मध्य प्रदेश में बागवानी/ उद्यानिकी

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उद्यानिकी का तात्पर्य घर के समीप बाग या उद्यान में फल, सब्जियां ,या पुष्प आदि उगाने से है। 

बागवानी का महत्व

  • बागवानी से हमें गुणवत्तापूर्ण  फल एवं सब्जियां प्राप्त हो जाती हैं।

  • बागवानी आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायक है। क्योंकि एक और जहां हमारे घर की जैविक कचरे का उपयोग जैविक खाद के रूप में हो जाता है वही दूसरी ओर हमें स्वच्छ ऑक्सीजन वायु प्राप्त होती है। 

  • बागवानी में शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है अतः यह हमें स्वस्थ रखने एवं हमारा मनोरंजन करने में सहायक है।

  • फूलों की उद्यानिकी से हमारे आसपास का वातावरण सुंदर दिखता है।

  • उद्यानिकी से खाद्य प्रसंस्करण हेतु कच्चा माल हो जाता है

  • उद्यानिकी के उत्पादों की निर्यात विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है

  • बागवानी रोजगार उपलब्ध करवाने तथा कुपोषण की समस्या को दूर करने में भी सहायक है। 

उद्यानिकी को मुख्यता तीन शाखाओं में विभाजित किया जा सकता है-: 

  • फल उद्यानिकी

  • सब्जी विज्ञान

  • पुष्प विज्ञान।

फल उद्यानिकी

फलों के उत्पादन से संबंधित कृषि को फलों उद्यानिकी कहते हैं

 फल विज्ञान-: 

फल विज्ञान की अंतर्गत फलों उत्पादन से संबंधित कृषि क्रियाओं का अध्यन किया जाता है। 

फल /उद्यानिकी उत्पादन से संबंधित समस्याएं

  • फल उत्पादन के लिए उन्नत किस्म की बीजों का उपयोग ना किया जाना जिससे बोये सभी बीज पौधे का रूप नहीं ले पाते। 

  • विज्ञानिक तरीके से उद्यानिकी ना करना जैसे मृदा परीक्षण ना करवाना उपयुक्त फसल चक्र ना अपनाना जिससे उत्पादकता कम होती है और उद्यानिकी के कृषक हतोत्साहित होते हैं। 

  • उद्यानिकी के लिए खाद्यान्न फसलों से भी ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है किंतु सिंचाई की पर्याप्त सुविधा का अभाव एक प्रमुख समस्या है

  • मौसमी समस्याएं जैसे फूलन के समय बारिश होना, तेज तूफान, अत्यधिक तापमान या अधिकतम तापमान के कारण पौधों में भ्रूण नहीं बन पाता। 

  • बागवानी के लिए कुशल सैनिकों की आवश्यकता होती है किंतु मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रो   में कुशल श्रमिकों का अभाव में प्रमुख समस्या है

  • भंडारण एवं परिरक्षण की समस्या के कारण व्यापक मात्र में सब्जियां फल सड़ जाते। 

बागवानी से जुड़ी समस्याओं का समाधान

  • बागवानी करने वाले छोटे या सीमांत कृषकों को उन्नत बीज में सब्सिडी प्रदान की जाए ताकि भी उन्नत बीज का उपयोग कर सकें।  

  • उद्यानिकी के कृषकों को वैज्ञानिक कृषि करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए जागृत किया जाए। 

  • भगवानी में सिंचाई के अधिक उपलब्धता होती है अतः बागवानी की सिंचाई के लिए सच्चाई की दक्षता को बढ़ाना आवश्यक है और सच्चाई की दक्षता को बढ़ाने के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति तथा स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति का उपयोग किया जाए। 

  • बागवानी के लिए पर्याप्त खाद की आवश्यकता होती है अतः इसकी पूर्ति के लिए घरों से निकलने वाले जैविक अपशिष्ट का खाद के रूप में प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए इस हेतु ग्रामीण क्षेत्रों के कृषकों को गोबर से खाद बनाने वाली मशीन सब्सिडी देकर प्रदान की जाए। 

  •  बागवानी लोगों को रोजगार प्रदान करने वाला व्यवसाय है बेरोजगारों को बागवानी का प्रशिक्षण देकर बागवानी के लिए प्रेरित किया जाए। 

  • उद्यानिकी के अंतर्गत मुख्यत फलों सब्जियों फूलों आदि का उत्पादन किया जाता है  किंतु ये शीघ्र ही खराब होने वाले उत्पाद है इनको लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोल्ड स्टोरेज की सुविधा का विस्तार किया जाए।

