संधि, स्वर संधि

[संधि]

संधि शब्द का अर्थ है – : मेल या जुड़ना ।

दो समीपवर्ती वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं। 

जैसे-: महा+ आत्मा = महात्मा।

संधि के लिए आवश्यक शर्तें-:

  • संधि के लिए दो सार्थक पदों का होना आवश्यक है। 

जैसे यहां पर महा का अर्थ है-: महान तथा आत्मा का अर्थ है चेतना। 

  • संधि करने के लिए प्रथम पद का अंतिम वर्ण और द्वितीय पद का प्रथम वर्ण को जोड़ा जाता है। 

जैसे यहां पर प्रथम पद का अंतिम वर्ण “आ”(ह+आ) है, तथा द्वितीय पद का प्रथम वर्ण “आ” है। दोनों को जोड़ने पर= “आ”वर्ण बनता है। 

  • संधि के माध्यम से उत्पतित शब्द में कोई ना कोई विकार उत्पन्न ( परिवर्तन) हो जाता है। 

जैसे यहां पर महा और आत्मा से मिलने से महात्मा शब्द बन गया इसका अर्थ है महान या अच्छी चेतना वाला व्यक्ति। 

जब दो वर्णों के मेल से कोई विकार उत्पन्न नहीं होता तो उस मेल को संयोग कहते हैं

जैसे-:

राज + पुरुष = राजपुरुष

राम + लखन = रामलखन

आशा + राम = आशाराम ।

संधि विच्छेद-:

किसी शब्द को संधि के नियमों के अनुसार दो प्रथक प्रथक सार्थक शब्द(पदों) में तोड़ना संधि विच्छेद कहलाता है। 

जैसे-: महात्मा = महा+ आत्मा। 

वर्ण विच्छेद-: 

शब्द के सभी वर्णों को अलग अलग करना वर्ण विच्छेद कहलाता है। 

जैसे-: महात्मा = म् + अ + ह् + आ + त् + म् + आ ।

संधि के प्रकार

संधि के तीन प्रकार होते हैं

  • स्वर संधि

  • व्यंजन संधि

  • विसर्ग संधि

स्वर संधि – :

दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन्न होते हैं उसे स्वर संधि कहते हैं। 

जैसे : सत्य + आग्रह = सत्याग्रह ।

स्वर संधि के प्रकार

  • दीर्घ स्वर संधि

  • गुण संधि

  • वृद्धि संधि

  • यण संधि

  •  अयादि संधि।

दीर्घ स्वर संधि – :

जिस स्वर संधि में ” अ”, ” इ” ,” उ ” समूह के हृस्व या दीर्घ स्वर , केवल अपने ही समूह के हृस्व या दीर्घ  स्वरों से  मिलकर ,दीर्घ स्वर में परिवर्तित हो जाते हैं उसे दीर्घ स्वर संधि कहते हैं।  ट

दीर्घ स्वर संधि के नियम – :

” अ” समूह >अ / आ + आ / अ = आ ।

” इ ” समूह >इ / ई    +    ई / इ =  ई ।

” उ ” समूह >उ / ऊ   +    ऊ / उ = ऊ ।

दीर्घ संधि में (अ + अ = आ ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में (अ + अ = आ ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

स्व + अर्थीस्वार्थी
मत + अनुसारमतानुसार
देव + अर्चनदेवार्चन
वेद + अंतवेदांत
सत्य + अर्थसत्यार्थ

दीर्घ संधि में (अ + आ = आ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में (अ + आ = आ ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

देव + आगमनदेवागमन
सत्य + आग्रहसत्याग्रह
गज + आननगजानन
परम + आनंदपरमानंद
धर्म + आत्माधर्मात्मा

दीर्घ संधि में ( आ + अ = आ ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में (आ + अ = आ ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

सीमा + अंतसीमांत
रेखा + अंशरेखांश
शिक्षा + अर्थीशिक्षार्थी
दीक्षा + अंतदीक्षांत
रेखा + अंकितरेखांकित

दीर्घ संधि में ( आ + आ = आ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में (आ + आ = आ ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

विद्या + आलयविद्यालय
वार्ता + आलापवार्तालाप
कारा + आवासकारावास
दया + आनंददयानन्द
दया + आनंददयानन्द

दीर्घ संधि में ( इ + इ = ई )  के उदाहरण 

दीर्घ संधि में ( इ + इ = ई ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

कवि + इंद्रकवीन्द्र
मुनि + इंद्रमुनीन्द्र
रवि + इंद्ररवींद्र
अभि + इष्टअभीष्ट
मुनि + इंद्रमुनींद्र

दीर्घ संधि में ( इ + ई = ई ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में ( इ + ई = ई ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

परि + ईक्षापरीक्षा
हरि + ईशहरीश
मुनि + ईश्वरमुनीश्वर
गिरि + ईशगिरीश
कवि + ईशकवीश

दीर्घ संधि में ( ई + इ = ई ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में ( ई + इ = ई ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

योगी + इंद्रयोगीन्द्र
मही + इंद्रमहींद्र
लक्ष्मी + इच्छालक्ष्मीच्छा
नारी + इंदुनारीन्दु
गिरि + इंद्रगिरीन्द्र

दीर्घ संधि में ( ई + ई = ई ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में ( ई + ई = ई ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

योगी + ईश्वरयोगीश्वर
रजनी + ईशरजनीश
सती + ईशसतीश
नारी + ईश्वरनारीश्वर
लक्ष्मी + ईशलक्ष्मीश

दीर्घ संधि में (उ + उ = ऊ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में (उ + उ = ऊ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

भानु + उदयभानूदय
गुरु + उपदेशगुरूपदेश
अनु + उदितअनूदित
लघु + उत्तरलघूत्तर
सु + उक्तिसूक्ति

दीर्घ संधि में ( उ + ऊ = ऊ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में ( उ + ऊ = ऊ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

सिंधु + ऊर्मिसिंधूर्मि
साधु + ऊर्जासाधूर्जा
लघु + ऊर्मिलघूर्मि
धातु + ऊष्माधातूष्मा
मधु + ऊष्मामाधूष्मा

दीर्घ संधि में ( ऊ + उ = ऊ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में ( ऊ + उ = ऊ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

भू + उत्सर्गभूत्सर्ग
वधू + उपकारवधूपकार
भू + उद्धारभूद्धार
सरयू + उल्लाससरयूल्लास
वधू + उत्सववधूत्सव

दीर्घ संधि में ( ऊ + ऊ = ऊ) के उदाहरण

दीर्घ संधि में ( ऊ + ऊ = ऊ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

वधू + ऊर्मिवधू्र्मि
भू + उर्ध्वभूर्ध्व
सरयू + ऊर्मिसरयूर्मि
भू + ऊर्जाभूर्जा
भू + ऊष्माभूष्मा

गुण स्वर संधि-:

वह स्वर संधि जिसमें “अ / आ” स्वर , इ/ई, उ / ऊ , ऋ से मिलकर क्रमशः ए, ओ, अर् में परिवर्तित हो जाते हैं ,उसे गुण स्वर संधि कहते हैं ।

गुण संधि के नियम – :

  • जब अ / आ से इ / ई का मेल होता है तो = ए बनता है ।

  • जब अ / आ से उ / ऊ का मेल होता है तो = ओ बनता है ।

  • जब अ / आ से ऋ का मेल होता है तो = अर् बनता है ।

गुण संधि में (अ + इ =ए ) के उदाहरण

गुण संधि में (अ + इ =ए )के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

गज + इंद्रगजेन्द्र
नर + इंद्रनरेंद्र
भारत + इंदुभारतेंदु
अंत्य + इष्टिअंत्येष्टि
उप + इंद्रउपेन्द्र

गुण संधि में (अ + ई =ए ) के उदाहरण

गुण संधि में (अ + ई =ए )के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

नर + ईशनरेश 
ज्ञान + ईशज्ञानेश 
गण + ईशगणेश  
उप + ईक्षाउपेक्षा 
प्र + ईक्षाप्रेक्षा

गुण संधि में (आ + इ =ए ) के उदाहरण

गुण संधि में (आ + इ =ए )के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

महा + इंद्र महेंद्र
यथा + इच्छायथेच्छा
यथा + इष्ठयथेष्ठ

गुण संधि में (आ + ई =ए ) के उदाहरण

गुण संधि में (आ + ई =ए )के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

महा + ईशमहेश
उमा + ईशउमेश
रमा + ईशरमेश
ऋषिका + ईशऋषिकेश
कमला + ईशकमलेश

गुण संधि में ( अ + उ = ओ ) के उदाहरण

गुण संधि में (अ + उ = ओ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

अतिशय + उक्तिअतिश्योक्ति
अत्य + उदयअत्योदय
आनन्द + उत्सवआन्दोत्सव
अन्य + उक्तिअन्योक्ति
ज्ञान + उदयज्ञानोदय

गुण संधि में (आ + उ = ओ ) के उदाहरण

गुण संधि में (आ + उ = ओ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

महा + उत्सवमहोत्सव
महा + उपकारमहोपकर
यथा + उचितयथोचित
महा + उदयमहोदय
होलिका + उत्सवहोलिकोत्सव

गुण संधि में (अ + ऊ = ओ) के उदाहरण

गुण संधि में (अ + ऊ = ओ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

जल + ऊर्जाजलोर्जा
उच्च + उधर्वउच्चोधर्व
जल + ऊष्माजलोष्मा
समुद्र + ऊर्मिसमुद्रोमि
जल + उर्मिजलोर्मि

गुण संधि में (आ + ऊ = ओ) के उदाहरण

गुण संधि में (आ + ऊ = ओ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

महा + ऊर्जामहोर्जा
गंगा + ऊर्मिगंगोर्मि

गुण संधि में (अ / आ + ऋ = अर्) के उदाहरण

गुण संधि में (अ / आ + ऋ = अर्) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

महा + ऋषिमहर्षि
देव + ऋषिदेवर्षि
उत्तम + ऋणउतमर्ण

वृद्धि स्वर संधि – 

वह स्वर संधि जिसमें ” अ / आ ” स्वर  ए / ऐ , ओ / औ , से मिलकर क्रमशः ऐ , औ में परिवर्तित हो जाते हैं उसे वृद्धि स्वर संधि कहते हैं ।

वृद्धि स्वर संधि के नियम

  • जब अ / आ से ए / ऐ का मेल होता है तो = ऐ बनता है ।

  • जब अ / आ से ओ / औ का मेल होता है तो = औ बनता है ।

वृद्धि संधि के उदाहरण (Vriddhi sandhi ke udaharan)

संकेत सूत्र- अ+ए= ऐ

  • मत+एकता = मतैकता
  • धन+एषणा = धनैषणा
  • विश्व + एकता = विश्वैकता
  • तत्र+एव = तत्रैव
  • एक+एक = एकैक
  • शुभ + एषी = शुभैषी
  • धन+एषी = धनैषी
  • लोक+एषणा = लोकैषणा
  • पुत्र+एषणा = पुत्रैषणा
  • हित+एषी = हितैषी
  • प्रिय+एषी = प्रियैषी
  • एक + एक = एकैक
  • एक + एकशः = एकैकशः
  • जन + ऐक्य = जनैक्य
  • विचार + ऐक्य = विचारैक्य
  • विश्व + ऐक्य = विश्वैक्य
  • मत + ऐक्य = मतैक्य
  • हित+एषी = हितैषी
  • शुभ + एषी = शुभैषी
  • धन + एषी = धनैषी
  • प्रिय + एषी = प्रियैषी
  • पुत्र+एषी = पुत्रैषी
  • धन + एषणा = धनैषणा
  • पुत्र+एषणा = पुत्रैषणा
  • वित्त+एषणा = वित्तैषणा
  • कुल+एषणा = कुलैषणा
  • लोक + एषणा = लोकैषणा
  • वसुधा + एवं = वसुधैव
  • तथा+एव = तथैव
  • सदा + एव = सदैव
  • एक + एव = एकैव
  • महा+ऐश्वर्य = महैश्वर्य
  • धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य
  • लोक + ऐश्वर्य = लोकैश्वर्य
  • गंगो + ऐश्वर्य =। गंगैश्वर्य
  • ज्ञान + ऐश्वर्य = ज्ञानैश्वर्य
  • परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
  • महा + ऐन्द्रजालिक = महेन्द्रजालिक
  • स्व + ऐच्छिक = स्वैच्छिक

संकेत सूत्र – आ +ए = ऐ

  • तथा + एव = तथैव
  • वसुधा+एव = वसुधैव
  • सदा+एव = सदैव
  • महा+एषणा = महैषणा
  • एकदा+एव = एकदैव
  • महा+ऐश्वर्य = महैश्वर्य
  • गंगा+ऐश्वर्य = गंगैश्वर्य

संकेत सूत्र – अ + ओ = औ

  • जल+ओक = जलौक
  • जल + ओघ = जलौघ
  • महा+ओज = महौज

यण स्वर संधि – :

वह स्वर संधि जिसमें इ / ई , उ /ऊ , ऋ   किसी भिन्न स्वर से मिलकर कमशः  य् , व्, र्  में परिवर्तित हो जाते हैं ,तथा दूसरे पद का प्रथम स्वर उस वर्ण( य , व, र,) में मात्रा के रूप मे जुड जाता है ‘उसे यण स्वर संधि कहते हैं ।

यण स्वर संधि के नियम :

  • इ / ई किसी भिन्न स्वर से मिलकर ” य्” में बदल जाता है।

  • उ /ऊ किसी भिन्न स्वर से मिलकर ” व् ” में बदल जाता है।

  • ऋ किसी भिन्न स्वर से मिलकर ” र् ” में बदल जाता है।

 .

