[पर्यावरण से संबंधित नैतिकता एवं मूल्य]

[पर्यावरण से संबंधित नैतिकता एवं मूल्य]

.[पर्यावरण से संबंधित नैतिकता एवं मूल्य]

 

पर्यावरण से संबंधित नैतिकता एवं मूल्य

अध्ययन की दृष्टि से

पर्यावरणीय नैतिकता व्यावहारिक दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जिसके अंतर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि- नैतिकता के आलोक में मानव का, पर्यावरण के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए?

जैसे-: क्या आर्थिक विकास के लिए पेड़ काटना चाहिए या नहीं, मानव की सुरक्षा के लिए वन्य जीव को मारना चाहिए या नहीं आदि। 

व्यवहारिक दृष्टि से 

पर्यावरणीय नैतिकता का तात्पर्य- पर्यावरण को अपना पूरक मानते हुए, पर्यावरण के साथ नैतिक या उचित व्यवहार करने से है। 

जैसे-: वन्य जीवो के प्रति दया का भाव रखते हुए उनका संरक्षण करना। 

पर्यावरणीय नैतिकता के दृष्टिकोण-:

  • मानव केंद्रित दृष्टिकोण

  • जीव केंद्रित दृष्टिकोण

  • पारिस्थितिकी केंद्रित दृष्टिकोण

मानव केंद्रित दृष्टिकोण-

वह दृष्टिकोण जिसके अंतर्गत मानव को केंद्र में रखकर पर्यावरणीय नैतिकता का विश्लेषण किया जाता है उसे मानव केंद्रित दृष्टिकोण कहते हैं

इस दृष्टिकोण के अनुसार मानव अपने विकास के लिए प्रकृति में उपलब्ध संसाधनों का दोहन एवं कुछ आवश्यक परिवर्तन कर सकता है। 

जीव केंद्रित दृष्टिकोण

वह दृष्टिकोण जिसके अंतर्गत पर्यावरण की सभी जीव जंतु को केंद्र में रखकर पर्यावरणीय नैतिकता का विश्लेषण किया जाता है उसे जीव केंद्रित दृष्टिकोण कहते हैं। 

इस दृष्टिकोण के अनुसार मानव के समान ही प्रकृति के अन्य सभी जीव जंतु तथा पौधों को जीवन जीने का अधिकार है अतः मानव को अपने विकास के लिए अन्य जीव-जंतुओं या पादपों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। 

पारिस्थितिकी केंद्रित दृष्टिकोण

इस दृष्टिकोण के अंतर्गत संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को केंद्र में रखकर पर्यावरण नैतिकता का विश्लेषण किया जाता है। 

इस दृष्टिकोण के अनुसार परिस्थितिकी तंत्र हमारे तथा अन्य जीवो के जीवन का आधार है इसलिए मनुष्य की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह परिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण करे। 

पर्यावरण नैतिकता से संबंधित मुद्दे-:

वनों का विनाश-:

मानव की औद्योगिक गतिविधियों तथा शहरीकरण के कारण वनों का तेजी से विनाश हुआ है जिससे पशु पक्षियों तथा वन्यजीवों के निवास स्थल समाप्त होते जा रहे हैं अतः मनुष्य की नैतिक जिम्मेदारी है कि वनों की कटाई ना करें और वनों का विकास करे। 

पर्यावरण प्रदूषण-:

मनुष्य की आर्थिक गतिविधियों के कारण पर्यावरण प्रदूषित हुआ है जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान उत्पन्न हुआ है जो पर्यावरण संतुलन एवं जैव विविधता के लिए खतरा है अतः मनुष्य का कर्तव्य की वह पर्यावरण को प्रदूषित ना होने दे। 

संसाधनों पर समता पूर्ण अधिकार

प्राकृतिक संसाधनों पर संपूर्ण परिस्थितिकी तंत्र का समान अधिकार है अतः मनुष्य द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन नहीं किया जाना चाहिए।

पशु अधिकार-:

पशु भी मनुष्य की भांति पर्यावरण का हिस्सा हैं, इस प्रकार मनुष्य की भांति पशुओं को भी जीवन जीने का अधिकार है,अतः मनुष्य को अपने विकास या सुरक्षा के लिए पशुओं को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।  

कॉर्पोरेट पर्यावरणीय नैतिकता-:

कॉर्पोरेट पर्यावरणीय नैतिकता वह दृष्टिकोण है जिसके अंतर्गत आर्थिक विकास के लिए औद्योगिक गतिविधियों को इस प्रकार से संचालित किया जाता है जिससे कि कम से कम पर्यावरण क्षति हो। 

जैसे-:

  • उद्योगों में हरित तकनीक का प्रयोग किया जाना। 

  • जितने वृक्ष काटे जाए उससे अधिक वृक्षारोपण करना। 

  • उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों का समुचित उपचार करना। 

पर्यावरणीय मूल्य

मूल्य व्यक्ति के ऐसे गुण होते हैं जो निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो। 

और पर्यावरणीय मूल्यों का तात्पर्य व्यक्ति के ऐसे गुणों से है जो पर्यावरण संरक्षण में सहायक हों। जैसे-: वृक्षारोपण करना। 

प्रमुख पर्यावरणीय मूल्य

  • वनों की कटाई ना करना। 

  • वृक्षारोपण करना। 

  • प्रदूषण कम करने के लिए प्लास्टिक का उपयोग ना करना। 

  • घायल प्राणियों का उपचार करके उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना। 

  • अनावश्यक उर्जा खपत ना करना। 

पर्यावरणीय मूल्यों की आवश्यकता या महत्व

  • पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने में उपयोगी 

  • जैव विविधता के ह्रास को रोकने में उपयोगी

  • विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं जैसे-जलवायु परिवर्तन, ओजोन परत क्षरण को काबू करने में उपयोगी। 

  • परिस्थितिकी तंत्र सुरक्षित रखने में उपयोगी। 

पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने के उपाय-:

  • पर्यावरण शिक्षा द्वारा पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सकता है। 

  • पर्यावरणीय पर्यटन करवा कर लोगों के अंदर पर्यावरण मूल्यों का विकास किया जा सकता है। 

  • पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत दंड एवं पुरस्कार की नीति को लागू करके लोगों के अंदर पर्यावरणीय मूल्यों का विकास किया जा सकता है।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *