मनोविकार
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Toggleविश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार-:
मनोविकार एक मानसिक विकार है जो व्यक्ति के सोचने, भावनाओं को महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, तथा यह सामाजिक,व्यवसायिक और पारिवारिक जीवन में बाधा डालता है।
मानोविकार के कारण-:
आनुवांशिक कारण-: यदि माता-पिता में मानसिक विकार के लक्षण मौजूद हैं, तो वे वंशानुगती के कारण उनके बच्चों में आ सकते हैं।
बायोकेमिकल कारण-: न्यूरोट्रांसमीटर में विकार उत्पन्न होना।
आघातजन्य घटनाएं-: बलात्कार की घटना, घरेलू हिंसा की घटना, सगे संबंधी की मृत्यु की घटना आदि।
जीवन के संघर्ष -: जीवन के संघर्ष के दौरान अत्यधिक तनाव,चिंता, दुर्भावना या दूसरों से तुलना मानसिक विकार का कारण बनती है।
अत्यधिक दबाव-: समाज का दबाव, आर्थिक दबाव, सर्वश्रेष्ट बनने का दवाब।
अन्य कारण-:
नशीली दावों का सेवन।
सामाजिक स्टिग्मा।
मनोविकार के लक्षण -:
व्यवहार में परिवर्तन-: आक्रामकता, आसंवेदनशीलता, चिड़चिड़ापन ,चिंता करना आदि।
भावनाओं में अनियंत्रण-: असहनशीलता,उदास रहना, डरा हुआ महसूस करना आदि।
नकारात्मक विचार-: जीवन के प्रति नकारात्मक सोच रखना, दूसरों के प्रति दुर्भावना, खुद को खत्म करने का विचार।
अकेलापन-: अकेले रहना, सामाजिक सदस्यों के साथ ताल-मेल ना बैठना,किसी कार्यक्रम में भाग ना लेना।
कार्यक्षमता में कमी-: अपना कार्य समय पर पूरा न कर पाना, सोचने एवं निर्णय लेने की क्षमता काम हो जाना।
शारीरिक लक्षण-
नींद ना आना।
पर्याप्त भोजन ग्रहण न करना(एनोरेक्सिया)।
नशीली दबाव का सेवन करने लगा।
आत्महत्या का प्रयास करना।
मनोविकार में व्यक्ति सामान्य लोगों की तरह व्यवहार ना करके, कुछ विशेष प्रकार का विकृत व्यवहार करता है इसे ही असामान्य व्यवहार कहते हैं, जो मनोविकार का ही रूप है।
मनोविकारों का वर्गीकरण
DMS-5 के अनुसार-:
चिंता विकार – सामान्य चिंता विकार(GAD) ,सामाजिक चिंता विकार ,भय, ओसीडी,आतंक विकार(panic disorder)।
अवसाद एवं द्विध्रुवीय विकार
मनोवैज्ञानिक विकार– सिजोफ्रेनिया, भ्रम पूर्ण विकार आदि।
व्यक्तित्व विकार- अजीबों-गरीब व्यक्तित्व,चिंतित एवं भयभीत व्यक्तित्व।
खाने का विकार- खाने की लत, एनोरेक्सिया।
पदार्थ उपयोग विकार – शराब की लत,तंबाकू लत।
अवसाद-:
अवसाद, एक मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति उदास रहने लगता है और उसकी सोच, भावनाओं तथा व्यवहार में नकारात्मक परिवर्तन आ जाता है।
कारण-:
आनुवांशिक कारण-: यदि माता-पिता में मानसिक विकार के लक्षण मौजूद हैं, तो वे वंशानुगती के कारण उनके बच्चों में आ सकते हैं।
बायोकेमिकल कारण-: न्यूरोट्रांसमीटर में विकार उत्पन्न होना।
आघातजन्य घटनाएं-: बलात्कार की घटना, घरेलू हिंसा की घटना, सगे संबंधी की मृत्यु की घटना आदि।
जीवन के संघर्ष -: जीवन के संघर्ष के दौरान अत्यधिक तनाव,चिंता, दुर्भावना या दूसरों से तुलना मानसिक विकार का कारण बनती है।
