भारतीय समाज,भारतीय लोग एवं सांस्कृतिक विविधता
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Toggleभारतीय समाज-:
भारतीय समाज दुनिया के सबसे प्राचीन,जटिल एवं समृद्ध समाजो में से एक है, जिसमें एक तरफ विविधता भी है तो दूसरी ओर उस विविधता में एकता के लक्षण भी मौजूद है।
भारतीय समाज की विशेषताएं-:
भौतिकतावाद के स्थान पर आध्यात्मिकता को महत्व।
संस्कारों, त्योहार,पर्वों की प्रधानता तथा व्यापकता।
जाति व्यवस्था का प्रचलन-(किंतु आप जाति का कठोर बंधन शिथिल होते जा रहे हैं)
धर्म की प्रधानता।
क्षेत्रीय,भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा जातिगत विविधता।
सहिष्णुता एवं समन्वयवादिता(विभिन्न संस्कृतियों,विभिन्न धर्मों का समन्वय)
भारत के लोग-:
भारत, विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। और भारत में विभिन्न संस्कृति, भिन्न-भिन्न भाषा, भिन्न-भिन्न रंग-रूप के लगभग 140 करोड लोग रहते हैं।
भारत के लोगों की विशेषताएं-:
भारत के लोगों की प्रजाति-: भारत में विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रजाति के लोग रहते हैं
उत्तर पूर्वी के क्षेत्र में मंगोलिक प्रजाति के लोग।
उत्तर पश्चिम में नॉर्डिक प्रजाति के लोग।
उत्तर भारत में भूमध्यसागरीय प्रजाति के लोग।
दक्षिण भारत में प्रोटो-आस्ट्रेलायड प्रजाति के लोग।
अंडमान निकोबार में नीग्रो प्रजाति के लोग।
बहुभाषीय लोग-: भारत के अधिकांश लोग एक से अधिक भाषाओं को जानते समझते हैं।
धार्मिक एवं नैतिक लोग-: भारत के लोग धार्मिक तथा नैतिक प्रवृत्ति के हैं, हमारे अंदर दया , प्रेम, परोपकार, कृतज्ञता जैसे नैतिक गुण है।
सहिष्णु लोग-: भारत के लोग सहिष्णु प्रवृत्ति के हैं इसलिए हम अन्य संस्कृति, अन्य धर्म और अन्य भाषाओं का भी सम्मान करते हैं।
प्रकृतिवादी लोग-: भारतीय लोग सूर्य,चंद्रमा ,नदी,वृक्ष,नाग आदि लगभग सभी प्राकृतिक तत्वों को देवत्व के रूप में पूजते हैं।
अहिंसावादी लोग-: अहिंसावादी होने के कारण जब जाने अनजाने में किसी जीव की हत्या करते हैं, तो अपराध भाव का बोध होता है।
सादा जीवन उच्च विचार-: साधारण जीवन जीने में विश्वास रखते हैं किंतु विचार उच्च होते हैं जैसे मानवता का विचार।
सांस्कृतिक विविधता -:
विश्व के अधिकांश देशों में कोई एक प्रकार का धर्म, एक प्रकार की भाषा, एक जैसा रहन-सहन होता है। जैसे-: चीन में चीनी भाषा, चाइनीस खाना, चीनी मुद्रा।
किंतु भारत राष्ट्र एकमात्र ऐसा राष्ट्र है जहां भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मों, संप्रदायों,भाषाओं रीति-रिवाजों, खान-पान आदि के लोग रहते हैं, उनके अलग विश्वास, अलग विचार होते हैं किंतु फिर भी उनमें सह-अस्तित्व की भावना विद्यमान है।
भारत में सांस्कृतिक विविधता के रूप-:
कलात्मक विविधता-:
भारत के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग कलाओं का प्रचलन है।
जैसे-
संगीत की उत्तर भारत में हिंदुस्तानी शैली दक्षिण भारत में कर्नाटकी शैली।
