विश्व का भूगोल-: पर्व
भूगोल का अर्थ-:
भूगोल को अंग्रेजी में geography कहते हैं जो ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है
Geo+graphos यहां पर Geo का अर्थ है पृथ्वी।
और graphos का अर्थ है वर्णन करना।
अर्थातgeography या भूगोल वह शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी का अध्ययन किया जाता है।
चूंकि जो ग्राफी की अवधारणा सर्वप्रथम हिकेटियस नामक वैज्ञानिक ने अपनी पुस्तक जब पिरियोडस में रखी थी, इसलिए इन्हें भूगोल का पिता कहा जाता है।
जबकि जो ग्राफी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग इटौरेस्थनीज नामक वैज्ञानिक ने किया था इसीलिए इन्हें व्यवस्थित भूगोल का पिता कहा जाता है।
पर्वत (mountain)
सामान्यतःअपनी समीपवर्ती धरातल से लगभग 1000 मीटर से अधिक ऊंचाई बाले ऐसे उभरे हुए धरातलीय भाग, जिनका ढाल तीव्र एवं शिखर संकुचित या चोटीनुमा होता है। उन्हें पर्वत कहते हैं।
पर्वत की विशेषताएं-:
यह अपने आसपास के धरातल से लगभग 1000 मीटर से अधिक ऊंचा होता है।
पर्वत का शिखर चोटीनुमा या संकुचित होता है
पर्वत शंकु के आकार का होता है अतः इसका ढाल तीव्र होता है।
समस्त भूपटल की लगभग 26% भाग पर पर्वत एवं पहाड़ियों का विस्तार है।
और विश्व की लगभग 12% आबादी पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करती है।

तथा ऐसे पर्वत जिनकी ऊंचाई 1000 मीटर से कम होती है उन्हें पहाड़ी के नाम से जाना जाता।
पर्वतों के रूप-:
पर्वत निम्न में से किसी भी रूप में हो सकते हैं-:
पर्वत कटक-: पर्वतों के क्रमबद्ध कंटीले स्वरूप को पर्वत कटक कहते हैं।
जैसे -: ऑपरेशन पर्वत श्रेणी का ब्लू माउंटेन

पर्वत श्रेणी-:
एक ही काल में निर्मित पर्वत पहाड़ियों के क्षेत्र को पर्वत श्रेणी कहते हैं।
जैसे-: हिमालय पर्वत श्रेणी।
पर्वत श्रृंखला -:
भिन्न-भिन्न युग में निर्मित पर्वतों के समांतर विस्तार वाले क्षेत्र को पर्वत श्रंखला कहते हैं।
जैसे -: अप्लेसियन पर्वत श्रंखला (usa), रॉकीज पर्वत श्रृंखला(North America)।
पर्वत तंत्र-: एक ही युग में निर्मित पर्वत श्रेणियों के समूह को पर्वत तंत्र कहते है जैसे-: अप्लेसियन पर्वत तंत्र।
कॉर्डिलेरा-: विभिन्न युगों में निर्मित पर्वत श्रेणियों ,पर्वत श्रंखला षपर्वत तंत्र आदि के समूह वाले पर्वतीय क्षेत्र को कॉर्डिलेरा कहते हैं
जैसे-: उत्तरी अमेरिका का प्रशांत कॉर्डिलेरा, ब्रिटिश कोलंबिया का कॉर्डिलेरा।

