[भारत का अपवाह तंत्र]
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Toggleअपवाह तंत्र-:
किसी क्षेत्र का जल ले जाने के लिए नदियों उसकी सहायक नदियां तथा जल वाहिका द्वारा बनाए गए जल/तंत्र को अपवाह तंत्र कहते हैं।
जैसे-: भारत में गंगा नदी का कुल अपवाह तंत्र 8.6 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है।
नर्मदा नदी का कुल अपवाह तंत्र 98795 वर्ग किलोमीटर है।
अपवाह द्रोणी-:
मुख्य नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा जिस क्षेत्र का जल ले जाया जाता है उस क्षेत्र को, उस नदी की अपवाह द्रोणी कहते हैं।
जल विभाजक क्षेत्र-:
दो अपवाह तंत्र(अपवाह द्रोणी) को विभाजित करने वाली उच्च भूमि या पर्वत पठार जल विभाजक क्षेत्र कहलाता है।
जैसे-:
विंध्याचल पर्वत , नर्मदा द्रोणी और गंगा द्रोणी के मध्य जल विभाजक क्षेत्र है।
सतपुरा पर्वत , नर्मदा नदी द्रोणी और गोदावरी नदी द्रोणी के मध्य जल विभाजक क्षेत्र है।
हिमालय पर्वत, गंगा नदी द्रोणी और ब्रह्मापुत्र नदी द्रोणी के मध्य जल विभाजक क्षेत्र है।
अंतर भूमि अपवाह तंत्र-:
वह अपवाह तंत्र जो चारों तरफ से स्थल से घिरा हो।
सरिता अपहरण-:
जब कोई बड़ी नदी किसी छोटी नदी के जल को अपने जल में मिलाकर उस नदी के अस्तित्व को समाप्त कर देती है तो इसे सरिता अपहरण कहते हैं।
जैसे-: यमुना नदी द्वारा सरस्वती नदी का अपहरण कर लिया गया है।
भारत कि नदियाँ -:
अपवाह तंत्र की विशालता के आधार पर नदियों के प्रकार-:
विशाल नदियां-: ऐसी नदियां जिनका अपवाह तंत्र 20000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक बड़ा होता है उन्हें विशाल नदिया कहते हैं जैसे-: गंगा, ब्रह्मापुत्र, सिंधु, कृष्णा ,कावेरी ,गोदावरी, नर्मदा नदी का अपवाह तंत्र।
भारत की 14 सी नदियां हैं जिनका अपवाह तंत्र 20000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है।
मध्यम नदियां-: ऐसी नदियां जिन का अपवाह तंत्र 2000 से 20000 वर्ग किलोमीटर होता है उन्हें मध्यम नदियां कहते हैं।
भारत की लगभग 44 नदियां मध्यम आकार की नदियां हैं।
लघु नदियां-: ऐसी नदियां जिन का अपवाह तंत्र 2000 वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्र का होता है उन्हें लघु नदियां कहते हैं
भारत में सर्वाधिक संख्या लघु नदियों की है।
हिमालयी एवं प्रायद्वीपीय नदियों में अंतर-:
हिमालयी नदियों की जल प्राप्ति का मुख्य स्त्रोत हिमनद है अतः इन नदियों को हिम के पिघलने से लगातार जल प्राप्त होता रहता है परिणाम स्वरूप एक बारहमासी नदियां होते हैं।
जबकि प्रायद्वीपीय नदियों की जल प्राप्ति का मुख्य स्त्रोत वर्षा का जल है अतः मानसून के समय पर जाती हैं किंतु गर्मी के समय सूख जाती है।
हिमालयी नदियों का अपवाह तंत्र प्रायद्वीपीय नदियों की अपवाह तंत्र की तुलना में अधिक बड़ा होता है।
हिमालयी नदियां अपेक्षाकृत अधिक लंबी व गहरी होती है।
हिमालयी नदियां, युवावस्था की नदियां है अतः इनकी वेग एवं अपरदन क्रिया अधिक होती है जबकि प्रायद्वीपीय नदियां प्रौढ़ावस्था की नदियां है अतः इनकी गति एवं अपरदन शक्ति कम होती।
हिमालयी नदियां पूर्ववर्ती नदियां है अर्थात ये अपनी मार्ग में आने वाली उत्थान को अपठित करके अपने पूर्वर्ती मार्ग में ही बहती है।
जबकि प्रायद्वीपीय नदियां अनुवर्ती नदियां होती हैं जो बदले हुए ढाल के अनुरूप ही रहती है।