अत्यधिक दबाव-: समाज का दबाव, आर्थिक दबाव, सर्वश्रेष्ट बनने का दवाब।
अन्य कारण-:
नशीली दावों का सेवन।
सामाजिक स्टिग्मा।
अवसाद के लक्षण -:
उदास रहना-: किसी भी प्रकार के दुख को सोचते हुए उदास रहना, रुचिकर कार्यों में भी दिलचस्पी न रह जाना। (मुख्य लक्षण)
व्यवहार में परिवर्तन-: आक्रामकता, आसंवेदनशीलता, चिड़चिड़ापन ,चिंता करना आदि।
भावनाओं में अनियंत्रण-: असहनशीलता,उदास रहना, डरा हुआ महसूस करना आदि।
नकारात्मक विचार-:
जीवन के प्रति नकारात्मक सोच रखना, दूसरों के प्रति दुर्भावना, खुद को खत्म करने का विचार।
अकेलापन-: अकेले रहना, सामाजिक सदस्यों के साथ ताल-मेल ना बैठना,किसी कार्यक्रम में भाग ना लेना।
कार्यक्षमता में कमी-: अपना कार्य समय पर पूरा न कर पाना, सोने एवं निर्णय लेने की क्षमता काम हो जाना।
शारीरिक लक्षण-
नींद ना आना।
पर्याप्त भोजन ग्रहण न करना(एनोरेक्सिया)।
नशीली दबाव का सेवन करने लगा।
आत्महत्या का प्रयास करना।
उपचार -:
मेडिकल उपचार-: इसके अंतर्गत एंटी डिप्रेशन ड्रग्स (maprotiline)दी जाती है.
इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी(ECT)- इसमें इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है।
फोटोथेरेपी-: इसके अंतर्गत रोगी को लाइट बॉक्स में बैठाया जाता है।
कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी(CBT)-: इसके अंतर्गत मनो चिकित्सक रोगी से बातचीत करके उसके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
सामाजिक दुश्चिंता/ सामाजिक दुर्भीति
सोशल एंजायटी डिसऑर्डर, एक ऐसा मनोविकार है,जिसमें संबंधित व्यक्ति को सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेने से घबराहट या डर महसूस होता है।
उदाहरण के लिए-:
शादी-विवाह या किसी पार्टी में जाने से डर लगना।
किसी सार्वजनिक स्थल में भाषण देने से डर लगना।
कारण -:
आनुवांशिक कारण-: यदि माता-पिता में मानसिक विकार के लक्षण मौजूद हैं, तो वे वंशानुगती के कारण उनके बच्चों में आ सकते हैं।
बायोकेमिकल कारण-: न्यूरोट्रांसमीटर में विकार उत्पन्न होना।
आघातजन्य घटनाएं-: बलात्कार की घटना, किसी सभा में अत्यधिक मजाक उड़ा दिया जाना,सगे संबंधी की मृत्यु की घटना आदि।
स्वयं को कमजोर मानना- किसी असफलता के कारण या दिखने में अच्छा न होने के कारण।
अन्य कारण-:
नशीली दावों का सेवन।
सामाजिक स्टिग्मा।
लक्षण -:
किसी सामाजिक कार्यक्रम जैसे विवाह पार्टी में भाग ना लेना।
लोगों से आंख से आंख मिलाकर बात ना कर पाना।
सार्वजनिक स्थल पर भाषण देने से बहुत अधिक डरना।
अकेले रहना पसंद करना।
अंदर ही अंदर बहुत घबराहट होना।
शारीरिक लक्षण-:
हाथ पर कपना।
पसीना आना।
सिर के किसी हिस्से में दर्द होना।
हृदय की धड़कन बहुत ज्यादा बढ़ जाना।
(विशेषकर-:किसी सामाजिक समूह के सामने)
उपचार -:
मेडिकल उपचार-: इसके अंतर्गत एंटी एंजायटी ड्रग्स(Benzodiazepines) तथा एंटी डिप्रेशन ड्रग्स (maprotiline)दी जाती है.
कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी(CBT)-: इसके अंतर्गत मनो चिकित्सक रोगी से बातचीत करके उसके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
ग्रुप थेरेपी-: इसके अंतर्गत संबंधित रोगी को अनेक के लोगों के साथ बैठाकर, ग्रुप डिस्कशन कराया जाता है।
भारत में लगभग 6-7% लोग एंजायटी की समस्या से ग्रसित है।
सिजोफ्रेनिया
यह एक प्रकार का मानसिक रोग है, जिसमें व्यक्ति को अजीबोगरीब(पैरानॉर्मल) आवाज सुनाई देने लगती है या अवास्तविक चीजें दिखाई देने लगती हैं, और वह उन्हें सच मानने लगता है।
कारण -:
आनुवांशिक कारण-: यदि माता-पिता शिजोफ्रेनिया के लक्षण मौजूद हैं तो वंशानुगत का बच्चों में आ जाते हैं, (यदि माता-पिता दोनों में यह लक्षण है तो बच्चों में शिजोफ्रेनिया बीमारी होने के 45% चांस होते हैं, किंतु यदि दोनों में से किसी एक में है तो 12% चांस होते हैं। )
बायोकेमिकल कारण-: मस्तिष्क में कोई चोट लगने या इंफेक्शन होने से,मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर में विकार उत्पन्न होना।
आघातजन्य घटनाएं-: बलात्कार की घटना, घरेलू हिंसा की घटना, सगे संबंधी की मृत्यु की घटना आदि।
जीवन के संघर्ष -: जीवन के संघर्ष के दौरान अत्यधिक तनाव,चिंता, दुर्भावना या दूसरों से तुलना मानसिक विकार का कारण बनती है।
अत्यधिक दबाव-: समाज का दबाव, आर्थिक दबाव(बेरोजगारी), सर्वश्रेष्ट बनने का दवाब।
अन्य कारण-:
नशीली दावों का सेवन।
सामाजिक स्टिग्मा।
लक्षण -:
Delusion -: रोगी को यह भ्रम हो जाता है कि आसपास के लोग व वातावरण उसे हानि पहुंचाना चाह रहे हैं।
Hallunition -: इसमें रोगी को अवास्तविक(पैरानॉर्मल) आवाज सुनाई देने लगती हैं।
उपरोक्त दोनों सकारात्मक लक्षण है।
शांत रहना- रोजी विभिन्न रुचिकरकार्यों के प्रति भी आसंवेदनशील हो जाता है।
नकारात्मक विचार-:
जीवन के प्रति नकारात्मक सोच रखना, दूसरों के प्रति दुर्भावना, खुद को खत्म करने का विचार।
अकेलापन-: अकेले रहना, सामाजिक सदस्यों के साथ ताल-मेल ना बैठना,किसी कार्यक्रम में भाग ना लेना।
कार्यक्षमता में कमी-: अपना कार्य समय पर पूरा न कर पाना, सोने एवं निर्णय लेने की क्षमता काम हो जाना।
शारीरिक लक्षण-
नींद ना आना।
पर्याप्त भोजन ग्रहण न करना(एनोरेक्सिया)।
नशीली दबाव का सेवन करने लगा।
आत्महत्या का प्रयास करना।
इसके प्रकार-:
पैरानॉइड शिजोफ्रेनिया-डेलूजन तथा हेल्युसीनेशन के लक्षण।
कैटेटोनिक शिजोफ्रेनिया– रोजी विभिन्न रुचिकरकार्यों के प्रति भी आसंवेदनशील हो जाता है।
इसका उपचार-:
इसका डायग्नोस्टिक करने के लिए एमआरआई सीटी स्कैन कराकर मस्तिष्क का अवलोकन करना होता है तथा डॉक्यूमेंट और सेक्रोटोनीन के लेवल की जांच करनी होती है।
