मध्य प्रदेश के साहित्यकार

मध्यप्रदेश में साहित्य

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साहित्य-:

साहित्य शब्द दो शब्दों की योग से बना सह् + हित जिसका अर्थ है सबका हित। 

अर्थात वह कोई भी सार्थक एवं रसपूर्ण रचना जिसमें सबके हित की भावना निहित होती है उसे साहित्य कहते हैं। 

काव्य-:

वह रचना जो रस या मनोवेग से पूर्ण हो, अर्थात जिसे पढ़ने,सुनने या देखने से हमारे मन में कोई भावना जागृत हो उसे काव्य कहते हैं। 

आचार्य विश्वनाथ के अनुसार- “रसात्मक वाक्यं काव्यम्”अर्थात रसपूर्ण वाक्य ही काव्य है। 

काव्य के भेद-:

शैली के आधार पर काव्य के भेद-

  • पद्य काव्य। 

  • गद्य काव्य। 

  • चंपू काव्य। 

पद्य काव्य-: वह काव्य जिसमें एक लयबद्ध प्रवाह होता है, अर्थात जिसे गायन शैली के रूप में पढ़ा जाता है। जैसे-: चौपाई, दोहा। 

गद्य काव्य-: वह काव्य जो व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्यों या पैराग्राफ के रूप में होता है। जैसे-: कहानी, उपन्यास। 

चंपू काव्य-: वह काव्य जिसमें गद्य और पद्य दोनों का मिश्रण होता है। जैसे-: यशोधरा। 

मध्यप्रदेश में साहित्य एवं साहित्यकार

.मध्यप्रदेश में साहित्य एवं साहित्यकार

मध्य प्रदेश साहित्य एवं साहित्यकारों की संपन्नता में एक अग्रणी क्षेत्र रहा है और वर्तमान में भी है

मध्य प्रदेश की भूमि ने प्राचीन समय से लेकर वर्तमान तक अनेकों साहित्यकारों को जन्म दिया है जिसे हम निम्न भागों में बांट सकते हैं-:

  • प्राचीन साहित्य

  • मध्यकालीन साहित्य

  • आधुनिक साहित्यकार

प्राचीन साहित्यकार-:

  • महाकवि कालिदास। 

  • भतृहरि। 

  • भवभूति। 

  • बाणभट्ट। 

महाकवि कालिदास-:

भारत के शेक्सपियर कहे जाने वाले महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्य के एक मूर्धन्य कवि एवं निपुण नाटककार थे, 

उनका जन्म कहां हुआ था यह एक विवादास्पर्य विषय है किंतु उनकी रचना मेघदूत के अनुसार उनका जन्म उज्जैनी के पास माना जाता है। और वे उज्जैनी के राजा महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। 

उनकी प्रमुख रचनाएं-:

महाकाव्य-:
  • रघुवंशम-: इसमें रघुकुल की वंशावली (राजा दिलीप से लेकर राम के पुत्र लव-कुश तक)का विवरण है।

  • कुमारसंभवम्-: इसमें शिव पार्वती एवं उनके पुत्र कार्तिकेय की कथा का वर्णन है। 

खंडकाव्य-:
  • मेघदूतम-: इसमें मेघों को एक दूत के रूप में वर्णित किया गया है। 

  • ऋतुसंहार-: इसमें भारत की निम्न छह ऋतुओं का मनोरम वर्णन है- ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, बसंत ऋतु ,वर्षा ऋतु। 

नाटक-:
  • मालविकाग्निमित्रम्-: इसमें शुंग-वंशीय नरेश अग्नि मित्र और उनकी प्रेमिका मालविका का वर्णन है। 

  • विक्रमोर्वशीयम्-: इसमें राजा पुरूरवा एवं उर्वशी की प्रेम कथा का वर्णन है। 

  • अभिज्ञानशाकुंतलम्-: इसमें हस्तिनापुर नरेश दुष्यंत और उनकी प्रेमिका शकुंतला की कथा का वर्णन है।

कवि भतृहरि-:

विक्रमादित्य के बड़े भाई भतृहरी, उज्जैन के महान एवं प्रसिद्ध राजा थे जो प्रजा के साथ-साथ अपनी रानी पिंगला से भी बहुत ज्यादा प्रेम करते थे किंतु पिंगला द्वारा धोखा दिए जाने पर उन्होंने अपना राजपाट अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को सौंपकर वैराग्य धारण कर लिया इसके बाद वे तपस्वी एवं रचनाकर बन गये। 

उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित-:

त्रिशतक-:

  • नीति शतक

  • श्रृंगार शतक

  • वैराग्य शतक। 

इसके अलावा उन्होंने महाभाष्य दीपिका, महाभाष्य त्रिपदी, वेदांतसूत्र वृत्ति की भी रचना की है। 