पश्चिमोत्तर भारत में बैसाखी और लोहड़ी पर्व, तथा पूर्वोत्तर भारत में हॉर्नबिल पर्व, बिहू पर्व। दक्षिण-भारत में ओणम एवं पोंगल पर्व।
क्षेत्रीय विविधता-:
विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र के मध्य पाई जाने वाली भिन्नता क्षेत्रीय विविधता कहलाती है।
-:भारत में व्यापक क्षेत्रीय विविधता मौजूद है-: उत्तर में पहाड़ हैं, तो दक्षिण में समुद्री तट। पूर्व में पर्वतीय क्षेत्र हैं, तो पश्चिम में मैदानी क्षेत्र।
क्षेत्रीय विविधता का प्रभाव–
सकारात्मक प्रभाव– आपसी क्षेत्रीय जुड़ाव तथा क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा।
नकारात्मक प्रभाव- क्षेत्रवाद से राष्ट्रीय बात कमजोर होना, तथा नए राज्य की मांग उठना।
भाषाई विविधता -:
भारत में किसी एक भाषा का बोलबाला नहीं है बल्कि विभिन्न प्रकार की भाषाओं का प्रचलन है जिसे भाषाई विविधता कहते हैं।
-:भाषाई सर्वेक्षण के अनुसार यहां लगभग 234 भाषण तथा 544 बोलियां हैं। (संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषा)
भारत की भाषा को चार परिवारों में बांटा जा सकता है-:
इण्डो-आर्य भाषा परिवार-:
इसके अंतर्गत उत्तर भारत की भाषाएं आती है जैसे- हिंदी, उर्दू, मराठी, बांग्ला, गुजराती।
द्रविड़ भाषा परिवार-: इसके अंतर्गत दक्षिण भारत की भाषाएं आती है जैसे- तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम।
आस्ट्रिक भाषा परिवार-: इसके अंतर्गत जनजातीय भाषाएं आती हैं जैसे- संथाली, खासी, हो, मुंडारी।
चीनी तिब्बती भाषा परिवार-: इसके अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र की भाषाएं आती है जैसे मणिपुर, नागा,लेप्चा।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा में -: हिंदी (43.5%), बांग्ला भाषा (8%) मराठी भाषा (7%) तेलुगु भाषा (5%)।
भाषाई विविधता के प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव– भाषा आधारित सामाजिक एकता।
नकारात्मक प्रभाव– भाषावाद तथा नए राज्य की मांग।
धार्मिक विविधता-;
भारत कोई एक धर्म का देश नहीं है बल्कि भारत में भिन्न-भिन्न धर्म संप्रदायों के लोग रहते हैं इसे ही धार्मिक विविधता कहा जाता है।
-: भारत में मुख्य रूप से हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन धर्म मानने वाले लोग रहते हैं इसके अतिरिक्त यहूदी,पारसी भी अत्यल्प संख्या में रहते हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में -: 80.5% हिंदू, 13.5% मुस्लिम, 2.3% ईसाई, 1.9% सिख, 0.8% बौद्ध तथा 0.4% जैन रहते हैं।
धार्मिक विविधता का प्रभाव-:
सकारात्मक प्रभाव-
धार्मिक अंतः क्रिया से विभिन्न धर्म में अच्छी विशेषताओं का समावेशन होता है।
धार्मिक सहिष्णुता का भाव जागृत होता है।
नकारात्मक प्रभाव-
सांप्रदायिक दंगों को बढ़ावा मिलता है।
धर्म परिवर्तन लव,जिहाद के मामले।
जनजातीय विविधता -:
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न जनजाति के लोग रहते हैं, जो जनजाति विविधता को दर्शाता है।
-: भारत में लगभग 461 जनजातियां निवासरत हैं।
पश्चिमी हिमालय में– बकरवाल, थारू, गुर्जर, राजी, बुक्सा।
