भारत में कर व्यवस्था-:
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कर,सरकार द्वारा नागरिकों से लिया जाने वाला वह अनिवार्य अंशदान जिसका उपयोग सरकार, देश तथा नागरिकों के कल्याण के लिए करती है।
कर की विशेषताएं
अनिवार्य अंशदान
कर अनिवार्य अंशदान होता है अर्थात सभी नागरिकों को अनिवार्य रूप से देना ही होता है
अन्यथा सरकार द्वारा उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है
करो से प्राप्त आय का समान वितरण
करो से प्राप्त आय का उपयोग सार्वजनिक हित के लिए किया जाता है तथा सार्वजनिक सुविधाओं का सभी व्यक्तियों को समान लाभ मिलता है भले ही किसी व्यक्ति पर अधिक का लगा हो या कम।
कर, सदैव सरकार द्वारा या किसी संवैधानिक संस्था द्वारा ही लिया जाता है। कोई निजी व्यक्ति कर नहीं ले सकता।
कर लगाने के उद्देश
शासन व्यवस्था चलाने तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों का संचालित करने के लिए सरकारी आय की प्राप्ति हेतु, कर लगाया जाता है।
धन का सामान वितरण करने के लिए , इसके लिए अमीरों पर अधिकतर लगाया जाता है तथा गरीबों पर कम या कर नहीं लगाया जाता
विभिन्न सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए, जैसे शराब ,अफीम आदि मादक पदार्थों पर रोक लगाने के लिए इनमें भारी कर लगाया जाता है।
मुद्रास्फीति की स्थिति से निपटने के लिए,( उस समय अधिक से अधिक टैक्स लगाया जाता है)
एक अच्छी कर प्रणाली के गुण-:
कर प्रणाली न्यायपूर्ण होना चाहिए अर्थात व्यक्तियों से उनकी क्षमता के आधार पर ही कर लिया जाना चाहिए जैसे-:अमीरों से अधिक गरीबों से कम ।
कर-प्रणाली सरल एवं सुविधाजनक होनी चाहिए, जिससे करदाता को कर का भुगतान करने में मानसिक कष्ट न हो।
कर प्रणाली में निश्चितता का गुण होना चाहिए, अर्थात यह सुनिश्चित होना चाहिए कि कर ,कितना लिया जाएगा ?कब लिया जाएगा ?कैसे लिया जाएगा।?
कर प्रणाली में मितव्ययिता का गुण होना चाहिए। अर्थात कर संग्रहित करने में कम से कम व्यय आना चाहिए
कर प्रणाली लोचदार होनी चाहिए अर्थात आवश्यकतानुसार करों की मात्रा में वृद्धि व कमी की जा सके।
कर प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो विलासिता एवं मादक पदार्थों के उपभोग को हतोत्साहित करती हो, एवं पूंजी निर्माण तथा उत्पादन को प्रोत्साहित करती हो।
भारतीय कर प्रणाली के गुण
भारतीय कर प्रणाली न्याय पूर्ण सिद्धांत पर आधारित है। क्योंकि भारत में प्रगतिशील कर व्यवस्था के अनुसार अमीर व्यक्तियों से अधिक कर लिया जाता जबकि गरीबों को कर से छूट दी जाती है।
भारतीय कर प्रणाली मैं यह निश्चित होता है कि किससे कितना कब और कैसे कर लिया जाएगा।
भारत की कर प्रणाली लोचदार है अर्थात भारत में करो की दरों में परिवर्तन करना आसान होता है
भारत में मादक पदार्थों तथा अनैतिक कार्यों पर अधिक कर लगाया जाता है जबकि प्रगतिशील कार्यों के लिए कर से छूट दी जाती है कम कर लगाए जाते हैं जैसे शराब पर अधिक कर लगना।
हाल ही में वर्ष 2016 को भारत में जीएसटी लाया गया जिससे कर प्रणाली और भी सुविधाजनक हो गयी।
भारतीय कर प्रणाली के दोष
कर की चोरी
