वैश्वीकरण एवं इसकी चुनौतियां
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Toggleवैश्वीकरण का अर्थ-:
वह व्यापक प्रक्रिया, जिसमें विश्व की विभिन्न देशों की सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था का एकीकरण हो जाता है; उसे वैश्वीकरण कहा जाता है।
वैश्वीकरण की चुनौतियां-:
वैश्वीकरण की आर्थिक चुनौतियां -:
बेरोजगारी- मशीनीकरण के बढ़ावा से अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसर कम हुए हैं।
असमानता-: वैश्वीकरण का अधिकांशलाभ बड़े पूंजीपतियों को मिला है, जिससे असमानता और ज्यादा बढ़ गई।
प्रतिकूल भुगतान संतुलन- आयत ज्यादा बढ़ने से, भुगतान संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
लघु कुटीर उद्योगों का पतन- बड़े-बड़े उद्योगों (MNC) की प्रतिस्पर्धा ना कर पाने से, लघु कुटीर उद्योगों का पतन हुआ है।
कृषि संबंधी चुनौतियां-: भारत की परंपरागत कृषि विदेशी कृषि का सामना नहीं कर पा रही है।
रुपए का अवमूल्यन संबंधी चुनौती।
वैश्वीकरण की सामाजिक चुनौतियां -:
संयुक्त परिवार काविघटन- संयुक्त परिवार विघटित होकर, एकल परिवार में परिवर्तित होते जा रहे।
विवाह संबंधी चुनौती- विवाह का धार्मिक महत्व कम हुआ है तथा विवाह-विच्छेद के मामले बड़े।
सामाजिक नियंत्रण में कमी- क्योंकि मुखिया की सत्ता का ह्रास हुआ है।
सामाजिक मानववाद का पतन– क्योंकि समाज मानवतावाद से भौतिकतावाद की ओर गमन कर रहा है।
सामाजिक अपराधों में वृद्धि- जैसे- साइबर क्राइम, वेश्यावृत्ति , यौन-हिंसा आदि।
सामाजिक विषमता में वृद्धि।
वैश्वीकरण की सांस्कृतिक चुनौतियां-:
परंपरागत भारतीय संस्कृति का पतन।
पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा।
अंग्रेजी भाषा का बोलवाला बढ़ना, जिससे क्षेत्रीय बोलियां का पतन हो रहा है।