साइबर अपराध
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Toggleवर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी का युग है, और इस युग के सदुपयोग ने जहां एक और व्यक्ति को अंतरिक्ष में पहुंचा है तो वहीं दूसरी ओर इसके दुरुपयोग ने साइबर अपराध जैसी चुनौतियां पैदा की है।
साइबर अपराध का अर्थ–
कंप्यूटर नेटवर्क का प्रयोग करके किया गया वह गैर कानूनी कृत्य, जिससे किसी व्यक्ति या संस्था को हानि पहुंचे। उदाहरण के लिए- हैकिंग करना, साइबर बुलिंग करना,ब्लैकमेल करना आदि।
साइबर अपराध के लक्षण-:
यह कंप्यूटर तथा कंप्यूटर के नेटवर्क से जुड़ा अपराध होता है।
साइबर अपराध उच्च शिक्षित लोग करते हैं।
सामान्यतः साइबर अपराध को करने वाला व्यक्ति गुमनाम होता है।
साइबर अपराध , एक प्रकार का फौजदारी अपराध है।
साइबर अपराध का उद्देश्य धन प्राप्ति, किसी वर्ग या व्यक्ति को बदनाम करना तथा शत्रु देश की सुरक्षा तंत्र को कमजोर करना हो सकता है।
साईबर अपराध बढ़ने के कारण-‘
तेजी से बढ़ता डिजिटलीकरण-: वर्तमान में लोग कंप्यूटर से संबंधित तकनीक पर निर्भर होते जा रहे हैं।
जागरूकता का अभाव-: लोगों में डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूकता का अभाव इस अपराध को बढ़ावा दे रहा है।
साइबर सुरक्षा अवसंरचना में कमी– जिस स्तर से साइबर क्राइम बढ़ रहे हैं उस स्तर की साइबर सुरक्षा की अवसंरचना नहीं है।
भौतिकवादी युग – वर्तमान समय में लोग अपने नैतिक मूल्यों को भूलकर केवल आर्थिक लाभ के लिए अनैतिक डिजिटल कृत्य करने लगते हैं।
साइबर अपराध के रूप या प्रकार-:
1.हैकिंग-:
अनाधिकृत तरीके से, किसी संस्थान या उपयोगकर्ता के कंप्यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर, उसके डाटा के साथ छेड़छाड़ करना या उसे चुराना।
2. मैलवेयर हमला-:
उपयोगकर्ता के कंप्यूटर में वायरस सॉफ्टवेयर भेजकर, उसके डाटा को मिटाना, परिवर्तित करना या उसका कंट्रोल ले लेना।
रेम्सवेयर-: यह एक प्रकार का वायरस है जो उपयोगकर्ता की कंप्यूटर में घुसकर ताला लगा देता है, और फिर फिरौती की मांग करता है।
स्पाइवेयर- वह वायरस जो उपयोगकर्ता कंप्यूटर की जासूसी करता है।
3. फिशिंग-:
अनाधिकृत ईमेल भेजकर उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत सूचना (जैसे- यूजरनेम, पासवर्ड, बैंक डिटेल आदि) प्राप्त करना।
4.स्पूफिंग-:
इसमें साइबर अपराधी स्वयं की नकली बेवसाइट एवं नकली एड्रेस बनाकर, उपयोगकर्ता से व्यक्तिगत सूचना प्राप्त करता है।
5.स्पैम-:
बार-बार विज्ञापन संबंधी अवांछित ईमेल भेजना।
6.पाइरेसी-:
किसी डिजिटल उत्पाद की नकली कॉपी बनाकर उससे व्यापारिक लाभ कमाना।
7. साइबर स्टाकिंग -:
इसमें साइबर अपराधी यूजर से संबंधित कुछ जानकारी हासिल करके, उसे ब्लैकमेल करता है।
भारत में साइबर अपराधी की स्थिति-:
वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स रिपोर्ट- 2023 में भारत का दसवां स्थान है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2022 में साइबर अपराध के लगभग 65800 मामले दर्ज किए।
दर-: प्रति एक-लाख जनसंख्या में 4.8
साइबर अपराधी के प्रभाव-:
आर्थिक नुकसान (दुनिया भर में साइबर अपराध से बचने के लिए लगभग 8 से 10 ट्रिलियन डॉलर साइबर सुरक्षा में खर्च हो रहे हैं)
प्राइवेसी का खतरा (जो एक मूल अधिकार है)
व्यक्ति, समाज या देश की सम्मान/ प्रतिष्ठा में कमी।
साइबर ब्लैकमेल आदि से मानसिक तनाव।
साइबर पायरेसी के कारण बौद्धिक संपदा के अधिकार को नुकसान।
उपाय-:
डेटा सुरक्षा कानून बनाया जाए।
साइबर जागरूकता अभियान संचालित किए जाएं।
जैसे- किसी भी अनजान लिंक में क्लिक न करना
मजबूत पासवर्ड रखना।
किसी को अपना पासवर्ड ,ओटीपी ना बताना।
ठगी होने पर तुरंत साइबर सेल में शिकायत करना।
साइबर सुरक्षा संहिता का निर्माण।
मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र का विकास।
साइबर बीमा की व्यवस्था (जिसमें साइबर अपराध से ग्रसित व्यक्ति को मुआवजा देने का प्रावधान हो।)
सरकारी प्रयास -:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000
इस अधिनियम में साइबर अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है
धारा 65 में– कंप्यूटर साधन कोड से छेड़छाड़ पर, 3 वर्ष तक का कारावास।
धारा 66-: डाटा चोरी तथा साइबर आतंकवाद के लिए , 3 वर्ष तक का कारावास।
धारा 67-: इलेक्ट्रॉनिक रूप से अश्लील सामग्री प्रकाशित करने के लिए 5 वर्ष तक का कारावास।
साइबर अपराध अपील अधिकरण-:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 48 में इसके गठन का प्रावधान है।
कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-in)
इसकी स्थापना 2004 को की गई।
यह साइबर हमले पर तुरंत सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया देने वाली टीम।
साइबर सुरक्षा नीति 2013
यह नीति सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लाई गई
इसका उद्देश्य डाटा चोरी रोकना है।
इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (Icccc)
स्थापना 2020 को
इसका कार्य साइबर अपराधों से निपटने के लिए विभिन्न संस्थाओं में समन्वय स्थापित करना।
साइबर दोस्त-:
इसका प्रारंभ गृह मंत्रालय द्वारा 2020 को किया गया।
यह एक के साइबर शिकायत निवारण ऑनलाइन पोर्टल है।