[मुहावरा एवं कहावतें- 02]
मुहावरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
चूना लगाना | धोखा देना | दुकानदार ने गंदी गुणवत्ता की दाल देकर, हमें चूना लगाया है। |
छक्के छूटना | कुछ भी याद ना रहना | स्टेज पर जाते ही छक्के छूट गए। |
छठी का दूध याद दिलाना | बहुत कष्ट देना | यदि कल तुम खेलने गए तो इतना पीटूंगा कि छठी का दूध याद आ जायेगा। |
छाती पर पत्थर रखना | संयम रखना | मैं छाती पर पत्थर रखकर अपनी बच्चे को पढ़ने के लिए बाहर भेजती हूं। |
छोटा मुंह बड़ी बात | अपनी सीमा से बढ़कर बोलना | उच्च अधिकारी को सलाह देना उस छोटा मुंह बड़ी बात के समान है। |
जंगल में मंगल | उजाड़ सुनसान जगह में महोत्सव होना | जब इस सुनसान जगह में मेला लगता है तो यहां पर जंगल में मंगल होना प्रतीत होता है। |
जबान पर लगाम ना होना | बिना वजह के बोलते जाना | आप जब से बेवजह बोलते ही जा रहा है अपनी जबान को लगाम दिया करो। |
जमीन आसमान का फर्क | भारी अंतर होना | राम और रहीम के स्वभाव में जमीन आसमान का फर्क है। |
जमीन पर पैर ना रखना | घमंडी होना | रमेश ने क्लर्क की परीक्षा क्या पास कर ली, अब तो उसके जमीन पर पैर ही नहीं पड़ते। |
जहर का घूंट पीना | अन्याय सहन करना | अपराधी पिता के कारण बच्चों को जहर का घूंट पीना पड़ता है। |
जान के लाले पढ़ना | गंभीर संकट में होना | रात के 12:00 बजे तलवार लेकर डाकू घुस गए उस समय हमें अपनी जान के लाले पड़ गए थे। |
जूती चाटना | गद्दारों की चापलूसी करना | अनेकों अफसर अपने कर्तव्यों का निर्वहन ना करके राजनेता एवं अपराधियों की जूती चाटते रहते रहते हैं। |
जहर उगलना | कड़वी बातें कहना | रमेश गुस्से में आकर सुरेश के विरुद्ध जहर उगल रहा था। |
जहर की पुड़िया | झगड़ा करने वाली | उसको कुछ मत बोलना वह जहर की पुड़िया है। |
जान में जान आना | चैन मिलना | खोया हुआ लड़का नहीं जाने पर मां की जान में जान आई। |
जान से हाथ धो बैठना | मारा जाना | तुम दंगे में मत जाओ कहीं जान से हाथ ना धो बैठो। |
जी का जंजाल | व्यर्थ का झंझट | यह ड्यूटी मेरे लिए जी का जंजाल बन गई है। |
टांग अड़ाना | व्यर्थ में दखल देना | दो लोगों के बीच अपनी टांग नहीं आना चाहिए। |
टेढ़ी खीर | कठिन काम | आईएएस की परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर होती है। |
मुहावरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
टालमटोल करना | बहाने बनाना | वह कभी सहायता नहीं करता केवल टालमटोल करके चला जाता है। |
टोपी उछालना | अपमानित करना | वह व्यक्ति अपनी पत्नी की ही टोपी उछाल रहा है। |
ठोकरें खाना | मुसीबतें झेलना | नौकरी पाने के लिए हमने दर-दर ठोकरें खाई हैं। |
डंका बजना | ख्याति होना | हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरे विश्व में डंका बज रहा है। |
ढिंढोरा पीटना | सबको बताना | उसने अपनी पुत्र की नौकरी लगने पर ,पूरे गांव में ढिंढोरा पीट दिया। |
डूबते को तिनके का सहारा | संकट के समय थोड़ी सी मदद करना | गरीबी एवं कर्ज में दबे होने के कारण आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन सेठ जी ने कुछ पैसे देकर डूबते को तिनके का सहारा देने का कार्य किया। |
तितर-बितर हो जाना | बिखर जाना | बम की अफवाह सुनते ही सारी जनता चंद मिनटों में तितर-बितर हो गई। |
तिल का ताड़ करना | थोड़ी सी बात को बढ़ा देना | एक कांग्रेसी विधायक ने बीजेपी विधायक से लिफ्ट मांगी तो न्यूज़ रिपोर्टरों ने तिल का ताड़ बना दिया। |
तूती बोलना | बहुत प्रभाव होना | अटल बिहारी वाजपेई जैसे नेताओं की पूरे भारत की राजनीति में तूती बोलती है। |
तख्ता उलटना | सरकार बदल जाना | पाकिस्तान सरकार किसानों ने लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर दिया। |
तीन-पांच करना | बहाने बनाना | यह काम आज ही पूरा होना चाहिए तीनों पांच न करना। |
थूककर चाटना | अपने कथन से इनकार करना/त्यागी गई वस्तु को पुनः गले से लगाना। | पहले उसने मुझे ₹500 देने का वादा किया था लेकिन अब वह ₹500 देने से इंकार कर रहा है इसे कहते हैं थूककर चाटना। |
दांत पीसना | मन ही मन क्रोध करना | खेत चर जाने से किसान दांत पीसता रह गया। |
दांतो तले उंगली दबाना | हैरान हो जाना | ताजमहल की सुंदरता को देखकर दर्शक दांतो तले उंगली दबा लेते हैं। |
दाई से पेट छिपाना | जानकार से संबंधित बात छिपाना | सीबीआइसी झूठ बोलना दाई से पेट छिपाना जैसा है। |
दमड़ी की चमड़ी उधेड़ना | मामूली सी बात के लिए भारी दंड देना | रमेश से बेईमानी ना करना क्योंकि वह दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ लेता है। |
दांत खट्टे करना | बुरी तरह से हरा देना | भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए। |
दांतो तले पसीना आना | बहुत मेहनत करना। | विशाल मैदान का चक्कर लगाने में सिपाहियों को दांतों तले पसीना आ गया। |
दाल ना गलना | किसी विशिष्ट कार्य में सफल ना हो ना | रमेश ने संदीप और महेश की मित्रता तोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन दाल नहीं गली। |
मुहावरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
दाल में कुछ काला होना | संदेश की आशंका होना | रमेश सुबह से ना जाने कहां जाता है ,मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है। |
दिन दुगनी रात चौगुनी होना | बहुत ही शीघ्रता से उन्नति करना | जबसे रमेश की नौकरी लगी है तब से उनके घर में दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति हो रही है। |
दिन में तारे दिखाई देना | इतना कष्ट देना कि बुद्धि काम ना करें | पुलिस ने रमेश को इतनी यातनाएं दीं, कि उसे दिन में तारे दिखाई देने लगे। |
दाने दाने को तरसना | बहुत ही अभावग्रस्त होना | बुरा वक्त आने पर करोड़ों के मालिक दाने-दाने को तरस जाते हैं। |
दाहिना हाथ | बहुत बड़ा सहायक होना | सुरेश रमेश का दाहिना हाथ है। |
दुनिया से कुछ कर जाना | मर जाना | आज रमेश दुनिया से कूच कर गया। |
दुम दबाकर भागना | डर कर भाग जाना | पुलिस के आते ही चोर दुम दबाकर भाग खड़े हुए |
दूध के दांत ना टूटना | अनुभवहीन होना | अभी तुम्हारे दूध के दांत तक टूटे नहीं है मुझे समझाने चले हो। |
दूर के ढोल सुहावने लगना | दूर की वस्तु प्रिय लगना | जब मैंने वैष्णो देवी जाने को कहा तो पिताजी बोले कि तुम्हें दूर के ढोल सुहावने लग रहे हैं, चढ़ाई चढ़ोगे तब मालूम पड़ेगा। |
दो दिन का मेहमान | मृत्यु निकट होना | रमेश की सांस उखड़ रही है अब वह दो दिन का मेहमान ही है। |
दो नावों पर पैर रखना | एक साथ दो लक्ष्य पाने की चेष्टा करना | मैं इस वर्ष ना तो m.a. कर पाया मैं ही पीएससी सही कहते हैं कि दो नावों पर पैर नहीं रखना चाहिए। |
दौड़-धूप करना | बहुत प्रयत्न करना | रमेश बहुत दौड़ धूप करके भी अपने मां बाप को नहीं बचा पाया। |
दिल भर आना | बहुत शोकाकुल होना | मित्र की मौत का समाचार सुनकर दिल भर आया। |