हिमालयी नदियां, अपरदन द्वारा भारी मात्रा में बाहर का लाए गए पदार्थों का निक्षेपण करके , उपेक्षाकृत बड़े समप्राय मैदान या डेल्टा का निर्माण करती है।
हिमालय अपवाह तंत्र का भू वैज्ञानिक सिद्धांत-:
भू वैज्ञानिकों के अनुसार प्लोसटोसीन(20लाख वर्ष पूर्व) काल के पहले हिमालय क्षेत्र में असम से लेकर पंजाब तक एक विशाल नदी बहती थी जिसे शिवालिक कहा जाता था। किंतु प्लास्टोसीन काल में पोटवार पठार के उत्थान से, यह नदी दो भागों में विभक्त हो गई। इस नदी के पूर्वी हिस्से को ब्रह्मापुत्र नदी तथा पश्चिमी हिस्से को सिंधु नदी करते हैं।
सिंधु नदी अपवाह तंत्र-:
सिंधु नदी अपवाह तंत्र विश्व की सबसे बड़े अपवाह तंत्रों में से एक है, सिंधु नदी के अपवाह क्षेत्र का विस्तार भारत, तिब्बत ,अफगानिस्तान, पाकिस्तान आदि देशों में है। सिंधु नदी का कुल अपवाह क्षेत्र 11लाख 65000 वर्ग किलोमीटर है जिसमें से 3लाख 21289 वर्ग किलोमीटर अपवाह क्षेत्र भारत में है।
सिंधु नदी अपवाह तंत्र में मुख्यत: निम्न नदियां शामिल है-:
सिंधु नदी
झेलम नदी
चिनाव नदी
रावी नदी
व्यास नदी
सतलज नदी।
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सिंधु नदी-:
सिंधु नदी तिब्बत क्षेत्र की मानसरोवर झील के पास से लगभग 5180 मीटर (आसपास की भूमि से)की ऊंचाई से निकलती है, और सर्वप्रथम उत्तर पश्चिम दिशा में बहती हुई, दमचौक के पास से भारत में प्रवेश करती है, तथा पाकिस्तान के chilas नामक स्थान से दक्षिण दिशा की ओर मुड़ जाती है. इसके बाद पाकिस्तान के मुल्तान तथा हैदराबाद क्षेत्र से बहती हुई से बहती हुई कराची के पास अरब सागर में मिल जाती है।
सिंधु नदी की कुल लंबाई 2880 किलोमीटर है जिसमें से भारत में इसकी लंबाई 1114 किलोमीटर है।
सिंधु नदी की प्रमुख सहायक नदियों में झेलम, चिनाव, रवी, सतलज एवं व्यास आदि शामिल है
झेलम नदी-:
झेलम नदी, पीर पंजाल में स्थित बेरीनाग झील निकलकर, पहले कुछ ही दूर तक उत्तर पश्चिम दिशा में बहती है फिर दक्षिण दिशा में बहती हुई झुंग के पास चुनाव नदी से मिल जाती है।
झेलम नदी की कुल लंबाई 724 किलोमीटर है।
Note-:
इस नदी के मध्य में वूलर झील है।
यह नदी भारत और पाकिस्तान के मध्य लगभग 170 किलोमीटर लंबी सीमा बनाती है।
चिनाव नदी-:
चिनाव नदी, हिमाचल प्रदेश के बाड़ालाचा दर्रा से निकलने वाली चंद्रा और भागा सरिता के संगम से निर्मित होती है। यह नदी भी पहले उत्तर पश्चिम दिशा की ओर बहती है, बाद में दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर बहती हुई मुल्तान (पाकिस्तान)के पास सतलाज नदी में मिल जाती है।
चुनाव नदी की कुल लंबाई 1180 किलोमीटर है।
Note-:
इसी नदी में बगलिहार परियोजना, सलाल परियोजना है।
रावी नदी-:
रावी नदी, हिमाचल प्रदेश के रोहितांग दर्रा से निकलकर दक्षिण पश्चिम की दिशा में बहती हुई सराय-सिंधु(पाकिस्तान) के पास चुनाव नदी में मिल जाती है। इस नदी की कुल लंबाई 720 किलोमीटर है।
Note-:
रावी नदी के किनारे ही पाकिस्तान की राजधानी लाहौर स्थित है।
ब्यास नदी-:
व्यास नदी रोहितांग दर्रा के व्यास कुंड से निकलकर हरिकेन (पंजाब) के पास सतलज नदी से मिल जाती है।
इस नदी की कुल लंबाई 470 किलोमीटर है।
सतलज नदी-:
सतलज नदी मानसरोवर की राकस ताल से निकलकर पश्चिम दक्षिण दिशा की ओर बहती हुई मुल्तान के पास चिनाव नदी से मिल जाती है।
इस नदी की कुल लंबाई 1450 किलोमीटर है
Note-: सतलज नदी में ही भाखड़ा नांगल बांध बना हुआ है