पर्वतों का वर्गीकरण-:
स्थिति के आधार पर-:
जलीय पर्वत
स्थलीय पर्वत
जलीय पर्वत-:
ऐसी पर्वत जिनका आधार समुद्र तल में डूबा हुआ होता है उन्हें जलीय पर्वत कहते हैं।
जैसे-: हवाई दीप का मौनाकीआ पर्वत।
वलित पर्वत
ब्लॉक पर्वत
गुंबदाकार पर्वत
ज्वालामुखी पर्वत
अवशिष्ट पर्वत।
स्थलीय पर्वत-:
ऐसी पर्वत जो स्थल भाग में स्थित होते हैं उन्हें स्थलीय पर्वत कहते हैं स्थलीय पर्वत भी स्थिति के आधार पर दो प्रकार के होते हैं
तटीय पर्वत
ऐसी पर्वत जो समुद्र तट के किनारे स्थित होते हैं उन्हें तटीय पर्वत कहते हैं जैसे-: उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित रॉकीज पर्वत।
तथा उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर स्थित अपलेसियन पर्वत।
आंतरिक पर्वत
ऐसी पर्वत जो समुद्र तट से दूर महाद्वीप के आंतरिक भाग में स्थित होते हैं उन्हें अंदर एक पर्वत कहते हैं जैसे-: रूस का यूराल पर्वत।
निर्माण प्रक्रिया के आधार पर पर्वतों के प्रकार-:
वलित पर्वत-:
ऐसे पर्वत जिनका निर्माण पृथ्वी के अंतर्जात संपीडन बल द्वारा चट्टानों में मोड़ पड़ने से हुआ है उन्हें मोडदार पर्वत या वलित पर्वत कहते हैं।
जैसे-: हिमालय पर्वत, रॉकीज पर्वत (उत्तरी अमेरिका), एंडीज पर्वत (दक्षिण अमेरिका), यूराल पर्वत (एशिया एवं यूरोप के मध्य) एटलस पर्वत (उत्तर पश्चिमी अफ्रीका)आदि।
वलित पर्वत की विशेषताएं-:
वलित पर्वत चट्टानों में मोड़ पढ़ने से निर्मित होते हैं अतः इन्हें मोड दार पर्वत भी कहते हैं।
वलित पर्वत सबसे नवीनतम पर्वत है।
विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत वलित पर्वत ही होते हैं तथा इनकी ऊंचाई लगातार बढ़ती रहती है।
वलित पर्वत मुख्यत: चाप के आकार के होते हैं जिनका एक ढाल अबतल तथा दूसरा ढाल उत्तल आकार का होता है।
वलित पर्वत की उत्पत्ति से संबंधित भूसन्नति का सिद्धांत-:
वलित पर्वतों की उत्पत्ति के संबंध में कोबर महोदय ने भूसन्नति का सिद्धांत प्रतिपादित किया,
इस सिद्धांत के अनुसार-स्थल में पाई जाने वाले लंबे ,संकरे तथा उथले जलीय गर्त भूसन्नति कहलाते हैं , और जब भूसन्नति में लगातार मलबे का निक्षेप जमा होता रहता है तो इस भूसन्नति में दबाव बढ़ने से भूसन्नति के किनारों में संपीडन बल उत्पन्न होता है और इस संपीडन बल से भूसन्नति के दोनों ओर मोड़दार पर्वतों का निर्माण हो जाता है। जैसे-: हिमालय और कुनलुन पर्वत के मध्य टेथिश भूसन्नति थी, और कुछ भूसन्नति में लगातार मलबों के निक्षेप जमा होने से दबाव बढ़ता गया जिससे टेथिश भूसन्नति के दोनों ओर संपीडन बल प्रभावी हो गया परिणाम स्वरूप टेथिश भूसन्नति दक्षिण में हिमालय का तथा उत्तर में कुलकुल पर्वत का निर्माण हुआ।

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार हिमालय की उत्पत्ति को समझाइए
प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत का प्रतिपादन हैरी हेस तथा मैकेंजी नामक वैज्ञानिक ने किया था, इस सिद्धांत के अनुसार जब प्लेटों में अभिसारी गति होती है अर्थात दो प्लेट एक दूसरे की ओर गति करके आपस में टकराती हैं तो उन प्लेटों में मोड़ पर जाते हैं परिणाम स्वरूप मोडदार पर्वत का निर्माण होता है,
इस सिद्धांत के अनुसार भारत और नेपाल में स्थित हिमालय की उत्पत्ति भी प्लेट विवर्तनिकी अभिसारी गति के कारण हुई है,
क्योंकि आज से लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व अंगारा लैंड की यूरेशियन प्लेट और गोंडवाना लैंड की indo-australian प्लेट टेथिस सागर के पास आपस में टकराई जिससे इन प्लेटों में मोड़ पर गए परिणाम स्वरुप हिमालय नामक वलित पर्वत की उत्पत्ति हो गई।

ब्लॉक पर्वत-:
ऐसे पर्वत जिनका निर्माण आसपास की भूमि के नीचे धंस जाने से होता है उन्हें भ्रंशोत या ब्लॉक पर्वत कहते हैं

जैसे-: जर्मनी का ब्लैक फॉरेस्ट पर्वत, मध्य प्रदेश का सतपुड़ा पर्वत।
मध्य प्रदेश की सतपुड़ा पर्वत का निर्माण नर्मदा घाटी के धसने हुआ है।
ब्लॉक पर्वत की विशेषताएं-:
ब्लॉक पर्वत की चोटी सपाट होती है।
ब्लॉक पर्वत का ढाल खड़ा होता है।
ब्लॉक पर्वत के आसपास भ्रंस घाटी देखने को मिलती है।
ज्वालामुखी पर्वत-:
ऐसी पर्वत जिनका निर्माण ज्वालामुखी से निकला लावा, विखंडित पदार्थ तथा अन्य पदार्थों की जमाव से होता है उसे संग्रहीत पर्वतीय या ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं।
जैसे-: किलिमंजारो पर्वत ,तंजानिया।
एकांकागुआ पर्वत , चिली।
कोटोपेक्सी पर्वत, इक्वाडोर।
ज्वालामुखी पर्वत की विशेषताएं-:
ज्वालामुखी पर्वत में आग्नेय चट्टान में पाई जाती है।
चूंकि ज्वालामुखी पर्वत का निर्माण लावा के ठंडे होने से होता है अतः इसमें खनिज तत्व की प्रधानता होती है।

