भारत में कृषि क्षेत्र से संबंधित मुद्दे

भारत में कृषि क्षेत्र से संबंधित मुद्दे

सीमांत किसान

ऐसे किसान जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम कृषि जोत होती है उन्हें सीमांत किसान कहते हैं अब भारत के लगभग 67% किसान सीमांत किसान की श्रेणी में आते हैं

लघु किसान

और ऐसी किसान जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि है उन्हें लघु किसान कहते हैं और भारत के लगभग 18% किसान लघु किसान की श्रेणी में आते हैं

सीमांत किसानों की संख्या में बढ़ोतरी का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि तथा समाज में संपत्ति बंटवारे की परंपरा का प्रचलन होना है।

इसी कारण से वर्तमान में भारत में प्रति किसान औसतन कृषि भूमि 1.18 हेक्टेयर ही है।

सीमांत किसानों की समस्या

  • चूंकि सीमांत किसानों के पास भूमि का रकबा अधिक नहीं होता अतः ये मिश्रित कृषि नहीं कर सकते परिणामस्वरूप उन्हें लाभ कम होता है।

  • सीमांत किसानों के पास कृषि उपकरण खरीदने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं होती है और ना ही वे छोटी कृषि के लिए उपकरण खरीदने के लिए तैयार होते हैं परिणाम स्वरूप परंपरागत तकनीक से कैसे करते हैं जिससे उनकी लागत अधिक आती है और कृषि से हतोत्साहित होते हैं।

  • सीमांत एवं लघु किसान अपने छोट छोटे खेतों में आधुनिक तकनीकी यंत्रों का प्रयोग नहीं कर पाते मानसून पर निर्भर रहते हैं जिनसे उनका उत्पादन कम होता है परिणामस्वरूप वे हतोत्साहित होकर कृषि छोड़ने लगते हैं।

सीमांत किसानों के लिए सरकार द्वारा पहल

  • सरकार ने सहकारिता कृषि को बढ़ावा दिया

  • सरकार ने भूमि सुधार के अंतर्गत चकबंदी की जिससे कि एक किसान की समस्त भूमि एक ही स्थान पर केंद्रित रहे और उसे कृषि करने में आसानी हो

  • मध्य प्रदेश सरकार ने कस्टम केयर सेंटर खोलें जहां पर किसानों को कृषि करने के लिए  कृषि उपकरण प्राप्त हो जाते हैं

  • हाल ही में किसान सम्मान निधि योजना चलाई गई ताकि किसानों को कृषि करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए

कृषि साख

कृषि साख का तात्पर्य उस वित्त से है जिसका उपयोग किसान कृषि करने के लिए करते हैं 

जैसे -: कृषि भूमि में स्थाई सुधार करने के लिए ।  बीज ,खाद खरीदने के लिए सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए।

वर्तमान में किसानों की सबसे बड़ी समस्या कृषि साख की अनुपलब्धता है क्योंकि कृषि साख पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध ना होने के कारण किसान कृषि छोड़ रहे हैं और यदि कृषि करते भी हैं तो उसमें पर्याप्त निवेश नहीं करते हैं ,जिससे उत्पादन कम होता है।

यहां तक कि कृषि ऋण ना चुका  पाने के कारण किसान का जीवन अंधकार में हो जाता है आत्महत्या कर लेते हैं

कृषि साख को बढ़ावा देने के लिए किए गए सरकारी प्रयास-: 

कृषि साख उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए,

  • 1975 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई।

  • 1982 में नाबार्ड बैंक की स्थापना की गई।

  • सरकार द्वारा सहकारी बैंकों की स्थापना की गई जहां से किसानों को 0% ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध होता है तथा सहकारी समितियों को बढ़ावा दिया गया

  • अनुसूचित व्यापारिक बैंक में यह बाध्यता तय की गई कि उन्हें अपने ऋण मैं से 40% प्राथमिक क्षेत्र के कार्यों के लिए देना होगा।

  • किसान क्रेडिट कार्ड योजना लागू की गई।

इन्हीं पहलों के परिणाम स्वरुप ही वर्तमान में किसान कृषि कार्य के लिए लगभग 66% संस्थागत ऋण लेने लगे हैं जो बहुत ही कम ब्याज दर पर प्राप्त होता है परिणाम स्वरूप किसानों की स्थिति धीरे-धीरे सुधरती जा रही है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य

फसल उत्पादन के पूर्व निश्चित वह न्यूनतम मूल्य जिस पर सरकार किसानों से फसलों का क्रय करती है।

उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं

वर्तमान में 26 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में रखा गया है

न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लाभ

  • किसान फसलों के मूल्य की घट-बढ को लेकर चिंता नहीं रहती,

  • किसानों को अपनी फसल का पर्याप्त मूल्य मिल पाता है

  • खाद्यान्न और अन्य फसलों के मूल्य में स्थिरता रहती है

  • किसानों और सरकार के बीच सीधा संपर्क होता है जिससे मध्यस्थ व्यापारियों के द्वारा किसानों को हानि होने की संभावना कम हो जाती है।

 

वर्तमान मैं न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित समस्याएं

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में 26 फसलों को रखा गया है किंतु मुख्यतः गेहूं धान चना सरसों जैसी फसलों का ही सरकार द्वारा क्रय किया जाता है अन्य फसलों का नहीं।

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान  विलंब से किया जाना

  • स्वामीनाथन समिति रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का दुगना ना किया जाना

कृषि का अलाभकारी होना

वर्तमान में कृषि एक लाभकारी व्यवसाय नहीं है जिस कारण से वर्तमान की युवा पीढ़ी कृषि की ओर आकर्षित नहीं हो रही है वर्तमान की स्थिति यह है कि प्रत्येक वर्ष प्रत्येक तीन में से एक किसान को छोड़ता जा रहा है

कृषि का अलाभकारी होने के कारण

  • खाद बीज कीटनाशक कथा डीजल आदि की कीमतों में लगातार वृद्धि होने से कृषि की लागत बढ़ती जा रही है।

  • कृषि ऋण की उपलब्धता में कमी होने के कारण किसान कृषि करने के लिए पर्याप्त लागत नहीं लगा पाता जिससे पर्याप्त उत्पादन नहीं होता और वह कृषि के प्रति हतोत्साहित होता है।

  • मानसून पर निर्भरता भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषता है अतः 10 वर्ष मानसून अच्छा नहीं आता उस समय कृषि जुआ हारने के समान घाटे में चली जाती है अतः लोग इसी डर से कृषि करना पसंद नहीं करते हैं।

  • कृषि विपरण की समस्या के कारण किसानों को अपनी उपज का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पाता।

  • भारत के लगभग 66% किसान सीमांत किसान की श्रेणी में आते हैं और लगभग 18% किसान लघु किसान की श्रेणी में आते हैं और सीमांत तथा लघु किसान कैसी ने आधुनिक उपकरणों का उपयोग नहीं कर पाते, अतः उनकी लागत अधिक और उत्पादन कम होता है इसलिए हतोत्साहित होते हैं।

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