क्रय सामग्री प्रबंधन

क्रय सामग्री प्रबंधन

क्रय सामग्री प्रबंधन

क्रय-: निश्चित मूल्य पर वांछित वस्तु को खरीदना। 

क्रय प्रबंधन-:

आवश्यक वस्तु को सही स्रोत से, सही मूल्य तथा उपयुक्त समय पर प्राप्त करने की कला। 

उदाहरण के लिए शक्कर उद्योग की आवश्यकता हेतु गुणवत्तापूर्ण गन्ना कम मूल्य पर सही समय पर प्राप्त करना

क्रय प्रबंधन की विशेषताएं-: 

  • सही मूल्य या न्यूनतम मूल्य पर वस्तु प्राप्त करना। 

  • गुणवत्ता पूर्ण वस्तु प्राप्त करना। 

  • उपयुक्त समय पर सामग्री प्राप्त करना। 

क्रय प्रबंधन के उद्देश्य-: 

  1. संगठन की पूंजी का अनुकूलतम प्रयोग करना। 

  2. संगठन की लागत में या अपव्यय में कमी लाना। 

  3. संगठन के प्रतिफल या लाभ को अधिकतम करना। 

  4. उद्योगों के लिए कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति करना। 

  5. गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का निर्माण। 

सामग्री क्रय की प्रक्रिया-:

  • मांग पत्रों की प्राप्ति-: सर्वप्रथम कंपनी के आपूर्तिकर्ता द्वारा, क्रय-विभाग को समग्री क्रय हेतु मांग पत्र भेजे जाते हैं जिसमें सामग्री की नाम-मात्रा का वर्णन होता है। 

  • व्यय का अनुमोदन-: फिर करे विभाग द्वारा मांग पत्र का मूल्यांकन किया जाता है, सब सही होने पर उसके लिए व्यय स्वीकृत किया जाता है।

  • आपूर्तिकर्ता की खोज एवं चयन-: क्रय प्रबंधक विज्ञापन व पत्राचार आदि के माध्यम से पूर्तिकर्ता की खोज एवं उपयुक्त आपूर्तिकर्ता का चयन करता है।  

  • क्रय आदेश देना-: इसके बाद क्रय प्रबंधक, चयनित आपूर्तिकर्ता को सामग्री की किस्म, मात्रा, समय-सीमा संबंधी जानकारी एवं अग्रिम एडवांस देकर क्रय का आदेश देता है। 

  • सामग्री प्राप्ति एवं निरीक्षण-: अंत में पूर्तिकर्ता से परिवहन के साधनों द्वारा, सामग्री प्राप्त की जाती है और सुनिश्चित किया जाता है कि प्राप्त सामग्री आदेश अनुसार है या नहीं।  

सामग्री क्रय की विधियां-:

हैंड टू माउथ विधि-: इस विधि में उतनी ही सामग्री क्रय की जाती है जितनी तत्कालीन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आवश्यक होती है।  

लाभ- 

  • भांडण खर्च अधिक नहीं करना पड़ता। 

  •  एक साथ अधिक पूंजी नहीं देनी पड़ती। 

अग्रिम क्रय विधि -: इस विधि में वर्तमान आवश्यकताओं से भी अधिक मात्रा में भविष्य के लिए सामग्री का क्रय किया जाता है। 

लाभ –

  • एक साथ अधिक के सामग्री क्रय पर, अधिक छूट। 

  • भविष्य में कीमतों के बढ़ने पर लाभ। 

अनुबंध क्रय विधि -: पूर्व निर्धारित शर्तों पर तथा पूर्ण निश्चित मूल पर नियमित समय-अंतराल में सामग्री का क्रय करने की विधि, अनुबंध की क्रियाविधि कहलाती है। 

लाभ – 

  • अधिक भंडारण की आवश्यकता नहीं। 

  • मूल्य उत्तर चढ़ाव का भय नहीं। 

बाजार क्रय विधि-: इस विधि में सामग्री का किराया उसे समय किया जाता है जब उसका बाजार मूल न्यूनतम होता है, उदाहरण के लिए फसल आने पर कच्चा माल का क्रय करना। 

लाभ – लागत में कमी। 

परिकाल्पनिक क्रय विधि-इस विधि में सामग्री का करे उस समय किया जाता है, जब संबंधित सामग्री के मूल्य में वृद्धि की संभावना हो। 

लाभ- उपेक्षाकृत कम मूल्य में सामग्री की प्राप्ति। 

डायरेक्ट क्रय विधि-: इस विधि में सीधे मूल उत्पादकों से सामग्री का क्रय किया जाता है, जैसे सीधे किसानों से कच्चा माल प्राप्त करना। 

सामग्री प्रबंधन 

सामग्री प्रबंधन का अर्थ कंपनी के लिए खरीदी गई सामग्री का समुचित भंडारण, परिवहन एवं कुशलतम प्रयोग करने से है, 

सामग्री प्रबंधन केउद्देश्य-: 

  • क्रय सामग्री का समुचित परिवहन 

  • क्रय सामग्री का समुचित भंडारण

  • क्रिस सामग्री का कुशलतम प्रयोग

सामग्री प्रबंधन के कार्य-:

  1. सामग्री प्रबंधन से संबंधित योजना का निर्माण। 

  2. प्राप्त सामग्री के समुचित भंडारण की व्यवस्थाकरना। 

  3. प्राप्त सामग्री का उपयुक्त रखरखाव। 

  4. इन्वेंटरी नियंत्रण- यानी की शॉर्टेज एंड ओवर स्टॉक के मध्य संतुलन। 

  5. प्राप्त सामग्री का इस प्रकार से उपयोग करना की न्यूनतम सामग्री से अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके। 

सामग्री प्रबंधन की चुनौतियां-:

  • आपूर्ति श्रृंखला में अप्रत्याशित व्यवधान जैसे- राजनीतिक अस्थिरता, प्राकृतिक आपदाएं, महामारी आदि। 

  • उपयुक्त तरीके से रखरखाव करने की चुनौती। 

  • गुणवत्तापूर्ण भंडारण एवं तीव्र परिवहन की समस्या। 

  • सटीक आंकड़े प्राप्त न हो पाने की समस्या। 

 

इस प्रकार एक सफल उद्यम हेतु प्रभावी सामग्री प्रबंधन आवश्यक है जिसके लिए अनेक को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इन चुनौतियों को AI तकनीक तथा ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा समायोजित किया जा सकता है।  

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