व्यक्तिगत भिन्नताएं
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Toggleव्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ
सामान्य रूप से सभी व्यक्ति लगभग एक समान दिखाई देते हैं किंतु उनका सूक्ष्म अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि प्रत्येक व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, सांस्कृतिक या संवेगात्मक आधार पर दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है। और व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य पाई जाने वाली इस भिन्नता को व्यक्तिगत भिन्नता कहते हैं।
अर्थात विभिन्न व्यक्तियों के मध्य उनकी रूचि, आदत, अभिक्षमता, महत्वकांक्षा, मनोवृति, गुण,व्यवहार आदि का जो अंतर पाया जाता है उसे व्यक्तिगत विभिन्नता कहते हैं।
अर्थात संसार का प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यक्तित्व या अपनी व्यक्तिगत विशेषताओं में अद्वितीय होता है, भले ही वह जुड़वा क्यों ना हो।
जैसे:- हो सकता है की दो जुड़वा बच्चे शारीरिक रूप से देखने में एवं भर व् ऊंचाई में एक समान हो, किंतु उनकी रूचि, मानसिकता ,अभिक्षमता, व्यवहार में अंतर अवश्य होता है।
उसी प्रकार एक ही माता-पिता से जन्मे सभी बच्चे अर्थात भाई बहन किसी एक विषय के प्रति अलग-अलग मनोवृत्ति रखते हैं उनका व्यवहार अलग अलग होता है। हो सकता है कि एक ही परिवार का एक बच्चा दौड़ने में अच्छा हो जबकि दूसरा बच्चा दौड़ने में नहीं गाना गाने में अच्छा हो।
व्यक्तिगत भिन्नताओं के प्रकार
शारीरिक भिन्नताएं:-
शारीरिक रूप से सभी व्यक्ति एक समान नहीं होते हैं , बल्कि विभिन्न व्यक्तियों के मध्य, उनकी शारीरिक संरचना, रंग ,रूप आकृति, ऊंचाई ,भार आदि का अंतर पाया जाता है जिसे शारीरिक भिन्नताएं कहते हैं।
जैसे:- कोई व्यक्ति अधिक ऊंचा होता है तो कोई व्यक्ति कम ऊंचा होता है कोई व्यक्ति अधिक मोटा होता है तो कोई व्यक्ति पतला होता है।
बौद्धिक भिन्नताएं:-
बौद्धिक दृष्टि से सभी व्यक्ति एक समान नहीं होते हैं, बल्कि
विभिन्न व्यक्ति के बौद्धिक स्तर में अंतर पाया जाता है जिसे बौद्धिक विभिन्नता कहते है।
जैसे:- कोई व्यक्ति अधिक बुद्धि वाला होता है अर्थात वह शीघ्रता से किसी बात को सीख एवं समझ लेता है, तो कोई व्यक्ति कम बुद्धिमान होता है उसका आइक्यू लेवल बहुत ही कम होता है।
वैचारिक भिन्नताएं:-
सभी व्यक्ति किसी विषय के प्रति एक समान मनोवृति नहीं रखते, बल्कि विभिन्न व्यक्तियों के विचारों, मतों एवं चिंतन में अंतर पाया जाता है जिसे वैचारिक भिन्नताएं कहते हैं।
जैसे:- अनेकों लोग गांधीजी को अच्छा मानते हैं किंतु कुछ लोग बुरा भी मानते हैं।
कुछ लोग हिंदू धर्म को श्रेष्ठ मानते हैं तो कुछ लोग मुस्लिम धर्म को श्रेष्ठ मानते हैं।
कुछ लोग प्रेम विवाह को अच्छा मानते हैं तो कुछ लोग प्रेम विवाह को बुरा मानते।
स्वभावगत भिन्नताएं:-
सभी व्यक्तियों का स्वभाव एक समान नहीं होता बल्कि विभिन्न व्यक्तियों के स्वभाव में काफी अंतर पाया जाता है जिसे स्वभावगत भिन्नताएं कहते हैं।
जैसे:-
कुछ लोग अपने बड़ों से विनम्रता के साथ बात करते हैं तो कुछ लोग सीधे स्टिक तरीके से बात करते हैं।
सामाजिक भिन्नताएं:-
विभिन्न व्यक्तियों के मध्य सामाजिक स्तर में जो भिन्नताएं पाई जाती है, उन्हें सामाजिक विभिन्नता कहते हैं
जैसे-: कुछ लोग अधिक धनी होते हैं तो कुछ लोग गरीब होते हैं, कुछ लोगों का जीवन स्तर उच्च होता है तो कुछ लोगों का जीवन स्तर निम्न होता है।
चारित्रिक भिन्नताएं:-
विभिन्न व्यक्तियों के चरित्र में पाई जाने वाली भिन्नताएं चारित्रिक भिन्नताएं कहलाती है।
जैसे:-
कुछ लोग ईमानदार ,कर्तव्यनिष्ठ ,उदार चरित्र वाले होते हैं, तो कुछ लोग अपराधिक चरित्र वाले होते हैं।