पूर्वी हिमालय में- गारो,खासी, जयंतिया, अबोर और मिश्मी आदि।
मध्य क्षेत्र में- भील जनजाति, गोंड जनजाति, संथाल जनजाति, कोरकू जनजाति, कोल जनजाति, मुंडा जनजाति।
दक्षिण क्षेत्र में- कोरमा, टोडा,कडार।
द्वीपीय क्षेत्रों में- सेंटिनल,ओंग,अंडमानी, निकोबारी,शौंम्पेन।
और प्रत्येक जनजाति की अपनी अलग विशिष्ट सांस्कृतिक पद्धतियां होती हैं। जैसे-भील जनजाति की भगोरिया पद्धति, गोंड जनजाति की गोटूल प्रथा।
विविधता में एकता-:
भारत में भले ही भिन्न-भिन्न प्रकार की विविधताएं देखने को मिलती हैं किंतु भारत के लोगों में एकता का भाव भी विद्वान रहता है, इसलिए कहा जाता है कि-: “विविधता में एकता, हिंद की विशेषता”
‘विविधता में एकता’ वाक्यांश का प्रयोग पंडित जवाहरलाल नेहरू डिस्कवरी ऑफ इंडिया बुक में किया है।
भारत में पाए जाने वाली एकता-:
भौगोलिक विविधता में एकता-:
भले ही भारत में स्थलाकृति संबंधी विविधता पाई जाती है, किंतु इसके बावजूद-:
संपूर्ण भारत में उष्णकटिबंधीय जलवायु होना,
संपूर्ण भारत में मानसूनी वर्षा होना।
भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल- उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वर, पूर्व में पुरी तथा पश्चिम में द्वारका संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र को एक सूत्र में पिरोते हैं।
धार्मिक विविधता में एकता-:
भले ही भारत में भिन्न-भिन्न धर्म संप्रदाय के लोग रहते हैं किंतु-:
भारत के सभी धर्मावलंबी एक दूसरे के धर्मों, धार्मिक ग्रंथो, पूजा-स्थलों का सम्मान करते हैं।
दीपावली, दशहरा, होली, नव वर्ष, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती एक साथ मनाते हैं।
सांस्कृतिक विविधता में एकता-:
भले ही भारत के विभिन्न क्षेत्र में भिन्न-भिन्न संस्कृति तथा भिन्न-भिन्न संगीत, नृत्य,पर्व, उत्सव प्रचलित है किंतु-
सभी लोगों में अतिथि सत्कार, बड़ों का सम्मान करना तथा छोटों के प्रति स्नेह के भाव की संस्कृति है।
सभी लोग एक दूसरे के नृत्य, संगीत, उत्सव आदि का सम्मान करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं झांकियां, सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित करती है
भाषाई विविधता में एकता-:
भारत में भले ही हिंदी बांग्ला मराठी तेलुगू तमिल जैसी अनेक भाषा प्रचलित हैं, किंतु सभी भाषाओं के लोगों के बीच राष्ट्र प्रेम, भाईचारे व समरसता का भाव विद्यमान है।
जातीय विविधता में एकता-:
भारत में भले ही विभिन्न प्रकार की जातियां जातियां एवं उनके रीति रिवाज प्रचलित है किंतु इसके बावजूद भी विभिन्न जातियों के मध्य पारस्परिक निर्भरता ने सभी जातियों को एकता के सूत्र में पिरोय रखा है।
राजनीतिक विविधता में एकता-:
भारत में बहुदलीय शासन प्रणाली में है जिसमें अनेकों राजनीतिक दल जैसे कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी आदि है, जिनकी अपनी अलग-अलग विचारधाराए हैं, लेकिन इसके बावजूद इन सभी दलों में संविधान, लोकतंत्र, न्यायपालिका जैसी संस्थाओं के प्रति सम्मान का भाव निहित है।