इस बीमारी में हमारे मस्तिष्क में डोपामिन तथा सेक्रोटोनीन केमिकल की मात्रा बढ़ जाती है।
उपचार-:
मेडिकल उपचार-: एंटीसाइकोटिक ड्रग्स (जैसे-risperidone) इसके साथ
एंटी एंजायटी (Benzodiazepines) एंटी डिप्रेशन(maprotiline) ड्रग्स दी जाती है।
इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी(ECT)- इसमें इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है।
कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी(CBT)-: इसके अंतर्गत मनो चिकित्सक रोगी से बातचीत करके उसके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।
द्विध्रुवीय विकार
यह एक गंभीर मानसिक रोग है, जिसमें रोगी की मनोदशा असामान्य रूप से बदलती रहती है;कभी वह अधिक खुश हो जाता है,तो कभी अधिक दुखी।
लक्षण -:
इस बीमारी में मेनिया(हाइपरएक्टिव) तथा डिप्रेशन (शांत,उदास) दोनों के लक्षण मौजूद होते है।
मेनिया के लक्षण-:
अत्यधिक बोलना।
बहुत ज्यादा हसना।
आक्रामक व्यवहार,दूसरों को नुकसान पहुंचाना।
बेचैनी ,घबराहट में वृध्दि।
नशीली दबाव जैसे- कोकीन, शराब आदि अधिक का उपयोग करना।
स्वयं को कोई देवीय शक्ति बताना।
डिप्रेशन के लक्षण-:
थकान, कमजोरी महसूस करना
स्वयं को कमजोर मानना।
अकेले रहना।
निराशावादी भावना रखता।
शारीरिक लक्षण ,जैसे- भूख न लगना नींद ना आना आदि।
बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार
बाइपोलर 1 डिसऑर्डर-: इसमें मेनिया के लक्षण बहुत ज्यादा तीव्र देखने को मिलते हैं, और डिप्रेशन के सिमटेम समान होते हैं।
बाइपोलर 2 डिसऑर्डर-: इसमें मेनिया के सिमटेम कम तीव्र होते हैं और डिप्रेशन के सिमटेम अधिक तीव्र होते हैं।
कारण -:
आनुवांशिक कारण-: यदि माता-पिता शिजोफ्रेनिया के लक्षण मौजूद हैं तो वंशानुगत का बच्चों में आ जाते हैं, बायोकेमिकल कारण-: मस्तिष्क में कोई चोट लगने या इंफेक्शन होने से,मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर में विकार उत्पन्न होना।
आघातजन्य घटनाएं-: बलात्कार की घटना, घरेलू हिंसा की घटना, सगे संबंधी की मृत्यु की घटना आदि।
जीवन के संघर्ष -: जीवन के संघर्ष के दौरान अत्यधिक तनाव,चिंता, दुर्भावना या दूसरों से तुलना मानसिक विकार का कारण बनती है।
अत्यधिक दबाव-: समाज का दबाव, आर्थिक दबाव(बेरोजगारी), सर्वश्रेष्ट बनने का दवाब।
अन्य कारण-:
नशीली दावों का सेवन।
सामाजिक स्टिग्मा।
उपचार-:
मेडिकल उपचार-: एंटीसाइकोटिक ड्रग्स (जैसे-risperidone) इसके साथ
एंटी एंजायटी (Benzodiazepines) एंटी डिप्रेशन(maprotiline) ड्रग्स दी जाती है।
कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी(CBT)-: इसके अंतर्गत मनो चिकित्सक रोगी से बातचीत करके उसके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।