विश्व की जलवायु एवं प्रमुख जलवायु क्षेत्र

[विश्व की-:जलवायु]

This page Contents

किसी स्थान विशेष की अल्पकालीन वायुमंडलीय दशाओं जैसे-: वर्षा, तापमान, वायुदाब ,पवन,आद्रता आदि को मौसम कहते हैं।

जबकि किसी विस्तृत अक्षांशीय क्षेत्र की दीर्घकालीन(35 वर्ष) मौसमी दशाओं को जलवायु कहलाता है। 

मौसम और जलवायु में अंतर-: 

  • मौसम में अल्पकालीन परिवर्तन होता रहता है जैसे 1 घंटे बाद मौसम बदल सकता है जबकि जलवायु में परिवर्तन दीर्घकालीन समय में होता अर्थात 1 दिन या 1 घंटे में जलवायु नहीं बदल सकती। जलवायु कई 100 वर्षों में बदलती है

  • मौसम, जलवायु का एक संगठक है, जब की जलवायु विभिन्न मौसमी दशाओं से मिलकर बनती है। 

  • मौसम की पहचान वर्षा ,तापमान आदि होती है जबकि जलवायु की पहचान संबंधित क्षेत्र की वनस्पति होती है। अर्थात किसी एक प्रकार की जलवायु में किसी एक निश्चित प्रकार की वनस्पति ही उगती है, जैसे टुन्ड्रा जलवायु में अल्पाइन वनस्पति। 

  • मौसम का विस्तार क्षेत्र छोटा होता है जबकि जलवायु का विस्तार बहुत विस्तृत क्षेत्र में या अनेक देशों में होता है।

जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक 

जलवायु किसी विस्तृत अक्षांश क्षेत्र की मौसमी दशाओं का समुच्चय होता है, और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न जलवायु पाई जाती है क्योंकि जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-: 

अक्षांश स्थिति-: 

पृथ्वी के निम्न अक्षांश क्षेत्रों में सूर्य की किरणें अपेक्षाकृत लंबवत पड़ती है, परिणाम स्वरूप निम्न अक्षांश क्षेत्रों में तापमान अधिक होता है और निम्न अक्षांश क्षेत्रों से ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर जाने पर तापमान घटता जाता है क्योंकि सूर्य की किरणें तिरछी होती जाती है। 

अतः तापमान के आधार पर विश्व की जलवायु को मुख्यता चार भागों में बांटा जा सकता है

  • उष्णकटिबंधीय जलवायु-: यह जलवायु कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्य पाई जाती है। 

  • शीतोष्ण कटिबंधीय जलवायु-: यह जलवायु 33.5 से 66.5 उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य पाई जाती है। 

  • शीत कटिबंधीय जलवायु-: यह जलवायु 66.5 से 90 डिग्री अक्षांश तक के उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्रों पाई जाती है।

ऊंचाई-: 

चूंकि हमारा वायुमंडल सूर्य से आने वाली लघु तरंगों से गर्म नहीं होता बल्कि धरातल से टकराकर उत्सर्जित होने वाली पार्थिव दीर्घ तरंगों से गर्म होता है, अतःधरातल के निकट वाला वायुमंडलीय भाग ऊपरी वायुमंडल की तुलना में अधिक गर्म होता है। 

अर्थात नीचे से ऊपर की ओर जाने पर वायुमंडल का तापमान घटता जाता है और औसतन रुप से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर 6.5 डिग्री सेल्सियस तापमान घट जाता है, इसीलिए ऊंचे पर्वतीय भागों में बर्फ जमी रहती है, अर्थात ऊपर की जलवायु अपेक्षाकृत ठंडी जलवायु होती है

समुद्र से दूरी-: 

धरातल के समुद्री भाग स्थल की तुलना में धीमी गति से गर्मी एवं ठंडे होते हैं, और समुद्र की इस समकारी जलवायु का प्रभाव निकट के स्थल पर भी पड़ता है , अर्थात जो स्थल समुद्र के जितने नजदीक होता है इस स्थल का तापमान भी धीमी गति से बढ़ता एवं घटता है अर्थात तापांतर कम एवं आदत अधिक होती है जबकि समुद्र से जिस स्थल की दूरी जितनी अधिक होती है उस स्थल का तापांतर उतना ही अधिक होता है। जैसे-: महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र का तापांतर कम होता है तथा आद्रता अधिक होने से बरसा अधिक होती है। 

