भारत में उद्यमिता का विकास एवं संस्थान
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Toggleभारत प्राचीन काल से ही उद्यमिता के क्षेत्र में अग्रणी रहा है,
प्राचीन काल से ही भारत में वस्त्र उद्योग, धातु उद्योग खाद्यान्न एवं आभूषण उद्योगों का व्यापक विकास हुआ।
मध्यकाल में भारत से व्यापक मात्रा में मसाला वस्त्र इत्यादि का निर्यात हुआ।
टर्नियस नामक एक इतिहासकार ने कहा है कि “भारत में बनी वस्तुएं इतनी हल्की एवं सुंदर होती हैं कि हाथ में होते हुए भी आभास नहीं होता”
किंतु आधुनिक काल में औपनिवेशिक नीतियों के कारण लघु उद्योगों का पतन हुआ
हालांकि ब्रिटिश कंपनियों जैसे सूती कपड़ा मिल का बोलवाला रहा
स्वतंत्रता के वाद-
स्वतंत्रता के वाद उधमशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई द्वितीय पंचवर्षीय योजना जो की पीसी महानलोबिस के मॉडल पर आधारित थी, उसमें औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया गया
इसके साथ ही साथ 1991 में एलपीजी सुधारो का औद्योगीकरण के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
उद्यमिता विकास के संस्थान एवं कार्यक्रम-:
स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम-:
स्टार्टअप-: निगमन की तारीख से 10 वर्ष तक की ऐसी नवीन कंपनी जो तीव्र गति से नवोन्मेषी उत्पादों/सेवाओं का निर्माण करें। तथा जिनका टर्नओवर 100 करोड़ से कम का।
योजना की शुरुआत-: जनवरी 2016 को ( पीएम मोदी द्वारा)
मंत्रालय-: ब्लैक एवं उद्योग मंत्रालय।
विभाग-: उद्योग एवं आंतरिक व्यापार विभाग।
प्रमुख उद्देश्य -:
नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र की क्षमता का विकास।
वित्तीय सहयोग प्रदान करना।
तकनीकी सहायता प्रदान करना।
शिक्षण प्रशिक्षण के क्षेत्र में नवीन उद्यमियों का सहयोग करना।
रोजगार सृजन को बढ़ावा देना।
प्रमुख प्रावधान-
स्टार्टअप योजना के तहत पंजीकृत स्टार्टअपऑन को निम्न लाभ दिए जाते हैं-:
स्व-प्रमाणन-: 6 श्रम कानून तथा 3 पर्यावरण कानून का प्रमाण स्वत ही प्राप्त हो जाता है।
कर छूट-: 3 वर्ष तक के लिए कर अवकाश तथा एंजेल निवेशकों द्वारा किए गए निवेश पर कर-छूट।
सिंगल विंडो क्लीयरेंस-: मोबाइल ऐप द्वारा पंजीकरण व पेटेंट संरक्षण आदि की सुविधा के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस।
इनक्यूबेटर सहायता-: स्टार्टअपऑन को आवश्यक तकनीकी सूचना एवं प्रशिक्षण सहायता के लिए इंक्यूबेटर सेंटर।
नेटवर्किंग विकल्प-: उन स्टार्टअप हितग्राहियों के साथ हाथ मिलाने का अवसर।
उपलब्धि-: वर्ष 2016 में भारत में मात्र 504 स्टार्टअप थे जो अब बढ़कर77000 से ज्यादा स्टार्टअप हो गए हैं।
प्रमुखस्टार्टअप-:
फ्लिपकार्ट (2007)
ओला (2010)
जोमैटो (2008)
OYO(2013)
मध्य प्रदेश के स्टार्टअप नीति 2022-:
इस नीति के प्रमुख उद्देश्य
भारत की स्टार्टअप रैंकिंग में शीर्ष स्थान की प्राप्ति।
स्कूल/महाविद्यालय में स्टार्टअप बढ़ाने हेतु विशेष्य कार्यक्रम।
पंजीकृत स्टार्टअपऑन में 100% विकास दर की प्राप्ति।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम-:
शुरुआत-: 25 सितंबर 2014।
मंत्रालय-: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय।
नारा-: भारत में बनाओ।
लोगो- शेर
उद्देश्य-:
भारत को विनिर्माण का हब बनाना।
रोजगार सृजन द्वारा बेरोजगारी में कमी।
आर्थिक विकास- जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को 16 प्रतिशत से बढ़कर 25% करना।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करना
भारत को आत्मनिर्भर बनाना
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से गरीबी आदि का उन्मूलन।
मेक इन इंडिया योजना की प्रावधान-:
एफडीआई की सीमा बढ़ाई गई
भारत में योजना मध्य तरीके से पांच औद्योगिक गलियों का विकास किया जा रहा है।
भारत के लोगों को कुशल बनने के लिए 2015 में पीएम कौशल विकास योजना।
“लोकल फार लोकल” स्लोगन के साथ छोटे एवं मध्यम उद्योगों को समर्थन।
आयात कर में वृद्धि।
उपलब्धि-:
वर्ष 2014 में एफडीआई 16 बिलियन डॉलर था जो अब बढ़कर 84 बिलियन डॉलर से अधिक पहुंच गया है।
वर्ष 2021 को मेक इन इंडिया 2.0 कार्यक्रम चलाया गया है।
भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले संस्थान-:
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय-:
स्थापना- 2014 को
उद्देश्य– मानव संसाधन विकास तथा उद्यमिता को प्रोत्साहन।
कार्य –
कौशल विकास व उद्यमिता संस्थाओं का दिशा निर्देशन
नीति निर्माण व क्रियान्वयन
वित्तीय वह अन्य सहायता।
भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान-:
स्थापना- 1983 को
मुख्यालय- अहमदाबाद
कार्य-
व्यवसायिक अध्ययन का पाठ्यक्रम तैयार करना पुस्तकों का प्रकाशन
उद्यमिता विकास कार्यक्रम बनाना
नवाचार से संबंधित संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों काआयोजन।
लघु उद्योग सेवा संस्थान-:
स्थापना- 1956 को
मुख्यालय- नई दिल्ली उसके प्रत्येक राज्य में अप मुख्यालय
कार्य-लघु उद्योगों को तकनीकी,आर्थिक व प्रबंधकीय सेवाएं देना।
राष्ट्रीय उद्यमिता विकास मंडल-:
यह उद्यमिता विकास से संबंधित नीति निर्माण व मार्गदर्शन करने वाली शीर्ष संस्था है।
उद्योगनिदेशालय-:
उद्यमिता संबंधित तकनीकी,आर्थिक एवं प्रबंधकीय सहायता देना इसका कार्य होता है।
राष्ट्रीय लघु उद्योग विस्तार प्रशिक्षण संस्थान-:
स्थापना- 1960 को
कार्य– लघु उद्यमियों को प्रशिक्षण देना।
भारतीयविनियोग केंद्र
कार्य–
भारतीय उद्योगों को विदेशी सहयोग देना।
विदेशी उद्यमियों को आवश्यक सूचना देना।
राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास निगम
स्थापना- 1953 को
उद्देश्य- उद्यमिता के क्षेत्र में अनुसंधान कर नवीन प्रौद्योगिकी का विकास करना।