[बौद्धिक संपदा अधिकार]
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बौद्धिक संपदा शब्द दो शब्दों का योग है
बौद्धिक- मनुष्य की सोचने ,समझने ,याद रखने,निर्णय लेने एवं कुछ नया करने की क्षमता।
संपदा- संपत्ति।
इस प्रकार बौद्धिक संपदा का तात्पर्य- बुद्धि द्वारा सृजित संपदा से है।
अर्थात जब कोई व्यक्ति अपने बौद्धिक ज्ञान का प्रयोग करके, ऐसे नवीन अविष्कारों एवं नवाचारों(रचनात्मक कृतिया,आइडिया) का सृजन करता है जो लोकहित में तथा व्यवसायिक कार्यों में उपयोगी होते हैं तो उन्हें उस व्यक्ति की बौद्धिक संपदा कहा जाता है। क्योंकि वह उसकी बुद्धि की उपज होती है।
जैसे-: किसी नए संगीत का निर्माण, किसी नई एवं उपयोगी वस्तु का निर्माण।
और व्यक्ति या किसी संस्था की बौद्धिक संपदा(अविष्कारों एवं नवाचारों) को संरक्षण प्रदान करने वाला अधिकार बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाता है। जैसे- पेटेंट, कॉपीराइट।
बौद्धिक संपदा अधिकार की विशेषताएं-:
बौद्धिक संपदा अधिकार, मनुष्य के बौद्धिक ज्ञान की उपज अर्थात अविष्कारों व नवाचारों को संरक्षण प्रदान करने वाला अधिकार है।
बौद्धिक संपदा अधिकार ऐसे नवाचारों या अविष्कारों के लिए दिया जाता है,जो पहले कभी सृजित ना किये गये हों। अर्थात जो मौलिक हो।
बौद्धिक संपदा अधिकार ऐसे नवाचारों या अविष्कारों के लिए दिया जाता है, जो लोकहित में व्यवसायिक कार्यों में उपयोगी हो।
बौद्धिक संपदा का अधिकार एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र एवं एक निश्चित समय-सीमा के लिए दिया जाता है।
बौद्धिक संपदा के अधिकार को किसी अन्य संपत्ति की तरह, खरीदा व बेचा जा सकता है।
बौद्धिक संपदा अधिकार की आवश्यकता-:
बौद्धिक संपदा का अधिकार वह अधिकार है जो व्यक्ति या संस्था को अपने बौद्धिक ज्ञान द्वारा सृजित संपदा अर्थात आविष्कारों एवं नवाचारों को संरक्षण प्रदान करता है, यह इसलिए आवश्यक है ताकि अविष्कारों एवं नवाचारओं का श्रेय एवं लाभ उसी व्यक्ति को मिले जिसने मेहनत एवं बौद्धिक ज्ञान का उपयोग करके उस आविष्कार व नवाचार का सृर्जन किया है अर्थात कोई दूसरा इसकी नकल करके लाभ प्राप्त ना कर सके।
बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रकार-:
ट्रिप्स के अनुसार बौद्धिक संपदा के अधिकार निम्न 6 प्रकार के होते हैं-:
पेटेंट
ट्रेडमार्क
औद्योगिक डिजाइन
कॉपीराइट
भौगोलिक संकेत
व्यापारिक भेद।
कॉपीराइट-:
किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित की गईं साहित्यिक एवं कलात्मक कृतियों जैसे-संगीत, फिल्म, पुस्तक ,कंप्यूटर प्रोग्राम आदि को कानूनी संरक्षण देने वाला अधिकार कॉपीराइट कहलाता है।
अर्थात कॉपीराइट व्यक्ति का वह बौद्धिक संपदा अधिकार है जिसके अंतर्गत उसे अपनी साहित्यिक एवं कलात्मक कृतियों पर यह विशेषाधिकार प्राप्त हो जाता है कि उसकी अनुमति के बिना कोई भी अन्य व्यक्ति या संस्था उसकी रचनाओं का प्रयोग व्यवसायिक लाभ के लिए नहीं कर सकती है।
किंतु वह चाहे तो रॉयल्टी लेकर अपनी रचनाओं के व्यवसायिक प्रयोग की अनुमति दे सकता है।
कॉपीराइट संबंधी कानून-:
भारत में किसी साहित्यिक एवं कलात्मक कृतियों के लिए कॉपीराइट प्रदान करने हेतु 1957 में “कॉपीराइट अधिनियम 1957” बनाया गया वर्ष 2012 में संशोधित किया गया है जिसके अनुसार किसी लेखक को उसकी उसके साहित्य पर जीवन पर्यंत तथा जीवन के उपरांत 60 वर्ष तक का कॉपीराइट दिया जाता है जबकि अन्य कलात्मक कृतियां जैसे-फिल्म संगीत आदि के लिए केवल 60 वर्ष का कॉपीराइट दिया जाता है इसके बाद वह उसे पब्लिक यूज़ के लिए फ्री कर दिया जाता है।
पेटेंट-:
किसी व्यक्ति द्वारा किए गए आविष्कारों या खोजों को कानूनी संरक्षण देने वाला अधिकार पेटेंट कहलाता है।
अर्थात पेटेंट किसी आविष्कारक का वह बौद्धिक संपदा अधिकार है,जिसके अंतर्गत उसे एक निश्चित समय अवधि के लिए अपने अविष्कार पर यह विशेषाधिकार प्राप्त हो जाता है कि उसकी अनुमति के बिना कोई भी अन्य व्यक्ति या संस्था उसके अविष्कार का प्रयोग व्यवसायिक लाभ के लिए नहीं कर सकती है।
किंतु वह चाहे तो रॉयल्टी लेकर अपनी अविष्कार के व्यवसायिक प्रयोग की अनुमति दे सकता है।
पेटेंट संबंधी कानून-:
भारत में किसी अविष्कार पर संबंधित अविष्कारक को पेटेंट प्रदान करने के लिए वर्ष 1970 में पेटेंट अधिनियम बनाया गया जिसे वर्ष 2005 में पुनः संशोधित किया गया। जिसके तहत किसी आविष्कार पर सामान्यतः 20 वर्ष की अवधि के लिए पेटेंट प्रदान किया जाता है। इस अवधि के बाद संबंधित उस अविष्कार को सार्वजनिक कर दिया जाता है।
किंतु भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970 की धारा 3 के अंतर्गत निम्न खोजो का पेटेंट नहीं करवाया जा सकता-:
कोई ऐसा अविष्कार कानून, नैतिकता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के विपरीत हो।
कृषि एवं बागवानी के कोई तरीके का ।
परमाणु ऊर्जा संबंधी अविष्कार का।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का।
गणितीय विधियों की खोज का।
इलाज की विधियों का।
खेल एवं व्यापार की विधियों का।
पेटेंट एक प्रकार का नकारात्मक अधिकार है पुष्टि करो?
पेटेंट कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति या संस्था अपनी बौद्धिक क्षमता द्वारा निर्मित अविष्कार का पेटेंट करवा कर उस अविष्कार पर विशेषाधिकार प्राप्त कर सकता है अर्थात उसकी अनुमति के बिना कोई भी अन्य व्यक्ति या संस्था उसके अविष्कार का प्रयोग नहीं कर सकती है।
जिससे पेटेंट धारक को अपने अविष्कार पर एकाधिकार प्राप्त हो जाता है और वह अपने अविष्कार के प्रयोग द्वारा अधिकाधिक लाभ वसूलता है जिसका नकारात्मक प्रभाव आम जनता पर पड़ता है इसलिए पेटेंट को एक नकारात्मक बौद्धिक संपदा अधिकार कहा जा सकता है।
जैसे-: यदि एक व्यक्ति किसी ऐसी दवाई का निर्माण करता है जो कैंसर को जड़ से समाप्त कर सकती हैं और उसका पेटेंट करवा लेता है, जिससे उसे उस दवाई पर एकाधिकार प्राप्त हो जाएगा।
और हो सकता है कि वह उस दवाई को अपनी मनपसंद महंगी से महंगी कीमत पर बेचे परिणाम स्वरूप गरीब देश के आम नागरिक इसका उपयोग नहीं कर पाएंगे और उनकेे दवाई होने के बावजूद भी स्वास्थ्य पर कोई सुधार नहीं आ पाएगा।
इसी प्रकार का कार्य अमेरिका की “नोर्वाटिक” कंपनी ने किया था, जो ‘गलीवाक’ नामक कैंसर की दवा पर पेटेंट करवाकर 1 माह के लिए कैंसर की दवाई ₹130000 में देती थी,
जबकि वही दवाई भारत की कंपनियां बनाकर मात्र ₹13000 में दे सकती थी।
अनिवार्य लाइसेंस-:
यदि कोई व्यक्ति या कंपनी अपने अविष्कार का पेटेंट करवा कर उसका दुरुपयोग करती है तो सरकार 3 वर्ष के बाद अनिवार्य रूप से उस कंपनी का पेटेंट का लाइसेंस छीनकर दूसरी कंपनी को दे सकती है ताकि अधिकतम जन कल्याण सुनिश्चित हो सके।इसे ही अनिवार्य लाइसेंस कहा जाता है।
पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी-:
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के प्रयासों से भारत के पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित रखने के लिए वर्ष 2011 में इस डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई। जिसमें भारत की परंपरागत ज्ञान को निम्न 5 भाषाओं में अनुवादित किया गया है- अंग्रेजी, फ्रेंच, जापानीस,जर्मनी ,स्पेनिश भाषाओं में अनुवादित करके रखा गया है।