दूसरों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना | दूसरों के सहारे अपना काम निकालना | रमेश दूसरों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाता है, अपना काम भी कर लेता है लेकिन पता भी नहीं लगने देता। |
धब्बा लगना | कलंक लगना | चोरी की घटना से रमेश के चरित्र में धब्बा लग गया। |
न तीन में न तेरा में | किसी की तरफ ना होना | साधारण पढ़ाई करने के कारण ना तो नौकरी मिली और ना ही उसका खेती में मन लग रहा है अर्थात उसकी स्थिति न तीन में है न तेरा में। |
धज्जियां उड़ाना | खंड खंड कर देना | संसद भवन में अटल बिहारी बाजपेई ने विपक्ष की एक-एक तर्क की धज्जियां उड़ा दी। |
नजर लग जाना | कुदृष्टि पढ़ना | मां अपने बच्चे को नजर लगने से बचाने के लिए माथे पर काला टीका लगा देती हैं। |
नमक मिर्च लगाना | बढ़-चढ़कर बताना | समाचार पत्र खबरों को नमक मिर्ची लगाकर छापते हैं। |
मुहावरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
नाक कटना | बेज्जती होना | रमेश के करतूतों के कारण रमेश के पिता की नाक कट गई। |
नाक में दम करना | तंग करना | यह बच्चा नाक में दम करके रखा है |
नब्ज पहचानना | स्वभाव जानना | मैं नरेश की एक-एक नब्ज पहचानता हूं |
नाकों चने चबवाना | बहुत परेशान करना | शिवाजी ने मुगल सेना को नाकों चने दबा दिए थे। |
नानी याद आना | मुसीबत देखकर बहुत ज्यादा घबरा जाना | अचानक से सांप को देखकर रमेश को नानी याद आ गई। |
नौ दो ग्यारह होना | भाग जाना | पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गए। |
नाम उछालना | बदनाम करना | श्याम हमेशा रमेश का नाम उछलता रहता है। |
पत्थर की लकीर | पक्की बात | तुम रमेश की बात को पत्थर की लकीर समझो, क्योंकि वह जो बोलता है वह करता भी है। |
पलके बिछाना | बेसब्री से इंतजार करना | हम तुम्हारे लिए कब से पलके बिछाए बैठे हैं। |
पहाड़ टूटना | भारी कष्ट आना | पिता की मृत्यु के बाद रमेश के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया। |
पानी पानी होना | बहुत लज्जित होना | चोरी का भेद खुलते ही रमेश सबके सामने पानी पानी हो गया। |
पर उतरना | क्रोध शांत होना | अभी मम्मी गुस्से में है उनका पारा उतरने दो फिर बात करते हैं। |
पाला पड़ना | मुकाबला होना | शक्तिशाली पहलवान से रमेश का पाला पड़ा है,अब तो दिक्कत होगी ही। |
पीठ दिखाना | हारकर भाग जाना | बहादुर सैनिक युद्ध ने पीठ नहीं दिखाते। |
पगड़ी उछालना | बेइज्जत करना | किसी की पगड़ी उछालोगे तो पिटोगे। |
पत्ता काटना | संबंध समाप्त होना | रमेश और श्याम की दोस्ती का पत्ता कट गया। |
पेट में चूहा कूद रहा | बहुत जोर से भूख लगना | जल्दी खाना बना दो मेरे पेट में कब से चूहे कूद रहे हैं। |
पेट में दाढ़ी होना | बाल्यावस्था में ही समझदार होना | उसकी उम्र देख कर समझदारी की बात मत कीजिए क्योंकि वह पेट में दाढ़ी लेकर पैदा हुआ है। |
पैरों तले जमीन खिसकना | स्तब्ध रह जाना | बेटी की दुर्घटना का समाचार सुनते ही मां-बाप के पैरों तले जमीन खिसक गई। |
मुहावरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
पोल खोलना | भेद खुलना | पुलिस के सामने हिम्मत रखना तुम जरा सा भी डरे, तो सारी पोल खुल जाएगी। |
प्राणों की बाजी लगाना | किसी कार्य हेतु प्राण निछावर करने के लिए तैयार होना। | सैनिक देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देते हैं। |
