सरकारी पहलें
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Toggleपीएम किसान-:
यह किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली केंद्रीय योजना है।
शुरुआत- 2019 को।
उद्देश्य-:
कृषिगत निवेश को बढ़ाना।
ऋणस्थता में कमी
किसने की आय दुगनी करना।
पात्रता-पहले इसके दायरे में केवल दो हेक्टेयर भूमि से कम भूमि वाले किसान ही शामिल थे लेकिन अब, सभी भूमिधारी इस योजना के लिए पात्र है़।
लाभ – प्रतीक किस प्रतिवर्ष से 6000 रूपए की, वार्षिक प्रोत्साहन राशि 2000- 2000 की तीन किस्तों में।
क्रियान्वयन- DBT के माध्यम से सीधी किसानों के खातों में राशि पहुंचाई जाती है तथा इसके लिए एक पीएम किसान ऐप भी बनाया गया है।
उपलब्धि- वर्तमान में 11 करोड़ से अधिक किसानों को इसके तहत लाभान्वित किया जा चुका है।
सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन
-: यह जलवायु परिवर्तन के आठ राष्ट्रीय मिशनों में से एक राष्ट्रीय मिशन है।
लॉन्च अवधि-: 2014-15 में
उद्देश्य-:
कृषि को टिकाऊ एवं पर्यावरण हितैषी बनाना।
मृदा का उचित प्रबंध।
दक्षतापूर्ण सिंचाई को बढ़ावा देना।
एकीकृत कृषि को बढ़ावा देना।
इसके प्रमुख घटक
वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (RAD)
खेत पर जल प्रबंधन।
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन।
सतत कृषि निगरानी मॉडलिंग एवं नेटवर्किंग।
संबंधित योजनाएं-:
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2015
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना 2015
परंपरागत कृषि विकास योजना 2015
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना 2017।
क़ृषि मूल्य नीति
कृषि मूल्य नीति का अर्थ-
कृषिगत उत्पादों अर्थात् फसलों की युक्ति युक्त, मूल्य निर्धारण की आर्थिक नीति।
-: कृषि मूल्य नीति में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि, एक ओर किसानों को उनकी उपज का पर्याप्त मूल्य प्राप्त हो सके, वहीं दूसरी ओर वह उपभोक्ताओं के लिए भी हितकर हो।
-: कृषि मूल्य नीति द्वारा ही एसपी का निर्धारण होता है और कृषि मूल्य नीति का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल आयोग द्वारा किया जाता है।
कृषि मूल्य को प्रभावित करने वाले कारक
कृषिगत लागत- यदि लागत अधिक हेतु कृषिगत फसलों का मूल्य भी अधिक होगा।
कृषिगत उत्पादन-उत्पादन बढ़ाने पर फसलों का मूल्य कम हो जाता है।
बाजार मांगकी स्थिति- बाजार मांग बढ़ने पर मूल्य में भी वृद्धि होती है।
उपभोक्ताओं की जीवन शैली में परिवर्तन।
इनपुट मूल्य में परिवर्तन
कृषि मूल्य नीति के उद्देश्य-:
कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना।
अतिथि की कीमत वृद्धि से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा।
कृषिगत उत्पादन की मांग पूर्ति के मध्य सामंजस स्थापित करना।
किसीगत उत्पादों के मूल्य में स्थिरता लाना।
किसी का उत्पादन को बढ़ावा देना ताकि निर्यात को बढ़ावा मिले।
निर्धारित राष्ट्रीय लक्षण के अनुरूप विभिन्न फसलों के उत्पादन की मात्रा को नियंत्रित करना।
संबंधित संस्थान
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग
स्थापना-1965
संरचना- एक अध्यक्ष+ एक सचिव +एक सरकारी सदस्य और दो गैर सरकारी सदस्य
कार्य –
न्यूनतम समर्थन मूल्य अर्थात एमएसपी की सिफारिशें करना।
कृषि उत्पादन से संबंधित सुझाव देना।