इसका लाभ यह है कि किसी भी अन्य देश के नागरिक हमारे परंपरा के ज्ञान को अपना ज्ञान बताकर उसका पेटेंट नहीं करवा सकते हैं।
पेटेंट की एवरग्रीनिंग-:
एवरग्रीनिंग को हिंदी में सदाबहार कहते हैं जिसका अर्थ है सदैव हरा भरा रहना। पेटेंट के संबंध में एवरग्रीनिंग का अर्थ है कि अपने अविष्कार पर सदैव पेटेंट का अधिकार रखने के लिए, पेटेंट अवधि समाप्त होने के पहले संबंधित अविष्कार में सूक्ष्म ऐसा परिवर्तन करके पुनः अनेकों बार पेटेंट प्राप्त करते जाना।
किंतु यह पेटेंट लेने का अनैतिक तरीका है इसलिए भारत में पेटेंट की एवरग्रीनिंग प्रतिबंधित है।
ट्रेडमार्क-:
ट्रेडमार्क किसी उद्योग, कंपनी या संस्था का वह विशिष्ट व्यापारिक चिन्ह होता है,जो उसकी सभी वस्तुओं अथवा सेवाओं पर पहचान के लिए दर्शाया जाता है।
ताकि बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रतियोगी उत्पादों एवं सेवाओं की पृथक पहचान सुनिश्चित हो सके।
जैसे-:
एप्पल कंपनी का ट्रेडमार्क है- कटा हुआ सेव।
एडिडास कंपनी का ट्रेडमार्क है- .
Note-: पंजीकृत ट्रेडमार्क के साथ ® तथा अपंजीकृत ट्रेडमार्क की के साथ ™ का उपयोग किया जाता है।
भारत में ट्रेडमार्क का पंजीकरण ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 के तहत होता है।
और अपनी कंपनी,उद्योग या संस्था का ट्रेडमार्क पंजीकृत करवाने वाले संस्था मालिक को यह अधिकार प्राप्त हो जाता है कि कोई दूसरी कंपनी या संस्था उसके ट्रेडमार्क की भांति चिन्ह का प्रयोग करके, अपने उत्पाद नहीं बेंच सकता है।
इंडस्ट्रियल डिजाइन-:
किसी कंपनी या उद्योग द्वारा, अपने उत्पादों में विकसित की गई विशिष्ट प्रकार की डिजाइन इंडस्ट्रियल डिजाइन कहलाती है,
जैसे-
बजाज कंपनी का- पल्सर गाड़ी का डिजाइन।
किसी कार की डिजाइन, साड़ी की डिजाइन।
भारत में इंडस्ट्रियल डिजाइन का पंजीकरण ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 के तहत होता है।
और इंडस्ट्रियल डिजाइन का रजिस्ट्रेशन करवाने पर संबंधित उद्योग एवं कंपनी का उस इंडस्ट्रियल डिजाइन पर यह अधिकार प्राप्त हो जाता है कि कोई दूसरी कंपनी उस डिजाइन का प्रयोग करके अपने उत्पाद तैयार नहीं कर सकती है।
भौगोलिक संकेत-:
जब किसी क्षेत्र के उत्पादों को वहां की भौगोलिक विशिष्टता के कारण पहचाना जाने लगता है,तो उस भौगोलिक पहचान को भौगोलिक संकेत कहते हैं।
जैसे-
चंदेरी साड़ी।
बनारसी आम।
नागपुर के संतरे।
असम की चाय।
भारत में किसी भौगोलिक क्षेत्र की विशिष्टता से पहचाने जाने वाले उत्पादों को “वस्तुओं का भौगोलिक संकेत पंजीकरण अधिनियम -1999” के तहत जीआई टैग प्रदान किया जाता है।
और जब किसी क्षेत्र के उत्पादों को GI टैग प्राप्त हो जाता है तो वह उत्पाद और भी ज्यादा प्रसिद्ध हो जाता है परिणाम स्वरूप उसकी बिक्री बढ़ने लगती है,जिसका फायदा संबंधित क्षेत्र के उत्पादकों को होता है।
व्यापारिक भेद-:
व्यापारिक भेद, किसी कंपनी या उद्योग की वह गुप्त सूचना होती है, जिसकी वजह से वह कंपनी सफलतापूर्वक व्यापार कर पा रही है। व्यापारिक भेद में निम्न सूचना शामिल हो सकती हैं
उत्पाद निर्माण की प्रक्रिया।
विक्रय की विधियां।
प्रचार की रणनीति।
और भारत के “ट्रेडमार्क अधिनियम 1999” के तहत कोई भी कंपनी अपने व्यापारिक भेद को बौद्धिक संपदा के रूप में रजिस्टर करवाकर, कानूनी संरक्षण प्राप्त कर सकती है।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन-:
WIPO बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 1967 को की गई, इसका मुख्यालय जेनेवा में स्थित है।
उद्देश्य-:
वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा के अधिकारों को लागू करवाना तथा इससे संबंधित मुद्दों का निपटान करना।
