विज्ञान एवं तकनीकी एवं इसका मानव जीवन पर प्रभाव

विज्ञान एवं तकनीकी एवं इसका मानव जीवन पर प्रभाव

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.विज्ञान एवं तकनीकी एवं इसका मानव जीवन पर प्रभाव

विज्ञान-: 

किसी भी विषय के संदर्भ में प्रयोगिक विश्लेषणों के फलस्वरूप प्राप्त क्रमबद्ध तथा सुव्यवस्थित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं। 

जैसे-: सूर्य की ऊर्जा के विषय में नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया का व्यवस्थित ज्ञान। , दो अणुओं के मध्य होने वाली क्रिया का व्यवस्थित ज्ञान। 

तकनीकी-:

विज्ञानिक नियमों एवं सिद्धांतों के अनुप्रयोग पर अनुसंधान करके, मनुष्य के लिए आरामदायक एवं उपयोगी उपकरण या इक्विपमेंट विकसित करने की प्रक्रिया तकनीकी कहलाती है

अर्थात प्रौद्योगिकी विज्ञान का वह अनुप्रयोग है जो मनुष्य के जीवन को और भी ज्यादा आसान एवं आरामदायक बना देता है। 

जैसे-: वैक्यूम क्लीनर ने मानव के सफाई संबंधी कार्य को आसान बना दिया। पंखा गर्मी की समस्या से आराम प्रदान करता है। 

विकास-: ऐसा परिवर्तन, जो मानव या प्रकृति को उन्नति की ओर ले जाता है अर्थात मानव जीवन को और अधिक आसान एवं सुखमय बना देता है उसे विकास कहते हैं। जैसे- प्राचीन समय में मनुष्य को अपने दूर के रिश्तेदार या परिचित से बात करने के लिए वहां फिजिकली रूप से जाना पड़ता था किंतु अब वह घर बैठे ही आसानी से मोबाइल फोन द्वारा उससे बात कर सकता है। 

पहले मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पैदल या घोड़े इत्यादि से जाना होता था जिसमें काफी ज्यादा ऊर्जा एवं समय लगता था लेकिन अब आधुनिक वाहनों के माध्यम से कम समय में एवं कम शारीरिक ऊर्जा खर्च करके मनुष्य आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान जा सकता है। 

और विकास का मानव जीवन पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही प्रकार का प्रभाव पड़ा है। 

मानव जीवन पर साइंस एवं टेक्नोलॉजी के विकास का प्रभाव-:

प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक मनुष्य की जिज्ञासु एवं बुद्धिमत्ता युक्त प्रवृत्ति की उपज स्वरूप विज्ञान एवं तकनीकी का लगातार विकास होता आया है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास ने मानव जीवन को काफी ज्यादा आसान एवं सुखमय बना दिया है इसलिए हम वर्तमान में सुबह के जागने से लेकर रात को सोने तक अपनी दिनचर्या में अनेकों तकनीकी उपकरणों का उपयोग करते हैं जैसे- अलार्म घड़ी, टी मेकर, गैस स्टॉप, माइक्रोवेव, रेफ्रिजरेटर, गीजर, पंखा, टीवी, वासिंग मशीन,वैक्यूम क्लीनर आदि। 

और इन तकनीकी उपकरणों के प्रयोग का मानव जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा है जिसे हम अग्रोलिखित रूप में समझ सकते हैं-:

मानव के सामाजिक जीवन पर प्रभाव-:

सकारात्मक प्रभाव-

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास के प्रभाव से मनुष्य पहले की तुलना में काफी ज्यादा शिक्षित एवं जागरूक हुआ है। (क्योंकि वर्तमान गूगल विकिपीडिया यूट्यूब जैसे साधनों के माध्यम से कुछ ही सेकंड में किसी भी प्रश्न का उत्तर प्राप्त कर पाता है)

  • विज्ञान के विकास के प्रभाव से मनुष्य विभिन्न अंधविश्वासों, कुरीतियों एवं भेदभाव से मुक्त होकर समानता जैसे उच्च विचारों की ओर अग्रषित हो पाया है। 

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास के प्रभाव से मनुष्य का जीवन आसान,सुव्यवस्थित एवं उच्च स्तर का हो गया है (जैसे-रेफ्रिजरेटर ,वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर , हाई स्पीड वाहन एवं मोबाइल आदि के माध्यम से मनुष्य का जीवन आसान हो गया)

  • तकनीकी उपकरणों के माध्यम से समाज पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित हो गया।  

नकारात्मक प्रभाव-

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास से मानवतावाद (मानवीय संवेदना)का विनाश हुआ है क्योंकि वर्तमान में लोग तकनीकी उपकरणों को मनुष्य से भी ज्यादा महत्व देने लगे हैं। 

  • संयुक्त परिवार का विघटन हुआ है क्योंकि वर्तमान में लोग तकनीकी उपकरणों के साथ अकेले रहना पसंद करते हैं जिससे एकल परिवार का विकास हुआ है। 

  • तकनीकि के विकास से साइबर क्राइम , ऑनलाइन फ्रॉड में बढ़ोतरी हुई है।

मानव के आर्थिक जीवन पर प्रभाव-:

सकारात्मक प्रभाव-

विज्ञान एवं तकनीकी के विकास के प्रभाव से काफी ज्यादा उत्पादन बढ़ गया है जिससे लगभग सभी व्यक्तियों की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे- रोटी ,कपड़ा, मकान की पूर्ति हुई है, तथा भुखमरी एवं कुपोषण की समस्याएं दूर हुई है। एवं प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ी है

जैसे- पहले जिस खेत में 10 क्विंटल गेहूं होते थे, आज उसी खेत में विज्ञान एवं तकनीकी (ट्रैक्टर, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई उपकरण) के विकास से 30 से 40 क्विंटल गेहूं उपजने लगे हैं। 

नकारात्मक प्रभाव-

मशीनों की अधिकता से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हुई है। क्योंकि एक मशीन अकेले ही अनेकों लोगों का काम कर लेती हैं (जैसे पहले एक में खोजने के लिए 8 से 10 लोगों की आवश्यकता होती थी और वे कई दिनों में एक कुंवा खोज पाते थे किंतु वर्तमान में जेसीबी मशीन कुछ ही घंटों में अकेले ही कुआं खोद देती है, इसे कुआं खोदने वालों का रोजगार छिन गया )

मानव के सांस्कृतिक जीवन पर प्रभाव-:

सकारात्मक प्रभाव- 

विज्ञान एवं तकनीकी के प्रभाव से खुलेपन की संस्कृति विकसित हुई है जिसमें व्यक्ति सामाजिक बंधनों कि विपरीत अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए स्वतंत्र है। 

नकारात्मक प्रभाव-

विज्ञान तकनीकी के विकास के प्रभाव से उपभोक्तावादी एवं भौतिकवादी संस्कृति का विकास हुआ जिसमें व्यक्ति अधिक से अधिक भौतिक संपदा संग्रह करने की प्रवृत्ति रखता है इस संस्कृति में भौतिक वस्तुओं का महत्व बढ़ा है किंतु सामुदायिक सहयोग और मानव प्रेम का महत्व कम हुआ है। 

वर्तमान में व्यक्ति खाना के बिना रह पाता है किंतु बिजली,मोबाइल, लैपटॉप आदि उपकरणों के बिना 1 दिन भी नहीं गुजार पाता है। 

विज्ञान एवं तकनीकी के विकास का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव-:

सकारात्मक प्रभाव- 

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से किसी भी रोग की शीघ्रता से पहचान एवं उसका उपचार आसानी से संभव हो पाया है, जिससे मनुष्य को कम पीड़ा होती है।  

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा बढ़ी है

  • मातृ मृत्यु दर एवं बाल मृत्यु दर में कमी आई है। 

  • टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के माध्यम से बांझ स्त्रियों एवं नपुंसक पुरुषों को भी संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है।