यण संधि के उदाहरण

1. जब इ, ई के साथ कोई आसमान (विजातीय) स्वर प्रयोग किया जाता है तो इ, ई से ‘य्’ का निर्माण होता है। जैसे –

  • परि + आवरण = पर्यावरण
  • अति+ अधिक = अत्यधिक
  • वि + आकुल = व्याकुल
  • अधि + अक्ष = अध्यक्ष
  • प्रति + अय = प्रत्यय
  • अभि + अर्थी = अभ्यर्थी
  • परि + अटन = पर्यटन

2. जब उ, ऊ के साथ कोई आसमान (विजातीय) स्वर प्रयोग किया जाता है तो उ, ऊ से ‘व’ का निर्माण होता है। जैसे –

  • वधू + आगमन = वध्वागमन
  • अनु + अय = अन्वय
  • अनु + ईक्षा = अन्वीक्षा
  • सु + अस्ति = स्वस्ति
  • धातु + इक = धात्विक
  • सु + आगत = स्वागत

3. जब ऋ के साथ कोई आसमान (विजातीय) स्वर प्रयोग किया जाता है तो ऋ से ‘र’ का निर्माण होता है। जैसे –

  • पितृ + आनंद = पित्रानंद
  • मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा
  • पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
  • मातृ + आदेश = मात्रादेश

यण संधि के उदाहरण के अन्य उदाहरण

  • प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
  • देवी + अर्पण = देव्यर्पण
  • अति + अधिक = अत्यधिक
  • अति + अल्प = अत्यल्प
  • प्रति + आघात = प्रत्याघात
  • अति + उत्तम = अत्युत्तम
  • यदि + अपि = यद्यपि
  • अति + उष्म = अत्यूष्म
  • पितृ + आदेश = पित्रादेश
  • मधु + आलय = मध्वालय
  • अनु + एषण = अन्वेषण
  • गुरु + ओदन = गुर्वोदन
  • गुरु + औदार्य = गुरवौदार्य

अयादि संधि -:

वह स्वर संधि जिसमें “ए”, ” ऐ” , “ओ ” , “औ ” स्वर किसी भिन्न स्वर से मिलकर क्रमश: ” अय् ” , “आय् ” , ” अव्” , “आव् ” में परिवर्तित हो जाते हैं ,तथा दूसरे पद का प्रथम स्वर उस वर्ण( अय ,आव) में मात्रा के रूप मे जुड जाता है ।

अयादि संधि के नियम

  • “ए” किसी भिन्न स्वर से मिलकर ” अय्” में बदल जाता है।

  • “ऐ” किसी भिन्न स्वर से मिलकर ” आय्” में बदल जाता है।

  • “ओ” किसी भिन्न स्वर से मिलकर ” अव्” में बदल जाता है।

  • “औ” किसी भिन्न स्वर से मिलकर ” आव्” में बदल जाता है।

.अयादि संधि में (ए + अ =अय ) के उदाहरण

अयादि संधि में (ए + अ =अय ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

जे + अ जय 
शे + अन शयन 
चे + अन चयन 
विले + अ विलय 
प्रले + अ प्रलय 

अयादि संधि में (ऐ + अ = आय ) के उदाहरण

अयादि संधि में (ऐ + अ = आय ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

गै + अक गायक 
नै + अक नायक 
गै + अन गायन 
विनै + अक विनायक 
विधै + अक विधायक 

अयादि संधि में (ए+ इ =अयि ) के उदाहरण

अयादि संधि में (ए+ इ =अयि ) के उदाहरण आप नीचे देखे सकते हैं:-

विजे + इनि = विजयिनी

अयादि संधि में (ए+ ई =अयी ) के उदाहरण

अयादि संधि में (ए+ ई =अयी ) के उदाहरण आप नीचे देखे सकते हैं:-

विजे + ई = विजयी

अयादि संधि में (ऐ + इ = आयि ) के उदाहरण

अयादि संधि में (ऐ + इ = आयि) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

गै + इका गायिका 
नै + इका  नायिका 
दै + इनि दायिनी 
दै + इका दायिका  
विधै + इका विधायिका  

अयादि संधि में (ओ + अ =अव ) के उदाहरण

अयादि संधि में (ओ + अ =अव ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

भो + अन भवन  
हो + अन  हवन  
पो + अन पवन 
शो + अ शव   
भो + अति भवति   

अयादि संधि में (औ + अ =आव ) के उदाहरण

अयादि संधि में (औ + अ =आव ) के उदाहरण आप नीचे दी गयी तालिका में देखे सकते हैं:-

भौ + अ भाव   
धौ + अक धावक   
रौ + अन रावण 
भौ + अनभावन    
पौ + अनपावन    

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