गंगा नदी अपवाह तंत्र-:
गंगा नदी अपवाह तंत्र भारत का सबसे बड़ा नदी अपवाह तंत्र है जिसका विस्तार भारत के लगभग 15 राज्यों एवं इसके अलावा तिब्बत नेपाल और बांग्लादेश शहर 8.6 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है।
गंगा नदी अपवाह तंत्र में मुख्यत: निम्न नदियां शामिल हैं।
गंगा नदी
यमुना नदी
गोमती नदी
गंडक नदी
सोन नदी
चंबल नदी
कोसी नदी।
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गंगा नदी-:
गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख से निकलती है, शुरुआत में इसे भागीरथी कहा जाता है किंतु उत्तराखंड के गढ़वाल जिले के देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा के संगम के बाद से इसे गंगा कहा जाने लगता है।
यह नदी मुख्यतः दक्षिण पूर्वी दिशा में देवप्रयाग, कन्नौज ,कानपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, गाजीपुर ,पटना, भागलपुर, साहिबगंज, फरक्का ,मालदा आदि क्षेत्रों से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है
इस नदी की कुल लंबाई 2525 किलोमीटर है जबकि भारत में इसकी कुल लंबाई 2510 किलोमीटर है।
अलकनंदा नदी
उद्गम स्थल-: सतोपंथ ग्लेशियर ,उत्तराखंड।
संगम स्थल-: देवप्रयाग ,गढ़वाल जिला में भागीरथी से।
Note-:
अलकनंदा नदी ने विभिन्न नदियों के मिलने से धार्मिक एवं प्राकृतिक महत्व के 5 प्रयागों का निर्माण होता है।
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यमुना नदी-:
उद्गम स्थल-: उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर के बंदरपूंछ से।
संगम स्थल-: प्रयागराज में गंगा नदी से मिल जाती है।
तटीय शहर-: यमुनानगर (हरियाणा), दिल्ली ,मथुरा ,आगरा ,हमीरपुर।
इस नदी की कुल लंबाई 1376 किलोमीटर है।
गोमती नदी-:
उद्गम स्थल-: उत्तर प्रदेश के गोमतताल से,
संगम स्थल-: गाजीपुर के पास गंगा नदी से मिल जाती है।
तटीय शहर-: लखनऊ, जौनपुर ,गाजीपुर।
कोसी नदी-:
उद्गम स्थल-: माउंट एवरेस्ट के पास गोसाई धाम चोटी से।
संगम स्थल-: भागलपुर के पास गंगा नदी में।
चंबल नदी-:
उद्गम स्थल-: इंदौर के पास महू से निकलती है।
संगम स्थल-: उत्तर प्रदेश के इटावा के समीप यमुना नदी से मिल जाती है।
तटीय शहर-: मंदसौर, नीमच, रतलाम ,कोटा, धौलपुर ,मुरैना ,भिंड ,इटावा।
चंबल नदी की कुल लंबाई 965 किलोमीटर है।
सोन नदी-:
उद्गम स्थल-: मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकलती है।
संगम स्थल-: पटना के पास गंगा में मिल जाती है।
तटीय शहर-: अमरकंटक, शहडोल,सीधी, डेहरी।
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र -:
ब्रह्मपुत्र नदी अपवाह तंत्र विश्व के सबसे बड़े अपवाह तंत्रों में से एक है जिसका विस्तार भारत चीन बांग्लादेश सहित लगभग 5.80 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है।
ब्रम्हापुत्र नदी अपवाह तंत्र में मुख्यत: निम्न नदियां शामिल हैं।
ब्रह्मापुत्र नदी
दिबांग नदी
तीस्ता नदी
संकोश नदी।
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ब्रह्मापुत्र नदी-:
ब्रह्मापुत्र नदी तिब्बत के मानसरोवर झील के पास स्थित चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलकर, हिमालय के समांतर पूर्व दिशा में बहती हुई हिमाचल प्रदेश के नामचा बरखा तक पहुंचती है फिर नामचा बरखा के पास से यू आकार का सर्पाकार मोड़ बनाकर दक्षिण पश्चिम की दिशा की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