  • अंग प्रत्यारोपण द्वारा असाध्य रोगों का भी इलाज संभव हो पाया है। 

नकारात्मक प्रभाव-

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से भोजन में विषाक्तता बढी़ है क्योंकि विज्ञान तकनीकी के प्रभाव से अनेक खाद्य पदार्थ पैकेट में आ रहे हैं और पैकेट वाली खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उनमें अनेकों केमिकल मिलाए जाते हैं,जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। 

  • मोबाइल ,लैपटॉप जैसे तकनीकी उपकरणों के प्रयोग से आंखों की बीमारी ,रेडिएशन के प्रभाव से कैंसर का प्रकोप जैसी स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं देखने को मिलती हैं। 

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास ने मानव जीवन को काफी ज्यादा आरामदायक बना दिया है जिससे मनुष्य आलसी एवं मशीनों पर निर्भर होता जा रहा है परिणाम स्वरूप मोटापा जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही है। 

विज्ञान एवं तकनीकी का मनुष्य के जीवन पर प्रभाव-

सकारात्मक प्रभाव-:

  • तकनीकी के विकास के फल स्वरुप मनुष्य पहले की तुलना में काफी ज्यादा शिक्षित एवं जागरूक हुआ है।( क्योंकि वर्तमान में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली तथा गूगल विकिपीडिया यूट्यूब जैसे सिस्टम विद्यमान है जो घर बैठे ही महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं)

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास ने मनुष्य के जीवन को और भी ज्यादा आसान एवं सुखमय बना दिया है। 

  • मानव की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है, उसकी लगभग सभी मूलभूत आवश्यकता है जैसे रोटी ,कपड़ा, मकान की पूर्ति होने लगी है। 

  • चिकित्सा तकनीकी में उन्नति होने से मनुष्य के स्वास्थ्य स्तर में सुधार आया है उसकी जीवन प्रत्याशा आयु भी बढ़ी है। 

  • मानव का जीवन पहले की तुलना में काफी ज्यादा सुरक्षित हो गया है क्योंकि विज्ञान तकनीकी के प्रभाव से अनेकों सुरक्षा उपकरण विकसित हो गए हैं जैसे-

    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त रोबोट घर की सुरक्षा कर सकते हैं। 

    • रिमोट सेंसिंग प्रणाली द्वारा प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन किया जा सकता है। 

    • फायर बिग्रेड जैसी मशीनों द्वारा को आसानी से काबू में किया जा सकता है। 

    • जैव प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित वैक्सीन के माध्यम से बड़ी बड़ी महामारी की रोकथाम की जा सकती है। 

नकारात्मक प्रभाव

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से मानवतावाद अर्थात मानव मानव के मध्य संवेदना का पतन हुआ है, क्योंकि अब व्यक्ति मानव से ज्यादा मशीनों को महत्व दे रहा है। 

  • पर्यावरण प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ रहा है जिसका व्यक्ति के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से मशीनों की संख्या बढ़ी है जिससे अनेकों व्यक्तियों की नौकरी या रोजगार छिन गया है। 

  • विज्ञान एवं तकनीकी के विकास से विभिन्न प्रकार की बीमारियां बड़ी है जैसे रेडिएशन से कैंसर की बीमारी, मोबाइल लैपटॉप इत्यादि उपकरणों के प्रयोग से आंख की बीमारी, अलसी की कारण मोटापे की बीमारी। 

  • व्यक्ति की व्यक्तिगत प्राइवेसी का हनन हुआ है क्योंकि वर्तमान में व्यक्ति चारों तरफ से विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से घिरा होता है जो उसकी अनेकों एक्टिविटी को रिकॉर्ड करते रहते हैं। एवं इन रिकार्डों का हैकिंग द्वारा लीक हो जाने से व्यक्ति कि सभी गुप्तनीयता सार्वजनिक हो जाती है। 

 

