मध्यप्रदेश में ऊर्जा संसाधन

मध्यप्रदेश में ऊर्जा संसाधन

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मध्यप्रदेश में ऊर्जा संसाधन

विज्ञान की भाषा में ऊर्जा का तात्पर्य कार्य करने की क्षमता से है, औरत किसी व्यक्ति या वस्तु को कर करने के लिए जिस शक्ति की जरूरत होती है उसे उर्जा कहते हैं। 

और ऐसे साधन या स्त्रोत जिन से उर्जा की प्राप्ति होती है उन्हें ऊर्जा संसाधन कहते हैं जैसे- कोयला, प्राकृतिक गैस, हाइड्रो पावर बांध, सौर ऊर्जा आदि। 

और ऊर्जा संसाधन किसी भी देश या राज्य की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ सामाजिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करते हैं क्योंकि जिस क्षेत्र में उड़िया संसाधन अधिक होंगे वहां पर औद्योगिक गतिविधियों का तीव्रता से विकास एवं विस्तार होगा जिससे रोजगार एवं प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी परिणाम स्वरूप लोगों का जीवन स्तर भी उच्च गुणवत्ता वाला होगा। 

मध्यप्रदेश में ऊर्जा संसाधन की स्थिति-:

वर्तमान में मध्यप्रदेश की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता “28500(according to energy statics report -:) मेगावाट” है। जिसमें से लगभग 18000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों से एवं लगभग 9500 मेगावाट विद्युत का उत्पादन गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से होता है। परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों में कोयला आधारित ताप विद्युत, प्राकृतिक गैस आधारित विद्युत एवं जल विद्युत शामिल है जबकि गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा , बायोमास ऊर्जा आदि शामिल है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख ऊर्जा संसाधन (ऊर्जा स्त्रोत) निम्नलिखित हैं-:

  • ताप विद्युत

  • जल विद्युत

  • गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधन (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा)

मध्यप्रदेश में ताप विद्युत-:

कोयले को जलाकर बनाई जाने वाली विधुत ताप विद्युत कहलाती है। और मध्य प्रदेश की लगभग दो-तिहाई विद्युत ताप विद्युत ग्रहों के माध्यम से ही उत्पादित की जाती है। 

मध्यप्रदेश की प्रमुख ताप विद्युत केंद्र-:

  • चांदनी ताप विद्युत केंद्र

  • अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र

  • सतपुड़ा सारणी ताप विद्युत केंद्र

  • विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र

  • जबलपुर ताप विद्युत केंद्र

  • पेंच ताप विद्युत केंद्र। 

चांदनी ताप विद्युत केंद्र-:

यह बुरहानपुर के नेपानगर में स्थित मध्य प्रदेश का प्रथम ताप विद्युत केंद्र है जिसकी स्थापना 1953 में की गई थी। 

यहां से पहली मात्र 17 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाता था किंतु वर्तमान में इस क्षमता को बढ़ाकर 177 मेगावाट कर दिया गया। 

अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र-:

अनूपपुर जिले के अमरकंटक में स्थित मध्य प्रदेश के प्रमुख ताप विद्युत केंद्र है,

इस विद्युत कहने से लगभग 210 में मेगावाट  विद्युत का उत्पादन होता है। 

सतपुरा ताप विद्युत केंद्र-:

यह ताप विद्युत केंद्र बैतूल जिले के सारणी नामक स्थान पर स्थित है यहां से लगभग 1330 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। 

विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र-:

यह ताप विद्युत केंद्र सोवियत संघ की वित्तीय सहायता से सिंगरौली जिले के “बैढ़न”नामक गांव में स्थापित किया गया है। 

इसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 3260 मेगावाट है। 

जबलपुर ताप विद्युत केंद्र-:

यह ताप विद्युत केंद्र जबलपुर जिले में स्थित है। 

जिसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 151 मेगावाट है। 

पेंच ताप विद्युत केंद्र-:

यह ताप विद्युत केंद्र मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित है, जिसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट है, किंतु वर्तमान में यहां से केवल 210 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। 

मध्यप्रदेश में जल विद्युत -:

जल की यांत्रिक शक्ति का उपयोग करके बनाई जाने वाली विद्युत जल विद्युत कहलाती है और मध्य प्रदेश में ताप विद्युत के बाद, विद्युत का सर्वाधिक उत्पादन जलविद्युत केंद्रों से ही होता है। 

मध्यप्रदेश की प्रमुख जल विद्युत केंद्र-:

  • गांधी सागर जल विद्युत केंद्र

  • राणा प्रताप सागर जल विद्युत केंद्र

  • जवाहर सागर जल विद्युत केंद्र

  • अवंतीबाई जल विद्युत केंद्र

  • इंदिरा सागर जल विद्युत केंद्र

  • महेश्वर जल विद्युत केंद्र

  • बाणसागर जल विद्युत केंद्र

गांधी सागर जल विद्युत केंद्र-:

यह मंदसौर की भानपुरा के पास चंबल नदी में स्थित मध्य प्रदेश का पहला जल विद्युत केंद्र जिसकी स्थापना 1960 चंबल नदी बांध परियोजना के तहत की गई थी। 

