[कंप्यूटर]
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कंप्यूटर शब्द लैटिन भाषा के computare शब्द से बना है जिसका अर्थ है गणना करना। इसलिए कंप्यूटर को हिंदी में ‘संगणक’ कहा जाता है।
कंप्यूटर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो फील्ड किए गए प्रोग्राम के अनुसार, इनपुट किए गए रॉ डेटा को प्रोसेस(प्रसंस्करित) करके, प्रसंस्करित सूचनाओं का आउटपुट प्रदर्शित एवं स्टोर करता है।
डेटा-:
तथ्यों एवं अव्यवस्थित आंकड़ों का समूह डाटा कहलाता है। डाटा निम्न में से किसी भी प्रकार का हो सकता है-
संख्यात्मक डाटा- इसमें 0 से 9 तक के कोई भी अंक शामिल होते हैं जैसे- विद्यार्थियों के रोल नंबर, कर्मचारियों की सैलरी।
टेक्स्ट डाटा- इसमें सभी अल्फाबेट (अक्षर) शामिल होते हैं जैसे- विद्यार्थियों का नाम, कर्मचारियों का नाम,पता आदि।
अल्फान्यूमैरिक डाटा- इसमें सभी प्रकार के चिन्ह शामिल होते हैं जैसे- @,#,₹,&*।
इमेज डाटा- इसमें विभिन्न फॉर्मेट की इमेज शामिल होती हैं जैसे- JPG, JPEG , PNG।
ऑडियो वीडियो डाटा- इसके अंतर्गत MP3, MP4 प्रकार के डाटा शामिल होते हैं।
प्रोसेसिंग-:
कंप्यूटर कि वह प्रक्रिया जिसके द्वारा वह अपने सीपीयू के माध्यम से अव्यवस्थित रॉ डाटा को प्रसंस्करित करके, व्यवस्थित डाटा अर्थात सूचना में बदलता है, उसे प्रोसेसिंग कहते हैं।
सूचना-:
ऐसा प्रसंस्करित एवं व्यवस्थित डाटा जिससे कोई सार्थक एवं उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है उसे सूचना कहते हैं।
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प्रोग्राम-:
प्रोग्राम, कंप्यूटर की किसी विशिष्ट भाषा में लिखे गए निर्देशों का समूह होता है, जिसके माध्यम से ही कंप्यूटर नियंत्रित होता है।
कंप्यूटर की कार्य प्रणाली-:
कंप्यूटर द्वारा प्रमुख रूप से चार कार्य किए जाते हैं-
इनपुट लेना-: कंप्यूटर, सर्वप्रथम विभिन्न इनपुट डिवाइस(कीबोर्ड, माइक) के माध्यम से डाटा को प्राप्त करता है।
प्रोसेसिंग करना-: इनपुट लेने के उपरांत सीपीयू के माध्यम से फील्ड किए गए प्रोग्राम के अनुसार, रॉ डाटा को प्रसंस्करित करके, उपयोगी सूचना में बदलता है।
आउटपुट देना-: प्रोसेसिंग के उपरांत, प्राप्त परिणाम को आउटपुट डिवाइस(मॉनिटर, स्पीकर)में प्रदर्शित करता है।
स्टोर करना-: अंत में प्राप्त आउटपुट को स्थाई मेमोरी में स्टोर करता है।
इस प्रकार कंप्यूटर के मुख्यत: चार भाग होते हैं-:
इनपुट डिवाइसेज
आउटपुट डिवाइसेज
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट
मेमोरी।
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कंप्यूटर की विशेषताएं-;
अधिक गति- कंप्यूटर, कोई भी कार्य मानव की तुलना में बहुत तीव्र गति से करता है, जैसे- बड़ी से बड़ी गणितीय गणना नैनो सेकंड में कर देता है।
त्रुटि रहित कार्य- कंप्यूटर, कोई भी कार्य पूरी शुद्धता (एक्यूरेसी)के साथ करता है। इसलिए कंप्यूटर के परिणामों में लोगों की काफी ज्यादा विश्वसनीयता होती है।
भंडार करने की क्षमता- कंप्यूटर में, विशाल मेमोरी होती है जिसमें वह रॉ डाटा और उपयोगी सूचनाओं को लंबे समय के लिए भंडार कर सकता है।
गोपनीयता- कंप्यूटर, में डाटा को गोपनीय या सुरक्षित रखने के लिए पासवर्ड लगाने का सिस्टम होता है। (जिसके माध्यम से हम अपनी गोपनीय बातों या आंकड़ों को लंबे समय के लिए गोपनीय सुरक्षित रख सकते हैं।
निरंतरता- कंप्यूटर, बिना रुके बिना, थके लगातार कई घंटों तक कार्य कर सकता है। इसे केवल विद्युत की आवश्यकता होती है।
बहुउद्देशीय- एक ही कंप्यूटर, विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकता है, जैसे- वीडियो एडिटिंग, फाइल प्रेजेंटेशन,गेमिंग आदि।
कंप्यूटर की सीमाएं-:
कंप्यूटर के अंदर स्वयं से सोच-समझकर उपयुक्त निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है ये तभी कार्य करता है, जब इसे कमांड मिलती है।
कंप्यूटर विद्युत पर निर्भर होता है अर्थात यह तभी तक कार्य करता है जब तक इसे पर्याप्त मात्र में विद्युत मिलती है।
कंप्यूटर का रखरखाव काफी खर्चीला होता है।
कंप्यूटर विभिन्न मालवेयर(वायरस) द्वारा हैक हो सकते हैं।
कंप्यूटर के अनुप्रयोग-:
आधुनिक युग में लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है जिसको हम निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैं-:
शिक्षा क्षेत्र में-: किसी विषय से संबंधित रिसर्च एवं अनुसंधान करने , नोट व विषय संबंधी रिपोर्ट बनाने एवं ऑनलाइन अध्ययन-अध्यापन के लिए, कंप्यूटर का उपयोग होता है।
संचार क्षेत्र में-: किसी डाटा को इंटरनेट के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए कंप्यूटर का उपयोग होता है।
बैंकिंग क्षेत्र में- बैंक के लेखा-जोखा सुरक्षित रखने, हिसाब-किताब करने, बैंक के प्रगति की रिपोर्ट बनाने एवं ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के लिए कंप्यूटर का उपयोग होता है।
चिकित्सा क्षेत्र में-: विभिन्न बीमारियों का पता लगाने तथा उनका इलाज करने में भी कंप्यूटर का उपयोग होता है जैसे- सीटी स्कैन के लिए, सोनोग्राफी एवं एक्स-रे रिपोर्ट बनाने के लिए, हृदय की गति को नियंत्रित करने के लिए पेसमेकर के रूप में।
उद्योग एवं व्यापारिक क्षेत्र में-: व्यापारिक लेखा-जोखा सुरक्षित रखने, उद्योग की प्रगति की रिपोर्ट बनाना, विभिन्न उत्पादों की डिजाइनिंग करने आदि के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है।
प्रशासनिक क्षेत्र में-: वर्तमान में ई गवर्नेंस अवधारणा के तहत प्रशासनिक क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग बढ़ता जा रहा है, प्रशासन के क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग निम्न कार्यों के लिए किया जाता है-
प्रशासनिक कार्यों का लेखा-जोखा सुरक्षित रखने के लिए,
ऑनलाइन शिकायत (एफ आई आर) दर्ज करने तथा ऑनलाइन प्रमाण पत्र देने में।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के रूप में।
उपरोक्त क्षेत्रों के अतिरिक्त सुरक्षा, मनोरंजन और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भी कंप्यूटर का व्यापक उपयोग हो रहा है।
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कंप्यूटर के प्रकार-:
वर्तमान में विभिन्न प्रकार के कंप्यूटरों का प्रचलन है जिन्हें हम निम्न आधारों पर वर्गीकृत कर सकते हैं-
कार्य प्रणाली के आधार पर-:
एनालॉग कंप्यूटर
डिजिटल कंप्यूटर
हाइब्रिड कंप्यूटर
उद्देश्य के आधार पर-:
सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर
विशिष्ट उद्देश्यीय कंप्यूटर
आकार के आधार पर-:
माइक्रो कंप्यूटर
मिनी कंप्यूटर
मेनफ्रेम कंप्यूटर
सुपर कंप्यूटर।
कार्य प्रणाली के आधार पर
एनालॉग कंप्यूटर-:
ऐसे कंप्यूटर जो विभिन्न भौतिक राशियों जैसे- ताप, दाब, भार, समय, चाल आदि की मात्रा को मापकर, प्राप्त परिणाम को पहले के छपे हुए अंको के रूप में प्रस्तुत करते हैं,वे एनालॉग कंप्यूटर कहलाते हैं। जैसे- कांटे वाला स्पीडोमीटर, कांटे वाली घड़ी, थर्मामीटर, विद्युत मीटर आदि।
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विशेषताएं-
इनके संकेत सतत होते हैं,(अर्थात ये सदैव सक्रिय रूप से सीधी रेखा में सिग्नल देते हैं।
एनालॉग कंप्यूटर केवल किसी विशिष्ट भौतिक राशि को मापने में सक्षम होते हैं।
इन कंप्यूटर की गति डिजिटल कंप्यूटर की तुलना में बहुत कम होती है।
इनका उपयोग विज्ञान एवं इंजीनियरिंग क्षेत्रों में अधिक होता है।
डिजिटल कंप्यूटर-:
ऐसे कंप्यूटर जो इनपुट किए गए डाटा की गणना या प्रोसेसिंग करके, प्राप्त परिणाम को इलेक्ट्रॉनिक डिजिट(संख्या) के रूप में लिखकर प्रस्तुत करते हैं,वे डिजिटल कंप्यूटर कहलाते हैं।
