भूवैज्ञानिक समय सारणी

भूवैज्ञानिक समय सारणी

हमारी पृथ्वी का निर्माण आज से करीब 450 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ, और तब से लेकर अब तक के इतिहास में पृथ्वी पर अनेकों क्रमिक परिवर्तन हुए, इन क्रमिक परिवर्तनों के समय सीमा युक्त अध्ययन को भूवैज्ञानिक समय सारणी कहते हैं। 

अर्थात पृथ्वी के इतिहास की घटनाओं का कैलेंडर भूवैज्ञानिक समय सारणी कहलाता है। 

पृथ्वी के जीवन काल को 5 महाकल्पों(era) का 4 युगों(epoch) तथा 16 कल्पों(period) में विभाजित किया गया। 

.भूवैज्ञानिक समय सारणी

Pre palaeozoic (Azoic)era-: 

यह सबसे प्राचीनतम महाकल्प है जिसका समय काल 4.6 अरब (billion)वर्ष पूर्व से 60 करोड़ (600 million)वर्ष पूर्व तक माना जाता है. 

इसके अंतर्गत दो कल्प आते हैं-: 

  • आर्कियन कल्प

  • प्रीकैंब्रियन कल्प

आर्कियन कल्प

  • यह सबसे प्राचीनतम कल्प है इस कल्प में जीवो की उत्पत्ति नहीं हुई थी अर्थात यह जीव रहित कल्प था। 

  • इस युग में ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों की प्रधानता थी। 

प्रीकैंब्रियन(प्रोटोरोजोइक) कल्प

  • इस कल्प में पृथ्वी तरलावस्था से ठोस अवस्था में परिवर्तित हुई जिससे भू-पटल का निर्माण हुआ। 

  • चर्नियन हलचल से अरावली, धारवाड़ ,छोटानागपुर ,,कुटप्पा ,लारेशियन पर्वत का निर्माण हुआ

  • पृथ्वी के ठण्डे होने से जलवाष्प कणों का निर्माण एवं तीव्र वर्षा हुई, जिससे महासागरों का विकास हुआ। किंतु महासागरों में गर्म जल था।  

जैविक घटनाएं-: 

  • सागरीय घास का उद्भव। 

  • गर्म आदि महासागर में, एक कोशकीय जीवन की उत्पत्ति हुई जैसे -:साइनोबैक्टीरिया। 

Paleozoic era (primary epoch)-: 

इसका समय काल लगभग 600मिलियन वर्ष से 230 मिलियन वर्ष तक रहा। इसे 6 कल्प में विभाजित किया जा सकता है-: 

  • कैंब्रियन कल्प

  • आर्डोविसियन कल्प

  • सिलूरियन कल्प

  • डेवोनियन कल्प

  • कार्बोनिफरस कल्प

  • पर्मियन कल्प। 

कैंब्रियन कल्प-: 

समय-: 600-500 मिलियन वर्ष। 

भौतिक घटना-: 

  • इस कल्प में कैंब्रियन हलचल हुई जिसके परिणाम स्वरूप विंध्य पर्वत, यूएसए की कैंब्रियन चट्टानों का निर्माण हुआ,

  • सागरों का विस्तार 

  • हुआ। 

  • अवसादी चट्टानों का निर्माण शुरू हुआ। 

जैविक घटना-:सारगैसो घास की उत्पत्ति हुई। 

  • समुद्र में सूक्ष्म रीडयुक्त जीवों का विकास हुआ। 

आर्डोविसियन कल्प

समय-: 500-440 मिलियन वर्ष। 

भौतिक घटना-: 

  • सागरीय क्षेत्र में ज्वालामुखी क्रिया सक्रिय हुई,

  • सागरीय जल का उतार-चढ़ाव जारी रहा, जिससे अमेरिका का लगभग आधा हिस्सा डूब गया था।  

जैविक घटना-:

  • समुद्री जल में रेंगने वाले जीवों का विकास हुआ। 

सिलूरियन कल्प

समय-: 444-440 मिलियन वर्ष। 

भौतिक घटना-: 

  • इसी युग में पर्वत निर्माण कार्य कोलिडोनियन हलचल हुई, जिसके परिणाम स्वरूप अपलेशियन पर्वत यूएसए, स्कॉटलैंड पर्वत यूरोप,सतपुड़ा पर्वत का निर्माण हुआ। 

जैविक घटना-:

  • इस कल्प में रीड की हड्डी वाले जीवो का विस्तार हुआ इसलिए इस काल को रीड की हड्डी वाले जीवो का काल कहा जाता है। 

  • शैवाल का विकास एवं विस्तार हुआ। 

डेवोनियन कल्प

समय-: 400-350 मिलियन वर्ष। 

भौतिक घटना-: 

  • ज्वालामुखी क्रिया अत्यधिक सक्रिय थी। 

  • जमीन पर वृक्षों का विस्तार हुआ। 

जैविक घटना-: 

  • शार्क मछली का उद्भव हुआ तथा अन्य मछलियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई।

कार्बोनिफरस कल्प

समय-: 350-270 मिलियन वर्ष। 

भौतिक घटना-: 

  • इस युग में भ्रंशों में वृक्षों के दबने से गोंडवाना क्रम की चट्टानों का निर्माण हुआ जिसमें कोयले के व्यापक निक्षेप मिलते हैं। इसीलिए इसे कोयला योग भी कहते हैं। 