स्थानीय पवनें-: 

स्थानीय पवने भी किसी भी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करती है जिन क्षेत्रों में ठंडी या ध्रुवीय क्षेत्र से आने वाली पवने चलती हैं वे उस क्षेत्र का तापमान घटा देते हैं तथा जिस क्षेत्र में गर्म स्थानीय पवनें चलती है,वे उस क्षेत्र का तापमान बढ़ा देती है जैसे ग्रीष्म काल में भारत में चलने वाली “लू” पवन उत्तर भारत के ताप को बढ़ा देती। 

उच्चावच्चों की स्थिति-:

उच्चावच भी जलवायु को प्रभावित करते हैं, क्योंकि जिस क्षेत्र में पर्वत पठार जैसे उच्चावचों का पवनाभिमुखी ढाल होता है वह अधिक वर्षा होती है इसके विपरीत जिस क्षेत्र में इन उच्चावचों का पवनाविमुखी ढाल होता है वहां कम वर्षा होती है। जैसे-: अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी से चलने वाली पवनें हिमालय पर्वत से टकराकर उत्तर भारत के मैदान में पर्वतीय वर्षा करती हैं जबकि हिमालय पर्वत के पीछे का तिब्बती क्षेत्र शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत आया है यहां पर अरब सागर की पवनों द्वारा वर्षा नहीं होती।

मानवीय गतिविधियां-: जिन क्षेत्रों में औद्योगीकरण नगरीकरण जैसी मानवीय गतिविधियां काफी ज्यादा सक्रिय हैं उन क्षेत्रों में ईंधन के दहन तथा वृक्ष कटाव के कारण तापमान उच्च होता है इसके विपरीत जिन क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियां कम सक्रिय होती हैं वहां पर तापमान निम्न होता है। 

जलवायु का वर्गीकरण

जलवायु किसी विस्तृत अक्षांशीय क्षेत्र की दीर्घकालीन मौसमी दशाएं होती है, और प्रत्येक स्थान की एक निश्चित जलवायु होती है अतः पूरे विश्व की जलवायु का वर्गीकरण करना एक कठिन कार्य है। यही कारण है कि अभी तक विश्व की जलवायु को बिल्कुल सटीक तरीके से विभाजित नहीं किया जा सका। हालांकि कोपेन एवं थान्थर्वेट का जलवायु वर्गीकरण काफी ज्यादा सटीक,वैज्ञानिक एवं आधुनिक है,

जलवायु को विभाजित करने का कार्य सर्वप्रथम यूनानियों ने किया था उन्होंने विश्व की जलवायु के तापमान के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया:-

उष्णकटिबंधीय जलवायु

यह जलवायु कर्क और मकर रेखा के मध्य पाई जाती है यहां पर 20 डिग्री से अधिक तापमान रहता है। 

शीतोष्ण कटिबंधीय जलवायु

यह जलवायु दोनों गोलार्ध में 23१/२ डिग्री अक्षांश और 66१/२ डिग्री अक्षांश के मध्य पाई जाती है, यहां पर 8 महीने 20 डिग्री से भी कम तापमान रहता है। 

शीत कटिबंधीय जलवायु

यह जलवायु दोनों गोलार्ध में 66१/२ डिग्री अक्षांश से 90°अक्षांश तक पाई जाती है 

यहां पर 8 महीने तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम रहता हैं। 

वर्तमान में निम्नलिखित दो जलवायुवेत्ताओं का जलवायु वर्गीकरण सर्वाधिक मान्य है।

  • कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

  • थार्नवेट का जलवायु वर्गीकरण। 

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

‘डब्लू कोपेन’जर्मनी की मौसम वैज्ञानिक थे जिन्होंने सर्वप्रथम 1900 में वनस्पति प्रदेशों के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण प्रस्तुत किया। जो काफी वैज्ञानिक वर्गीकरण है। 

