नशीली दवाओं की लत
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Toggle“नशा, व्यक्ति को स्वर्ग के भेष में नर्क ले जाता है।”
नशीली दवाओं की लत एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें शरीर को निरंतर नशीली दवाओं के सेवन की आवश्यकता होती है और यह आवश्यकता दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार-
अल्कोहल,शराब, अफीम, चरस आदि अवैध दावों का सेवन मादक पदार्थों की श्रेणी में आता है।
ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिजीज स्टडी 2017 के अनुसार–
अवैध नशे के कारण 2017 में दुनिया भर में 7.5 लाख लोगों की मृत्यु हुई जिसमें 22000 मौतें भारत में हुईं।
भारत की नशे के संबंध में स्थिति-
देश की 10 से 75 वर्ष के बीच की 20% से अधिक आबादी नशे की चपेट में है।
विश्व संगठन के अनुसार भारत की भारत की 6% किशोर लड़कियां धूम्रपान की आदि है।
10% विश्वविद्यालयी छात्र पक्के नशेबाज है।
लक्षण-:
अधिक समय अकेले रहना।
कार्य क्षमता कम हो जाना।
अधिक भूख लगना।
जिम्मेदारियां से भागना।
स्वयं तथा दूसरों को चोट पहुंचाना।
अनैतिक कृत्य करना। जैसे- चोरी, बलात्कार आदि।
कारण -:
मानसिक तनाव-लोग मानसिक तनाव से या चिंता से मुक्ति पाने के लिए नशा करने लगते हैं।
अन्य रोगों का उपचार-अन्य रोगों के उपचार के लिए ली जाने वाली दवाएं की लत लग जाने से वह नशे की लत में परिवर्तन हो जाती है।
बुरी संगत में फसना- लोग अपने दोस्तों की बुरी संगत में हंस के उनके प्रभाव से नशा करने लगते हैं।
अकेलापन- जब व्यक्ति परिवार से अधिक समय तक दूर अकेले रहता है तो वह धीरे-धीरे अकेलापन दूर करने के लिए नशे का सेवन करने लगता है।
फैशन या पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव- लोग विभिन्न उत्सवों में फैशन के तौर पर नशे का सेवन करते हैं बाद में धीरे-धीरे वह लत बन जाती।
नशे के दुष्प्रभाव-:
शारीरिक क्षमता घट जाना।
मानसिक रोगों (चिड़चिड़ापन)से ग्रसित हो जाना।
नपुंसकता की समस्या उत्पन्न हो जाना।
गरीबी की समस्या।
नौकरी से हटा दिए जाने के कारण बेरोजगारी।
अपराधों में वृद्धि, जैसे- घरेलू हिंसा बलात्कार आदि।
उपचार तथा पुनर्वास-:
मनोचिकित्सक से परामर्श लेकर इसका चिकित्सीय उपचार करना।
संबंधित व्यक्ति का सामाजिक तालमेल बढ़ाना।
योग, प्राणायाम, फिजिकल थेरेपी को बढ़ावा देना (उदाहरण के लिए टॉक थेरेपी।
इसकी रोकथाम हेतु सरकारी प्रयास-:
1. नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकॉट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट 1985-: इस अधिनियम में मादक पदार्थों के उत्पादन, विक्रय, क्रय,परिवहन,उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
2. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो -:
स्थापना -1986,
मुख्यालय- नई दिल्ली
मंत्रालय- केंद्रीय गृह मंत्रालय।
यह एनडीपीसी एक्ट 1985 के तहत नारकोटिक्स ड्रग्स की तस्करी को रोकने के साथ-साथ, नशे की लत के विरुद्ध लोगों को जागरुक भी करता है।
3. नशा मुक्ति भारत अभियान(NMBA)-:
यह अभियान 2020 को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा चलाया गया।
इस अभियान के तहत लोगों को नशीली दावों के विरुद्ध जागरूक किया गया (विशेषकर स्कूल एवं कॉलेज के युवाओं को। )
इसके अतिरिक्त भारत में नशा की लत को छुड़ाने के लिए अनेकों पुनर्वास एवं परामर्श केंद्र संचालित है।