विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान

[विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान]

[जगदीश चंद्र बसु]

.[जगदीश चंद्र बसु]

भारत के पहले आधुनिक वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु का जन्म 1858 को वर्तमान बांग्लादेश के मेमनसिंह क्षेत्र में हुआ था। 

वे बहुमुखी वैज्ञानिक प्रतिभा के धनी थे उन्होंने ना सिर्फ वनस्पति विज्ञान में बल्कि भौतिक विज्ञान, पुरातत्व एवं वैज्ञानिक साहित्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया,जिसको निम्न बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है-:

भौतिकी के क्षेत्र में योगदान-:

जगदीश चंद्र बसु को रेडियो विज्ञान का पितामह कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने विश्व में सर्वप्रथम रेडियो एवं सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशकी का व्यवस्थित अध्ययन एवं शोध किया और रेडियो तरंगों द्वारा बेतार (वायरलेस) संचार प्रणाली की शुरुआत की। जिसके विकास से ही हमें वर्तमान में रिमोट कंट्रोल जैसी सुविधा प्राप्त हो सकी हैं। 

वनस्पतिविज्ञान के क्षेत्र में-:

जगदीश चंद्र बसु ने अपने अनुसंधान द्वारा सर्वप्रथम दुनिया को यह बताया कि जंतुओं की भांति पौधों पर भी वातावरण के बाह्य उद्दीपकों (ठंड, गर्मी ,स्पर्श) का प्रभाव पड़ता है तथा वे इसकी प्रतिक्रिया भी देते। एवं इसे अपने एक सर्वजनिक प्रयोग द्वारा सिद्ध भी किया। 

उन्होंने पौधों की वृद्धि को मापने के लिए “केस्कोग्राफ” नामक यंत्र का निर्माण भी किया।

साहित्य के क्षेत्र में-:

जगदीश चंद्र बसु को बंगाली विज्ञान कथा साहित्य का जनक भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अनेकों वैज्ञानिक साहित्य ग्रंथों की रचना की जैसे-: द नर्वस मैकेनिज्म ऑफ प्लांट, अव्यक्त। 

 

 

[प्रफुल्ल चंद्र राय]

.[प्रफुल्ल चंद्र राय]

भारतीय रसायन शास्त्र के पिता माने जाने वाले प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म 1861 में बंगाल में हुआ, जो एक प्रसिद्ध रसायनज्ञ एवं राष्ट्-प्रेमी भी थे। 

उन्होंने सर्वप्रथम 1896 में मरक्यूरस नाइट्रेट की खोज की तथा इसके बाद अमोनियम नाइट्रेट के शुद्ध रूप का निर्माण किया। जिसका उपयोग फर्टिलाइजर के रूप में तथा बारूद निर्माण में होता है। 

इसके अतिरिक्त उन्होंने स्वदेशी रसायन उद्योग “बंगाल केमिकल फार्मास्युटिकल वर्क्स”की भी स्थापना की। जो आज भी संचालित है यहां विभिन्न प्रकार की दवाइयां एवं फर्टिलाइजर बनाए जाते हैं। 

प्रमुख रचनाएं-:

-हिंदू रसायनशास्त्र का इतिहास। 

-लाइफ एंड एक्सपीरियंस ऑफ ए बंगाली केमिस्ट। 

 

श्रीनिवास रामानुजन

.[प्रफुल्ल चंद्र राय]

भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 1887 को तमिलनाडु की कोयंबटूर जिले में हुआ था, वे अद्वितीय गणितीय प्रतिभा के धनी थे। 

उन्होंने सिर्फ 33 वर्ष की अल्पायु में गणित के क्षेत्र में अनुसंधान करके, लगभग 3900 प्रमेय (थ्योरम) दिये जो अपने आप में एक आश्चर्यजनक कार्य है। इसके अलावा उन्होंने ब्रिटिश के गणितज्ञ जी.एच. हार्डी के साथ मिलकर गणित के क्षेत्र में अमूल्यनीय शोध कार्य भी किया। 

