[भारत के भू आकृतिक प्रदेश]
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Toggleभू आकृतिक प्रदेशों का तात्पर्य, किसी क्षेत्र विशेष के भूपटल में पाए जाने वाले विभिन्न उच्चावचों से है।
और भारत के कुल क्षेत्रफल में से:-
11% भाग पर पर्वत
18% भाग पर पहाड़ियां
28% भाग पर पठार
और 43% भाग पर मैदान का विस्तार है।
भारत को मुख्यत: पांच भू-आकृति के प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है:-
उत्तर का पर्वतीय प्रदेश
उत्तर भारत का विशाल मैदान
दक्षिण का पठार या प्रायद्वीपीय भारत
तटीय मैदान
दीप समूह।
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उत्तर का पर्वतीय प्रदेश
इस प्रदेश का विस्तार उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक, लगभग 500000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है। जो मुख्यत: हिमालय नामक वलित पर्वत का क्षेत्र है।
हिमालय पर्वत
यह पर्वत उत्तर भारत में चापाकार आकृति में फैला हुआ है, जिसकी पूरब(नामचा बरुआ) से पश्चिम(नंगा पर्वत) तक की कुल लंबाई 2400 किलोमीटर तथा औसतन चौड़ाई 240 किलोमीटर है, किंतु इसकी पूर्व में औसतन चौड़ाई 200 किलोमीटर और पश्चिम में औसतन चौड़ाई 500 किलोमीटर है।
हिमालय पर्वत का विभाजन
हिमालय पर्वत को ऊर्ध्वाधर रूप से चार भागों में विभाजित किया जा सकता है:-
ट्रांस हिमालय/बाह्य हिमालय
महान हिमालय/बृहत हिमालय
लघु हिमालय/मध्य हिमालय
शिवालिक/उप हिमालय
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ट्रांस हिमालय/बाह्य हिमालय
स्थिति:- यह हिमालय का सबसे उत्तरी भाग है और चूंकि यह वृहद हिमालय के बाहर स्थित है इसीलिए इसे बाह्य हिमालय भी कहते हैं।
निर्माण:-
इस हिमालय का निर्माण यूरेशियन प्लेट में वलन पड़ने से मुख्य हिमालय के पूर्व हुआ इसीलिए इसे ट्रांस हिमालय कहते हैं।
इसकी प्रमुख श्रेणियां:-
इसके अंतर्गत सबसे उत्तर में काराकोरम , लद्दाख, जास्कर एवं हिमाचल प्रदेश के पास कैलाश पर्वत श्रेणी स्थित है।
यह मुख्यतः हिमाच्छादित वनस्पति विहीन क्षेत्र है।
वृहद हिमालय/महान हिमालय
स्थिति:-
यह हिमालय का सबसे मुख्य भाग है जो जम्मू कश्मीर के नंगा पर्वत से लेकर अरुणाचल प्रदेश के नाम से पर्वत तक लगभग 2400 किलोमीटर लंबाई में फैला हुआ है।
निर्माण:-
इसका निर्माण ट्रांस हिमालय के बाद सीनोजोइक काल के इयोसीन कल्प में हुआ।
चोटिया:-
वृहद हिमालय की औसतन ऊंचाई 6000 मीटर है, किंतु इसकी अनेक को चोटियां 8000 मीटर से अधिक ऊंची हैं।
जैसे :-
एवरेस्ट (8848)- नेपाल में
कंचनजंगा (8598)- सिक्किम
मकालु (8481)- तिब्बत
नंगा पर्वत – लद्दाख
नंदा देवी चोटी
धौलागिरी
केदारनाथ
बद्रीनाथ
धौलागिरी।
लघु हिमालय/मध्य हिमालय
स्थिति:-
यह वृहद हिमालय और शिवालिक के मध्य में स्थित है इसलिए इसे मध्य हिमालय भी कहते हैं।
निर्माण:-
इसका निर्माण वृहद हिमालय के बाद मायोसीन कल्प में हुआ है।
चोटियां:-
इसकी औसतन ऊंचाई 1500 मीटर से 4500 मीटर के मध्य है।
लघु हिमालय में पश्चिम से पूर्व की ओर जाने पर निम्न चोटियां मिलती है:-
पीर पंजाल (जम्मू कश्मीर)
धौलाधार (हिमाचल प्रदेश)
मसूरी (उत्तराखंड)
नाग तिब्बा (उत्तराखंड)
महाभारत श्रेणी(नेपाल)
विशेष:-
ग्रेट बाउंड्री फाल्ट वृहद हिमालय और लघु हिमालय के बीच की खाई को ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट कहते हैं।
मार्ग:- जम्मू कश्मीर में लघु हिमालय के क्षेत्र में पाए जाने वाले घास के मैदान को मर्ग कहते हैं।
बुग्याल:- उत्तराखंड में लघु हिमालय के क्षेत्र में पाए जाने वाले घास के मैदान को बुग्याल कहते हैं।
शिवालिक हिमालय
स्थिति:-
यह हिमालय का सबसे दक्षिणतम भाग है।
निर्माण:-
इसका निर्माण सबसे अंत में मुख्य हिमालय के चटाई टुकड़ों के अवसादो के जमने से हुआ।
ऊंचाई:-
इस पर्वत की औसत ऊंचाई 600 मीटर से 1500 मीटर तक है।
हिमालय का प्रादेशिक विभाजन
सिडनी बुराड़ नामक भू-गर्भ शास्त्री ने हिमालय नदी घाटी के आधार पर को निम्न चार प्रदेशिक भागों में विभाजित किया है:-