पांचों उंगलियां घी में होना | चारों ओर से लाभ ही लाभ होना | रमेश के दोनों बेटों की नौकरी लग जाने एवं पुराना पैसा वापस मिल जाने से उसकी पांचों उंगलियां घी में हो गई। |
पांव फूंक फूंक कर रखना | बड़ी सावधानी से कार्य करना | रमेश का बेटा कोई भी कर करने के लिए पांव फूंक फूंक कर रखता है। |
पानी फेर देना | काम बिगाड़ देना | तुमने तुम मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। |
पापड़ बेलना | चक्कर लगाना | वर्तमान में प्रशासन में इतना ज्यादा लालफीताशाही है कि कोई भी कार्य करवाने के लिए अनेकों पापड़ बेलने पड़ते हैं। |
पेट काटना | भोजन के खर्च में भी बचत करके | रमेश ने अपना पेट काटकर अपने बच्चों को पढ़ाया। |
फूटी आंखें न सुहाना | जरा सा भी अच्छा ना लगना | इस सास को अपनी बहू फूटी आंखें नहीं सुहाती है। |
बट्टा लगाना | कलंकित करना | रमेश ने चोरी करके अपने पिताजी की इज्जत पर बट्टा लगा दिया। |
बहती गंगा में हाथ धोना | अवसर का लाभ उठाना | ₹5 में 1 किलो अनाज मिल रहा था तो मैंने भी बहती गंगा में हाथ धो लिए इसमें गलत क्या किया? |
बच्चों का खेल | सरल काम | दिल्ली जैसे शहर में गाड़ी चलाना बच्चों का खेल नहीं है। |
बरस पड़ना | अति क्रोधित होकर डांटना | पानी के गिलास पर जाने पर मालिक नौकर पर बरस पड़े। |
बाएं हाथ का खेल | अति सरल काम | पैसा कमाना तो बाएं हाथ का खेल है। |
बाल बांका न कर सकना | कुछ भी हानि ना पहुंचा सकना | रमेश पहलवान का कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता। |
बाल की खाल निकालना | बारीकी से छानबीन करना | सीबीआई वाले मामले की जांच करते समय बाल की खाल निकालते हैं। |
बाल बाल बचना | भयंकर मुश्किल से बचना | नदी में गिरते बाल-बाल बचा। |
बीड़ा उठाना | चुनौती स्वीकार करना | मैंने एमपी पीएससी पास करने का बीड़ा उठा लिया। |
बुढ़ापे की लाठी | बुढ़ापे का सहारा | उसके पास अपार धन है लेकिन बुढ़ापे की लाठी नहीं है। |
बिना पेंदी का लोटा | किसी भी पक्ष में हो जाना | रमेश बिना पेंदी का लोटा है कभी इधर तो कभी उधर। |
मुहावरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
बालू में से तेल निकालना | असंभव सा कार्य करना | उस पर्वत के ऊपर चढ़ना बालू से तेल निकालने के समान है। |
भैंस के आगे बीन बजाना | मूर्ख व्यक्ति को अच्छे उपदेश देना | अनपढ़ व्यक्ति को अर्थव्यवस्था की बातें समझाना भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है। |
मझधार में छोड़ना | मुसीबत में छोड़ना | सच्चे दोस्त मुसीबत आने पर अपने मित्र को मझधार में नहीं छोड़ते। |
मन में लड्डू फो़डना | मन ही मन प्रसन्न होना | अच्छे परिवार से शादी की बात चलते ही लड़कियां मन में लड्डू फोड़ने लगती हैं। |
मुंह उतरना | उदास हो जाना | परीक्षा कतई नाम अच्छा न आने पर उस विद्यार्थी का मुंह उतर गया। |
मारा मारा फिरना | व्यर्थ में यहां से वहां भटकना | आजकल बेरोजगार युवक नौकरी पाने के लिए मारा हमारा फिरते हैं। |
मुंह की खाना | पराजित होना/ अपमानित होना | इस बार फिर रमेश को मुंह की खानी पड़ी। |
मुंह की बात छीन लेना | मन की बात कह देना | तुमने मेरे मुंह की बात छीन ली मैं भी यही कहने वाला था कि बनारस घूमने चलें। |
मुंह फुलाना | रुष्ट हो जाना | पिताजी की डांट पर रमेश मुंह फुलाकर बैठा है। |
मुंह बनाना | असहमति प्रकट करना/असंतोष का भाव प्रकट करना | तुम जरा सी बात पर मुंह क्यों बना लेते हो? |