उन्हीं की याद में उनके जन्मदिवस 22 दिसंबर को “राष्ट्रीय गणित दिवस” मनाया जाता है। 

[चंद्रशेखर वेंकटरमन]

.[चंद्रशेखर वेंकटरमन]

भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता चंद्रशेखर वेंकटरमन का जन्म 1888 ईस्वी में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नामक स्थान में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी थे, उन्होंने भौतिक विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान किया और अनेंको उपलब्धियां हासिल की किंतु उनकी सबसे महत्वपूर्ण खोज रमन प्रभाव थी, जिसने उन्हें विश्व ख्याति दिलाई। 

रमन प्रभाव के अनुसार जब कोई एकवर्णी प्रकाश किरण(monochromatic light) किसी गैसीय पदार्थ या पारदर्शी माध्यम से गुजरती है तो वह प्रकीर्णित होकर, भिन्न-भिन्न तरंगदैर्ध्य वाली तरंगों में विभक्त हो जाती है। 

वर्तमान में रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग निम्न क्षेत्र में हो रहा है-:

-कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए,

-विभिन्न नए पदार्थों की पहचान के लिए, जैसे- चंद्रमा में पानी का पता लगाने के लिए। 

रमन प्रभाव के खोज के दिन अर्थात 28 फरवरी को “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” के रूप में मनाया जाता है। 

 

[सत्येंद्र नाथ बोस]

 

 

 

.[सत्येंद्र नाथ बोस]

क्वांटम फिजिक्स की आधारशिला रखने वाले भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म 1894 को कोलकाता में हुआ था। वे प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं भौतिक शास्त्री थे उन्होंने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में विभिन्न अनुसंधान करके अनेक उपलब्धियां हासिल की,किंतु उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि परमाणु के बोसान कण की खोज तथा पदार्थ की पांचवी अवस्था बोस-आइंस्टीन-कंडन्सेट की खोज है, BEC अत्यधिक निम्न ताप(परम शून्य ताप) वाली पदार्थ की अवस्था है। 

[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]

.[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]

आधुनिक भारत के महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर (वर्तमान कर्नाटक)के कोलार क्षेत्र में हुआ,वे भारत के प्रसिद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ दूरदर्शी राजनीतिज्ञ भी थे, उन्होंने आधुनिक व प्रगतिशील भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसे प्रमुखता: निम्न बिंदुओं द्वारा समझा सकता है-:

बांध निर्माण के क्षेत्र में योगदान-:

उन्हें भारत में बांध निर्माण का जनक भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने नदियों के जल से संबंधित विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु कम संसाधनों में ही अनेकों मजबूत बांधों का निर्माण किया जैसे-कृष्णराज सागर बांध (मैसूर), सिंध प्रांत का शख्खर बांध। जिससे एक ओर सुखा एवं बाढ़ की समस्या का समाधान हुआ दूसरी ओर विद्युत उत्पादन का कार्य भी प्रारंभ हुआ। 

औद्योगिक विकास के क्षेत्र में योगदान-:

उनका मानना था कि भारत की प्रगति के लिए आर्थिक विकास जरूरी है वह आर्थिक विकास के लिए उद्योग एवं बैंक को का विकास व विस्तार जरूरी है इसलिए उन्होंने अनेक उद्योग एवं बैंकों की स्थापना की जैसे- आयरन एंड स्टील वर्क्स(भद्रावती), सैंडल आयल एंड सॉप फैक्ट्री,पेपर मिल,स्टेट बैंक ऑफ मैसूर। 

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान-:

उन्होंने शिक्षा के विकास एवं विस्तार हेतु अनेकों स्कूल एवं महारानी साइंस कॉलेज मैसूर की स्थापना की । 

उनकी रचनाएं-: 

-रिकंस्ट्रक्शन ऑफ इंडिया।  

-प्लैंड इकोनामी फॉर इंडिया। 

इन्हीं के सम्मान में इनके जन्म दिवस 15 सितंबर को राष्ट्रीय अभियंता (इंजीनियर) दिवस के रूप में मनाया जाता है।  