मितव्ययिता का अभाव
ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्र में कर का भार उपेक्षित रूप से बहुत कम होना। भारत में कृषि आय कर शुन्य कर दिया गया है जबकि अधिकांश भारतीय कृषि से ही आय प्राप्त करते हैं
करारोपण की विधियां-:
अर्थव्यवस्था में कल लगाने की मुख्यतः तीन विधियां प्रचलित है
प्रगतिशील कर प्रणाली(progressive tax system)
वह कर प्रणाली जिसमें आय बढ़ने के साथ कर की दर बढ़ती जाती है उसे प्रगतिशील कर कहते हैं
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प्रतिगामी कर प्रणाली(regressive tax system)
इस कर प्रणाली में आय में वृद्धि के साथ कर की दर घटती जाती है।
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अनुपातिक कर प्रणाली,( proportional tax system)
इस कर प्रणाली में आय में वृद्धि या कमी होने पर भी कर की दर में कोई परिवर्तन नहीं होता। कर की दर समान ही रहती है
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वर्तमान में भारत में प्रगतिशील कर प्रणाली को अपनाया गया है जिसके तहत-:
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कर के प्रकार-:
प्रत्यक्ष कर
अप्रत्यक्ष कर
प्रत्यक्ष कर-:
वह कर जो प्रत्यक्ष रूप से उसी व्यक्ति को चुकाना पड़ता है जिस व्यक्ति पर कर लगता है उसे प्रत्यक्ष कर कहते हैं
जैसे -: आयकर, निगम कर
आयकर-धनी व्यक्तियों की आय पर लगने वाला कर,
निगमकर- निगमों एवं कंपनियों पर लगने वाला कर।
संपत्ति कर-
प्रत्यक्ष कर सामान्यतः कंपनियों एवं व्यक्तियों की आय एवं सम्पत्ति पर लगाया जाता है
अप्रत्यक्ष कर-:
वह कर जिस कर के चुकाने का भार अन्य व्यक्ति या संस्था को टाला जा सकता है उसे अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।
अप्रत्यक्ष टैक्स को अंतिम रूप से जनता या उपभोक्ता ही भरते हैं ।
जैसे -:उत्पाद कर,
अप्रत्यक्ष कर सम्मानित वस्तुओं एवं सेवाओं तथा आयात निर्यात पर लगाया जाता है
प्रत्यक्ष कर के गुण
न्याय पूर्ण होना -: प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील दर के अनुसार लगाए जाते हैं परिणाम स्वरूप इन करों का भार धनी लोगों पर अधिक और निर्धन लोगों पर काम करता है अतः ये न्याय पूर्ण होते हैं।
निश्चितता का गुण-:
प्रत्यक्ष कर निश्चित होते हैं करदाता को यह पता होता है कि उसे कितनी दर्द से कितना और किस समय कर का भुगतान करना है।
लोचदार-:
प्रत्यक्ष कर लोचदार होते हैं जिनकी दरों को आसानी से बढ़ाया आया घटाया जा सकता है।
प्रत्यक्ष कर मितव्ययी होते हैं क्योंकि प्रत्यक्ष कर वसूली में परोक्ष कर की तुलना में कम व्यय होता है एवं तथा कर से आय अधिक प्राप्त हो जाती है।
प्रत्यक्ष कर के दोष
कर चोरी की अधिक संभावना
प्रत्यक्ष कर के सबसे बड़ा दोष यह हैं कि इसमें कर चोरी की संभावना अधिक रहती है क्योंकि करदाता अपनी आय का झूठा हिसाब किताब देते हैं जिससे वे भारी कर से बच जाते हैं
असुविधाजनक
प्रत्यक्ष करने करदाता को अपनी 1 साल के या लंबी समयावधि के समस्त कर का भुगतान इक्ट्ठा एक ही बार में करना पड़ता है अतः उसे बड़ा मानसिक कष्ट होता है
प्रमुख अप्रत्यक्ष कर