भारतीय समाज,भारतीय लोग एवं सांस्कृतिक विविधता
भारतीय समाज-:
भारतीय समाज दुनिया के सबसे प्राचीन,जटिल एवं समृद्ध समाजो में से एक है, जिसमें एक तरफ विविधता भी है तो दूसरी ओर उस विविधता में एकता के लक्षण भी मौजूद है।
भारतीय समाज की विशेषताएं-:
भौतिकतावाद के स्थान पर आध्यात्मिकता को महत्व।
संस्कारों, त्योहार,पर्वों की प्रधानता तथा व्यापकता।
जाति व्यवस्था का प्रचलन-(किंतु आप जाति का कठोर बंधन शिथिल होते जा रहे हैं)
धर्म की प्रधानता।
क्षेत्रीय,भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा जातिगत विविधता।
सहिष्णुता एवं समन्वयवादिता(विभिन्न संस्कृतियों,विभिन्न धर्मों का समन्वय)
भारत के लोग-:
भारत, विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। और भारत में विभिन्न संस्कृति, भिन्न-भिन्न भाषा, भिन्न-भिन्न रंग-रूप के लगभग 140 करोड लोग रहते हैं।
भारत के लोगों की विशेषताएं-:
भारत के लोगों की प्रजाति-: भारत में विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रजाति के लोग रहते हैं
उत्तर पूर्वी के क्षेत्र में मंगोलिक प्रजाति के लोग।
उत्तर पश्चिम में नॉर्डिक प्रजाति के लोग।
उत्तर भारत में भूमध्यसागरीय प्रजाति के लोग।
दक्षिण भारत में प्रोटो-आस्ट्रेलायड प्रजाति के लोग।
अंडमान निकोबार में नीग्रो प्रजाति के लोग।
बहुभाषीय लोग-: भारत के अधिकांश लोग एक से अधिक भाषाओं को जानते समझते हैं।
धार्मिक एवं नैतिक लोग-: भारत के लोग धार्मिक तथा नैतिक प्रवृत्ति के हैं, हमारे अंदर दया , प्रेम, परोपकार, कृतज्ञता जैसे नैतिक गुण है।
सहिष्णु लोग-: भारत के लोग सहिष्णु प्रवृत्ति के हैं इसलिए हम अन्य संस्कृति, अन्य धर्म और अन्य भाषाओं का भी सम्मान करते हैं।
प्रकृतिवादी लोग-: भारतीय लोग सूर्य,चंद्रमा ,नदी,वृक्ष,नाग आदि लगभग सभी प्राकृतिक तत्वों को देवत्व के रूप में पूजते हैं।
अहिंसावादी लोग-: अहिंसावादी होने के कारण जब जाने अनजाने में किसी जीव की हत्या करते हैं, तो अपराध भाव का बोध होता है।
सादा जीवन उच्च विचार-: साधारण जीवन जीने में विश्वास रखते हैं किंतु विचार उच्च होते हैं जैसे मानवता का विचार।
सांस्कृतिक विविधता -:
विश्व के अधिकांश देशों में कोई एक प्रकार का धर्म, एक प्रकार की भाषा, एक जैसा रहन-सहन होता है। जैसे-: चीन में चीनी भाषा, चाइनीस खाना, चीनी मुद्रा।
किंतु भारत राष्ट्र एकमात्र ऐसा राष्ट्र है जहां भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मों, संप्रदायों,भाषाओं रीति-रिवाजों, खान-पान आदि के लोग रहते हैं, उनके अलग विश्वास, अलग विचार होते हैं किंतु फिर भी उनमें सह-अस्तित्व की भावना विद्यमान है।
भारत में सांस्कृतिक विविधता के रूप-:
कलात्मक विविधता-:
भारत के अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग कलाओं का प्रचलन है।
जैसे-
संगीत की उत्तर भारत में हिंदुस्तानी शैली दक्षिण भारत में कर्नाटकी शैली।
पश्चिमोत्तर भारत में बैसाखी और लोहड़ी पर्व, तथा पूर्वोत्तर भारत में हॉर्नबिल पर्व, बिहू पर्व। दक्षिण-भारत में ओणम एवं पोंगल पर्व।
