विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अन्य संगठन व संस्थान-:
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Toggleवैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)
टाटा आधारभूत अनुसंधान संस्थान (TIFR)
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC)
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र(RRCAT)
राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला(NARL)
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान(IIST)
इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क(IDSN)
इंडियन स्पेस साइंस डाटा सेंटर(ISSDC)
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)
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यह भारत की सबसे बड़ी तकनीकी अनुसंधान संस्था है, जो भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करती है। इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है किंतु देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसके अनेक शाखाएं संचालित हैं।
इसकी स्थापना 1942 को डॉ शांति स्वरूप भटनागर के प्रयासों से हुई थी।
इसका मुख्य कार्य-: राष्ट्र(भारत) की आवश्यकता के अनुरूप, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान द्वारा नवोन्मेष आधारित तकनीकी का विकास करना।
वर्तमान में यह संस्था समुद्री अन्वेषण, पर्यावरण इंजीनियरिंग, जैव-प्रौधौगिकी एवं कृषि रसायन आदि क्षेत्रों के तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है।
उपलब्धियां-:
अमिट स्याही- वर्तमान में चुनाव के दौरान मतदाताओं कि नाखून में प्रयोग की जाने वाली अमिट स्याही का विकास इसी संस्थान द्वारा किया गया था वर्तमान में इस स्याही का निर्यात श्रीलंका, इंडोनेशिया, तुर्की जैसे देशों में किया जाता है।
सांबा मसूरी चावल-इस संस्थान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर उन्नत सांबा मसूरी चावल की किस्म का विकास किया यह चावल (धान)बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी होता है।
सोलर ट्री- सीएसआईआर द्वारा विकसित सोलर ट्री एक पेड़ के आकार का सोलर सिस्टम होता है जो कम जगह घेरकर, अधिकतम ऊर्जा प्राप्त करता है।
क्षीर-स्केनर-इसके द्वारा मात्र 45 सेकंड में दूध की मिलावट का पता लगाया जा सकता है।
फोर्टिफाइट नमक– सीएसआईआर द्वारा दिक्षित यह नमक आयरन युक्त होता है जिसके सेवन से एनीमिया रोग दूर हो सकता है।
टाटा आधारभूत अनुसंधान संस्थान (TIFR)
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टाटा आधारभूत अनुसंधान संस्थान परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत कार्य करने वाली एक अनुसंधान संस्था है, जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है,
इसकी स्थापना 1945 को होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट के सहयोग से हुई थी।
इस संस्थान का मुख्य कार्य-: भौतिकी, रसायन, प्राकृतिक-विज्ञान ,कंप्यूटर-विज्ञान के क्षेत्र में बुनियादी अनुसंधान का कार्य करना।
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC)
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यह भारत में परमाणु अनुसंधान के क्षेत्र की सर्वोच्च संस्था है, जो भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्था के रूप में कार्य करती है। इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।
इस केंद्र की स्थापना परमाणु ऊर्जा संस्थान के रूप में 1954 को की गई , बाद में इसका नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र रख दिया गया।
इसका प्रमुख कार्य-:
-भारत में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास का कार्य करना।
-ऊर्जा उत्पादन के लिए परमाणु रिएक्टरों का निर्माण करना।
-चिकित्सा,कृषि एवं औद्योगिक के क्षेत्र में रेडियोधर्मी पदार्थों पर आधारित उपयोगी तकनीक का विकास करना।
उपलब्धियां-
इसी संस्थान के द्वारा भारत के अनेकों महत्वपूर्ण परमाणु ऊर्जा रिएक्टर जैसे- अप्सरा, ध्रुव, सारस का निर्माण किया गया है।
बार्क द्वारा बड़ी मात्रा में ऐसे रेडियोधर्मी पदार्थों का निर्माण किया जाता है जिनका उपयोग रोगों का पता लगाने, कैंसर रोग की चिकित्सा करने, खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने आदि में किया जाता है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन भारत सरकार की रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाला एक अनुसंधान संगठन है, जिसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1958 को रक्षा विज्ञान संगठन के तौर पर की गई थी बाद में इसे डीआरडीओ का रूप दे दिया गया।
उद्देश्य-:
देश की रक्षा प्रौद्योगिकी को मजबूत करने हेतु रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास करना।
भारतीय सैनिकों को आधुनिक एवं शक्तिशाली रक्षा उपकरण प्रदान करना।
भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना।
कार्य-:
1. भारतीय सेना के लिए विभिन्न आधुनिक एवं शक्तिशाली रक्षा उपकरणों जैसे-मिसाइल,टैंक, वैपन के निर्माण का कार्य करता है।
2. भारतीय सैनिकों के सामने आने वाली दिक्कतों के समाधान हेतु उपयोगी प्रौद्योगिकी निर्माण करता है जैसे-भारतीय सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए hiptapak या बुखारी का निर्माण।
3. अन्य सामरिक समस्याओं के समाधान हेतु तकनीकी का विकास करना जैसे- बायो टॉयलेट तकनीकी का विकास, कोरोना से निपटने के लिए 2DG दवाई का निर्माण।
डीआरडीओ की उपलब्धियां-:
1. मिसाइल विकास- डीआरडीओ द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत पांच प्रकार की मिसाइलें विकसित की गई हैं-
पृथ्वी- यह सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल है। इसके 3 वर्जन हैं-
पृथ्वी-1 : यह 1000 किलोग्राम के बारूद को 150 किलोमीटर की दूरी तक ले जाने में सक्षम है
पृथ्वी-2 : यह 500किलोग्राम के बारूद को 250 किलोमीटर की दूरी तक ले जाने में सक्षम है
पृथ्वी-3 : यह 1000 किलोग्राम के बारूद को 350 किलोमीटर की दूरी तक ले जाने में सक्षम है
त्रिशूल मिसाइल- यह सतह से आकाश पर मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल है।
आकाश मिसाइल- यह सतह से आकाश पर मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल है।
नाग मिसाइल- यह टैंक भेदी मिसाइल है। अर्थात दुश्मन के टैंक को समाप्त कर सकती हैं।
अग्नि मिसाइल- यह सतह से सतह पर मार करने वाली अधिक दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है। इसके विभिन्न वर्जन हैं-
अग्नि-1
अग्नि-2
अग्नि-3
अग्नि-4
अग्नि-5 : यह 1500 किलोग्राम के बारूद को 5000 किलोमीटर की दूरी तक दागने में सक्षम है।
2. अर्जुन टैंक- यह डीआरडीओ द्वारा विकसित एंटी माइंस टैंक है, जो भारत का सबसे शक्तिशाली टैंक है।
3. आईएनएस अरिहंत- यह स्वदेशी तकनीकी पर आधारित, भारत की परमाणु शक्ति युक्त पनडुब्बी है।
4. भारत ड्रोन- यह डीआरडीओ द्वारा विकसित एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त ड्रोन है इसमें अत्याधुनिक नाइट विजन की भी सुविधा है।
5. हिम तापक- सियाचिन जैसे ऊंचे वाले क्षेत्र में तैनात भारतीय सैनिकों के रहने वाली जगह को गर्म रखने के लिए डीआरडीओ ने इस(बुखारी) डिवाइस का निर्माण किया है जो पर्यावरण हितैषी भी है।
6. सोलर स्नो मेल्टर- जीरो डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को पानी उपलब्ध कराने के लिए सोलर स्नो मेल्टर तकनीक का विकास किया है जिसके द्वारा सौर ऊर्जा से वर्ष से पानी बनाया जा सकता है।
7. बायो टॉयलेट – डीआरडीओ ने बायो डाइजेस्टर टेक्नोलॉजी पर आधारित बायो टॉयलेट का विकास किया है, वर्तमान में इसका उपयोग रेलगाड़ी में तथा विभिन्न अपार्टमेंट ब्लॉक में किया जाता है।