जैसे- केलकुलेटर, डेस्कटॉप, स्मार्टफोन आदि।
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विशेषताएं-
इनके संकेत असतत् होते हैं, (अर्थात इनके सिग्नल लहरदार रेखा में होते हैं।
डिजिटल कंप्यूटर विभिन्न कार्य करने में सक्षम हो सकते हैं।
इन कंप्यूटर की गति एनालॉग कंप्यूटर की तुलना में बहुत अधिक होती है।
आधुनिक समय में अधिकांश क्षेत्रों में डिजिटल कंप्यूटर का ही उपयोग किया जाता है। क्योंकि यह बहुत ही शुद्ध (एक्यूरेट) परिणाम देते हैं।
हाइब्रिड कंप्यूटर-:
ऐसे कंप्यूटर जिसमें एनालॉग कंप्यूटर और डिजिटल कंप्यूटर दोनों के गुणों का समावेशन होता है उन्हें हाइब्रिड कंप्यूटर कहते हैं जैसे- ईसीजी मशीन, पेट्रोल पंप की मशीन, ऑक्सीमीटर।
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उद्देश्य के आधार पर कंप्यूटर-:
सामान्य उद्देश्यीय कंप्यूटर-:
ऐसे कंप्यूटर, जिनका प्रयोग घर एवं ऑफिस के सामान्य कार्यों को करने के लिए किया जाता है उन्हें सामान्य कंप्यूटर कहते हैं। जैसे- डेक्सटॉप, लैपटॉप, स्मार्टफोन।
विशिष्ट उद्देश्यीय कंप्यूटर-:
ऐसे कंप्यूटर, जिनका प्रयोग किसी विशिष्ट कार्य को करने के लिए किया जाता है उन्हें विशिष्ट उद्देश्यीय कंप्यूटर कहते हैं, जैसे- रिमोट सेंसिंग के सुपर कंप्यूटर, एटीएम मशीन।
आकार एवं कार्य के आधार पर
माइक्रो कंप्यूटर-:
सबसे छोटे आकार के ऐसे कंप्यूटर जिनमें माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग होता है उन्हें माइक्रोकंप्यूटर कहा जाता है।
विशेषताएं-
इनमें एक ही सीपीयू लगा होता है अतः इनका उपयोग एक समय में एक ही व्यक्ति कर सकता है।
इनकी प्रोसेसिंग क्षमता 1 लाख संक्रियाएं(instruction) प्रति सेकंड होती है।
ये आमतौर पर सर्वाधिक मात्रा में प्रयुक्त होने वाले कंप्यूटर है। क्योंकि इनकी लागत उपेक्षाकृत बहुत कम होती है।
माइक्रो कंप्यूटर के प्रकार-:
डेक्सटॉप-:
वह माइक्रोकंप्यूटर जिसे एक निश्चित डेक्स में रखकर ऑपरेट किया जाता है उसे डेक्सटॉप कहते हैं। डेक्सटॉप में मॉनिटर ,सीपीयू, कीबोर्ड ,माउस अलग-अलग होते हैं।
लैपटॉप-:
वह माइक्रो कंप्यूटर जिसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है उन्हें लैपटॉप कहते हैं। लैपटॉप में मॉनिटर ,सीपीयू ,कीबोर्ड एवं माउस आपस में जुड़े होते हैं। एवं इन्हें फोल्ड किया जा सकता है।
टेबलेट-:
टेबलेट, बिना कीबोर्ड का वह माइक्रो कंप्यूटर होता है जिसे टच करके ऑपरेट किया जाता है।
पामटॉप-:
वह माइक्रो कंप्यूटर जिसे हाथ में लेकर ऑपरेट किया जा सकता है उसे पामटॉप कहते हैं।
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पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट PDA-:
वह माइक्रो कंप्यूटर जो पर्सनल डाटा एवं सूचनाओं को स्टोर करके रखता है तथा आवश्यकता पड़ने पर उन्हें प्रदर्शित भी कर सकता है। डिजिटल डायरी भी कहते हैं।
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वर्कस्टेशन-:
वर्क स्टेशन, सबसे शक्तिशाली माइक्रो कंप्यूटर होते हैं, जिनका उपयोग हाई रेजोल्यूशन वाली वीडियो एडिटिंग, इंजीनियरिंग एवं वैज्ञानिक शोध आदि के लिए किया जाता है।
मिनी कंप्यूटर-:
मध्यम आकार के ऐसे कंप्यूटर, जिनकी कार्यक्षमता माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक होती है उन्हें मिनी कंप्यूटर कहते हैं।
विशेषताएं-:
इनमें एक से अधिक सीपीयू लगे होते हैं अतः इनका उपयोग एक ही समय में एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते हैं।
इनकी प्रोसेसिंग क्षमता 10 से 30 MIPS (mega instruction per second) होती है।
इनका उपयोग मुख्यतः बैंकों एवं बडे़ कार्यालयों में होता है।
उदाहरण- HP 9000.