क्षेत्रीय विविधता-:
विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र के मध्य पाई जाने वाली भिन्नता क्षेत्रीय विविधता कहलाती है।
-:भारत में व्यापक क्षेत्रीय विविधता मौजूद है-: उत्तर में पहाड़ हैं, तो दक्षिण में समुद्री तट। पूर्व में पर्वतीय क्षेत्र हैं, तो पश्चिम में मैदानी क्षेत्र।
क्षेत्रीय विविधता का प्रभाव–
सकारात्मक प्रभाव– आपसी क्षेत्रीय जुड़ाव तथा क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा।
नकारात्मक प्रभाव- क्षेत्रवाद से राष्ट्रीय बात कमजोर होना, तथा नए राज्य की मांग उठना।
भाषाई विविधता -:
भारत में किसी एक भाषा का बोलबाला नहीं है बल्कि विभिन्न प्रकार की भाषाओं का प्रचलन है जिसे भाषाई विविधता कहते हैं।
-:भाषाई सर्वेक्षण के अनुसार यहां लगभग 234 भाषण तथा 544 बोलियां हैं। (संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषा)
भारत की भाषा को चार परिवारों में बांटा जा सकता है-:
इण्डो-आर्य भाषा परिवार-:
इसके अंतर्गत उत्तर भारत की भाषाएं आती है जैसे- हिंदी, उर्दू, मराठी, बांग्ला, गुजराती।
द्रविड़ भाषा परिवार-: इसके अंतर्गत दक्षिण भारत की भाषाएं आती है जैसे- तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम।
आस्ट्रिक भाषा परिवार-: इसके अंतर्गत जनजातीय भाषाएं आती हैं जैसे- संथाली, खासी, हो, मुंडारी।
चीनी तिब्बती भाषा परिवार-: इसके अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र की भाषाएं आती है जैसे मणिपुर, नागा,लेप्चा।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा में -: हिंदी (43.5%), बांग्ला भाषा (8%) मराठी भाषा (7%) तेलुगु भाषा (5%)।
भाषाई विविधता के प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव– भाषा आधारित सामाजिक एकता।
नकारात्मक प्रभाव– भाषावाद तथा नए राज्य की मांग।
धार्मिक विविधता-;
भारत कोई एक धर्म का देश नहीं है बल्कि भारत में भिन्न-भिन्न धर्म संप्रदायों के लोग रहते हैं इसे ही धार्मिक विविधता कहा जाता है।
-: भारत में मुख्य रूप से हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन धर्म मानने वाले लोग रहते हैं इसके अतिरिक्त यहूदी,पारसी भी अत्यल्प संख्या में रहते हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में -: 80.5% हिंदू, 13.5% मुस्लिम, 2.3% ईसाई, 1.9% सिख, 0.8% बौद्ध तथा 0.4% जैन रहते हैं।
धार्मिक विविधता का प्रभाव-:
सकारात्मक प्रभाव-
धार्मिक अंतः क्रिया से विभिन्न धर्म में अच्छी विशेषताओं का समावेशन होता है।
धार्मिक सहिष्णुता का भाव जागृत होता है।
नकारात्मक प्रभाव-
सांप्रदायिक दंगों को बढ़ावा मिलता है।
धर्म परिवर्तन लव,जिहाद के मामले।
जनजातीय विविधता -:
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न जनजाति के लोग रहते हैं, जो जनजाति विविधता को दर्शाता है।
-: भारत में लगभग 461 जनजातियां निवासरत हैं।
पश्चिमी हिमालय में– बकरवाल, थारू, गुर्जर, राजी, बुक्सा।