कार्य-:
यह विभिन्न बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे- पेटेंट, औद्योगिक डिजाइन, ट्रेडमार्क आदि के वैश्विक पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध करवाता है।
यह बौद्धिक संपदा के अंतरराष्ट्रीय कानूनों, नियमों एवं मानकों का निर्धारण करता है।
यह सुनिश्चित करता है कि सभी सदस्य देशों में बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है और यदि हो रहा है तो संबंधित विवादों को संधि एवं समझौते के माध्यम से निपटाने का कार्य भी करता है।
इसी संगठन द्वारा प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया जाता है।
टिप्स-:
ट्रिप्स का पूरा नाम है-: ट्रेड रिलेटेड एस्पेक्ट इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स।
दरअसल में ट्रिप्स विश्व व्यापार संगठन का एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जो 1995 में हस्ताक्षरित किया गया,
इस समझौते में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकारों(जैसे- पेटेंट, ट्रेडमार्क, इंडस्ट्रियल डिजाइन) के संरक्षण का प्रावधान है। अर्थात यह समझौता वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा अधिकार के नियमों को लागू करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।
तथा ट्रिप्स का क्रियान्वयन डब्ल्यूटीओ द्वारा किया जाता है।
ट्रिम्स-:
ट्रिम्स का पूरा नाम है-: एग्रीमेंट ऑन ट्रेड रिलेटेड इन्वेस्टमेंट मेजर्स।
दरअसल में ट्रिम्स विश्व व्यापार संगठन का एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो 1995 में हस्ताक्षरित किया गया।
इस समझौते में विदेशी निवेश को प्रतिबंधित करने वाले उपायों को प्रतिबंधित करने का प्रावधान है अर्थात यह समझौता विदेशी निवेश को नियमित एवं प्रोत्साहित करता है।
बौद्धिक संपदा अधिकार नीति-:
भारत में बौद्धिक संपदा के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा बौद्धिक संपदा को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में बौद्धिक संपदा अधिकार नीति बनाई गई जिसका नारा था- “रचनात्मक भारत,अभिनव भारत”।
मध्य प्रदेश में बौद्धिक संपदा के अधिकारों की प्रगति
मध्य प्रदेश का भारत में बौद्धिक संपदा की प्रगति में 13वां स्थान रहा है।
मध्य प्रदेश द्वारा फाइल किए गए पेटेंट की संख्या(वर्ष 2020-21 के अनुसार) -: 398 है।
जबकि 2017-18 में फाइल किए गए पेटेंटों की संख्या 190 थी, अर्थात तीन वर्षों में 109.47 प्रतिशत की वृद्धि।
जबकि इसी मामले में भारत की वृद्धि दर 22.5% है
- जबकि वर्ष 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में फाइल किए गए पेटेंट की संख्या 646 हो गई है; और इस दृष्टि से फाइल किए गए पेटेंट में लगभग 32% की वृद्धि देखी गई
मध्य प्रदेश में फाइल किए गए डिजाइन की संख्या(वर्ष 2020-21 के अनुसार)-: 214 है।
जबकि 2017-18 में फाइल किए गए डिजाइन की संख्या 61 थी अर्थात 3 वर्षों में 250% की वृद्धि।
इसी मामले में भारत की वृद्धि दर 20% रही।
- जबकि वर्ष 202324 की आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में फाइल किए गए डिजाइन की संख्या 441 हो गई है और इस दृष्टि से फाइल किए गए डिजाइन की संख्या में लगभग 63% की वृद्धि देखी गई
मध्यप्रदेश को कुल 19 GI टैग प्राप्त हो चुके हैं।
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Intellectual property facilitation centre
मध्य प्रदेश में इसका मुख्यालय इंदौर में है।
यह एमएसएमई सेक्टर में आईपीआर को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है।