जैविक घटना-: 

  • उभयचरों का विकास हुआ। अर्थात रेंगने वाले जीव जल से स्थल में भी आए। 

  • जंगलों का विस्तार हुआ।

पर्मियन कल्प-: 

समय-: 270-230 मिलियन वर्ष। 

भौतिक घटना-: 

  • हर्सीनियन हलचल के प्रभाव से ब्लैक फॉरेस्ट तथा वास्जेज जैसे भ्रंशोस्त पर्वतों का निर्माण हुआ। 

  • दामोदर श्रेणी के कोयले का विस्तार हुआ। 

जैविक घटना-: 

  • स्थल भाग में विभिन्न प्रकार की सूक्ष्मजीवों विशेषकर कीड़ों का विकास एवं विस्तार हुआ।

[Mesozoic era-:]

इस महाकल्प की समय‌अवधि 230-70 मिलियन वर्ष तक रही। 

इस महाकल्प के अंतर्गत 3 कल्प आते हैं

  • ट्रियासिक कल्प

  • जुरैसिक कल्प

  • क्रिस्टेशियस कल्प। 

ट्रियासिक कल्प

  • पेंजिया का विखंडन प्रारंभ हुआ जो जुरैसिक काल तक चला। 

  • इस कॉल में उड़ने वाली सरीसृपों

  • तथा स्तनधारी जीवो की उत्पत्ति हुई। 

जुरैसिक कल्प

  • पेंजिया का विखंडन जारी रहा। 

  • पुष्प वाली वनस्पतियों की उत्पत्ति हुई। 

  • उड़ने वाले पक्षियों का विकास हुआ। 

  • डायनासोरों का प्रभुत्व रहा। 

क्रिस्टेशियस कल्प

  • ज्वालामुखी के दरारी उद्भेदन से पठारों का विकास एवं विस्तार हुआ जैसे-: भारत के दक्कन के पठार का निर्माण इसी काल में हुआ था। 

  • रॉकी एवं एंडीज पर्वत की उत्पत्ति इसी काल में हुई।

[Cenozoic era]

इस महाकल्प की समयावधि 70 मिलियन वर्ष से 10लाख वर्ष पूर्व तक मानी जाती है। 

इस महाकल्प को 5 कल्पों में विभाजित किया जा सकता है-‘ 

  • पेलियोसीन कल्प

  • इयोसीन कल्प

  • ओलिगोसीन 

  • मयोसीन 

  • प्लायोसीन। 

पेलियोसीन कल्प

  • रॉकीज पर्वत का विस्तार हुआ।

  • इस कल्प में अल्पाइन पर्वत का निर्माण हुआ।  

  • इसी कल्प में मानव कपि का विकास हुआ।

  • स्तनधारी जीवो का काल कहा जाता है

इयोसीन कल्प

  • इस काल में ट्रांस हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। 

  • हिंद अटलांटिक महासागर वर्तमान स्वरूप में आए। 

  • हाथी ,घोड़ा, सुअरों का विकासप हुआ। 

ओलिगोसीन-: 

  • वृहद हिमालय की उत्पत्ति हुई। 

  • कुत्ता, बिल्ली,गाय, भालू तथा पूंछ हीन बंदरों का विकास हुआ। 

मयोसीन-: 

  • मध्य हिमालय की उत्पत्ति हुई। 

  • बतक, सारस ,हाथियों, पेग्विन आदि का विकास हुआ। 

प्लायोसीन

  • शिवालिक हिमालय की उत्पत्ति हुई। 

  • मानव की उत्पत्ति इसी काल में हुई। 

[Neozoic era]

इस महाकल्प की समयावधि 10 लाख वर्ष से वर्तमान तक मानी जाती है। 

इस महाकल्प को 2 कल्पों में विभाजित किया जा सकता है-‘ 

  • प्लीस्टोसीन

  • होलोसीन कल्प

प्लीस्टोसीन

भौतिक घटना-: 

  • इस युग में पृथ्वी का तापमान इतना नीचे आ गया था कि उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अंटार्कटिका आदि के अधिकांश भूपटल हिम की मोटी चादर से ढक गए थे। इन्हें हिमयुग की संज्ञा दी गई। 

यूरोप के हिम युग-: 

  •  गुंज

  • मिंडेल ,

  • रिस ,

  • वुर्म ,

  • हिम युग के प्रभाव से अमेरिका तथा यूरोप में अनेकों झीलों का विकास हुआ। जैसे उत्तरी अमेरिका की पांच महान झीलों का निर्माण इसी काल में हुआ। 

जैविक घटना-:

  • मानव ने अपनी जन्मस्थली अफ्रीका से विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश किया। अतः भारत में मानव का विस्तार इसी काल में हुआ। 

होलोसीन कल्प

इस कल्प का समय 11000 वर्ष पूर्व से अब तक माना जाता है। 

प्रमुख घटनाएं-: 

  • इस काल में तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। जिससे जलवायु परिवर्तन जैसी घटना देखने को मिलती है

  • इसी काल में कृषि एवं पशुपालन की शुरुआत हुई। 

  • मानव का पूर्ण विकास हुआ।

मेघालय आयु-: 

मेघालय आयु की समयावधि 4250 वर्ष पूर्व से वर्तमान तक मानी जाती है। 

इस काल को वैश्विक शुष्कता अर्थात के लिए जाना जाता है। 

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