बाद में सन 1953 में गीगर महोदय ने इसका संशोधित रूप प्रस्तुत किया जिसे ‘कोपेन-गीगर’ का जलवायु वर्गीकरण कहते हैं। 

W कोपेन नेविश्व की जलवायु को मुख्यतः 5 समूहों में वर्गीकृत किया है ,तथा इन जलवायु समूहों को अंग्रेजी के 5 कैपिटल लेटर ( A , B , C , D, E) से प्रदर्शित किया है। जो निम्नलिखित हैं ।

 

 

 

 

 

 .कोपेन का जलवायु वर्गीकरण

 

 

 

 

 

.कोपेन का जलवायु वर्गीकरण.

A (उष्णकटिबंधीय जलवायु )

इस जलवायु के क्षेत्र में वर्ष के सभी माह का औसतन तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है ।

इस जलवायु के उप समूह

  • A f जलवायु :-यह भूमध्य रेखीय जलवायु होती है ,जो मुख्यतः 10° N से 10° S  के मध्यपाई जाती है ,इस जलवायु की मुख्य विशेषता यह है कि यहां पर वर्ष भर वर्षा होती है तथा सदाबहार वन पाए जाते हैं ।

  • A m जलवायु :-यह भूमध्य रेखीय मानसूनी जलवायु है , जो मुख्यतः 10° से 30° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश में पाई जाती है ।इस जलवायु की मुख्य विशेषता यह है कि यहां मानसून आने पर वर्षा होती है ।

  • A wजलवायु :-यह सवाना तुल्य जलवायु है ।जो मुख्यतः 10 डिग्री से 20 डिग्री उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश तक पाई जाती है ।इस जलवायु में बड़े-बड़े घास के मैदान पाए जाते हैं ।

 B (शुष्क जलवायु )

इस जलवायु में वर्षा की तुलना में वाष्पीकरण अधिक हो जाता है । 

इस जलवायु के उप समूह 

  • BWhजलवायु :-यह उष्ण मरुस्थल की जलवायु होती है जो मुख्यतः 30 – 35डिग्री उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश के मध्य पाई जाती है । इस जलवायु में मरुस्थल पाए जाते हैं ।

  • Bsh जलवायु :- यह उष्णकटिबंधीय स्टेपी तुल्य जलवायु होती है । यह का औसतन वार्षिक तापांतर 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक पाया जाता है ।

  • Bsk जलवायु :-यह मध्य अक्षांशीय स्टेपी तुल्प जलवायु होती है ।

यहां पर ग्रीष्म काल का औसतन तापमान 17 डिग्री सेल्सियस तथा शीतकाल का औसतन तापमान 0 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है।

 C समूह की ( आद्र उपोष्ण मध्य अक्षांशीय जलवायु ) :-

इस जलवायु के क्षेत्र में सर्वाधिक ठंडे माह का तापमान 8 डिग्री सेल्सियस तथा सर्वाधिक गर्म माह का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस होता है l

 इस जलवायु के उप समूह

  • C f जलवायु :- यह यूरोप तुल्य जलवायु है जहां पर वर्ष भर वर्षा होती है ।

  • C w जलवायु :- यह चीनी तुल्य जलवायु है जहां पर ग्रीष्म काल में वर्षा होती है ।

  • C s जलवायु :-यह भूमध्य सागरीयजलवायु है जहां पर शीतकाल में वर्षा होती है ।

D समूह की ( आद्र शीतोष्ण जलवायु ) :-

इस जलवायु के क्षेत्र में सबसे ठंडे माह का तापमान – 3°C तथा सबसे गर्म माह का तापमान 10°C होता है

इस जलवायु के उप समूह

  • D f जलवायु : -यह पूर्वी समुद्र तटीय शीत जलवायु होती है।

  • D wजलवायु :- यह टैगा तुल्य जलवायु होती है।

 E ( ध्रुवीय जलवायु ) : –

इस जलवायु के क्षेत्र में वर्ष के सभी माह का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम होता है ।

