नगर नियोजन एवं नगर प्रबंधन

नगर नियोजन एवं नगर प्रबंधन 

नगर नियोजन एवं नगर प्रबंधन

नगर नियोजन-:

स्टुअर्ट चैंपिन -: “नगर नियोजन विकास तथा समायोजन की प्रक्रिया है, जिसमें नगर के वातावरण का विकास आर्थिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है”

नगर नियोजन तत्व/घटक-:

  • पुनर्निर्माण-: नगरों की पुरानी तथा कमजोर संरचना का पुनरूद्धार कराना(जैसे- सड़क,पुल मरम्मत,)

  • सुविधा विस्तार-: नगरों में शिक्षा, स्वास्थ्य,विद्युत, जलापूर्ति तथा ब्रॉडबैंड जैसी सुविधाओं का विस्तार करना। 

  • बसाहट नियोजन-: नगरों की बसाहट को नियोजित करना। 

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन-: नगरी कचरा के निपटान तथा रिसायकल की व्यवस्था।

  • आपदा सक्षमता-: शहरी बाढ,शहरी आग जैसी आपदाओ के प्रबंधन की समुचित व्यवस्था।  

  • नगरों को सुंदर एवं आकर्षक बनाना 

  • उपयुक्त ट्रैफिक मैनेजमेंट 

  • नगरीय क्षेत्र की मलिन बस्तियों का पुनर्वास। 

नगर नियोजन केउद्देश्य-:

  • नगरीय जीवन स्तर को ऊपर उठाने हेतु। 

  • नगरों को स्मार्ट नगर के रूप में परिवर्तित करने के लिए। 

  • बढ़ती नगरीय जनसंख्या के लिए आवास की व्यवस्था हेतु। 

  • नगरी प्रदूषण को कम करने हेतु। 

  • नगरीय क्षेत्र को आपदा के प्रति सक्षम बनाने हेतु। 

इसके अतिरिक्त नगरों को सुंदर एवं आकर्षक बनाने तथा ट्रैफिक समस्याओं के समाधान के लिए नगर नियोजन आवश्यक है। 

नगर नियोजन की प्रक्रिया-:

  1. डाटा संग्रहण एवं विश्लेषण-: सर्वप्रथम नगर की जनसंख्या,भूमि तथा बुनियादी ढांचा संबंधित डाटा प्राप्त कर उसका विश्लेषण किया जाता है। 

  2. लक्ष्य निर्धारण-: तत्पश्चात नगर नियोजन के लक्ष्य निर्धारित किए जाते। 

  3. योजना निर्माण-: लक्ष के अनुरूप आवास, परिवहन तथा सार्वजनिक सुविधाओं की योजना बनाई जाती है। 

  4. योजना का अनुमोदन-प्रशासन तथा नगर निगम द्वारा। 

  5. निगरानी व मूल्यांकन-योजना की क्रियान्वयन पर निगरानी, एवं रिपोर्ट तैयार करना। 

नगर नियोजन को प्रभावित करने वाले कारक-:

नगरी नियोजन की दिशा को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-:

जनांकिकीकारक-: जन घनत्व, लिंगानुपात तथा जनन की लाभांश की स्थिति आदि। (यदि जन घनत्व अधिक है तो बहुत स्तरीय इमारत को बढ़ावा)

भौगोलिक कारक-: नगर की जलवायु, भूमि के उत्पादकता तथा खनिज संसाधनों की स्थिति। 

सामाजिक कारक-: लोगों में शिक्षा एवं जागरूकता, धर्म विश्वास तथा स्त्रियों की स्थिति। 

संस्कृतिक कारक-: पर्यटक स्थल, त्योहार तथा मेले आदि। 

आर्थिक कारक-: रोजगार के अवसर, व्यापार तथा वाणिज्य एवं उद्योगों की स्थिति। 

राजनीतिक कारक-: राजनीतिक इच्छा शक्ति तथा नगरीय क्षेत्र का राजनीतिक महत्व। 

प्रशासनिक कारक-: प्रशासन की कार्य कुशलता तथा प्रतिबद्धता। 

पर्यावरणी कारक-: पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति यदि अधिक पर्यावरण प्रदूषण है तो नगर नियोजन में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता। 

भारत में नगर प्रबंधन एवं नगर नियोजन की चुनौतियां-: 

  • अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि-: आवास तथा बेरोजगारी की समस्या। 