भावनात्मक भिन्नताएं:-
विभिन्न व्यक्तियों की भावना में विभिन्नता में पाई जाती है।
जैसे:- कुछ लोग ‘अहम’ की भावना रखते हैं तो कुछ लोग ‘हम’ की भावना रखते हैं।
कुछ लोग दूसरों के प्रति दया की भावना रखते हैं तो कुछ लोग दूसरों की प्रति ईर्ष्या की भावना रखते हैं।
व्यक्तिगत भिन्नताओं को प्रभावित करने वाले कारक:-
अनुवांशिक कारक:-
सामान्यतः माता-पिता एवं पूर्वजों के अनुवांशिक गुण बच्चे के अंदर स्थानांतरित हो जाते हैं जिसके कारण विभिन्न व्यक्तियों के मध्य शारीरिक, मानसिक एवं चारित्रिक भिन्नताएं पाई जाती है।
जैसे;-
जिनके माता-पिता ऊंचे होते हैं उनके बच्चों की ऊंचाई भी अधिक होती।
जिनके माता-पिता नैतिक मूल्यों का पालन करते हैं उनके बच्चे भी नैतिक मूल्यों का पालन करने वाले होते हैं।
सामाजिक वातावरण:-
व्यक्ति जिस प्रकार के सामाजिक वातावरण में निवास करता है उसका व्यवहार एवं रूचि वैसी ही ही जाती है
जैसे:- यदि व्यक्ति ऐसे समाज में रहता है जहां पर सभी लोग एक्टिंग एवं गायन से संबंधित कार्य करते हैं तो स्वाभाविक तौर पर उसके अंदर गाना गाने की क्षमता विकसित हो जायगी।
यदि व्यक्ति किसी ऐसे समाज में रहता है जहां के लोग कृषि करते हैं तो स्वाभाविक तौर पर उसके अंदर कृषि करने की योग्यता विकसित होगी।
प्राकृतिक वातावरण:-
प्राकृतिक वातावरण भी व्यक्तिगत भिन्नता लाने के लिए जिम्मेदार होता है।
जैसे:-
इंग्लैंड में तापमान कम होने के कारण वहां के लोग गोरे होते हैं जबकि उसमें प्रदेशों जैसे अफ्रीका के लोग काले होते हैं।
राष्ट्रीयता का प्रभाव;-
व्यक्ति जिस राष्ट्र में रहता है, उसके अंदर उसी राष्ट्र की संस्कृति एवं व्यवस्थाओं के अनुरूप संस्कार एवं कौशल विकसित हो जाते हैं।
जैसे:-
भारत के लोग अतिथि देवो भव: की भावना रखते हैं।
जापान के लोग तकनीकी दृष्टि से अधिक कुशल होते हैं।
शिक्षा:-
शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व को काफी ज्यादा प्रभावित करती है,
जैसे:-
जो व्यक्ति तार्किक शिक्षा प्राप्त करता है उसके अंदर तर्कशक्ति अधिक होगी जो व्यक्ति सामाजिक शिक्षा प्राप्त करता है उसके अंदर सामाजिक जागरूकता होगी जो व्यक्ति मानसिक व भावनात्मक शिक्षा प्राप्त करता है वह अच्छी भावनात्मक समझ रखता है।
शिक्षित व्यक्ति ज्ञानी एवं समझदार होते हैं, जबकि अशिक्षित व्यक्ति कम ज्ञानी एवं समझदार होते हैं।
आर्थिक स्थिति:-
जिस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है उसका रहन-सहन खान-पान का स्तर ऊंचा होता है इसके विपरीत गरीब व्यक्ति का जीवन स्तर निम्न होता है।
जैसे:- अमीर व्यक्ति स्वस्थ ,शिक्षित एवं सुंदर दिखते हैं, जबकि गरीब व्यक्ति कम आकर्षक दिखते हैं।
लिंग भेद:-
पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक कठोर एवं साहसी होते हैं जबकि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम कठोर, दयालु एवं लज्जाशील होती हैं।
स्वास्थ्य:-स्वास्थ्य के कारण भी व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य भिन्नताएं जाती है,
जैसे:- अच्छे स्वास्थ्य वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत होता है जबकि अस्वस्थ व्यक्ति दुर्बल होता है।
व्यक्तिगत भिन्नता का महत्व:-
व्यक्ति व्यक्ति के बीच भिन्नताओं का होना आवश्यक है, क्योंकि यदि सभी व्यक्ति एक समान रूचि,एक समान योग्यता, एक समान मानसिकता , एक समान व्यवहार रखने लगेंगे तो किसी एक ही दिशा में प्रगति हो पाएगी जबकि एक समुचित जीवन व्यतीत करने के लिए सभी क्षेत्र का विकास होना आवश्यक।
जैसे:-
यदि सभी लोग केवल खेती के प्रति रुचि, योग्यता ,मानसिकता रखेंगे, तो अन्य का उत्पादन तो होगा किन्तु पहनने के लिए कपड़ा कौन देगा, रहने के लिए मकान कौन बनाएगा, बीमारी में सहायता कौन करेगा?