इस जलवायु के उप समूह

  • EF जलवायु : – इस जलवायु के क्षेत्र में सदैव हिमाच्छादन रहता है ।

  • E T जलवायु :- यह टुण्ड्रा प्रकार की जलवायु होती है । जहां पर गर्मी में भी 10 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान होता है।

इसके अलावा F समूह की जलवायु भी होती है जो सदैव पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है। अतः इसे उच्च भूमि जलवायु कहते हैं।

थार्नवेट का जलवायु वर्गीकरण

थार्नवेट नमक मौसमी वैज्ञानिक ने आद्रता के आधार पर विश्व की जलवायु को पांच भागों में वर्गीकृत किया है:-

 

आद्रता प्रदेश

वनस्पति का प्रकार

A अत्पाधिक आद्र जलवायु

वर्षा वन

B आद्र जलवायु

सामान्य पतझड़ वन

C उपाद्र जलवायु 

घास के मैदान

D अर्द्ध शुष्क जलवायु

स्टेपी तुल्य वनस्पति

E शुष्क जलवायु

मरुस्थलीय वनस्पति

विश्व के प्रमुख जलवायु प्रदेश : –

जलवायु संबंधी विशेषताओं की समानता के आधार पर, भूगोलवेत्ताओं ने विश्व की जलवायु को 12 जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया है। 

  1. भूमध्यरेखीय जलवायु( Af)

  2. मानसूनी जलवायु ( Am )

  3. सवाना तुल्य जलवायु ( Aw)

  4. उष्णकटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु ( BWh)

  5. चीनी तुल्य जलवायु ( Ca )

  6. मध्य अक्षांशीय जलवायु /शीतोष्ण मरुस्थलीय जलवायु

  7. भूमध्यसागरीय जलवायु ( Cs)

  8. लांरेसिया तुल्य जलवायु ( Dd)

  9. साइबेरियन ( टैगा ) तुल्य जलवायु ( BSk)

  10. पश्चिमी यूरोप / ब्रिट्रिश तुल्य जलवायु ( Cb )

  11. टुंड्रा जलवायु ( E )

  12. पर्वतीय जलवायु

.विश्व के प्रमुख जलवायु प्रदेश : -

भूमध्यरेखीय/विषुवतीय जलवायु :-

स्थिति :- यह जलवायु 10 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 10 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के मध्य पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:- यह जलवायु मुख्यतः अफ्रीका के कांगो बेसिन, गिनी की खाड़ी, ब्राजील के अमेजन बेसिन तथा दक्षिण पूर्वी एशिया के विषुवतीय द्वीप समूहों में पाई जाती है। 

.भूमध्यरेखीय/विषुवतीय जलवायु :-

इस जलवायु की प्रमुख विशेषता:- 

तापमान:- इस जलवायु प्रदेश में पूरे वर्ष का औसतन तापमान 27 डिग्री सेल्सियस होता है,

तथा वार्षिक तापांतर 2 से लेकर 5 डिग्री सेल्सियस तक और दैनिक तापांतर 12 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है। 

वर्षा:- इस जलवायु प्रदेश में 80% से अधिक सापेक्षिक आर्द्रता रहती है अतः साल भर संवहनीय वर्षा होती रहती है, पूरे वर्ष, वर्षा की औसतन मात्रा 200 सेंटीमीटर से भी अधिक होती है। 

पवनें:- क्षेत्र में पूर्वा पवनें चलती है जिनकी गति पूरब से पश्चिम की ओर होती है। 

वनस्पति :-  इस जलवायु प्रदेश में उच्च तापमान एवं उच्च वर्षा के कारण अधिक सघनता वाले वन पाए जाते हैं। जिसमें मुख्यत: महोगनी, चंदन, एगोनी, रबड़, सिनकोना, घटपर्णी, रोजवुड आदि सदाबहार वृक्ष शामिल है जो काफी अधिक ऊंचे होते हैं। 

मानसूनी जलवायु ( Am) :-

स्थिति:- यह जलवायु भूमध्य रेखा के दोनों ओर 10 डिग्री से 30 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के पूर्वी क्षेत्र में पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:- इस जलवायु के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं– 

  • दक्षिण पूर्वी एशियाई देश देश जैसे -भारत ,पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड ,लाओस, 