 

डॉ. होमी जहांगीर भाभा

.डॉ. होमी जहांगीर भाभा

भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले डॉ. होमी जहांगीर भाभा का जन्म वर्ष 1909 को मुंबई में हुआ। 

जो भारत के प्रसिद्ध परमाणु भौतिक विज्ञानी थे, उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने तथा नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत बनाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके योगदान को निम्न बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है-:  

1945 में भाभा के नेतृत्व में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना हुई। 

1948 में जहांगीर भाभा ने अपने प्रयासों से परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना करवाई जिसके माध्यम से ही भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन पाया। 

1954 में ही होमी जहांगीर भाभा ने परमाणु ऊर्जा संस्थान की स्थापना की, जिसे बाद में भाभा परमाणु ऊर्जा अनुसंधान संस्थान(BARC) का नाम दे दिया गया।  इस संस्थान द्वारा ही एशिया का पहला परमाणु विद्युत रिएक्टर “अप्सरा” का निर्माण किया गया। 

इसके अतिरिक्त होमी जहांगीर भाभा ने क्वांटम थ्योरी दी एवं कॉस्मिक किरणों के बारे में बताया। 

 

[विक्रम अंबालाल साराभाई]

.[विक्रम अंबालाल साराभाई]

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई का जन्म 1919 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था, वे एक महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे। विक्रम साराभाई ने ही अपने प्रयासों से 1962 को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना की, जिसे 1969 में इसरो रूप के रूप में परिवर्तित कर दिया गया जो भारत की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है। 

इसके अतिरिक्त उन्होंने विज्ञान एवं तकनीकी संबंधित अनेकों प्रमुख संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया इसलिए उन्हें संस्था निर्माता भी कहा जाता है 

उनके प्रयासों से निर्मित प्रमुख संस्थाएं-:

-भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद

-भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद

-समुदायिक विकास केंद्र अहमदाबाद

-थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन, त्रिवेंद्रपुरम

इन महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना के अलावा उन्होंने कॉस्मिक किरणों के क्षेत्र में अनुसंधान करके महत्वम् लब्धि हासिल की तथा भारत के पहले उपग्रह “आर्यभट्ट” को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। 

उन्हीं के प्रयासों की उपज स्वरूप आज भारत विश्व में एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति संपन्न देश बन गया है। 

 

[सुब्रमण्यन चंद्रशेखर]

.[सुब्रमण्यन चंद्रशेखर]

भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता सुब्रमण्यम चंद्रशेखर का जन्म 1910 को लाहौर में हुआ था, वे विश्व प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे, उन्होंने क्वांटम फिजिक्स, अंतरिक्ष विज्ञान तथा खगोलशास्त्र के क्षेत्र में काफी ज्यादा अनुसंधान किया और यह बताया कि यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 1.44 गुना से अधिक है तो वह तारा विघटन(मृत्यु) के पश्चात ब्लैक होल में परिवर्तित होगा और यदि उसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 1.44 गुना से कम है तो तारा श्वेत पुंज में परिवर्तित होगा। और तारे के परिवर्तित रूप का निर्धारण करने वाली इस सीमा को सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर के सम्मान में चंद्रशेखर सीमा का नाम दिया गया।

 

परमाणु वैज्ञानिक राजा रामन्ना

[राजा रामन्ना]

.परमाणु वैज्ञानिक राजा रामन्ना

भारत के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक राजा रामन्ना जी का जन्म 1925 को कर्नाटक में हुआ था, उन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, वे 1949 से 1966 तक होमी जहांगीर बाबा के निर्देशन में टाटा फंडामेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट(TFIR) एवं भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान (BARC) में एक शोधकर्ता के रूप में कार्य करते रहे किंतु 1966में होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु की बाद, उन्हें भारतीय परमाणु कार्यक्रम का निर्देशक बनाया गया। उनके निर्देशन में ही 18 मई 1974 को पोखरण में भारत का पहला परमाणु परीक्षण किया गया। 