गुम्बदाकार पर्वत-:
ऐसे पर्वत जिनका निर्माण पृथ्वी के अंतर्जात बल के कारण धरातल में आये गुम्बदाकार उभार के कारण होता है उन्हें गुम्बदाकार पर्वत कहते हैं

जैसे -: यूएसए की ब्लैक हिल्स, हेनरी चाप पर्वत।
अवशिष्ट पर्वत-:
ऐसे पर्वत जो अपरदन के कारण अपने मूल स्वरूप को खो चुके हैं अर्थात कम ऊंचाई वाले रहे गए हैं उन्हें अवशिष्ट पर्वत कहते हैं जैसे-: भारत का अरावली पर्वत विंध्याचल पर्वत सतपुरा पर्वत महादेव पर्वत आदि।
आयु के आधार पर पर्वतों के प्रकार-:
चर्नियन पर्वत-:
ऐसे पर्वत जिनका निर्माण प्रीकैंब्रियन युग कि चर्नियन हलचल(लगभग 50 वर्ष पूर्व,) के दौरान हुआ उन्हें चर्नियन पर्वत कहते हैं। इन्हें प्रीकैंब्रियन पर्वत भी कहते हैं
प्रमुख चर्नियन पर्वत अंतर्गत निम्न है-:
अरावली पर्वत, कुटप्पा ,छोटा नागपुर ,लारेशियन पर्वत यूएसए , एलगोमन पर्वत।
कैलोडोनियम पर्वत-:
ऐसे पर्वत जिनका निर्माण सिल्यूरियन काल की केलेडोनियन हलचल (लगभग 40 करोड वर्ष पूर्व) के दौरान हुआ है उन्हें केलेडोनियन पर्वत कहते हैं
प्रमुख केलेडोनियन पर्वत निम्नलिखित हैं-: अपलेशियन पर्वत यूएसए, स्कॉटलैंड पर्वत यूरोप, विंध्याचल , सतपुड़ा पर्वत।
हर्सीनियन पर्वत-:
ऐसे पर्वत जिनका निर्माण पैल्योजोईक युग के पर्मियन काल की हर्सीनियन हलचल (30 करोड़ वर्ष पूर्व)के दौरान हुआ उन्हें हर्सीनियन पर्वत कहते हैं
प्रमुख हर्सीनियन पर्वत निम्नलिखित हैं
जर्मनी का ब्लैक फॉरेस्ट पर्वत, फ्रांस का ब्रेटेनी पर्वत। एशिया का टयानशान पर्वत।
अल्पाईन पर्वत-:
ऐसे पर्वत जिनका निर्माण सीनोजोईक काल की अल्पाइन हलचल (लगभग 3 करोड़ वर्ष पूर्व) के दौरान हुआ उन्हें अल्पाइन पर्वत कहा जाता है।
प्रमुख अल्पाइन पर्वत निम्नलिखित हैं-:
हिमालय पर्वत,
रॉकीज पर्वत,
एण्डीज पर्वत,
आल्प्स पर्वत,
एटलस पर्वत,।
विश्व के प्रमुख पर्वत-:
विश्व की सर्वाधिक के विस्तार वाली पर्वत श्रृंखलाएं-:
एंडीज-: इसका विस्तार वेनेजुएला कोलंबिया इक्वाडोर पेरुचली बोलिविया अर्जेंटीना आदि देशों में है।
रॉकीज-: इसका विस्तार कनाडा यूएसए मेक्सिको में है।
हिमालय-: इसका विस्तार भारत नेपाल तथा तिब्बत क्षेत्र में है।
ग्रेट डिवाइडिंग रेंज-: इसका विस्तार ऑस्ट्रेलिया में है।
विश्व सर्वोच्च पर्वत चोटियां
माउंट एवरेस्ट
उत्तर अमेरिका की प्रमुख पर्वत
रॉकीज पर्वत-: यह पर्वत उत्तर अमेरिका का सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला है इस पर्वत का विस्तार कनाडा यूएसए एवं मेक्सिको में है।
इसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्बर्ट है।
अलास्का पर्वत-: यह पर्वत अमेरिका में स्थित है, इसकी सबसे ऊंची चोटी डेनाली है।
अपलेसियन पर्वत-: यह पर्वत पूर्वी अमेरिका में स्थित है।
दक्षिण अमेरिका की प्रमुख पर्वत-:
एंडीज पर्वत-: यह पर्वत पूरे विश्व का सबसे बड़ा पर्वत है जो वेनेजुएला बोलिविया इक्वाडोर कोलंबिया पेरु चिल्ली आदि देशों में स्थित है।
इस की सबसे ऊंची चोटी एकांकागुआ है जो चिली देश में स्थित है।
सियरा-डी-मांटीक्वीरा-: यह पर्वत दक्षिण अफ्रीका की ब्राजील में स्थित है।
यूरोप के प्रमुख पर्वत-:
स्कैंडिनेवियन पर्वत-: यूरोप की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला है जिसका विस्तार नार्वे एवं स्वीडन में है।
ब्लैक पर्वत-: यह पर्वत जर्मनी में स्थित है। क्योंकि इस पर्वत से व्यापक मात्रा में काला कोयला निकलता है इसीलिए इसे ब्लैक पर्वत कहते हैं।
अल्पस पर्वत-: यह प्रभात स्विट्जरलैंड ऑस्ट्रिया जर्मनी फ्रांस में स्थित है।
पिरेनीज पर्वत -: यह पर्वत स्पेन एवं फ्रांस के मध्य स्थित है।
काकेशस पर्वत-: इस पर्वत का विस्तार रूस जजिया एवं अजरबैजान में है।
इस की सबसे ऊंची चोटी एलब्रुस है जो यूरोप की भी सबसे ऊंची चोटी है।
अफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख पर्वत
एटलस पर्वत-: यह पर्वत अफ्रीका महाद्वीप की सबसे बड़ी पर्वत श्रेणी है जिसका विस्तार मोरक्को अल्जीरिया तथा ट्यूनीशिया देशों में है।
ड्राकेंसवर्ग पर्वत-: यह पर्वत दक्षिण अफ्रीका में स्थित है।
किलिमंजारो पर्वत-: यह एक ज्वालामुखी पर्वत है जो दक्षिण अफ्रीका के तंजानिया देश में स्थित है।
ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के प्रमुख पर्वत-:
ग्रेट डिवाइडिंग रेंज-: यह दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में स्थित ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा पर्वत है।
दक्षिणी आल्पस पर्वत-: यह न्यूजीलैंड देश में स्थित है।
एशिया महाद्वीप के प्रमुख पर्वत-:
हिमालय पर्वत-: यह पर्वत भारत और नेपाल में स्थित है, इस पर्वत ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट स्थित है जिसकी ऊंचाई 8852 मीटर है।
कुनलुन पर्वत-: यह पर्वत चीन के तिब्बत क्षेत्र के उत्तर में स्थित है।
हिंदूकुश पर्वत-: यह पर्वत पाकिस्तान अफ़गानिस्तान क्षेत्र में स्थित है।
हिमालय पर्वत कुनलुन पर्वत तथा हिंदूकुश पर्वत के संगम से पामीर के पठार का निर्माण होता है जिस विश्व की छत कहा जाता है।
अराकान योमा पर्वत-: यह म्यांमार में स्थित है जो भारत और म्यांमार के मध्य भौगोलिक सीमा का निर्धारण करता है।