  • मेडागास्कर क्षेत्र के पास का अफ्रीका तट,

  •  दक्षिण अमेरिका का दक्षिणी ब्राजील एवं पैराग्वे का तट। 

  • उत्तरी ऑस्ट्रेलिया।

 .मानसूनी जलवायु ( Am) :-

इस जलवायु प्रदेश की विशेषताएं:-

तापमान:- 

यहां पर गर्मियों का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो जाता है तथा ठंडी का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। 

तथा औसतन वार्षिक तापांतर 15 डिग्री सेल्सियस पाया जाता है। 

वर्षा:- इस जलवायु प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा 100 से 200 सेंटीमीटर तक होती है। 

पवनें:- इस जलवायु क्षेत्र में ग्रीष्म काल में 6 माह तक जल से स्थल की ओर पवनें चलती है तथा शीतकाल में 6 माह तक स्थल से जल की ओर पवनें चलती है। 

वनस्पति :-  इस जलवायु प्रदेश में मुख्यता उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन पाए जाते हैं जिसमें साल, सागौन, पीपल, महुआ, पलाश, आम आदि के वृक्ष प्रमुख हैं। 

सवाना तुल्य जलवायु:- 

स्थिति:- 

यह जलवायु प्रदेश 10 से 30 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशो के बीच महाद्वीपों के मध्य भाग में पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:- 

  • दक्षिण अफ्रीका के सूडान, रवांडा, जांबिया, जिंबाब्वे एवं अंगोला देशों में पाई जाती है। 

  • दक्षिण अफ्रीका की ब्राजील के कैंपोज क्षेत्र में, कोलंबिया एवं वेनेजुएला के लैनोस घास क्षेत्र में। 

  • उत्तरी-ऑस्ट्रेलिया में

.सवाना तुल्य जलवायु:- 

जलवायु की विशेषताएं:- 

 

तापमान:-  24 से 27 डिग्री सेल्सियस। 

औसतन वार्षिक तापांतर 10 डिग्री सेल्सियस होता है। 

वर्षा:-  क्वेश्चन वार्षिक वर्षा 50 से 100 सेंटीमीटर तक होती है। 

पवनें:- इस जलवायु क्षेत्र में व्यापारिक पवने पाए जाते हैं जो पूरब से पश्चिम की ओर चलती है। 

वनस्पतियां:- 

इस जलवायु क्षेत्र में सामान अतुल्य बड़े-बड़े घास के मैदान पाए जाते हैं 

जैसे- अफ्रीका के सुडान का सवाना घास का मैदान। 

कोलंबिया एवं वेनेजुएला का लानोस घास का मैदान। 

ब्राजील का कंपोज घास का मैदान। 

उष्णकटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु:- 

स्थिति:- 

यह जलवायु भूमध्य रेखा के दोनों ओर 15 से 30 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:- 

  • अफ्रीका का सहारा मरुस्थल, कालाहारी मरुस्थल। 

  • दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना का पेटागोनिया का मरुस्थल।  

  • ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट सैंट मरुस्थल। 

  • एशिया का थार मरुस्थल, अरब प्रायद्वीप मरुस्थल। 

  • उत्तरी अमेरिका का मोजाम्बे मरुस्थल।

.उष्णकटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु:- 

जलवायु की विशेषताएं:- 

तापमान:- इस जलवायु प्रदेश में गर्मी में औसतन तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तथा शीतकाल में औसतन तापमान 10 डिग्री सेल्सियस पाया जाता है। 

इस प्रकार यहां का वार्षिक तापांतर 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। 

वर्षा:- 

इस जलवायु प्रदेश में औसतन वार्षिक वर्षा 12 से 25 सेंटीमीटर तक होती है। 

वनस्पति:- 

इस जलवायु प्रदेश में कटीली पत्ती वाली मरुस्थलीय वनस्पतियां पाई जाती है जिसमें कैक्टस ,नागफनी, बबूल आदि वृक्ष शामिल है। 

महाद्वीपों के पश्चिमी क्षेत्र में ही मरुस्थल क्यों पाए जाते हैं?