विज्ञान एवं तकनीकी का कृषि एवं पर्यावरण पर प्रभाव-

कृषि पर प्रभाव

सकारात्मकता- 

  • कृषि में शारीरिक श्रम की आवश्यकता कम हुई है। क्योंकि अधिकांश कार्य कृषि उपकरणों (ट्रैक्टर ,हार्वेस्टर ,ट्रेसर ,हेरो)द्वारा किया जाने लगा है। 

  • कृषि उपज एवं कृषि की उत्पादकता बड़ी है (क्योंकि फसलों के लिए अवश्य उर्वरकों का प्रयोग तथा सिंचाई के साधनों के विकास से अत्यधिक सिंचाई का प्रयोग हुआ है)

  • जैव- प्रौद्योगिकी द्वारा कृषि क्षेत्र में नई-नई उन्नत किस्म की फसलों का विकास हुआ। जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है और उत्पादकता भी अधिक।

नकारात्मक प्रभाव

  • कृषि में लागत बढ़ी है(क्योंकि कृषि उपकरणों को खरीदने या बीज खाद सिंचाई के लिए व्यवस्था करने के लिए लागत की आवश्यकता होती है)

  • कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता कम हुई है (क्योंकि अत्यधिक मात्रा में सिंचाई एवं कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है)

पर्यावरण पर प्रभाव

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास ने हमारे पर्यावरण को काफी ज्यादा प्रदूषित किया है क्योंकि वर्तमान में जितने भी वाहन एवं उद्योग की फैक्ट्रियां चल रही है वह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ही देन है जिससे व्यापक मात्रा में धुआं निकलता है और वायु प्रदूषण होता है, किंतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने जहां एक और प्रदूषण फैलाया तो वहीं दूसरी और पर्यावरण के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,पर्यावरण संरक्षण में विज्ञान एवं तकनीकी की भूमिका को निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैं

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से गैर परंपरागत एवं नवीनीकरण ऊर्जा स्त्रोतों का विकास हुआ है जिससे एक ओर हमें व्यापक मात्रा में एनर्जी मिलती है दूसरी ओर प्रदूषण भी नहीं होता। 

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से क्लोनिंग प्रणाली विकसित हुई है जो विलुप्त होने वाले जीव का क्लोन बनाकर पर्यावरण की जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक है। 

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की मदद से वर्तमान में डायरेक्ट एयर कैप्चर जैसी तकनीक विकसित की जा रही है जो सीधे तौर पर पृथ्वी पर बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को अवशोषित करके, ग्लोबल वार्मिंग जैसी घटनाएं को रोक सकती है। 

प्रशासन के क्षेत्र में तकनीकी का प्रयोग

वर्तमान समय में शासन प्रशासन की सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है और इस भ्रष्टाचार से निपटने तथा सुशासन की स्थापना करने में विज्ञान एवं तकनीकी का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि कुछ विशिष्ट तकनीकियों का प्रयोग करके, प्रशासन में जवाबदेहिता, पारदर्शिता, सत्य निष्ठा व कर्तव्यनिष्ठा लाई जा सकती है तथा प्रशासनिक कार्यकुशलता बढ़ाई जा सकती है जो निम्नलिखित हैं

  • सीसीटीवी कैमरा द्वारा निरीक्षण करके प्रशासन में कर्तव्यनिष्ठ जवाबदेही बढ़ाई जा सकती है। 

  • डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर तकनीक का इस्तेमाल करके किसी भी योजना का लाभ बिना भ्रष्टाचार के सीधे लाभार्थियों तक पहुंचा जा सकता है।

  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दूर बैठे ही अधीनस्थ अधिकारियों से संपर्क किया जा सकता है। और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।  

  • बायोमेट्रिक तकनीक द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों कर्मचारियों की वास्तविक उपस्थिति पहचानी जा सकती है। 

  • ऑनलाइन सिगनेचर जैसी सुविधाओं के द्वारा प्रशासनिक कार्यों में शीघ्रता लाई जा सकती है।

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