पर्वतों का महत्व-:
पर्वत केवल मनुष्य के लिए ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं,
पर्वतों की महत्वपूर्ण को निम्न बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है-:
जलसंपदा के भंडार-: धरती की सतह पर पाए जाने वाले कुल जल का 80% जल पर्वतों ग्लेशियर के रूप में निहित होता है। अतः पर्वतों से विश्व की अनेकों बारहमासी नदियां निकलती है जैसे भारत की ब्रह्मपुत्र नदी गंगा नदी।
जैव-विविधता का भंडार-: पर्वतों में नीचे से लेकर ऊपर तक भिन्न भिन्न स्तरों में भिन्न-भिन्न प्रकार की जलवायु पाई जाती है अतः नीचे से ऊपर की ओर भिन्न भिन्न प्रकार के वन एवं विभिन्न प्रकार के जीव पाए जाते हैं परिणाम स्वरुप एक ही पर्वत में विभिन्न प्रजातियों की जीव जंतु देखने को मिलते हैं।
वर्षा कराने में सहायक-: जब आंध्र वायु पर्वत से टकराकर, ऊपर उठकर जन्नत होती है तो वर्षा होती है जैसे पर्वतीय वर्षा कहते हैं अतः पर्वत पर्वतीय वर्षा कराने में सहायक है जैसे हिमालय पर्वत।
पर्याप्त खनिज संसाधनों की उपलब्धता-: ज्वालामुखी पर्वत पर्याप्त खनिज संसाधनों की भंडार होते हैं क्योंकि ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण ज्वालामुखी से निकली लावे द्वारा होता जिस में पर्याप्त मात्रा में खनिज तत्व विद्वान होते हैं।
पर्यटक स्थल के रूप में-: पर्वतों में स्वच्छ जल वायु सुंदर वातावरण तथा अलौकिक दृश्य होता है अतः परिवर्तन की प्रमुख केंद्र होते हैं।