उत्पाद शुल्क (excise duty)
देश के भीतर उत्पादित होने वाली सभी वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क लगता है जो एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है।
जो केंद्र सरकार लगाती थी
सीमा शुल्क(custom duty)
एक देश से दूसरे देश में वस्तु के आयात निर्यात होने पर जो आयात या निर्यात शुल्क लगता है उसे सीमा शुल्क कहते हैं वर्तमान में निर्यात शुल्क नहीं लगता कि आयात शुल्क ही लगता है। जो केंद्र सरकार लगाती थी
सेवा कर यह भी केंद्र सरकार लगाती थी
मूल्य वृद्धि कर (vat)-: यह राज्य सरकार लगाती थी।
वर्ष 2017 में इन सभी करों को हटाकर जीएसटी कर लगाया जाता है जिसकी दर अधिकतम 28% तक होती है
वस्तु एवं सेवा कर
वस्तु एवं सेवा कर विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों के विलय(एकीकरण) से बना एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है, जो एक राष्ट्र एक कर की अवधारणा पर आधारित है।
जिसे 101 वा संविधान संशोधन अधिनियम 2016 के तहत 1 जुलाई 2017 को पूरे देश में लागू किया गया।
वास्तव में जीएसटी मूल्य वृद्धि कर (vat)का ही एकीकृत रूप है,
जीएसटी परिषद द्वारा जीएसटी की की चार दरें निर्धारित की गई।
5% जीएसटी-: चाय, ब्रांडेड अनाज ,चीनी आदि पर
12% जीएसटी-: मोबाइल ,स्कूटर कार, एलईडी आदि पर
18% जीएसटी-: साबुन, क्रीम आदि पर
28% जीएसटी-: लग्जरी आइटम जैसे- घड़ी, परफ्यूम ,ब्यूटी मेकअप आदि पर लगता है
जबकि विभिन्न अति आवश्यक वस्तुएं जैसे छिलका उतरे हुए अनाज, अंडे ,दूध, दाल ,सब्जियां ,फल आदि को जीएसटी कर से मुक्त रखा गया है।
इसके अलावा विद्युत एवं पेट्रोलियम उत्पादों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
जीएसटी की विशेषताएं
जीएसटी एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जो 17 प्रकार के अप्रत्यक्ष केंद्रीय एवं राज्य करों तथा 22 प्रकार की उपकरों को एकीकृत करके बनाया गया। अतः वर्तमान में एक वस्तु पर केवल जीएसटी कर ही लगता है अन्य अप्रत्यक्ष कर नहीं।
यह गंतव्य आधारित उपभोग कर है अर्थात यह उसी राज्य क्षेत्र में लगता है जहां संबंधित वस्तु एवं सेवा का उपभोग होता है (ना कि जहां इसका उत्पादन होता है) उदाहरण के लिए यदि गुजरात की उत्पादन वस्तु मध्यप्रदेश में उपभोग की जाती है तो मध्य प्रदेश सरकार को एसजीएसटी प्राप्त होगा।
जीएसटी एक बहुचरणीय कर है
अर्थात यह किसी उत्पाद के निर्माण से लेकर उपभोग तक हर चरण लगता है किंतु पिछले स्तर पर चुकाया गया कर ,अगले स्तर पर लगने वाले कर में से घट जाता है अतः अगले स्तर पर केवल उतना ही कर देना होता है जितना कि अगले स्तर पर उत्पाद के मूल्य में वृद्धि हुई है।
जीएसटी की आवश्यकता
जीएसटी आने के पूर्व भारत में अप्रत्यक्ष करों से संबंधित अग्रो लिखित समस्याएं विद्यमान थी अतः इन्हीं समस्याओं के समाधान के रूप में जीएसटी को लागू किया गया।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा अलग अलग कर लिया जाता था केंद्र सरकार वस्तु के उत्पादन पर CENVAT लगा दी थी तथा राज्य सरकार वस्तुओं के विक्रय मूल्य वर्धित कर(VAT) लगा दी थी.
