पूरक पोषण कार्यक्रम

पूरक पोषण कार्यक्रम

 पोषण अभियान कार्यक्रम | Healthपूरक पोषण कार्यक्रम

 

जब कोई व्यक्ति कुपोषित हो जाए या उसमें कुपोषण के लक्षण दिखाई देने लगते हैं तो उस कुपोषित व्यक्ति को सामान्य स्वास्थ्य की स्थिति में लाने के लिए, आवश्यक पूरक पोषण आहार प्रदान करने हेतु सरकार द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रम पूरक पोषण कार्यक्रम कहलाते हैं। 

भारत सरकार द्वारा चलाए जाने वाली पूरक पोषण कार्यक्रम

समेकित बाल विकास योजना-: 

समेकित बाल विकास योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 1975 को 33 सामुदायिक विकास केंद्रों से की गई किंतु वर्तमान में यह योजना पूरे भारत में संचालित है। 

इस योजना का उद्देश्य-: 

  • 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के पोषण आहार एवं स्वास्थ्य स्तर की स्थिति को बेहतर बनाना। 

  • गर्भवती धात्री महिलाओं के पोषण आहार एवं स्वास्थ्य स्तर की स्थिति को बेहतर बनाना। 

  • बाल मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर में कमी करना। 

इस योजना की प्रमुख सेवाएं-: 

  • पूरक पोषण आहार

6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को दूध पिलाने वाली महिलाओं की पहचान कर, बच्चों को वर्ष के न्यूनतम 300 दिन 500 कैलोरी प्रतिदिन के हिसाब से तथा महिलाओं को वर्ष के न्यूनतम 300 दिन 600 किलो डी प्रतिदिन के हिसाब से पूरक पोषण प्रदान किया जाता है। 

  • स्वास्थ्य जांच

प्रतिक आंगनवाड़ी केंद्र में प्रत्येक माह के किसी एक दिन (सामान्यतः मंगलवार को,) एएनएम तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा चयनित महिलाओं एवं बच्चों की स्वास्थ्य जांच की जाती है तथा उन्हें आवश्यक होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रेफर किया जाता है। 

  • टीकाकरण

प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र में प्रत्येक माह के किसी एक दिन (सामान्यता मंगलवार) एएनएम तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा चिन्हित महिला एवं बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। 

मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम-: 

मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1995 में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की गई। 

इस कार्यक्रम का उद्देश्य-: 

  • बच्चों की स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना। 

  • बच्चों का नामांकन बढ़ाना। 

  • बच्चों का पोषण आहार स्तर बढ़ाना। 

इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक स्कूल के बच्चों को स्कूल के अंदर ही दोपहर का पका पकाया संतुलित आहार दिया जाता है। 

अंत्योदय अन्न योजना 2000-: 

योजना भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000 में लागू की गई। 

इस योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों को पोषण युक्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाना है। 

इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा के परिवारों को ₹2 किलो की दर से गेंहूं ,3 रुपए किलो की दर से चावल और 1 रुपए किलो की दर से मोटा अनाज प्रदान किया जाता है। 

राजीव गांधी किशोरी सशक्तिकरण योजना(सबला)-: 

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में इस योजना की शुरुआत की गई। 

इस योजना का मुख्य उद्देश्य 10 से 19 वर्ष तक की किशोरियों में पोषण एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाकर उनके पोषण स्तर में सुधार करना है। 

इस योजना के अंतर्गत प्रतिदिन प्रीति किशोरी ₹5 का व्यय करने का प्रावधान है। 

इसके अंतर्गत किशोरियों को पूरक पोषण की गोलियां जैसे आयरन की गोली प्रोटीन की गोली एवं पोषण आहार के पैकेट प्रदान किए जाते हैं। साथ ही पोषण की शिक्षा भी दी जाती है। 

राष्ट्रीय पोषण मिशन-: 

बच्चों एवं महिलाओं के लिए पर्याप्त पूरक पोषण आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करके, उन्हें कुपोषण मुक्त बनाने के लिए वर्ष 2017 में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई। 

इसके उद्देश्य

  • गर्भवती महिला एवं दूध पान कराने वाली महिलाओं ने पोषण की प्रति जागरूकता बढ़ाना। 

  • कुपोषित बच्चों एवं महिलाओं को पूरक पोषण प्रदान करना जैसे अनीमिया की गोली वितरित करना, पोषण आहार के पैकेट वितरित करना।

राष्ट्रीय पोषण अभियान 2019-: 

भारत में बच्चों एवं महिलाओं के लिए पर्याप्त पोषण की व्यवस्था करके कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए वर्ष 2019 में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पोषण अभियान की शुरुआत की गई,

इसका मुख्य उद्देश्य महिला एवं बच्चों में एनीमिया, ठिगनापन, कम वजन की समस्याओं में प्रतिवर्ष दो से तीन प्रतिशत कमी लाना। 

इस अभियान के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आईटी उपकरणों से जोड़ा गया उन्हें स्मार्टफोन को प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया। ताकि वे स्वस्थ संबंधी सरकारी योजना एवं पोषण संबंधी उपयुक्त जानकारी प्राप्त करके, जन जन तक पहुंचा सके। 

मध्यप्रदेश सरकार की योजनाएं-: 

  • मंगल दिवस योजना-: 

इस अभियान की शुरुआत मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2008 में की गई। इस अभियान के अंतर्गत आंगनबाड़ी में महीने के प्रत्येक मंगलवार को गर्भवती महिला एवं बच्चे की सेहत सुरक्षा हेतु निम्न कार्य किए जाते हैं

  • प्रथम सप्ताह की मंगलवार को संबंधित ग्राम की सभी महिलाओं की गोद भराई के कार्यक्रम किया जाता है। 

  • द्वितीय मंगलवार को बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है। 

  • तृतीय मंगलवार को बच्चों का बर्थडे सेलिब्रेट किया जाता है। 

  • चौथी मंगलवार को किशोरियों को फोलिक एसिड, एनीमिया से संबंधित गोलियां दी जाती है एवं रचनात्मक कार्य करवा जाते हैं। 

  • लालिमा अभियान-: 

लालिम अभियान की शुरुआत मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2016 में की गई, इस अभियान का उद्देश्य राज्य को एनीमिया मुक्त बनाना है। 

इस अभियान के तहत आंगनवाड़ी शैक्षिक संस्थान, एवं अस्पतालों आदि के माध्यम से, एनीमिया से ग्रसित महिलाओं एवं बच्चों को आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियां प्रदान की जाती है। 

  • दस्तक अभियान-: 

इस अभियान की शुरुआत मध्यप्रदेश शासन की महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में की गई। 

इस अभियान का उद्देश्य एएनएम आशा कार्यकर्ता एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से घर घर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता फैलाई जाती है एवं उन्हें आवश्यक पोषण संबंधी दवाइयां दी जाती है। 

राज्य पोषण नीति 2020-: 

मध्य प्रदेश राज्य के पोषण स्तर को सुधारने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा 2020 में , राज्य पोषण नीति जारी की गई। 

इस नीति के उद्देश्य-: 

  • राज्य में मातृ मृत्यु दर को 173 से घटाकर 70 करना। 

  • राज्य में अनीमिया से ग्रसित महिलाओं की संख्या को 53% से घटाकर 25% करना। 

  • राज्य में बाल शिशु मृत्यु दर 25% करना। 

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