8. संजीवनी- डीआरडीओ द्वारा विकसित संजीवनी एक सोनार पद्धति पर आधारित तकनीक है,जिसके द्वारा मलबे में दबे या बोरवेल में गिरे पीड़ितों की पहचान की जा सकती।
लड़ाकू विमान को बनाने का कार्य भारतीय उद्ययन विभाग करता है।
राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र(RRCAT)
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यह लेजर तकनीकी के क्षेत्र में अनुसंधान करने वाली अंतरिक्ष विभाग की प्रमुख संस्था है, जिसका मुख्यालय मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित है,
इसकी स्थापना भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की परिकल्पना के अनुसार वर्ष 1984 को की गई थी।
इसका प्रमुख कार्य-: निम्न तकनीकी क्षेत्रों अनुसंधान एवं विकास करना है-
-लेजर प्रौद्योगिकी
-एक्सीलरेशन तकनीकी
-cryogenics technology
-प्लाज्मा प्रौद्योगिकी
-वैक्यूम टेक्नोलॉजी।
उपलब्धि-:
इसमें अनेकों लेजरों का निर्माण किया है जैसे-
हाई पावर कार्बन डाइऑक्साइड लेजर, सेमीकंडक्टर लेजर केमिकल लेजर।
तथा जेनेवा के शहर “सर्न” में भी हैड्रन कोलाइडर प्रोजेक्ट में कार्यशील है।
राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला(NARL)
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यह भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत कार्य करने वाली एक स्वायत्त संस्था है, इसका मुख्यालय आंध्र प्रदेश के तिरुपति के पास ‘गडंकी’ की में स्थित है।
इसकी स्थापना 1992 को राष्ट्रीय रडार सुविधा के तौर पर की गई थी, जिसे बाद में राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला का नाम दे दिया गया।
इसका मुख्य कार्य-: पृथ्वी के वायुमंडल क्षेत्र में अनुसंधान करके वायुमंडल से संबंधित नवीन तकनीकी जैसे-रडार तकनीकी, लिडार तकनीकी, वायुमंडलीय घटनाओं के पूर्वानुमान की तकनीकी आदि का विकास करना है।
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान(IIST)
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यह संस्थान भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत कार्य करने वाला एक स्वायत्त निकाय है, इसका मुख्यालय केरल की तिरुवंतपुरम में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 2007 को इसरो द्वारा की गई थी।
इसका मुख्य कार्य-: अंतरिक्ष के क्षेत्र में विज्ञान एवं तकनीकी का अनुसंधान एवं विकास करना तथा इस क्षेत्र में इच्छुक विद्यार्थियों को उपयुक्त शिक्षण व प्रशिक्षण प्रदान करना है।
इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क(IDSN)
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इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क,अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत इसरो के अधीन कर करने वाला संस्थान जिसका मुख्यालय बंगलुरु के पास स्थित है, जिसे भारत के चंद्रयान मिशन के लिए वर्ष 2008 को स्थापित किया गया।
इस संस्थान में अनेकों एंटीना लगे होते हैं जो अंतरिक्ष उपग्रहों से सिग्नल प्राप्त करते हैं।
इसका मुख्य कार्य-: भारत के विभिन्न अंतरिक्ष अन्वेषण सैटेलाइट जैसे- चंद्रयान, मंगलयान आदि के (विद्युत चुंबकीय) सिग्नलों के माध्यम से अंतरिक्ष का डाटा प्राप्त करना है।
इंडियन स्पेस साइंस डाटा सेंटर(ISSDC)
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इंडियन स्पेस साइंस डाटा सेंटर, भारतीय अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत कार्य करने वाली संस्था है जिसकी स्थापना वर्ष 2008 को की गई थी। इसका मुख्यालय इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क के कैंपस में स्थित है।
इसका मुख्य कार्य-: अंतरिक्ष उपग्रहों से प्राप्त डाटा (फोटो, साउंड, अन्य जानकारी)को व्यवस्थित रूप से संग्रहित करके रखना तथा आवश्यकतानुसार विभिन्न अनुसंधान संस्थानों को अंतरिक्ष का डाटा प्रदान करना है।