पूर्वी हिमालय में- गारो,खासी, जयंतिया, अबोर और मिश्मी आदि।
मध्य क्षेत्र में- भील जनजाति, गोंड जनजाति, संथाल जनजाति, कोरकू जनजाति, कोल जनजाति, मुंडा जनजाति।
दक्षिण क्षेत्र में- कोरमा, टोडा,कडार।
द्वीपीय क्षेत्रों में- सेंटिनल,ओंग,अंडमानी, निकोबारी,शौंम्पेन।
और प्रत्येक जनजाति की अपनी अलग विशिष्ट सांस्कृतिक पद्धतियां होती हैं। जैसे-भील जनजाति की भगोरिया पद्धति, गोंड जनजाति की गोटूल प्रथा।
विविधता में एकता-:
भारत में भले ही भिन्न-भिन्न प्रकार की विविधताएं देखने को मिलती हैं किंतु भारत के लोगों में एकता का भाव भी विद्वान रहता है, इसलिए कहा जाता है कि-: “विविधता में एकता, हिंद की विशेषता”
‘विविधता में एकता’ वाक्यांश का प्रयोग पंडित जवाहरलाल नेहरू डिस्कवरी ऑफ इंडिया बुक में किया है।
भारत में पाए जाने वाली एकता-:
भौगोलिक विविधता में एकता-:
भले ही भारत में स्थलाकृति संबंधी विविधता पाई जाती है, किंतु इसके बावजूद-:
संपूर्ण भारत में उष्णकटिबंधीय जलवायु होना,
संपूर्ण भारत में मानसूनी वर्षा होना।
भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल- उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वर, पूर्व में पुरी तथा पश्चिम में द्वारका संपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र को एक सूत्र में पिरोते हैं।
धार्मिक विविधता में एकता-:
भले ही भारत में भिन्न-भिन्न धर्म संप्रदाय के लोग रहते हैं किंतु-:
भारत के सभी धर्मावलंबी एक दूसरे के धर्मों, धार्मिक ग्रंथो, पूजा-स्थलों का सम्मान करते हैं।
दीपावली, दशहरा, होली, नव वर्ष, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती एक साथ मनाते हैं।
सांस्कृतिक विविधता में एकता-:
भले ही भारत के विभिन्न क्षेत्र में भिन्न-भिन्न संस्कृति तथा भिन्न-भिन्न संगीत, नृत्य,पर्व, उत्सव प्रचलित है किंतु-
सभी लोगों में अतिथि सत्कार, बड़ों का सम्मान करना तथा छोटों के प्रति स्नेह के भाव की संस्कृति है।
सभी लोग एक दूसरे के नृत्य, संगीत, उत्सव आदि का सम्मान करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं झांकियां, सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित करती है
भाषाई विविधता में एकता-:
भारत में भले ही हिंदी बांग्ला मराठी तेलुगू तमिल जैसी अनेक भाषा प्रचलित हैं, किंतु सभी भाषाओं के लोगों के बीच राष्ट्र प्रेम, भाईचारे व समरसता का भाव विद्यमान है।
जातीय विविधता में एकता-:
भारत में भले ही विभिन्न प्रकार की जातियां जातियां एवं उनके रीति रिवाज प्रचलित है किंतु इसके बावजूद भी विभिन्न जातियों के मध्य पारस्परिक निर्भरता ने सभी जातियों को एकता के सूत्र में पिरोय रखा है।
राजनीतिक विविधता में एकता-:
भारत में बहुदलीय शासन प्रणाली में है जिसमें अनेकों राजनीतिक दल जैसे कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी आदि है, जिनकी अपनी अलग-अलग विचारधाराए हैं, लेकिन इसके बावजूद इन सभी दलों में संविधान, लोकतंत्र, न्यायपालिका जैसी संस्थाओं के प्रति सम्मान का भाव निहित है।