मुंह में पानी भर आना | खाने को जी करना | जलेबियां देखकर गोपाल के मुंह में पानी भर आया। |
मुट्ठी में होना | अपने बस में करना | उसकी जान मेरी मुट्ठी है, मैं चाहूं तो उसे अभी मार सकता हूं। |
मौत सिर पर मंडराना | संकटों से घिरे रहना | तुम बड़ी सावधानी से रहना , तुम्हारे सिर पर मौत मंडराती रहती है। |
रंग बदलना | परिवर्तन होना | जमाने का रंग बदल रहा है लोग स्वार्थी एवं लालजी होते जा रहे हैं। |
रास्ता देखना | प्रतीक्षा करना | मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूं तुम हो कि आती ही नहीं। |
रास्ता नापना | चले जाना | अब आप अपना रास्ता नापो। |
रास्ते पर लाना | सुधारना | इस लड़की को रास्ते पर लाना बड़ा मुश्किल है। |
रोंगटे खड़े होना | रोमांच होना | उनकी आपबीती सुनकर सब के रोंगटे खड़े हो गए। |
रो-धोकर दिन काटना | जैसे तैसे जीवन बिताना | मजदूर लोग बेचारे रो-धोकर दिन काटते हैं |
मुहावरा | अर्थ | वाक्य प्रयोग |
रंग में भंग पड़ना | खुशी में बाधा आना | बहुत अच्छे से शादी समारोह चल रहा था लेकिन दारूखोरों के कारण रंग में भंग पड़ गया। |
राई का पहाड़ बनाना | छोटी सी बात को बढ़ा चढ़ा कर कहना | न्यूज़ रिपोर्टर पब्लिसिटी पाने के लिए राई का पहाड़ बना देते हैं। |
लकीर का फकीर होना | पुराने रीति-रिवाजों का अनुसरण करना | इस युग में भी अनेकों लोग लकीर के फकीर बने हुए हैं। |
लाल पीला होना | बहुत गुस्सा करना | लाल पीला होने से समस्या सुधरेगी नहीं, बल्कि और ही बढ़ेगी। |
लेने के देने पड़ना | लव की जगह अधिक हानि हो जाना | बेटा व्यापार बड़ी सोच समझ के करना, कहीं लेने के देने ना पड़ जाए। |
लोहा लेना | साहसपूर्ण मुकाबला करना | महाराणा प्रताप ने विशाल मुगल सेना से लोहा लिया , और उन्हें धूल चटाई। |
लंगोटिया यार होना | घनिष्ठ मित्र होना | श्याम, रमेश का लंगोटिया यार है। |
लाख से लीख होना | अत्यधिक धनी से निर्धन हो जाना | शराब पीने और जुआ खेलने के कारण दिनेश लाख से लीख हो गया। |
लुटिया डुबोना | बर्बाद करना/हानि कर देना | रमेश गलत लोगों की संगत में पढ़कर अपने परिवार की लुटिया डुबो दिया। |
लोहे के चने चबाना | बहुत संघर्ष करना | आज के समय में आईएएस की परीक्षा पास करना लोहे के चने चबाने जैसा है। |
विष उगलना | द्वेषपूर्ण बातें कहना | शकुनी दुर्योधन के कान में पांडवों के विरुद्ध विश्व करता रहता था। |
श्री गणेश करना | शुभारंभ करना | रमेश में आज अपने कपड़े की दुकान का श्रीगणेश किया। |
शहीद होना | संघर्ष करते हुए मृत्यु को प्राप्त होना | भारत-पाकिस्तान लड़ाई में भारत के अनेक जवान शहीद हो गए। |
लंबा हाथ मारना | अधिक लाभ प्राप्त करना | क्या बात है शर्मा जी, तुमने तो बहुत लंबा हाथ मारा है। |
सिर पर चढ़ाना | अधिक छूट देना | रमेश ने अपने पुत्र को सिर पर चढ़ा रखा है, इसी का वह शरारती होता जा रहा है। |
सिर पर भूत सवार होना | किसी एक चीज पर फोकस करना | उसके सिर पर तो केवल दुकान चलाने का भूत सवार रहता है। |
सिर पर सवार रहना | सदैव निगरानी रखना/पीछे पड़ना | मुझे तो कार्यालय में सांस लेने तक की फुर्सत नहीं मिलती क्योंकि उच्च अधिकारी सदैव सिर पर सवार होते हैं। |
सिर से पानी गुजर जाना | सहनशीलता की सीमा टूट हो जाना | मैंने कभी भी दूसरों को हाई ना पहुंचाने की कसम खाई थी लेकिन जब रमेश की वजह से सिर्फ से पानी गुजर गया तो मैंने रमेश को सबक सिखाया। |
सफेद झूठ | बिल्कुल झूठ | यह तो सफेद झूठ बोल रहा। |