  • क्योंकि 10 से 30 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य पूर्व से पश्चिम की ओर हवा चलती है अतः यह हवाएं महाद्वीपों के पूर्वी भाग में तो वर्षा करवा देती है किंतु पश्चिमी घाट तक पहुंचते समय आद्रता खो बैठती हैं जिससे यहां पर बरसात नहीं हो पाती। 

  • महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में ठंडी जलधारा प्रवाहित होती हैं जिससे इस क्षेत्र में संघनन एवं वाष्पन कम होता है। 

  • 30 से 35 अक्षांशों के मध्य हवाओं का अवतलन होता है।

चीनी तुल्य जलवायु ( Ca );-

स्थिति:- यह जलवायु विषुवत रेखा के दोनों ओर 30 से 45 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के पूर्वी भाग में पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:- 

  • दक्षिण पूर्वी चीन में। 

  • पो नदी बेसिन ,डेन्यूब नदी बेसिन। 

  • दक्षिण पूर्वी अमेरिका। 

  • दक्षिण पूर्वी ब्राज़ील ,उरूग्वे। 

  • पूर्वी दक्षिण अफ्रीका। 

  • दक्षिण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया।

.चीनी तुल्य जलवायु ( Ca );-

जलवायु की विशेषताएं

तापमान:-

ग्रीष्म काल का औसतन तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तथा शीत का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस होता है। 

वर्षा:- 

औसतन वार्षिक वर्षा 75 से 150 सेंटीमीटर तक होती है। 

वनस्पति:- 

इस जलवायु में मुख्यतः साइप्रस,चेस्टनट,ओक,एश,पाइन आदि के वृक्ष पाए जाते हैं। इसके अलावा सदाबहार वृक्ष भी पाए जाते हैं। 

मध्य अक्षांशीय जलवायु /शीतोष्ण मरुस्थलीय जलवायु/स्टेपी तुल्य जलवायु:- 

स्थिति:-:

इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार 30 से 45 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के मध्य भागों में होता है। 

—–//——

भूमध्यसागरीय जलवायु ( Cs)

स्थिति:- यह जलवायु विषुवत रेखा के दोनों ओर 30 से 45 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:- 

  • यूरोप के भूमध्यसागरीय क्षेत्र के पास जैसे इटली ,फ्रांस, इजराइल, तुर्की एवं सीरिया में। 

  • उत्तरी अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के क्षेत्र में। 

  • दक्षिण अमेरिका चिल्ली के तटीय क्षेत्र में। 

  • दक्षिण अफ्रीका की कैप टाउन में। 

  • ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्र में।

.भूमध्यसागरीय जलवायु ( Cs)

जलवायु की विशेषताएं:- 

तापमान:-

ग्रीष्म काल का औसतन तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तथा शीत का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस होता है।

वर्षा:- 

औसतन वार्षिक वर्षा 35 से 75 सेंटीमीटर तक होती है। किंतु कुल वर्षा में 75% वर्षा शीत ऋतु में होती है। 

वनस्पति:- 

इस जलवायु में मुख्यतः रसदार फल उगाय जाते हैं-अंगूर ,नीबू, संतरा ,जैतून ,अंजीर आदि। 

इसके अलावा इस जलवायु के वन में  साइप्रस,चेस्टनट,ओक,एश,पाइन आदि के वृक्ष भी पाए जाते हैं।

लांरेसिया तुल्य जलवायु ( Dd:-

स्थिति:-

 यह जलवायु विषुवत रेखा के दोनों ओर 45 से 65 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के पूर्वी भागों में पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:- 

  • संयुक्त राज्य अमेरिका की सेंट लॉरेंस नदी बेसिन क्षेत्र में पाई जाती है। 

  • पूर्वी एशिया के मंचूरिया, कोरिया एवं उत्तरी जापान क्षेत्र में।

लांरेसिया तुल्य जलवायु ( Dd:-

तापमान:-

ग्रीष्म काल का औसतन तापमान 21 डिग्री सेल्सियस तथा शीत का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस होता है।

वर्षा:- 

औसतन वार्षिक वर्षा 75-100 सेंटीमीटर तक होती है। किंतु अधिकांश वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है 