इन्होंने ही इंदौर स्थित लेजर प्रधौगिकी की केंद्र स्थापित करने की आधारशिला रखी अतः उनके सम्मान में इस केंद्र का नाम राजा रामन्ना प्रगत तकनीकी केंद्र रखा गया। 

 

[हरगोविंद खुराना]

.[हरगोविंद खुराना]

चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारतीय मूल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना का जन्म 1922 को अविभाजित भारत के मुल्तान (पंजाब) में हुआ था। 

वे विश्व प्रसिद्ध बायोकेमिस्ट थे, उन्होंने अपना अधिकांश शोध कार्य डीएनए के न्यूक्लिक अम्ल में किया, और दुनिया को यह बताया कि न्यूक्लिक अम्ल में, न्यूक्लियोटाइड किस प्रकार प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करते हैं। इस शोध के लिए उन्हें 1968 को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। 

इसके अतिरिक्त उन्होंने जेनेटिक कोड का भी पता लगाया और प्रयोगशाला में कृत्रिम जीन बनाने की विधि भी खोजी। 

 

[ए.पी.जे. अब्दुल कलाम]

.[ए.पी.जे. अब्दुल कलाम]

मिसाइल मैन के रूप में पहचाने जाने वाले अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थे, जिनका जन्म 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। वे वैज्ञानिक होने के साथ-साथ राष्ट्रभक्त भी थे उन्होंने नासा में अधिक वेतन की जॉब करने के अवसर को छोड़कर भारत की उन्नति के लिए कार्य किया, उनके योगदान को निम्न बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है-:

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान-:

1969 में इसरो के स्पेस लॉन्च व्हीकल प्रोजेक्ट के डायरेक्टर नियुक्त हुए इस पद पर कार्य करते हुए उन्होंने 1979 को भारत के पहले SLV का निर्माण करके उस अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया किंतु उनका यह मिशन असफल रहा किंतु उन्होंने हार नहीं मानी और इसके 1 साल बाद अर्थात 1980 को SLV-3 प्रक्षेपण यान से “रोहिणी”उपग्रह को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया। इस उपलब्धि से वे काफी ज्यादा प्रसिद्ध हुए। 

रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान-:

1982 से DRDO के integrated guided missile development programme का निर्देशन करते हुए विभिन्न शक्तिशाली मिसाइलों जैसे-पृथ्वी मिसाइल, अकाश मिसाइल, त्रिशूल मिसाइल, नाग मिसाइल और सबसे उन्नत अग्नि मिसाइल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

द्वितीय पोखरण परमाणु परीक्षण-:

एपीजे अब्दुल कलाम के प्रयासों से ही 11-13 मई 1998 को पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा सका।  

चिकित्सा क्षेत्र में योगदान-:

एपीजे अब्दुल कलाम ने सोमा राजू नामक हृदय चिकित्सक के साथ मिलकर कम कीमत वाला “कोरोनरी स्टेंट” का निर्माण किया जिसे कलाम-राजू स्टैंड के नाम से जाना जाता है। 

राजनीतिक क्षेत्र में योगदान-: 

अब्दुल कलाम का वैज्ञानिक क्षेत्र के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी विशिष्ट योगदान रहा है

उन्होंने 1992 से 1999 तक रक्षा मंत्रालय के विज्ञानिक सचिव के रूप में भूमिका निभाई। तथा 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति पद के रूप में भूमिका निभाई। 

 

उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण योगदान के साथ-साथ उन्होंने भारत के विद्यार्थियों तथा युवाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए प्रेरित करने हेतु विभिन्न शोध संस्थानों व शिक्षण संस्थानों में अपने प्रभावशाली भाषण दिए,

और अंतत: 27 जुलाई 2015 को आई आई एम शिलांग में भाषण देते हुए इस पृथ्वी से अलविदा कह गए। 

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