भीमा जी नायक एवं खाज्या नायक

भीमा जी नायक एवं खाज्या नायक 

भीमा जी नायक / bheema nayak

भीमा जी नायक-:

निमाड़ के रॉबिन हुड के नाम से जाने जाते हैं। 

परिचय -:

  • जन्म – 1840 ई को। 

  • स्थान – पंचमहोली (बड़वानी)

  • मां- सुरसी देवी। 

भीमाजी नायक एक कुशल सैन्य योद्धा थे। 

1857 की क्रांति में भीमाजी नायक का योगदान-

उन्होंने दो कारणों से 1857 की क्रांति में योगदान दिया: 

  • अपने क्षेत्र को स्वतंत्र रखना। 

  • ब्रिटिश कानूनों का विरोध। 

क्रांति के दौरान-

अंग्रेजी सीखना के विरुद्ध चार युद्ध लड़े 

  • पांच सावल का युद्ध। 

  • अंबा पानी का युद्ध। 

  • पंच बावली का युद्ध। 

  • धावा वड़ी का युद्ध। 

नारा-: “जय हो जोहर हो लड़ाई आर पार हो”

अंत में 1857 को इन्हें बैतूल के जंगल में गिरफ्तार करके, पोर्ट ब्लेयर जेल भेज दिया गया;  जहां 1876 में उनकी मृत्यु हो जाती है

बाद में उनकी मां सुरही देवी ने ब्रिटिश विरोधी विद्रोह जारी रखा। 

खाज्या नायक-:

KHAJYA NAYAK

1857 की क्रांति में निमाड़ के नेतृत्व कर्ता एवं भीमा नायक के सहयोगी। 

 परिचय-:

  • जन्म – 1830 ई को। 

  • स्थान- सांगली गांव (निमाड़) में। 

यह भी एक कुशल सैन्य योद्धा थे। 

1857 की क्रांति में योगदान-:

इन्होंने अपने क्षेत्र को स्वतंत्र रखने तथा ब्रिटिश शासन के अत्याचारी रवैया के विरुद्ध संघर्ष में योगदान दिया। 

क्रांति केदौरान- अंबा पानी की युद्ध में भीमा नायक के साथ युद्ध किया, जिसमें उनके पुत्र दौलत सिंह भी शहीद हो ग‌ए किंतु इन्होंने युद्ध जारी रखा। 

अंत में 11 अप्रैल 1858 को अंग्रेजी ने छल या  विश्वासघात से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

विशेष- 11 अप्रैल को खाज्या नायक बलिदान दिवस मनाया जाता है।  

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