प्रवास-:
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Toggleजब कोई व्यक्ति यह व्यक्तियों का समूह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर स्थाई या अस्थाई रूप से बस जाता है तो उसे प्रवास कहा जाता है।
प्रवास दो प्रकार के होते-:
उत्प्रवास-: जब कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र से जाकर किसी दूसरे क्षेत्र में बसता है तो इसे उत्प्रवास कहते हैं।
अप्रवास-: जब कोई व्यक्ति किसी अन्य क्षेत्र से आकर हमारे क्षेत्र में बस जाता है तो इसे आप्रवास कहते हैं।
तथा उस व्यक्ति को आप्रवासी कहते हैं।
प्रवसन के कारण-:
आर्थिक कारण-
नौकरी एवं रोजगार प्राप्ति हेतु,
पर्याप्त अधोसंरचना वाली नगरीय क्षेत्रों में व्यवसाय करने या अपना उद्योग स्थापित करने हेतु।
सामाजिक कारण-:
विवाह के उपरांत स्त्री पुरुष के देश या प्रदेश में प्रवासित हो जाती है।
शिक्षा प्राप्ति हेतु विद्यार्थी शहरों में प्रवासित हो जाते हैं तथा बाद में वे वहां ही रहने लगते हैं।
उपयुक्त इलाज करवाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग शहरों में प्रवासित होते हैं ।
राजनैतिक कारण-:
सुरक्षा के अभाव में असुरक्षित क्षेत्र के लोग सुरक्षित क्षेत्र में प्रकाशित हो जाते हैं जैसे कश्मीरी पंडित कश्मीर से अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में प्रवासित हो रहे हैं
अन्य कारण-:
अतिक्रमण या नदी घाटी परियोजना के कारण अनेकों लोगों को अन्य स्थानों पर प्रवासित होना पड़ता है।
प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग एक स्थान से दूसरे स्थान में प्रवासित हो जाते हैं।
प्रवासियों की समस्याएं-:
राजनीतिक मुद्दे -: प्रवासियों को नए क्षेत्र में अनेकों राजनीतिक अधिकारों से वंचित हो जाते हैं, जैसे वोट देने का अधिकार विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने का अधिकार।
आर्थिक मुद्दे-: प्रवासियों को नए प्रवासित क्षेत्र में सभी मौसम में पर्याप्त मजदूरी नहीं मिलती, कार्य दशाएं असुरक्षित होती हैं
सामाजिक मुद्दे-:
आवास की समस्या।
कार्यस्थल में शोषण या उत्पीड़न की समस्या।
मानसिक अवसाद जैसे- परिवार से दूरी की चिंता।
प्रवासियों की समस्या के समाधान
आंतरिक प्रवासियों के लिए भी विदेशी प्रवासियों की तरह दूतावास जैसी सुविधाएं देने के लिए कामगार संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएं ताकि उन्हें अन्य क्षेत्र में जाने पर कोई असुविधा ना हो तथा इसकी जानकारी सरकार को भी रहे।
इन राज्यों मध्य आपसी सहयोग बढ़ाकर प्रवासियों को गंतव्य राज्य की सभी राजनीतिक अधिकार प्रदान जाएं।
प्रत्येक राज्य द्वारा सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा दिया जाए ताकि प्रवासियों का शोषण या उत्पीड़न ना हो।
प्रवासियों की समस्या के समाधान के लिए भारत में अनेकों कानून बनाए गए जैसे
-: अनुबंध श्रम अधिनियम 1970।
अंतर राज्य प्रवासी मजदूर 1979।
असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008।
प्रवसन के प्रभाव-:
आर्थिक प्रभाव-:
प्रवासियों के उद्गम स्थल में प्राकृतिक संसाधनों की खपत के बिना प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है क्योंकि प्रवासी अपने उद्गम स्थल में अपने परिवार को पैसा भेजते हैं जिससे वहां की इकोनामी का विकास होता है।
तथा गंतव्य स्थल को पर्याप्त मानव संसाधन प्राप्त हो जाता है जिससे वहां का तीव्र औद्योगिक विकास होता है।
किंतु गंतव्य स्थल में प्रवासियों की संख्या अधिक होने से स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलता और बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होती है।
सामाजिक प्रभाव-:
जब कोई प्रवासी अपने स्थान से दूसरे स्थान में जाता है तो अपनी संस्कृति का भी दूसरे क्षेत्र में विस्तार करता है जिससे विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण होता है और सांस्कृतिक सामंजस्य की स्थिति बनती है।
किंतु जब कोई व्यक्ति दूसरे संस्कृति वाली क्षेत्र में जाता है तो भाषावाद क्षेत्रवाद के विवाद भी उत्पन्न हो जाते हैं
तथा अधिकांश पुरुष ही प्रवासित होते हैं जिससे उद्गम क्षेत्र में महिलाओं को ग्रस्ती संभालने से संबंधित अधिक कार्य करना पड़ता है। जिससे महिलाओं में मानसिक दबाव एवं कार्य बोज बढ़ने की स्थिति आती है।
जनांकिकी प्रभाव-:
गंतव्य स्थल में कार्यशील युवा एवं पुरुषों की संख्या बढ़ती है जिससे यहां पर कार्य शक्ति भी बढ़ती है किंतु लिंगानुपात घटता है
तथा ग्रामीण क्षेत्रों या फिर उद्गम क्षेत्रों में पुरुषों की संख्या कम होने से लिंगानुपात बढ़ता है।
पर्यावरणीय प्रभाव-:
गंतव्य क्षेत्र में काफी ज्यादा भीड़ बढ़ जाती है जिससे वहां के संसाधनों का अधिकाधिक दोहन होने लगता है परिणाम स्वरूप वहां पर जलापूर्ति की समस्या आवास की समस्या पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बढ़ती है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं का प्रवसन किस प्रकार लाभदायक है?
महिलाओं का प्रवसन होने से महिलाओं की स्थिति सुधरती है परिणाम स्वरूप पुरुष प्रधान तत्व पर रोक लगती है
यदि महिला की शहरी एवं अच्छे क्षेत्र में प्रवाहित होती है तो वह उस क्षेत्र के विचारों को अपने बच्चों में डालती है जिससे जागरूक एवं मजबूत भविष्य की पीढ़ी निर्मित होती है।