  • जलप्रदूषण-: पेयजल की समस्या। 

  • ट्रैफिक -: व्यक्तिगत वाहनों की संख्या में वृद्धि से। 

  • आपदाएं-: नगरी बाढ़, नगरी आग लगने की समस्या। 

  • बढ़ता कचरा –: ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन की समस्या। 

  • पर्यावरण प्रदूषण-: नगरी की लोगों के जीवन में स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव। 

  • अतिक्रमण -: अवैध कब्जा, बिना अनुमति के निर्माण कार्य।

नगर प्रबंधन संबंधी सरकारी प्रयास-:

  1. अमृत योजना-

    अटल मिशन फॉर रिजूवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफोर्मेशन। 

    1. शुरुआत- जून 2015 

    2. मंत्रालय-शहरी कार्य मंत्रालय। 

    3. उद्देश्य-1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में कायाकल्प एवं संरचनात्मक विकास। 

    4. प्रावधान-

  • चयनित शहरों में यातायात विकास 

  • स्वच्छ पेयजल, रोशनी तथा सीवेज प्रबंधन। 

  • शहरों का डिजिटलीकरण(ब्रॉडबैंड सेवा)। 

 

  1. स्मार्ट सिटीपरियोजना-:

    1. शुरुआत- जून 2015 

    2. मंत्रालय-शहरी कार्य मंत्रालय। 

    3. उद्देश्य-देश के 100 चयनित शहरों को स्मार्ट शहर में परिवर्तित करना। 

    4. प्रावधान -:

      1. 24 घंटे बिजली। 

      2. पूरे शहर में वाई-फाई सुविधा। 

      3. प्रीति2500 जनसंख्या पर एक नर्सरी स्कूल। 

      4. प्रति 1.5 लाख जनसंख्या पर एक कॉलेज। 

      5. शहर में पार्क एवं स्विमिंग पूल कीव्यवस्था। 

      6. सार्वजनिक स्थलों में सीसीटीवी कैमरा निगरानी। 

  2. सबके के लिए आवास (शहरी)

    1. शुरुआत– जून 2015

    2. मंत्रालय शहरी कार्य मंत्रालय 

    3. प्रावधान- शहर की कमजोर वर्गों को मकान बनाने के लिए लिए गए ऋण की ब्याज पर 65% प्रतिशत सब्सिडी। 

इसके अतिरिक्त 2014 में स्वच्छ भारत अभियान तथा शहरी आजीविका मिशन जैसे कार्यक्रम भी चलाए गए। 

नगरीय समुदाय में परिवर्तन 

ई.ई. बगल- “नगरीय समुदाय उसे कहेंगे जहां के अधिकांश निवासी कृषि कार्यों के अतिरिक्त, अन्य उद्योगों में व्यस्त हो”

नगरी समुदाय मेंपरिवर्तन-:

विकास की प्रक्रिया के दौरान नगरीय क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक बदलाव होना। 

नगरीय समुदाय के प्रमुख परिवर्तन-:

  • सामाजिक परिवर्तन- 

    • सामूहिक प्रवृत्ति के स्थान पर व्यक्तिवादी प्रवृत्ति का विस्तार। 

    • सामाजिक नियंत्रण में कमी। 

    • साक्षरता दर तथा जागरूकता में वृद्धि। 

  • संस्कृतिक परिवर्तन – 

    • परंपरागत संस्कृति, रीति रिवाज का ह्रास। 

    • पश्चात संस्कृति का बढ़ता प्रभाव। 

    • मनोरंजनकारी साधनों में वृद्धि (नाइट क्लब)

  • आर्थिक परिवर्तन- 

    • प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 

    • सामाजिक असमानता में वृद्धि। 

    • बेरोजगारी में वृद्धि। 

  • पर्यावरणीय परिवर्तन –

    • जल संकट, जल प्रदूषण में वृद्धि। 

    • ध्वनि तथा वायु प्रदूषण। 

    • वनों का ह्रास। 

  • राजनीति परिवर्तन – 

    • राजनीतिक चेतना में वृद्धि। 

    • प्रशासनिक जन सहभागिता में वृद्धि। 

    • जन आंदोलन में वृद्धि।

इसके अतिरिक्त नगरीय समुदाय में जनांकिकी परिवर्तन भी आए हैं जैसे 2001 में शहरी जनसंख्या 27% थी 2011 में 31% हो गई। 

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