परिणाम स्वरूप परिणाम स्वरूप एक ही उत्पाद में कर पर कर लगने की समस्या विद्वान थी अतः इसी समस्या के समाधान स्वरूप जीएसटी लागू किया गया।
अलग-अलग राज्यों में मूल्य वर्धित कर की दरें भिंन्न भिंन्न थी अतः एक ही उत्पाद की कीमत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो जाती थी इस समस्या के समाधान स्वरूप जीएसटी को लाया गया।
वस्तु एवं सेवा करो की दरें अलग अलग थी परिणाम स्वरूप अनेकों उत्पादक करों कि न्यूनतम दरों के आधार पर अपने उत्पाद को कभी वस्तु मानते थे तो कभी सेवा जैसे सॉफ्टवेयर ।
अतः इसी समस्या के समाधान स्वरूप जीएसटी को लाया गया
अनेकों बार प्रवेश कर एवं चुन्गी कर की समस्या एक ही उत्पाद को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने पर प्रवेश कर लगता था तथा एक नगरपालिका की से दूसरी नगरपालिका सीमा में भेजने पर , चुंगी कर लगता था परिणाम स्वरूप लंबी दूरी में वस्तु को भेजने पर लागत काफी ज्यादा हो जाती थी ऐसी समस्या के समाधान शुरू जीएसटी को लागू किया गया।
करों की विविधता देश में अनेकों प्रकार के कर लगते थे जिससे करों की विविधता तथा जटिलता विद्यमान थी। अतः एकल एवं सरल के रूप में जीएसटी की आवश्यकता महसूस की गई
17 केंद्रीय एवं राज्य कर तथा 22 प्रकार के उपकर को एकीकृत करके एकल कर के रूप में जीएसटी लागूग किया गया।
जीएसटी के प्रकार
CGST-: केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर, केंद्र सरकार को प्राप्त होता है
SGST-: राज्य वस्तु एवं सेवा कर राज्य सरकार को प्राप्त होता है
UtGST-: यह वस्तु एवं सेवा कर केंद्र शासित प्रदेशों को प्राप्त होता है
IGST-: यह वस्तु एवं सेवा कर उस राज्य को प्राप्त होता है जिस राज्य में वस्तु का उपभोगग होता है
यदि किसी उत्पाद या सेवा में 18% जीएसटी लगा है तो उसमें से 9% जीएसटी सीजीएसटी होता है और 9% जीएसटी या तो एसजीएसटी होता है या यूटीजीएसटी होता है या आईजीएसटी होता है।
जीएसटी से लाभ
अर्थव्यवस्था को लाभ
भारत की कर व्यवस्था का एकीकरण हुआ जिससे भारत की कर व्यवस्था आसान बनी परिणाम स्वरूप विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिला।
कर पर कर (cascading) प्रकार की समस्या समाप्त हुई
भारत के सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के उत्पादों की कीमतों में एकरूपता आई
व्यापार एवं उद्योगों को लाभ
कर पर कर की समस्या समाप्त होने से कुल कर की मात्रा कम हुई जिससे उद्योगों की लागत कम हुई।
विभिन्न राज्यों में लगने वाले प्रवेश कर चुंगी कर से व्यापारियों को मुक्ति मिल गई
सरकार को लाभ
सरकार का कार्यभार कम हो गया क्योंकि अब सरकार को विभिन्न करो कि रिकॉर्ड रखने की जरूरत नहीं है
जीएसटी से कराधान बढ़ा परिणाम स्वरूप सरकारी राजस्व में वृद्धि हुई
उपभोक्ताओं को लाभ
उपभोक्ता खुदरा विक्रेताओं और सेवा प्रदाता के बीच इनपुट टैक्स क्रेडिट के निर्बाध प्रवाह के कारण वस्तुओं की अंतिम कीमतें कम हुई ।
क्योंकि अब खुदरा विक्रेता उपभोक्ता पर अपना केवल उतना ही टैक्स स्थानांतरित करता है जितना कि उत्पाद के वृध्दित मूल्य में लगता है बाकी सब कर विभिन्न स्तरों द्वारा ही चुका दिया जाता है।
जीएसटी परिषद
जीएसटी कर की दरों का निर्धारण करने तथा जीएसटी से संबंधित नए प्रावधानों को जोड़ने या घटाने के लिए वर्ष 2016 में जीएसटी परिषद का गठन किया गया था। जीएसटी परिषद का अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होता है तथा राज्यों के वित्त मंत्री इस परिषद के सदस्य होते हैं।