आज भी उज्जैन के पास भरथरी की गुफाएं बनी हुई है जो उनकी साधना स्थली थी। 

भवभूति-:

भवभूति संस्कृत के महान कवि थे, जो कन्नौज का शासक यशोवर्मन के दरबार में कवि की भूमिका निभाते थे। 

उनकी प्रमुख रचनाएं निम्न लिखित है-

  • मालती माधव-: इसे मालती और माधव की प्रेम कथा का वर्णन है। 

  • महावीर चरितम-: इसमें राम के वीरता पूर्ण प्रसंगों का वर्णन है। 

  • उत्तररामचरितम्-: इसमें राम के राजा बनने के बाद सीता के वन जाने की कथा का वर्णन है।  

बाणभट्ट-:

बाणभट्ट सातवीं सदी के एक प्रसिद्ध कवि थे जो तत्कालीन सम्राट हर्षवर्धन के दरबार में रहते थे। 

उनकी रचनाएं-:

  • हर्ष चरित्र- इसमें राजा हर्ष की जीवनी का वर्णन है। 

  • कादंबरी

  • पर्वती परिणय 

  • चंडीशतक

  • मुकुट तडी़तक। 

[मध्यकालीन साहित्यकार]

केशवदास-:

रीतिकल के प्रवर्तक माने जाने वाले केशवदास जी का जन्म 1555 को बुंदेलखंड क्षेत्र के ओरछा में हुआ था। संस्कृत के प्रकांड विद्वान होने के साथ-साथ हिंदी भाषा के भी प्रसिद्ध एवं महान कवि थे। 

केशव दास जी ओरछा के राजा इंद्रजीत के दरबार में दरबारी कवि के रूप में कार्य करते थे। 

उनकी प्रसिद्ध रचनाएं-:

रसिकप्रिया-  इसमें रसों की व्याख्या है। 

कविप्रिया- उन्होंने इस ग्रंथ की रचना ‘राय प्रवीण’ नामक नृत्यकी को काव्य शिक्षा देने के लिए की थी। अलंकार संबंधी व्याख्या है। 

रामचंद्रिका- इसमें राम की कथा का विस्तार से वर्णन है। (एक ही रात में रची गई थी।)

जहांगीर जस चंद्रिका- इसमें मुगल सम्राट जहांगीर के वैभव का वर्णन किया गया है।

इन्हें “कठिन काव्य का प्रेत” भी कहा जाता है क्योंकि उनकी रचनाएं कुछ समझने के लिए काफी ज्यादा बुद्धि लगाने की आवश्यकता होती है। 

भूषण-:

रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि भूषण जी का जन्म कानपुर में हुआ था, किंतु उनका कार्य स्थल मध्य प्रदेश राज्य विशेष का बुंदेलखंड क्षेत्र रहा। 

वे वीर-रस की सर्वश्रेष्ठ एवं ओजस्वी कवि थे, उन्होंने अपनी कविताओं में शिवाजी और महाराजा छत्रसाल की गाथाओं का वीर रस के साथ वर्णन किया है। 

उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-:

  • शिवराज भूषण

  • शिवा बावनी

  • छत्रसाल दशक

  • भूषण उल्लास

  • भूषण हजारा। 

पद्माकर-:

ब्रज भाषा में अपनी कविता लिखने वाले रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि पद्माकर जी का जन्म मध्य प्रदेश के सागर में हुआ, उनकी कविताएं मुख्यत: शृंगार रस से भरी पड़ी हैं हलांकि उन्होंने अपनी अनेकों कविताओं वीर रस में एवं शांत रस का भाव डाला है।

उनकी प्रमुख रचनाएं-:

  • जगत विनोद

  • पद्माभरण

  • हिम्मत बहादुर विरूदावली

  • जयसिंह विरुदावली

  • प्रताप सिंह विरुदावली

  • हितोपदेश

राजा भोज-: 

मध्यकालीन भारत के प्रसिद्ध शासक राजा भोज परमाण वंश के शासक थे जो एक प्रतापी राजा होने के साथ-साथ प्रमुख रचनाकार भी थे। 

उनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं-

  • श्रंगारमंजरी

  • तत्वप्रकाश

  • सरस्वती कंठाभरण। 

[मध्यप्रदेश के आधुनिक साहित्यकार]

 पंडित माखनलाल चतुर्वेदी-:

.महाकवि कालिदास-:

अपनी ओजस रचनाओं से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों में अदम्य साहस एवं उत्साह भरने वाले प्रसिद्ध पत्रकार एवं कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म 1889 को होशंगाबाद की ‘बाब‌ई’ नामक स्थान में हुआ था।