वनस्पति:-

शीतोष्ण कटिबंध यह कोणधारी वन पाए जाते हैं। जिन की पत्तियां चौड़ी होती है। 

साइबेरियन ( टैगा ) तुल्य जलवायु ( BSk);-

स्थिति:-

 यह जलवायु विषुवत रेखा के दोनों ओर 45 से 65 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के मध्य भागों में पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:

  • रूस के साइबेरिया क्षेत्र में। 

  • यूरोप के स्वीडन फिनलैंड क्षेत्र में। 

  • उत्तरी अमेरिका की अलास्का एवं मध्य कनाडा क्षेत्र में।

 

 .साइबेरियन ( टैगा ) तुल्य जलवायु ( BSk);-

तापमान:-

ग्रीष्म काल का औसतन तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तथा शीत का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से भी कम होता है।

वर्षा:- 

औसतन वार्षिक वर्षा  50 सेंटीमीटर तक होती है।

वनस्पति:-

कोणधारी प्रकृति के वन पाए जाते हैं। 

जैसे- चीड़, पाइन, फर, स्प्रूस आदि के वृक्ष। 

पश्चिमी यूरोप / ब्रिट्रिश तुल्य जलवायु ( Cb )

स्थिति:-

 यह जलवायु विषुवत रेखा के दोनों ओर 45 से 65 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र:

  • उत्तर पश्चिमी यूरोप,(नॉर्वे, हॉलैंड डेनमार्क, बेल्जियम, जर्मनी)

  • पश्चिमी कनाडा(अलास्का की खाड़ी क्षेत्र में)

  • दक्षिण अमेरिका के चिली क्षेत्र में। 

  • न्यूजीलैंड में।

 

पश्चिमी यूरोप / ब्रिट्रिश तुल्य जलवायु ( Cb )

तापमान:-

ग्रीष्म काल का औसतन तापमान 16 डिग्री सेल्सियस तथा शीत का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से भी कम होता है।

वर्षा:-

औसतन वार्षिक वर्षा 75-100 सेंटीमीटर तक होती है।

वनस्पति:-

शीतोषण पर्णपाती प्रकार के वन पाए जाते हैं 

जैसे- लिण्डेन,ओक,बर्च,मेपल। 

जो आर्थिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होते है। 

टुंड्रा जलवायु ( E )-:

स्थिति:-

 यह जलवायु विषुवत रेखा के दोनों ओर 65 से 90 डिग्री उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश के मध्य पाई जाती है। 

प्रमुख क्षेत्र

  • उत्तरी नार्वे क्षेत्र। 

  • उत्तरी फिनलैंड। 

  • उत्तरी अलास्का। 

  • ग्रीनलैंड।  

  • उत्तरी साइबेरियन क्षेत्र।

.टुंड्रा जलवायु ( E )-:

तापमान:-

ग्रीष्म काल का औसतन तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तथा शीत का तापमान -35 डिग्री सेल्सियस से भी कम होता है। वर्ष के लगभग 10 माह बर्फ से ढके होते हैं।  दैनिक तापांतर कम पाया जाता है। 

वर्षा:- 

औसतन वार्षिक वर्षा  30 सेंटीमीटर से कम होती है।   

वनस्पति:-

यहां पर केवल बर्फीले क्षेत्र में टुंड्रा प्रकार की वनस्पति पाई जाती है जैसे – लाइकेन।

पर्वतीय जलवायु-:

स्थिति-:

पर्वतीय जलवायु पर्वतों के शिखरों पर पाई जाती है। 

जैसे -:हिमालय पर्वत एंडीज पर्वत आल्पस पर्वत आदि के शीर्ष में। 

जलवायु विशेषताएं-:

तापमान-:

  • इस प्रकार की जलवायु का तापमान ध्रुवीय क्षेत्रों की भांति जीरो डिग्री सेल्सियस से भी कम होता है। 

वर्षा-:

  • 4000 मीटर की ऊंचाई तक वर्षा की मात्रा बढ़ती जाती है इसके बाद घटती जाती है (क्योंकि 4000 मीटर की ऊंचाई तक सापेक्षिक आद्रता बढ़ती जाती है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *