य कार्यक्रम-
मतदाता जागरूकता रैलियां।
घर घर जाकर पीले चावल देकर मतदान तिथि से अवगत कराना।
मतदान नारों का विज्ञापन जैसे- ‘सारे काम छोड़ दो सबसे पहले वोट दो।’
यातायात प्रबंधन-:
यातायात प्रबंधन का सामान्य तात्पर्य-
परिवहन के साधनों का सुगम एवं सुचारु रूप से संचालन करना,ताकि लोग अपने गंतव्य स्थल पर सुरक्षित और सही समय पर पहुंच सकें।
यातायात प्रबंधन के आधारभूत सिद्धांत-:
सुरक्षा सिद्धांत-: इसका मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना है अतः इसके अंतर्गत यातायात नियमों का पालन कराया जाता है।
सामरिक सिद्धांत-इसमें परिवहन सेवाओं को आर्थिक रूप से सुविधाजनक बनने पर फोकस किया जाता है, इसके अंतर्गत इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया जाता है।
पर्यावरण सुरक्षा सिद्धांत- इस सिद्धांत का मुख्य फोकस वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण को कम करना होता है, इसी के तहत हरित राजमार्गों का विकास किया जा रहा है।
यातायात प्रबंधन की चुनौतियां-:
बढ़ती परिवहन साधनों की संख्या से ट्रैफिक जाम की समस्या
यातायात जागरूकता का अभाव की समस्या।
विकसित सड़कों का अभाव से सड़क दुर्घटना की चुनौतियां
पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित समस्या।
मूल्य आधारित जीवन-:
अर्थ –
नैतिक के मूल्यों को अपने जीवन में निरूपित करते हुए उनके अनुरूप जीवन शैली संचालित करना।
(उदाहरण- सत्यवादी रहना, कर्तव्य निष्ठा रहना आदि।)
महत्व -:
चारित्रिक उत्कृष्टता में सहायक।
सामाजिक सम्मान दिलाने में सहायक।
शीघ्रता से तथा आसानी से लक्ष्य प्राप्ति में सहायक।
प्रभावी निर्णय में सहायक।
आत्म संतोष की प्राप्ति।
सामाजिक समरसता को बढ़ावा।
मूल आधारित जीवन को बढ़ावा देने के उपाय-
परिवार द्वारा बच्चों को अच्छे नैतिक गुणो की शिक्षा।
शैक्षिक पाठ्यक्रमों में नैतिक मूल्यों का समावेशन
पुरस्कार एवं दंड की नीति
भारतीय संस्कृति के प्रमुख मूल्य
भारतीय संस्कृति में सर्वोच्च मूल्य के रूप में धर्म अर्थ काम मोक्ष को स्वीकारा गया है।
विधिक जागरूकता कार्यक्रम
अर्थ-:
विद्युत जागरूकता कार्यक्रम एक प्रकार का शिक्षण आत्मक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य लोगों को नियमों, कानून और विधियों के बारे में जागरूक करना है।
उद्देश्य -:
न्यायिक पहुंचे तथा न्यायिक समावेशन को बढ़ावा।
गरीबों तथा वंचित वर्गों के साथ होने वाले शोषण में कमी।
सामाजिक-न्याय की स्थापना।
घरेलू हिंसा में कमी।
कानून के शासन की दिशा में प्रगति।
अनुच्छेद 39 ए के तहत राज्य का कर्तव्य है कि वह नागरिकों को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करें।
इसके किया बेन स्वरूप “विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम” -1987 (NALSA)बनाया गया।