उन्होंने अपने काव्य का प्रमुख माध्यम खड़ी बोली को ही बनाया, और जहां एक ओर अपनी वीर रस की विभिन्न रचनाओं से स्वतंत्रता सेनानियों को देशभक्ति के लिए प्रेरित किया वहीं दूसरी ओर करुण रस की कविताओं से भारत की निर्धनों एवं शोषित ओं की दुर्दशा का चित्रण किया है। 

उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-

कविता संग्रह- हिम तरंगिणी, हिमकिरीटनी, समर्पण, पुष्प की अभिलाषा। 

कहानी- कला का अनुवाद, कहानी और कहावत। 

नाटक- कृष्णार्जुन युद्ध। 

निबंध- साहित्य देवता, अमीर इरादे-गरीब इरादे। 

इनके अतिरिक्त माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘प्रभा’ , ‘कर्मवीर’ एवं ‘प्रताप’ नामक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। 

माखनलाल चतुर्वेदी को ‘भारतीय आत्मा’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। 

सुभद्रा कुमारी चौहान-:

सुभद्रा कुमारी चौहान-:

अपनी कविताओं के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों में साहस एवं उत्साह भरने वाली राष्ट्रीय कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 को प्रयागराज में हुआ था, और उनका विवाह खंडवा कि नरेश लक्ष्मण सिंह से हुआ था, विवाह के उपरांत अपने पति के साथ जबलपुर चली गई और उन्होंने वहां पर ओजस्वी कविता लेखन का कार्य आरंभ किया। 

उनकी प्रमुख रचनाएं-:

  • मुकुल

  • बिखरे मोती

  • झांसी की रानी

  • त्रिधारा। 

उनकी कविताओं में मुख्यत: वीर रस एवं वात्सल्य रस के भाव देखने को मिलते हैं। 

गजानन माधव मुक्तिबोध-:

.गजानन माधव मुक्तिबोध-:

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक ,कहानीकार एवं उपन्यासकार गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म मध्य प्रदेश के श्योपुर  जिले में हुआ था,

उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-

कविता- चांद का मुंह टेढ़ा है। 

कहानी- काठ का सपना, सतह से उठता आदमी। 

आलोचना– कामायनी: एक पुनर्विचार। समीक्षा की समस्याएं। 

निबंध- एक साहित्यिक की डायरी। 

बालकृष्ण शर्मा नवीन-:

बालकृष्ण शर्मा नवीन-:

देश प्रेमी साहित्यकार बालकृष्ण शर्मा नवीन का जन्म मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में हुआ था। वे एक साहित्यकार होने के साथ-साथ पत्रकार व राजनेता भी थे। 

उनकी रचनाएं-:

  • उर्मिला

  • रश्मि रेखा

  • कुमकुम

  • हम विषपाईं जन्म के। 

पंडित हरिशंकर परसाई-:

पंडित हरिशंकर परसाई-:

प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जन्म होशंगाबाद के ‘जमानी’ गांव में हुआ था। वे साहित्यकार होने के साथ-साथ एक पत्रकार भी थे उन्होंने ‘वसुधा’ एवं ‘प्रहरी’ नामक पत्रिका का भी संपादन किया। 

प्रमुख रचनाएं-:

उपन्यास-: 

  • तट की खोज। 

  • रानी नागफनी की कहानी। 

निबंध-संग्रह-:

  • तब की बात और थी। 

  • समाचार का ताबीज। 

  • पगडंडियों का जमाना। 

  • भूत के पांव पीछे। 

व्यंग-:

  • वैष्णव की फिसलन। 

  • तिरछी रेखाएं। 

  • ठिठुरता हुआ गणतंत्र। 

  • विकलांग श्रद्धा का दौर। 

शरद जोशी-:

शरद जोशी-:

प्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी जी का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था जो हिंदी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि होने के साथ-साथ एक पत्रकार भी थे। 

उनकी रचनाएं-:

उपन्यास- मैं मैं और केवल में। 

नाटक- अंधों का हाथी, एक था गधा। 

व्यंग- जीप पर सवार इल्लियां, किसी बहाने, दूसरी सतह, राह किनारे बैठ, परिक्रमा

मुल्लाह रामोजी-:

उर्दू की प्रसिद्ध साहित्यकार मुल्लाह रमोजी का जन्म मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था,वे मुख्यत: हास्य व्यंग लिखते थे। उनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-

  • इंतखाबे गुलाबी उर्दू। 

  • मजमूआ गुलाबी उर्दू। 

  • गुलाबी शायरी। 

  • औरत जात। 

शिवमंगल सिंह सुमन-:

.शिवमंगल सिंह सुमन-:

पद्मश्री एवं पद्मभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध साहित्यकार शिवमंगल सिंह सुमन का जन्म उत्तर प्रदेश के झगरपुर में हुआ था, किंतु उनका अधिकांश समय का कार्य स्थल मध्यप्रदेश का उज्जैन रहा। उन्होंने अपनी कविताओं में आत्मविश्वास की चिंगारी जगाने का कार्य किया है। 

उनकी प्रमुख रचनाएं हैं-:

  • विश्वास बढ़ता ही गया। 

  • आंखें भरी नहीं। 

  • जीवन के गान। 

  • माटी की बारात। 

  • विन्धय-हिमालय। 

भवानी प्रसाद मिश्र-:

भवानी प्रसाद मिश्र-:

गांधी दर्शन से प्रभावित कविताएं लिखने वाले प्रसिद्ध हिंदी कवि भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म होशंगाबाद के पिपरिया गांव में हुआ था, वे एक साहित्यकार होने के साथ-साथ अच्छे पत्रकार तथा राष्ट्रभक्त भी थे। 

उनकी रचना-:

  • गांधी पंचसती। 

  • गीत फरोश। 

  • अंधेरी कविताएं। 

  • चकित है दुख। 

कवि प्रदीप-:

अपनी राष्ट्रभक्ति कविताओं के लिए प्रसिद्ध कवि प्रदीप का जन्म बड़नगर उज्जैन में हुआ था, इन्होंने अपनी मार्मिक कविताओं के माध्यम से शोषितों के दुख को प्रदर्शित किया तथा युवाओं के अंदर राष्ट्रभक्ति की भावना को जगाया। 

.कवि प्रदीप-:

कवि प्रदीप की प्रमुख रचनाएं -:

  • ऐ मेरे वतन के लोगों

  • पिंजरे के पंछी रे

  • आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं

  • दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल

  • दूर हटो ए दुनिया वालो

  • मैं तो आरती उतारूं

  • तेरे द्वार खड़ा भगवान

अटल बिहारी बाजपेयी-:

अटल बिहारी बाजपेयी-:

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई एक प्रसिद्ध राजनेता होने के साथ-साथ प्रसिद्ध कवि भी थे, उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 1924 को हुआ था। 

प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित-:

  • अमर बलिदान। 

  • हार नहीं मानूंगा। 

  • मृत्यु। 

  • राजनीति की कटीली राहें। 

  • संसद में तीन दशक।

[मध्य प्रदेश के लोक साहित्यकार]

उपरोक्त साहित्यकारों के अतिरिक्त मध्यप्रदेश में कुछ लोग साहित्यकार भी हुए हैं जिनका मध्य प्रदेश के साहित्य में विशिष्ट योगदान है। 

महाकवि जगनिक-:

महा कवि जगनिक कलिंजर के चंदेल शासक ‘परमाल’ के दरबारी कवि थे, उनकी प्रमुख प्रसिद्ध रचना निम्नलिखित हैं-

  • आल्हा खंड। 

  • परमाल रासो। 

‘आल्हा खंड’ में 52 युद्धों का वर्णन जो ओजस शैली में लिखा हुआ है विश्व की सबसे लंबी लोक कथा है। 

ईसुरी-:

ईसुरी बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध लोक कवि थे इन्होंने ही ‘फाग’ नामक लोककाव्य की रचना की थी, जो बुंदेलखंड क्षेत्र में गाया जाता है। 

घाघ दुबे-:

मध्य प्रदेश के लोक कवि ‘घाघ दुबे’ को कृषि पंडित के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने कृषि पशुपालन एवं मौसम विज्ञान से संबंधित अनेकों सटीक तथा व्यवहार में खरी उतरने वाली कहावतें कहीं हैं, जैसे-:

  • दुश्मन की कृपा बुरी,भली मित्र की त्रास। 

आडंगर गरमी करें, जल बरसन की आस।।

[लोक साहित्य]

लोक साहित्य का तात्पर्य- स्थानीय लोगों द्वारा सृजित उस साहित्य से है जिसमें स्थानीय संस्कृति का दर्शन होता है। 

लोक साहित्य की विशेषताएं-:

  • सहित स्थानीय संस्कृति की अभिव्यक्ति है। 

  • लोक साहित्य व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित होता है। 

  • लोक साहित्य सहज एवं सरल होता है। 

  • लोक साहित्य जनभाषा में होता है। 

मध्यप्रदेश में लोक साहित्य के प्रदर्शन के लिए मध्य प्रदेश सरकार की संस्कृति विभाग द्वारा लोकरंग कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 

लोक साहित्य के अंतर्गत लोक नृत्य, लोक गायन आदि भी शामिल है। 

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