सामाजिक आर्थिक असमानताएं

सामाजिक आर्थिक असमानताएं 

असमानता का अर्थ-

धन या आय के आसमान वितरण के कारण, व्यक्तियों के जीवन स्तर में व्यापक भिन्नताएं होती हैं, जिसे सामाजिक आर्थिक असमानताएं कहा जाता है। 

असमानता के प्रकार 

  • सामाजिकअसमानता- खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा में भिन्नता होना। 

  • आर्थिक असमानता- धन, आय तथा रोजगार में भिन्नता होना। 

भारत में असमानता की स्थिति-:

सामाजिक असमानता-:

  • लैंगिक असमानता- ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत का 127 व स्थान है, हमारी संसद में 543 सांसदों में से केवल 75 ही महिला सांसद है। 

  • जातिगत असमानता- उच्च जाति तथा निम्न जाति के रहन-सहन, खान-पान में अंतर होना, अस्पृश्यता का प्रचलन होना आदि। 

  • बुनियादी सुविधाओं में असमानता- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश के 25.85 मिलियन लोगों के पास स्थाई आवास नहीं है। 

  • शैक्षिक असमानता-: गरीब लोगों तक पर्याप्त शिक्षक की पहुंच का अभाव, महंगी शिक्षा होना। 

आर्थिक असमानता-:

  1. धन संबंधी असमानता- 2014 की रिपोर्ट के अनुसार भारत की राष्ट्रीय आय का 67 प्रतिशत हिस्सा 10% अमीरों के पास है तथा बाकी केवल 33% हिस्सा ही 90% गरीबों के पास। 

  2. रोजगार के अवसरों की असमानता- निम्न वर्ग के पास पर्याप्त रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं है, क्योंकि गरीबी कारण वे उपयुक्त शिक्षण ,प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाते हैं , ना ही उनके पास कार्यशील पूंजी होती है। 

भारत में असमानता के कारण-:

  • परंपरागत जमीदारी व्यवस्था- इश्क कहानी भारतीय समाज दो वर्गों में विभाजित हो गया- एक जमींदार वर्ग, दूसरा कृषक वर्ग।

  • जातिवाद- सभी वर्गों को सभी कार्य करने की छूट नहीं, जिससे भी असमानता को बढ़ावा मिला है। 

  • अंधविश्वास या कुरीतियों- ग्रामीण समाज में अंधविश्वास एवं कुरीतियों के अधिक प्रचलित होने से भी ज्यादा विकसित नहीं हो पाए। 

  •  शिक्षा का आसमान वितरण-: गुणवत्तापूर्ण महंगी शिक्षा केवल अमीरों के पास ही सीमित। 

  • पित्त प्रधान समाज- लैंगिकअसमानता के लिए जिम्मेदार। 

  • औद्योगिकरण- औद्योगीकरण से पूंजीपति वर्ग या अमीर वर्ग और भी ज्यादा अमीर हो गया है जबकि गरीब वर्ग और भी ज्यादा गरीब होता जा रहा है। 

  • समावेशी नीतियों का अभाव- इसके कारण सरकारी नीतियों का लाभ, उच्च वर्ग को मिल रहा है। 

सामाजिक-आर्थिक असमानता का प्रभाव –

  • निम्न वर्गों का शोषण होना। 

  • सभी तक शिक्षा,स्वास्थ्य की पहुंच नहीं। 

  • बाल-श्रम में बढ़ोत्तरी। 

  • बंधुआ मजदूरी में बढ़ोत्तरी। 

  • गरीबी एवं ऋणग्रस्तता की स्थिति। 

  • वर्ग संघर्ष की स्थिति। 

  • अलगाववाद एवं नक्सलवाद समस्याओं का उद्भव। 

सामाजिक-आर्थिक असमानता कम करने के लिए सरकारी प्रयास-

संवैधानिक प्रावधान-

  • समानता का मौलिक अधिकार व;- अनुच्छेद 14 से 18 तक। 

  • नीति निर्देशक तत्व में समानता संबंधी प्रावधान;- अनुच्छेद 38, 39, 41, 46, 47। 

  • अनुच्छेद 243 के तहत, स्थानीय निकायों में आरक्षण का प्रावधान। 

वैधानिक प्रयास –

  • 1948 का न्यूनतम मजदूरी अधिनियम। 

  • 1955 का सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम। 

  • 1976 का बंधुआ मजदूरी प्रतिबंध अधिनियम। 

  • 2009 का शिक्षा का अधिकार अधिनियम। 

योजनागत प्रयास-

  • मनरेगा योजना, 2006। 

  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन। 

  • पीएम आवास योजना। 

  • पीएम जन धन योजना आदि। 

 

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