पंजाब हिमालय
कुमायूं हिमालय
नेपाल हिमालय
असम हिमालय।
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पंजाब हिमालय:-
पंजाब हिमालय का विस्तार सिंधु नदी से लेकर सतलज नदी के मध्य तक है।
इसके अंदर जम्मू कश्मीर ,लद्दाख ,हिमाचल प्रदेश क्षेत्र आते हैं।
इसी हिमालय में काराकोरम श्रेणी, लद्दाख श्रेणी, जास्कर श्रेणी ,पीर पंजाल चोटी स्थित है।
कुमायूं हिमालय:-
कुमायूं हिमालय का विस्तार सतलज नदी से लेकर काली नदी तक है।
इसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड का क्षेत्र आता है।
कुमायूं हिमालय में ही नंदा देवी, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री चोटी स्थित हैं।
नेपाल हिमालय:-
नेपाल हिमालय का विस्तार काली नदी से लेकर तीस्ता नदी तक है।
इसके अंतर्गत नेपाल भूटान एवं सिक्किम का क्षेत्र आता है।
इसकी प्रमुख चोटियां – धौलागिरी, अन्नपूर्णा, एवरेस्ट, मकालु, कंचनजंगा है।
असम हिमालय :-
असम हिमालय का विस्तार तीस्ता नदी से लेकर ब्रह्मापुत्र नदी तक है।
इसके अंतर्गत असम एवं अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्र आता है।
इसकी प्रमुख छोटी नामचा बरुआ है।
हिमालय का महत्व:-
जलवायु संबंधी महत्त्व:- हिमालय पर्वत भारत की जलवायु की सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है जैसे:-
ग्रीष्म काल में दक्षिण पश्चिमी मानसूनी हवाओं को रोककर भारत में वर्षा कराता है।
शीतकाल में साइबेरियन क्षेत्र से आने वाली ठंडी हवा को रोककर भारत के तापमान को और अधिक कम नहीं होने देता।
भारत की सुरक्षा:- हिमालय पर्वत प्राचीन काल से ही उत्तर पूर्वी क्षेत्र से भारत की रक्षा करता आ रहा है, भारत के इतिहास में ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं जिससे यह स्पष्ट हो कि भारत में किसी ने हिमालय को पार कर के स्तर से आक्रमण किया है। और वर्तमान समय में प्रतिरक्षा तकनीकी में बढ़ोतरी के बावजूद भी हिमालय अपनी प्रतिरक्षा संबंधी महत्ता को बनाए हुए है।
वन संपदा:- हिमालय पर्वत श्रेणी वन संसाधन की दृष्टि से काफी धनी है, क्योंकि हिमालय से हमें आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लकड़ी जैसे सागौन, शीशम, ओक, देवदार, चीड़,मैगनेलिया आदि के वृक्ष पाए जाते हैं,
इसके अलावा दुर्लभ प्रकार की औषधियां पाई जाती है जिस पर हमारा आयुर्वेद उद्योग आधारित है।
जब विविधता की दृष्टि से संपन्न:-
हिमालय पर्वत में निचली सतह से ऊपर की ओर जाने पर जीव जंतु एवं पेड़ पौधों की अनेकों प्रजातियां पाई जाती हैं इसलिए इसे “जैव विविधता का भंडार” भी कहते हैं।
सदावाहिनी नदियों का स्त्रोत:-
हिमालय में स्थित हिम की लगातार पिघलने से हिमालय क्षेत्र से अनेकों बारहमासी नदियां प्रभावित होती हैं जैसे:- सिंधु, सतलज ,गंगा। जो उत्तर भारत में जल संसाधन का मुख्य स्त्रोत है।
उर्वरक मृदा का स्त्रोत:-
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और कृषि के लिए उर्वरक मृदा वरदान होती है और उत्तर भारत में उर्वरक मेड़ता का स्त्रोत हिमालय ही है क्योंकि हिमालय से निकलने वाली नदियां के अवसादों द्वारा मैदानी क्षेत्रों में उर्वरक मृदा का निर्माण होता है।
खनिज संसाधनों की प्रचुरता;-
हिमालय में केवल वन संसाधन ही नहीं बल्कि खनिज संसाधन में पाए जाते हैं, जैसे:- तांबा, सीसा, जस्ता, सोना ,चांदी मैग्नेट आदि
इसके अलावा कोयला एवं पेट्रोलियम के भी व्यापक भंडार मौजूद हैं।
फलोत्पादन:-
हिमालय में महत्वपूर्ण फलों का उत्पादन होता है जैसे:- सेव, नाशपती ,अखरोट ,बादाम आदि।
प्राकृतिक सौंदर्य या पर्यटन:-
हिमालय प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है यहां पर पर्यटन की दृष्टि से प्राकृतिक सौंदर्य के अनेकों स्थल मौजूद हैं जैसे:- नैनीताल, मसूरी, शिमला आदि।
तीर्थ स्थल:- हिमालय क्षेत्र में हिंदू धर्म की अनेकों तीर्थ स्थल मौजूद है जैसे:- वैष्णो देवी ,केदारनाथ ,बद्रीनाथ, कैलाश पर्वत ,अमरनाथ यमुनोत्री, गंगोत्री।