[जल प्रबंधन
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Toggleजल प्रबंधन का तत्व जल की मांग और पूर्ति के मध्य सामंजस्य बैठाते हुए, जल के इष्टतम प्रयोग से जल संकट जैसी समस्याओं का समाधान करने से है।
जल प्रबंधन के उद्देश्य/आवश्यकता-:
बाढ़ एवं सूखा जैसी स्थिति से निपटना।
सभी लोगों तक, पर्याप्त मात्रा में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
जल दक्षता एवं जल संरक्षण को बढ़ावा देना।
जल प्रदूषण को देखते हुए,जल की स्वच्छता को बनाए रखना।
जल प्रबंधन की चरण या रणनीति-:
मौजूद जल संसाधनों की उपलब्धता का पता लगाकर, जल की स्थिति का सटीक विश्लेषण करना।
जल की मांग एवं पूर्ति से संबंधित, सटीक पूर्वानुमान लगाना जैसे कि- भविष्य में कितनी और किस प्रकार की जल की आवश्यकता होगी? उसकी पूर्ति किस पर किस प्रकार से की जा सकती है?
भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए, जल संरक्षण एवं जल आपूर्ति से संबंधित उपयुक्त नीतियां व कार्यक्रम बनाना।
निर्धारित किए गए जल कार्यक्रमों तथा नीतियों का पूर्णता क्रियान्वयन करके निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करना।
जल दक्षतापूर्ण प्रयोग की संभावना को तलाश कर जल संरक्षण को बढ़ावा देना।
जल संरक्षण से संबंधित लोगों को जागरूक करना।
भारत में जल संकट की स्थिति-:
विश्व संसाधन संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की सर्वाधिक जल संकट ग्रस्त देशों में भारत का 13 वां स्थान है।
भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता लगभग 1400 घन मीटर है।
भारत की लगभग 70% ग्रामीण आबादी प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर है।
जल प्रबंधन (संरक्षण) के मुद्दे एवं चुनौतियां-:
प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में कमी-: वर्तमान में जनसंख्या की बढ़ने से प्रतिवर्ष जल की मांग भी बढ़ती जा रही है। किंतु जल की पूर्ति सीमित होने के कारण प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घटती जा रही है जहां 1951 में भारत में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता लगभग 5300 घन मीटर थी वही आज घटकर लगभग 1400 घन मीटर हो गई है।
भूमिगत जल स्तर में गिरावट-:
कृषि एवं घरेलू कार्यों में भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जल प्रबंधन की सबसे प्रमुख चुनौती है।
जल प्रदूषण की समस्या-:
वर्तमान में रासायनिक कृषि तथा औद्योगिक गतिविधियों से अधिक मात्रा में जल प्रदूषित हो रहा है, जिससे स्वच्छ जल की उपलब्धता में कमी आ रही है।
जल का अपव्यय-:
जल की प्रति जागरूकता के अभाव में लोग जल का अनुचित दोहन करते हैं जो जल प्रबंधन की एक प्रमुख चुनौती है।
समाधान-:
भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के लिए वर्षा के जल का अत्यधिक मात्रा में संचयन किया जाए इसके लिए जलाशयों का निर्माण तथा सफाई करवाई जाए, रेनवाटर हार्वेस्टिंग तकनीकी द्वारा भूमि में वर्षा का भेजा जाए।
अधिक जल दक्षता वाली सिंचाई तकनीकों (ड्रिप सिस्टम, स्प्रिंग इरीगेशन)का प्रयोग करके सिंचाई की जाए। ताकि कृषि कार्य में जल का अपव्यय ना हो।
जल प्रदूषण को कम करने के लिए उद्योगों एवं घरेलू क्षेत्रों से निकलने वाले जल को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुद्ध करके ही जलीय परितंत्र में मिलाया जाए।
प्रदूषित जल को वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा शुद्ध करके, स्वच्छ जल की उपलब्धता बढ़ाई जाए।
वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाए।
जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए।
जल संग्रहण-:
वर्षा के जल को रोक कर भूमि के अंदर संग्रहित करना जल संग्रहण कहलाता है। जल संग्रहण की अनेकों विधियां हैं
जैसे-
रिचार्ज पिट-: इसके अंतर्गत लगभग 100 वर्ग मीटर से अधिक बड़े छत के जल को पाइप द्वारा संगीत करके ऐसी गड्ढे में छोड़ा जाता है जो-
1 से 2 मीटर चौड़ा
4 मीटर गहरा हो,
तथा उस गड्ढे ऊपर से नीचे गिरने से रेत, बजरी एवं बोल्डर डले हों।
छोटे कंटूर बांध-बनाकर-:
ढलान वाली पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी और पत्थर की छुट्टी बांध बनाकर, वर्षा के जल को रोका जाता है ताकि उसका रिसाव भूमि में हो और भूमिगत जलस्तर बढ़े।
रिसाव टैंक-:
इसके अंतर्गत खुले मैदानों में बहुत बड़ी गड्डी बनाकर बल्स वर्षा के जल को भरा जाता है ताकि जल का भूमि के अंदर रिसाव हो और भूमि का जलस्तर बढ़े।
जल संरक्षण
जल का दक्षता पूर्ण प्रयोग करके जल की बचत करना ही जल संरक्षण कहलाता है।
और जल संरक्षण के लिए आवश्यक है कि-
जल का अनावश्यक प्रयोग रोका जाए।
जल का कुशलतम प्रयोग किया जाए।
जल प्रबंधन से संबंधित प्रमुख सरकारी कार्यक्रम-:
राष्ट्रीय जल अभियान-:
जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इस अभियान की शुरुआत वर्ष 2011 को की गई,
इस अभियान के लक्ष्य
आम जनता को जल संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना।
जल संचयन हेतु जलाशयों के स्तर को बढ़ाना।
जल के उपयोग की प्रभाव क्षमता को 20% तक बढ़ाना।
जल क्रांति अभियान-:
इस अभियान की शुरुआत वर्ष 2015 को की गई,
इस अभियान का उद्देश्य
जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है,
जल की कमी वाले गांव की पहचान करके, उन्हें जल ग्राम का दर्जा देना तथा उनका जलस्तर बढ़ाने के लिए ग्राम जल योजना के तहत वाटर हार्वेस्टिंग तथा जलाशय निर्माण को बढ़ावा देना।
जल शक्ति अभियान-:
बारिश के पानी को रोककर भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के लिए इस अभियान की शुरुआत वर्ष 2019 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा की गई।
जिसके तहत विभिन्न जलाशयों का निर्माण करके वर्षा के जल को भूमि के अंदर संग्रहित करने का बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसी अभियान के अंतर्गत कैच द रेन कार्यक्रम चलाया गया।
अटल भूजल योजना-:
लोगों को प्रशिक्षण देकर तथा सामुदायिक भागीदारी द्वारा भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य वर्ष 2019 को जल शक्ति मंत्रालय द्वारा अटल भूजल योजना की शुरुआत की गई,
जिसके अंतर्गत मध्यप्रदेश सहित भारत के 7 राज्यों के ग्रामीण इलाकों में भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के लिए लगभग 6000 करोड रुपए का व्यय किया जाएगा।