इस विद्युत केंद्र से कुल 115 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है जिसमें से 50% विद्युत का उपयोग राजस्थान और 50% विद्युत का उपयोग मध्यप्रदेश करता है। 

राणा प्रताप सागर जल विद्युत केंद्र-:

यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में चंबल नदी पर स्थित जल विद्युत केंद्र है, जहां से लगभग 172 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है जिसमें से 50% विद्युत का उपयोग राजस्थान और 50% विद्युत का उपयोग मध्यप्रदेश करता है। 

जवाहर सागर जल विद्युत केंद्र-:

यह राजस्थान के कोटा में चंबल नदी पर स्थित जल विद्युत केंद्र है, जहां से लगभग 99 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। जिसमें से 50% विद्युत का उपयोग राजस्थान और 50% विद्युत का उपयोग मध्यप्रदेश करता है। 

रानी अवंतीबाई जल विद्युत केंद्र-:

यह जबलपुर के बरगी नामक स्थान पर नर्मदा नदी में स्थित है, जहां से लगभग 100 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। 

इंदिरा सागर जल विद्युत केंद्र-:

यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर स्थित है, झांसी लगभग 1000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। 

महेश्वर जल विद्युत केंद्र-:

यह मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा नदी पर स्थित है। 

इस जल विद्युत केंद्र से लगभग 400 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है। 

बाणसागर जल विद्युत केंद्र-:

यह जल विद्युत केंद्र मध्य प्रदेश बिहार और उत्तर प्रदेश की संयुक्त बाणसागर बांध परियोजना के अंतर्गत कार्यधीन है, जो शहडोल के “दैवलोध” नामक स्थान में स्थित है। 

यहां से लगभग 425 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। 

मध्यप्रदेश में गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधन-:

परंपरागत ऊर्जा संसाधनों के सीमित भंडार ने वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों की खोज एवं अनुसंधान को जन्म दिया है, जिसके परिणाम स्वरुप गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों का विकास एवं विस्तार हुआ। 

गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधनों में सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा बायोगैस ऊर्जा शामिल हैं। 

मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा-:

सौर ऊर्जा कभी न समाप्त होने वाली तथा प्रदूषण मुक्त ऊर्जा है और मध्य प्रदेश उष्णकटिबंधीय जलवायु का क्षेत्र है अतः मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएं हैं। किंतु वर्तमान में मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता केवल लगभग 1100 मेगावाट है। 

मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सौर ऊर्जा नीति 2012 लागू की गई है। 

मध्य प्रदेश के प्रमुख सौर ऊर्जा संयंत्र-

  • रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट-; यह राज्य का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है जो विश्व बैंक की सहायता से रीवा जिले की “गुढ़ा” तहसील में स्थापित किया गया इसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 750 मेगा वाट है। 

  • मंदसौर का सौर ऊर्जा संयंत्र-: यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा सोलर प्लांट है जो एनटीपीसी की सहायता से मंदसौर जिले में स्थापित किया गया जिसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 250 मेगावाट है। 

  • वेलस्पन सौर परियोजना-: यह सोलर प्लांट वेलस्पन कंपनी के सहयोग से मध्यप्रदेश के नीमच जिले में स्थापित किया गया है जिसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 130 मेगावाट है। 

मध्यप्रदेश में पवन ऊर्जा-:

वायु के प्रवाह मार्ग में पवन चकिया चलाकर उत्पादित की गई विद्युत पवन ऊर्जा कहलाती है और मध्य प्रदेश में पवन ऊर्जा की कुल उत्पादन क्षमता 2520 मेगावाट है। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक पवन ऊर्जा उत्पादन रतलाम की मामटखेड़ा की पवन ऊर्जा संयंत्र से होता है। 

मध्यप्रदेश में बायोमास ऊर्जा-;

पदों या अन्य जैविक अवशिष्टों के कचरे से उत्पादित विद्युत को बायोमास ऊर्जा कहते हैं। 

मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला राज्य आता है यहां पर बायोमास ऊर्जा की व्यापक संभावनाएं हैं। किंतु वर्तमान में मध्य प्रदेश की बायोमास ऊर्जा उत्पादन क्षमता मत 45 मेगावाट है। जो काफी ज्यादा कम है। 

मध्यप्रदेश में प्रथम बायोगैस संयंत्र बैतूल में स्थापित किया गया था। 

मध्यप्रदेश में ऊर्जा प्रबंधन के समक्ष समस्याएं-:

  • पारेषण एवं वितरण ऊर्जा की खपत की समस्या। 

  • कम ऊर्जा खपत वाले आधुनिक तकनीकी यंत्रों का अभाव। 

  • ऊर्जा बचत के प्रति जागरूकता का अभाव। 

  • विद्युत चोरी की समस्या।

मध्य प्रदेश में विद्युत का उपभोग-:

वर्ष 2017-18 के आंकड़े के अनुसार मध्यप्रदेश में विद्युत का कुल उत्पादन 28500 मेगावाट है, और इस विद्युत का उपभोग विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न मात्रा में होता है

  • कृषि क्षेत्र में 39.7%

  • उद्योग क्षेत्र में 24.2%

  • घरेलू क्षेत्र में 25.7%

  • व्यवसाय क्षेत्र में 6.3%

  • अन्य क्षेत्र में 4%।

 

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