मेनफ्रेम कंप्यूटर-:
बड़े आकार के ऐसे कंप्यूटर जिनकी कार्यक्षमता एवं भंडारण क्षमता मिनी कंप्यूटर से भी काफी अधिक होती है उन्हें मेनफ्रेम कंप्यूटर कहते हैं।
विशेषताएं-:
इसको ऑपरेट करने के लिए अनेक लोगों के समूह की आवश्यकता होती है। तथा इसे एक साथ सैकड़ों लोग इस्तेमाल कर सकते हैं।
यह एक केंद्रीय सर्वर के रूप में कार्य करता है।
इसका उपयोग मुख्यतः किसी बड़ी कंपनी के कर्मचारियों का भुगतान करने, किसी बड़ी बैंक का लेखा जोखा रखने ,रेल का रिजर्वेशन करने, तथा बहुत बड़े स्तर के वैज्ञानिक शोध में किया जाता है।
उदाहरण- CRAY-I, IBM- 4381.
सुपर कंप्यूटर-:
यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक शक्तिशाली अर्थात सर्वाधिक कार्यक्षमता एवं स्टोरेज वाला कंप्यूटर होता है।
विशेषताएं-:
सुपर कंप्यूटर में अनेकों प्रोसेसिंग यूनिट समांतर क्रम में लगी होती हैं, जिसके कारण यह एक ही साथ हजारों कार्य को करने में सक्षम होता है।
इसकी प्रोसेसिंग क्षमता 1 खरब(billion) गणना प्रति सेकंड होती है।
इसका उपयोग रिमोट सेंसिंग, मौसम विज्ञान, जीनोम परियोजना,बड़ी-बड़ी मशीनों के निर्माण आदि में किया जाता है।
उदाहरण- भारत के ‘परम’ श्रेणी के सुपर कंप्यूटर। भारत का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर “परम सिद्धी-AI” है।
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कंप्यूटर की पीढ़ियां
कंप्यूटर, आधुनिक युग में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसके विकास का इतिहास तो लकड़ी के गणना यंत्र ‘अबेकस’ के निर्माण से शुरू होता है। किंतु आधुनिक कंप्यूटरों का विकास लगभग मध्य बीसवीं सदी में ही हुआ है। क्योंकि-
1937 में मार्क-1 कंप्यूटर का निर्माण किया गया जो गणतीय गणना करने वाला स्वचालित विद्युत यांत्रिक कंप्यूटर था।
1945 में ENIAC नामक पहला डिजिटल कंप्यूटर बनाया गया।
कंप्यूटर की पीढ़ियां-:
कंप्यूटर के विकास क्रम को निम्न पीढ़ियों में बांटा जा सकता है-:
प्रथम पीढ़ी-:
कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी का समय 1942 से 1955 तक रहा, प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर में स्विचिंग डिवाइस के रूप में ‘वेक्यूम ट्यूब’ का उपयोग किया जाता था।
स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक ड्रम का उपयोग किया जाता था। जिनकी स्टोरेज क्षमता अत्यधिक कम होती थी।
इन कंप्यूटरों में मशीनी भाषा (बायनरी नंबर) में लिखे प्रोग्राम का प्रयोग किया जाता था।
इन कंप्यूटरों की गति 333 माइक्रोसेकंड थी, जिसके कारण यह मंद गति से इनपुट आउटपुट देता था।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में काफी बड़े एवं शीघ्रता से गर्म होने वाले होते थे।
उदाहरण- MARK-1, ENIAC(electronic numerical integrator and calculator),UNIVAC(universal automatic computer)
द्वितीय पीढ़ी-:
कंप्यूटर की द्वितीय पीढ़ी का समय 1956 से 1964 तक माना जाता है द्वितीय पीढ़ी के विशेषताएं-:
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक चिप में ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता था।
इनमें स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक टेप का उपयोग होने लगा था।
इन कंप्यूटरों में असेंबली भाषा तथा FORTRAN,COBOL जैसी उच्च स्तरीय भाषा में लिखे प्रोग्राम का प्रयोग किया जाता था।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में आकार में छोटे थे।
इन कंप्यूटर की गति 10 माइक्रोसेकंड थी अतः ये प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में अधिक तीव्र गति से input-output दे सकते थे।
उदाहरण-; IBM- 1401, NCR- 304.
तृतीय पीढ़ी-:
कंप्यूटर की तृतीय पीढ़ी का समय 1965 से 1975 तक माना जाता है, तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटरों की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित हैं-
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक चिप में ट्रांजिस्टर के स्थान पर इंटीग्रेटेड सर्किट का उपयोग किया जाता था। जिससे इनका आकार और भी छोटा हो गया।
इन कंप्यूटर में स्टोरेज के लिए चुंबकीय टेप तथा डिस्क का उपयोग किया जाता था।
इन कंप्यूटरों में उच्च स्तरीय भाषा जैसे- PASCAL, BASIC आदि में लिखे प्रोग्राम का प्रयोग किया जाता था।
इन कंप्यूटरों में कीबोर्ड एवं मॉनिटर जैसी इनपुट आउटपुट डिवाइस का उपयोग किया जाने लगा था।
इस कंप्यूटर की गति 100 नैनो सेकंड थी, अतः ये द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में अधिक तीव्र गति से इनपुट आउटपुट दे सकते थे।
उदाहरण-: IBM-360,NCR-395.
चतुर्थ-पीढ़ी-:
कंप्यूटर की चतुर्थ पीढ़ी का समय 1975 से 1989 तक रहा, चतुर्थी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं-:
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग होने लगा था।
इन कंप्यूटर में स्टोरेज के लिए सेमीकंडक्टर मेमोरी(हार्ड डिक्स) का उपयोग होने लगा था।
इन कंप्यूटर में “C , java” जैसी उच्च स्तरीय भाषाओं में लिखे प्रोग्राम का प्रयोग किया जाता है।
इन कंप्यूटरों में एमएस डॉस एवं एमएस विंडोज जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम तथा मल्टीमीडिया का प्रयोग प्रारंभ हो गया था।
इस कंप्यूटर के प्रोसेसिंग की गति पीकोसेकंड में हो गई थी।
उदाहरण-: PC-XI, Apple computer.
पांचवी पीढ़ी-:
कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी का समय 1989 से वर्तमान तक माना जाता है। इस पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ULSI (ultra large scale integrated circuit) का उपयोग किया जा रहा है।
इन कंप्यूटरों में स्टोरेज के लिए ऑप्टिकल डिस्क का उपयोग किया जाता है।
इन कंप्यूटरों में आधुनिक उच्च स्तरीय भाषा जैसे- पाइथन,c++ में लिखे प्रोग्राम का प्रयोग किया जाता है,।
पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटरों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
उदाहरण-: वर्तमान में प्रचलित सभी कंप्यूटर।
अगली पीढ़ी के कंप्यूटर-:
कंप्यूटर प्रौद्योगिकी का लगातार विकास एवं विस्तार होता जा रहा है जिसकी वजह से और अधिक शक्तिशाली एवं शीघ्रता से कार्य करने वाले कंप्यूटरों के निर्माण की संभावना बढ़ती जा रही है, अतः हमें भविष्य में निम्न कंप्यूटर देखने को मिल सकते हैं-:
क्वांटम कंप्यूटर-यह क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांत पर कार्य करने वाला ऐसा कंप्यूटर है जो बिट (0,1) के स्थान पर क्यूबिट के फोर्म में डाटा को स्टोर एवं प्रोसेस करता है।
नैनो कंप्यूटर- यह अत्यधिक छोटे आकार का शक्तिशाली कंप्यूटर होता है।
DNA कंप्यूटर-: डीएनए कंप्यूटर वह कंप्यूटर होता है जिसमें डाटा को स्टोर एवं प्रोसेस करने के लिए डीएनए या प्रोटीन का प्रयोग किया जाता है।