दर्शनशास्त्र
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Toggleदर्शन शब्द संस्कृत भाषा की दृश्य धातु से बना है जिसका अर्थ है:- ‘ देखना’।
अर्थात किसी वस्तु, तथ्य या घटना को अंतर्दृष्टि से देखकर उसके सत्य की खोज करना ही दर्शन है।
जैसे:- मृत्यु की घटना को देखकर मृत्यु के सत्य का ज्ञान करना।
दर्शनशास्त्र के अंतर्गत ऐसे प्रश्नों का उत्तर ढूंढा जाता है जिन प्रश्नों के उत्तर, इंद्रियों की संवेदना या अनुभव द्वारा प्राप्त नहीं हो पाते हैं।
जैसे:- जीवन क्या है? जीवन का लक्ष्य क्या है? लोग एक दूसरे से नफरत है प्यार क्यों करते हैं? जगत क्या है? ईश्वर होते हैं या नहीं? ईश्वर होते हैं तो उनका आकार क्या है? क्या नैतिक होता है क्या आने तक होता है?
मीमांसा:- मीमांसा का तात्पर्य किसी भी विषय के बारे में चिंतन करके सत्य का ज्ञान करना है।
दर्शनशास्त्र की प्रमुख शाखाएं
तत्वमीमांसा
ज्ञान मीमांसा
मूल्य मीमांसा (नीति मीमांसा)
सामाजिक दर्शन
राजनीतिक दर्शन।
तत्वमीमांसा:-
इसके अंतर्गत प्रकृति से परे तत्वों के सत्य के सत्य का अध्ययन किया जाता है।
जैसे:- ईश्वर, आत्मा, जगत
ज्ञान मीमांसा:-
इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रश्नों का अध्ययन किया जाता है।
ज्ञान क्या है
ज्ञान प्राप्त करने के साधन क्या है
ज्ञान प्राप्त करने की सीमा क्या है
किसी भी विषय के बारे में सत्य क्या है?
कौन सा ज्ञान वास्तविक ज्ञान है?
मूल्य मीमांसा:-
इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रश्नों का अध्ययन किया जाता है।
मूल्य क्या है?
व्यक्ति के अंदर कौन से मूल्य होने चाहिए?
क्या उचित है क्या अनुचित है?
नीति शास्त्र मूल्य मीमांसा की शाखा है।
सामाजिक दर्शन:-
इसके अंतर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि समाज कैसा होना चाहिए?
राजनीतिक दर्शन:-
इसके अंतर्गत किस बात का अध्ययन किया जाता है कि राजनीतिक व्यवस्था या राज्य कैसा होना चाहिए?
भारतीय दर्शन के प्रकार:-
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दार्शनिक:-
वह व्यक्ति जो अपने चिंतन मनन या गहन अध्ययन किया अनुभूति द्वारा किसी दर्शन अर्थात सत्य के ज्ञान का प्रतिपादन करता है उसे दार्शनिक कहा जाता है।
जैसे:-
सुकरात ,प्लेटो, अरस्तु, महात्मा बुद्ध ,महावीर स्वामी ,चावर्क, गुरु नानक, दयानंद सरस्वती आदि।