अतः व्यक्तिगत भिन्नता आवश्यक है, ताकि भिन्न-भिन्न लोग भिन्न-भिन्न कार्यों को संपादित करें और एक व्यक्ति की सभी जरूरतों की पूर्ति हो सके।
व्यक्तिगत भिन्नता के अध्ययन का महत्व
समूह निर्माण में सहायक
लोगों की रूचियों एवं उद्देश्य के अनुसार उन्हें विभिन्न वर्गों या समूह में विभाजित किया जा सकता है।
कार्य विभाजन में सहायक
व्यक्तियों की योग्यता के आधार पर कार्य का विभाजन करके कोई भी जटिल कार्य आसानी से किया जा सकता है।
सार्वजनिक कल्याण के लिए आवश्यक:-
व्यक्तिगत भिन्नताओं का अध्ययन सभी प्रकार के व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए आवश्यक। क्योंकि अभी हमें व्यक्तिगत भिन्नता ही पता नहीं होगी तो हम किसी एक वर्ग की समस्या को ही समझ पाएंगे एवं उनका ही समाधान कर पाएंगे।
व्यक्तिगत भिन्नता के प्रमुख परीक्षण:-
बुद्धि लब्धि परीक्षण:-
इस परीक्षण के अंतर्गत व्यक्ति की वास्तविक आयु से उसकी मानसिक आयु, का भाग देकर 100 का गुणा किया जाता है।
बुद्धि लब्धि= मानसिक आयु/ वास्तविक आयु x 100 .
मानसिक आयु का तात्पर्य:- व्यक्ति के मानसिक विकास के स्तर की उम्र से है।
अर्थात कोई व्यक्ति जिस उम्र के समान्य व्यक्ति के बराबर मानसिक बुद्धि रखता है, उसकी मानसिक उम्र उस सामान्य व्यक्ति की उम्र की बराबर मानी जाती है।
जैसे:- यदि कोई 8 वर्ष का बालक 12 वर्ष के सामान्य व्यक्ति के बराबर मानसिक बुद्धि रखता तो उसकी मानसिक उम्र 12 वर्ष मानी जाएगी और वास्तविक उम्र 8 वर्ष।
इस प्रकार उसका बुद्धि लब्धि स्तर = 12/8*100 = 150.
परिस्थिति परख निर्णय परीक्षण:-
इसके अंतर्गत व्यक्ति को काल्पनिक परिस्थितियों में रखकर, उसकी निर्णय क्षमता को परखा जाता है।
जैसे:- आप सड़क से जा रहे हैं बीच में एक वृद्ध महिला दिखती है जो आपसे सहायता मांग रही है तो आप क्या करेंगे?
जीवन इतिहास परीक्षण:-
इसके अंतर्गत व्यक्ति से पूरे जीवन की घटनाओं का स्मरण करवाया जाता है, तथा “हां” एवं “ना” में है जानकारी प्राप्त की जाती है।
व्यक्तित्व :-
व्यक्तित्व का तात्पर्य व्यक्ति के आंतरिक एवं बाह्य गुणों तथा विशेषताओं से है। व्यक्तित्व के अंतर्गत व्यक्ति की मनोवृति, योग्यताएं,उपलब्धि , चरित्र एवं व्यवहार आदि शामिल होता हैं।
अंतर्मुखी(introvert):-
ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी कहलाते हैं ,जो आत्म केंद्रित होते हैं अर्थात जिन्होंने में विशेषताएं पाई जाती हैं
सामाजिक कार्यों में रुचि ना लेना।
एकांत प्रेमी होना।
भविष्य की चिंता अधिक करना।
किसी भी समस्या पर अधिक सोच-विचार करना।
निर्णय देर से लेना।
आत्मविश्वास बहुत अधिक होता है।
बहिर्मुखी(extrovert):-
ऐसे व्यक्ति बहिर्मुखी कहलाते हैं,जो समाज से घुल मिल कर रहना पसंद करती उनमें निम्न विशेषता पाई जाती हैं:-
सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं।
अकेले ऊबने लगते हैं।
भविष्य की कम चिंता करते हैं, वर्तमान देखते हैं।
किसी भी समस्या का शीघ्र निर्णय ले लेते हैं।
दूसरों की भलाई करने में लगे रहते हैं।
अच्छे श्रोता एवं वक्ता होते हैं।
उभयमुखी:-
ऐसे व्यक्ति जिनमें दोनों की विशेषताएं पाई जाती हैं उन्हें अभयमुखी कहते हैं अधिकांश व्यक्ति इसी वर्ग में आते हैं।