सृजनशीलता/srajansheelta

सृजनशीलता 

सृजनशीलता 

सृजनशीलता का अर्थ-

सृजनशीलता उद्यमी का वह गुण या क्षमता है, जिससे वह नवीन विचारों, तकनीकों तथा समस्या के समाधान की नवीन विधियों का सृजन करता है। 

सृजनशीलता की परिभाषा 

थियोडोर लैबिट के अनुसार- “सृजनशीलता नवीन बातों पर विचार करना है। ”

सृजनशीलता की विशेषताएं 

  • मानसिक क्षमता- सज्जनशीलता उद्यमी की मानसिक क्षमता की उपज है। 

  • शिक्षणीय प्रक्रिया – सृजनशीलता को शिक्षक प्रशिक्षण द्वारा विकसित एवं विस्तारित किया जा सकता है। 

  • कल्पना शीलता- सृजनशीलता कल्पना पर आधारित प्रक्रिया होती है। 

  • उद्देश्य पूर्ण क्रिया- सृजनशीलता का कोई ना कोई समस्या समाधान संबंधी उद्देश्य होता है

  • मौलिकता एवं नवीनता– संजनशीलता व्यक्ति की मौलिक एवं नवीनता पर आधारित विचार की क्रिया है। 

  • उपयोगिता- सृजनशीलता का सामाजिक, आर्थिक या वैज्ञानिक महत्व होता है। 

  • भविष्य उन्मुक्त-सृजनशीलता भविष्य उन्मुक्त तथा दूरदर्शिता पर आधारित होती है। 

 सृजनशीलता के चरण 

  1. विचार अंकुरण- सृजनशीलता की शुरुआत ही रचनात्मक लोगों द्वारा जिज्ञासा से शुरू होती है और इस जिज्ञासा को ही विचार अंकुरण के रूप में जाना जाता है। 

  2. विचार चिंतन- फिर उस विचार का गहन चिंतन मनन किया जाता है। 

  3. प्रदीपन- फिर संबंधित समस्याओं को या विचार को विभिन्न परिपेक्ष्य में रखकर समाधान ढूंढा जाता है। 

  4. सत्यापन-: यह अंतिम चरण होता है जिसमें प्रदीपित विचारों को परिष्कृत करके उपयोगी तथा यथार्थवादी विचारों को सत्यापित किया जाता है; और अनुपयोगी विचारों को छोड़ दिया जाता है। 

सृजनशीलता बढ़ाने के उपाय 

  • सृजनशीलता का मानस- सृजनशीलता के मानस का अर्थ है कि नवीन विचारों के सृजन के प्रति सकारात्मक मन रखना।

  • विचारों का स्वतंत्र आवागमन- स्वतंत्र रूप से चिंतन मनन करना। 

  • विचारों के स्रोत तक पहुंच- विभिन्न परिपेक्षों या स्रोतों में जाकर सोचना। 

  • अन्य लोगों के विचार के साथ संवाद- दूसरे लोगों के विचार एवं अनुभव से सीख लेकर सृजनशीलता को बढ़ाना। 

  • आपसी विचार विमर्श- किसी भी समस्या के समाधान पर एक ग्रुप बनाकर उसे पर आपसी विचार विमर्श करना।

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