इसकी कुल लंबाई 2900किलोमीटर भारत में इसकी कुल लंबाई मात्र 916 किलोमीटर है।
तीस्ता नदी-:
उद्गम स्थल-: यह नदी सिक्किम के जेमू ग्लेशियर से निकलती हैं।
संगम स्थल-: और बांग्लादेश के रंगपुर के पास जमुना नदी अर्थात ब्रह्मपुत्र से मिल जाती है।
प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र-:
प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र का तात्पर्य दक्षिण भारत की नदियों के अपवाह तंत्र से है। प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र के अंतर्गत मुख्यतः निम्न नदियां शामिल है-:
नर्मदा नदी
ताप्ती नदी।
महानदी
गोदावरी नदी
कृष्णा नदी
कावेरी नदी
नर्मदा नदी-:
यह नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा कुंड से निकलकर, भ्रंश के माध्यम से पश्चिम दिशा की ओर बहती हुई गुजरात के भडो़च नामक स्थान से खंभात की खाड़ी ,अरब सागर में मिल जाती है।
इस नदी की कुल लंबाई 1312 किलोमीटर है,
इसी नदी में सरदार सरोवर बांध बना है।
ताप्ती नदी-:
यह नदी मध्यप्रदेश के बैतूल के मुलताई नगर से निकलकर भैंस के सहारे पश्चिम दिशा में बहती हुई, खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है। इस नदी की कुल लंबाई 724 किलोमीटर है।
महानदी-:
यह नदी छत्तीसगढ़ के सिहावा क्षेत्र से निकलकर, ढाल के अनुरूप पूरब दिशा में रायपुर, संबलपुर, कटक जैसे शहरों से बहती हुई उड़ीसा के तटीय क्षेत्र के पास बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
इस नदी की कुल लंबाई 858 किलोमीटर है।
गोदावरी नदी-:
यह नदी महाराष्ट्र के नासिक के पास त्रंबकेश्वर से निकलती है और ढाल के अनुरूप दक्षिण पूरब दिशा में बहती हुई आंध्र प्रदेश के तट से बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। यह नदी त्रंबकेश्वर, नाशिक, नागपुर, निजामाबाद ,जैसे बड़े शहरों के पास से गुजरती है।
इस नदी की कुल लंबाई 1465 किलोमीटर है। जूती के भारत की सबसे लंबी नदी है
इस नदी की प्रमुख सहायक नदियां निम्नलिखित हैं-:
बायीं सहायक नदियां-:
दूधना नदी
पूर्णा नदी
प्राणहिता (वैनगंगा)नदी
इंद्रावती नदी
साबरी नदी
दायीं सहायक नदियां-:
प्रवरा नदी
मंजरा नदी
मनिअर नदी
कृष्णा नदी-:
यह नदी महाराष्ट्र की महाबलेश्वर छोटी सी निकलती है और पूर्व की ओर बहती हुई आंध्र प्रदेश के तट से बंगाल की खाड़ी में अपने जल गिरा देती है।
इस नदी के किनारे विजयवाड़ा ,अमरावती जैसे शहर स्थित है।
इस नदी की कुल लंबाई 1401 किलोमीटर है जो दक्षिण भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
इस नदी की प्रमुख सहायक नदियां निम्नलिखित हैं-:
बायीं नदियां नदियां-:
कोएना नदी
भीमा नदी
मुसी नदी
मुन्नेरू नदी।
दायीं सहायक नदियां-:
मालप्रभा नदी
वर्णा नदी
पंचगंगा नदी
तुंगभद्रा नदी।
कावेरी नदी-:
कावेरी नदी कर्नाटक की ब्रह्मागिरी पहाड़ी से निकलकर ढाल के अनुरूप पूरब दिशा में बहती हुई तमिलनाडु के तट से बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
इस नदी के किनारे श्रीरंगपट्टनम, तिरुचिरापल्ली जैसे बड़े शहर स्थित है।
इस नदी की कुल लंबाई 805 किलोमीटर है।
इस नदी की प्रमुख सहायक नदियां अधोलिखित हैं-:
बायीं ओर से मिलने वाली सहायक नदी
हेमवती नदी
शिम्सा नदी
अर्कवती नदी
दाई ओर से मिलने वाली सहायक नदियां-:
लक्ष्मण तीर्थ नदी
काबिनी नदी
स्वर्णवती नदी
भावनी नदी
अमरावती नदी