हरित क्रांति
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Toggleहरित क्रांति का अर्थ
उन्नत बीज, उन्नत खाद, उन्नत आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करके, कृषि उत्पादन तीव्र गति से बढ़ाने की क्रिया को हरित क्रांति कहा जाता है
हरित क्रांति की विशेषताएं-
उन्नत बीजों का प्रयोग,
अधिक से अधिक रसायन एवं रासायनिक खाद का प्रयोग,
प्रभावित खरपतवार डालना,
नवीन कृषि यंत्रों जैसे– ट्रैक्टर, हार्वेस्टर का प्रयोग,
नवीन तकनीक से कृषि करना जैसे- उपयुक्त फसल चक्र अपनाना,
हाइब्रिड बीज एवं वित्त उपलब्ध कराने की सुविधा,
हरित क्रांति का प्रभाव-:
सकारात्मक प्रभाव -:
खाद्यान्न में बढ़ोतरी-1961 में गेहूं का उत्पादन 11 मिलियन टन था जो 1998 में बढ़कर 66 मिलियन टन हो गया। तथा 1961 में चावल का उत्पादन 35 मिलियन टन था जो 1998 में बढ़कर 88 मिलियन टन हो गया।
सिंचित क्षेत्र में वृद्धि -: 1950 में भारत का कुल सिंचित क्षेत्र 226 लाख हेक्टेयर था जो 2006 में बढ़कर 850 लाख हेक्टेयर हो गया।
राष्ट्रीय आय में वृद्धि -: हरित क्रांति से कृषि उत्पादन बढ़ा, कृषि उत्पादन बढ़ने से राष्ट्रीय आय का इजाफा हुआ।
रोजगार में वृद्धि -: हरित क्रांति से अनेकों लोगों को कृषि क्षेत्र में रोजगार मिला, चाहे वह कृषि उपकरण निर्माता या विक्रेता हों या फिर कृषिगत गतिविधियों करने वाले लोग हैं।
गरीबी में कमी-भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है, कृषि के विकास से गरीबी में कमी आई।
नकारात्मक प्रभाव
भूमि की उर्वरता शक्ति कम हुई-क्योंकि अत्यधिक कीटनाशक एवं रसायनों का प्रयोग भूमि में किया गया।
पर्यावरण की क्षति – रासायनिक कृषि के कारण।
इसका लाभ केवल बड़े किसानों को ही मिल सका, जिहसे किसानों में असमानता बड़ी।
यह हरित क्रांति गेहूं चावल पर फोकस थी, अन्य फसलों जैसे दलहन तिलहन पर , ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
इसका सर्वाधिक प्रभाव पश्चिम उत्तर भारत तक सीमित रहा।
द्वितीय हरित क्रांति-:
प्रथम हरित क्रांति के उल्लेखनीय प्रभावों से प्रेरित होकर, पुन: भारत में दूसरी बार हरित क्रांति लाई गई।
शुरुआत- द्वितीय हरित क्रांति के संदर्भ में सर्वप्रथम 1998 को अटल बिहारी वाजपेई ने इस पर प्रस्ताव लाया, जिसके फल स्वरुप राष्ट्रीय कृषि नीति 2000 के तहत- 2010-11 में द्वितीय हरित क्रांति लाई गई।
द्वितीय हरित क्रांति की विशेषताएं
यह उन राज्यों पर केंद्रित थे जिनमें प्रथम हरित क्रांति से ज्यादा कृषि विकास नहीं हुआ। जैसे – पश्चिम बंगाल ,असम ,उड़ीसा ,बिहार ,झारखंड,छत्तीसगढ़ ,पूर्वी उत्तर प्रदेश आदि। (BGREI)
इस हरित क्रांति में मुख्य रूप से संकर बीज एवं जीनोम बीजों का प्रयोग किया गया।
किसान कॉल सेंटर की स्थापना (2004)
डीडी किसान चैनल लांच किया गया।
मृदा के पीएच को संतुलित करने के लिए मृदा में आवश्यकता के अनुसार चूना एवं जिप्सम मिलाया गया। (अम्लीय मृदा में चूना मिलाया गया)
मृदा स्वास्थ्य योजना के तहत मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाया गया , तथा उपयुक्त मृदा में प्रयुक्त फसल लगाए जाने पर बल दिया गया।
जैविक कृषि को बढ़ावा मिला।