व्यक्तित्व
शंकर दयाल शर्मा ने कहा है कि-: शिक्षित चरित्रहीन व्यक्ति की तुलना में, अशिक्षित चरित्रवान व्यक्ति समाज के लिए ज्यादा उपयोगी हो सकता है।
व्यक्तित्व :-
व्यक्तित्व व्यक्ति के व्यवहार का समग्र योग है, जिसमें व्यक्ति के शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक गुणों का समावेशन होता है।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार-
“व्यक्तित्व, व्यक्ति की सोच, भावना और व्यवहार का विशिष्ट पैटर्न है”
व्यक्तित्व के घटक या पक्ष
1. शारीरिक घटक- सुंदरता, रंग, वेशभूषा, बॉडी-लैंग्वेज, ऊंचाई आदि।(शारीरिक घटक उपेक्षाकृत शीघ्र प्रभावी तथा अधिक स्थाई होते हैं)
2.मनोवैज्ञानिक घटक- मनोवृति, चरित्र,योग्यता, संचार-कौशल आदि।
व्यक्तित्व की विशेषताएं-
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प्रत्येक व्यक्तित्व अद्वितीय होता है।
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व्यक्तित्व व्यवहार का आईना होता है।
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परिस्थितियों के अनुरूप व्यक्तित्व में परिवर्तन हो सकता है।
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अच्छे एवं बुरे दोनों गुणों का समावेशन होता है।
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व्यक्तित्व व्यक्ति की विशिष्ट क्षेत्र में सफलता का निर्धारक है।
व्यक्तित्व के प्रकार
अंतर्मुखी(introvert):-
ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी कहलाते हैं ,जो आत्म केंद्रित होते हैं अर्थात जिन्होंने में विशेषताएं पाई जाती हैं
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सामाजिक कार्यों में रुचि ना लेना।
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एकांत प्रेमी होना।
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भविष्य की चिंता अधिक करना।
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किसी भी समस्या पर अधिक सोच-विचार करना।
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निर्णय देर से लेना।
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आत्मविश्वास बहुत अधिक होता है।
बहिर्मुखी(extrovert):-
ऐसे व्यक्ति बहिर्मुखी कहलाते हैं,जो समाज से घुल मिल कर रहना पसंद करते हैं,उनमें निम्न विशेषता पाई जाती हैं:-
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सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं।
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अकेले ऊबने लगते हैं।
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भविष्य की कम चिंता करते हैं, वर्तमान देखते हैं।
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किसी भी समस्या का शीघ्र निर्णय ले लेते हैं।
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दूसरों की भलाई करने में लगे रहते हैं।
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अच्छे श्रोता एवं वक्ता होते हैं।
उभयमुखी:-
ऐसे व्यक्ति जिनमें दोनों की विशेषताएं पाई जाती हैं उन्हें अभयमुखी कहते हैं अधिकांश व्यक्ति इसी वर्ग में आते हैं।
गीता के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार
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सात्विक व्यक्तित्व
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राजसिक व्यक्तित्व
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तामसिक व्यक्तित्व
समग्र व्यक्तित्व-:
समग्र व्यक्तित्व का आशय है-: व्यक्ति के सर्वांगीण व्यक्तित्व का विकास; जिससे वह समाज तथा राष्ट्र में प्रभावशाली भूमिका निर्वहन करने योग्य हो।
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समग्र व्यक्तित्व की विशेषताएं
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भावनात्मक समझ।
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अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण।
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धैर्यवान तथा ऊर्जावान।
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आत्मविश्वास का उच्च स्तर।
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उच्च संप्रेषण क्षमता।
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उच्च निर्णय क्षमता।
व्यक्तित्व विकास के घटक
व्यक्तित्व के विकास में विभिन्न प्रकार की घटकों का योगदान रहता है।
अनुवांशिक घटक- माता-पिता तथा पूर्वजों की शारीरिक स्थिति तथा मनोवैज्ञानिक सोच।
शारीरिक घटक- शरीर का रंग, ऊंचाई, सुंदरता, वजन आदि।
मनोवैज्ञानिक घटक- मनोवृति,योग्यता उपलब्धि, संचार-कौशल आदि।
सामाजिक घटक- समाज में रहन-सहन, खान-पान का तरीका और धार्मिक विश्वास आदि।
आर्थिक घटक- परंपरागत पूंजी, वर्तमान आय, खर्च, सरकारी आर्थिक सहायता आदि।
शैक्षिक घटक- शिक्षा का स्तर, जागरूकता आदि।
नैतिक घटक- विभिन्न नैतिक मूल्यों का प्रभाव एवं अनुपालन आदि।
मानव व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक-:
जैविक कारक-
वंशानुक्रम- मानव व्यक्तित्व में सर्वाधिक प्रभाव वंशानुक्रम का पड़ता है, क्योंकि व्यक्ति के शरीर का रंग, रूप, शरीर की बनावट तथा अनेकों मानसिक गुण वंशानुगति के कारण माता-पिता व पूर्वजों के अनुरूप होते हैं।
शारीरिक प्रभाव –जो व्यक्ति शरीर से हस्तपुष्ट एवं सुंदर होते हैं, वे व्यक्तियों के मध्य आकर्षण का केंद्र बने होते हैं तथा उनमें अधिक आत्मविश्वास होता है;इसके विपरीत दुर्बल, कमजोर या कुरूप व्यक्ति के अंदर हीनता का भाव रहता है।
अंतः स्रावी ग्रंथियां का प्रभाव-:
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पीयूष ग्रंथि का प्रभाव-पीयूष ग्रंथि के सोमेट्रटॉपिक हार्मोन की अधिकता से लंबाई अधिक हो जाती है और इसकी कमी से लंबाई कम हो जाती है।
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एड्रिनल ग्रंथि का प्रभाव-एड्रिनल ग्रंथि हमारे संवेगों को नियंत्रित करती है।
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पराथाइरॉएड ग्रंथि का प्रभाव-पराठाइराक्साईन हार्मोन अधिक निकलने पर, शारीरिक सक्रियता अधिक बढ़ जाती है और इसकी कमी से शिथिलता आ जाती है।
तंत्रिका तंत्र-: जिन व्यक्तियों में तांत्रिक तंत्र पर्याप्त विकास होता है उनकी बुद्धि तेज होती है, इसके विपरीत तंजिका तंत्र का पूर्ण विकास न होने पर व्यक्ति में मंदबुद्धि के लक्षण देखने लगते हैं।
पर्यावरणीय कारक
भौगोलिक प्रभाव- जिस जगह की जलवायु ठंडी होती है वहां के लोग गोरे रंग के तथा सक्रिय होते हैं इसके विपरीत गर्म जलवायु प्रदेशों के लोग उपेक्षाकृत काले और आलसी प्रकृति के होते हैं
परिवार का प्रभाव – व्यक्ति के व्यक्तित्व में परिवार संबंधी निम्न तत्व प्रभावित करते हैं-
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माता-पिता का व्यक्तित्व तथा परिवार के सदस्यों का व्यवहार।
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[यदि माता-पिता अधिक स्नेही है तो, बच्चे जिद्दी ,उद्दंड एवं आत्मकेंद्रित हो जाते हैं
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यदि माता-पिता अधिक तिरस्कार करने वाले हैं तो बच्चों में आत्महीनता की भावना जाती है]
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बालक का जन्म क्रम।
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[प्रथम जन्म क्रम वाले बच्चे शांत अंतर्मुखी होते हैं,
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मध्य या अंतिम जन्म क्रम वाले बच्चे बहिर्मुखी होते हैं]
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परिवार की रचना।
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[यदि परिवार के सदस्य शिक्षित, सभ्य-आचरण वाले होते हैं तो बालक के व्यक्तित्व का समुचित विकास होता है
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किंतु यदि परिवार में तलाक आदि हो जाता है तो बच्चों के व्यक्तित्व का समुचित विकास नहीं हो पता]
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शिक्षा का प्रभाव – व्यक्ति जिस प्रकार की शिक्षा ग्रहण करता है उसे प्रकार की उसके अंदर सोच बनती है और उसका व्यक्तित्व भी उसी प्रकार से प्रभावित होता है। अधिक शिक्षित व्यक्ति कम शिक्षित व्यक्ति की तुलना में सकारात्मक व्यक्तित्व वाले होते हैं।
सामाजिक प्रभाव- व्यक्ति के रहन-सहन का तरीका, खान-पान, नैतिक विश्वास तथा धार्मिक विश्वास उसी प्रकार के होते हैं जिस प्रकार की समाज में वह रहता है।
राष्ट्रीय विकास
अर्थ -:
राष्ट्रीय विकास एक व्यापक अवधारणा है,जिसमे राष्ट्र के सभी लोगों का जीवन स्तर में सुधार के साथ-साथ सभी क्षेत्र को विकसित किया जाता है।
राष्ट्रीय विकास के स्तंभ
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शिक्षा
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स्वास्थ्य
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पर्यावरण गुणवत्ता
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सामाजिक और सांस्कृतिक सुविधा
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सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी।
राष्ट्रीय विकास को प्रभावित करने वाले कारक-
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साक्षरता का स्तर-जहां के लोग अधिक शिक्षित होते हैं वहां का विकास उपेक्षाकृत अधिक होता।
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स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता
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प्राकृतिक संसाधन की उपलब्धता
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कुशल मानव संसाधन की उपलब्धता
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बैंकिंग तथा संचार सेवाएं
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राजनीतिक स्थिरता तथा राजनीतिक दृष्टिकोण।
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तकनीकी विकास।
व्यक्तित्व विकास से राष्ट्र विकास का संबंध-:
देखिए किसी भी राष्ट्र का निर्माण उसे राष्ट्र के व्यक्तियों के चरित्र से होता है, और व्यक्तियों का चरित्र व्यक्ति के व्यक्तित्व पर निर्धारित होता है
क्योंकि जिस राष्ट्र में सकारात्मक चरित्र वाले लोग निवास करते हैं वहां अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी तथा निष्पक्षता आदि की परिपूर्णता के साथ राष्ट्र संचालन होता है; जिसके परिणाम से राष्ट्र में सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक उन्नति होती है और अंततः राष्ट्र विकास को बढ़ावा मिलता है।