सब्जी उत्पादन

सब्जी उत्पादन का महत्व

  • सब्जी उत्पादन से खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होता है। 

  • सब्जी उत्पादन में श्रम की आवश्यकता होती है अतः यह भारत जैसे देशों की व्यापक बेरोजगारी को समाप्त करने में सहायक है। 

  • सब्जी उत्पादन से खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को कच्चा माल प्राप्त हो जाता है जैसे-:  टमाटर का केचप बनाने के लिए टमाटर की आवश्यकता होती है। 

पुष्प उत्पादन

पुष्प उत्पादन का महत्व

  • वातावरण को सुंदर एवं महकदार बनाए रखने में सहायक है

  • घर पर कार्यक्रम स्थल आदि को सजाने में सहायक है। 

  • मध्य प्रदेश एवं भारत की जनसंख्या धार्मिक रीति-रिवाजों पर विश्वास करती है अतः मंदिर गुरुद्वारा देवी देवताओं की आराधना के लिए इसका अलग ही महत्व है। 

  • सुगंधित चीजों जैसे ईत्र धूपबत्ती सुगंधित तेल आदि के निर्माण के कच्चे माल के रूप में फूलों की आवश्यकता होती है।

  • विभिन्न प्रकार की औषधियां बनाने में फूलों की आवश्यकता होती है जैसे -:सिनकोना मुलहठी आदि बनाने में। 

 सब्जी एवं फलों का परिरक्षण

परिरक्षण-:

जल्दी खराब होने वाली खाद्य सामग्री जैसे फल सब्जियां दूध आदि में सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोककर या सूक्ष्म जीवों को समाप्त करके , उन्हें शीघ्र खराब होने से बचाना परिरक्षण कहलाता है। 

परिरक्षण का महत्व-: 

  • परिरक्षण के माध्यम से बहुत से फल एवं सब्जियां (सी खाद्य सामग्री) सड़कर फेंकने से बच जाती है परिणामस्वरूप खाद्य आपूर्ति में वृद्धि होती है। 

  • सभी मौसम में फलों एवं सब्जियां की आपूर्ति बनी रहती है

  • फल एवं सब्जियों की कीमतों की स्थिरता को बनाए रखने में सहायक है

  • परिरक्षण के माध्यम से दूरदराज के ऐसे स्थानों में भी जल्दी खराब होने वाली सामग्री पहुंचाई जा सकती है जहां पर इसका उत्पादन नहीं होता जैसे सैनिकों के स्थल पर। 

 खाद्य परिरक्षण की विधियां

  • खाद्य पदार्थों में तेल नमक या मीठे पदार्थों का लेप करके जैसे अचार बनाना। 

  • दूध जैसे पदार्थों में पाश्चुरीकरण की प्रक्रिया अपना करके। 

  • निर्जलीकरण करके या पदार्थों को सुखाकर के भी परीक्षण किया जा सकता है जैसे अंगूर को सुखाकर किसमिस बनाई जा सकती है। 

  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से जैसे रेफ्रिजरेटर आदि में खाद्य परिरक्षण किया जा सकता है।

मध्यप्रदेश में बागवानी

मध्यप्रदेश में वर्ष 2014-15 में कुल बोया गया क्षेत्रफल 240 लाख हेक्टेयर था ,जिसमें से उद्यानिकी का बोया गया क्षेत्र 15. 4 लाख हेक्टेयर था ,अर्थात उद्यानिकी का राज्य में कुल फसल क्षेत्र 6.5 प्रतिशत था। 

जबकि वर्तमान(2019) में उद्यानिकी का कुल फसल क्षेत्र 41 लाख हेक्टेयर हो गया है। 

मध्यप्रदेश में फलों का उत्पादन

  • मध्यप्रदेश में मुख्यत: केला आम अमरूद संतरा पपीता आदि फलों का उत्पादन होता है। 

  • मध्यप्रदेश में फलोत्पादन का कुल फसल क्षेत्र 3.5 लाख हेक्टेयर है। (2018-2019)

  • मध्य प्रदेश भारत में अमरूद के उत्पादन में प्रथम स्थान पर है तथा संतरा के उत्पादन में द्वितीय स्थान पर। 

प्रमुख फल

  1. अमरूद-: प्रदेश में अमरूद का सर्वाधिक उत्पादन भोपाल, बैतूल, जिले में होता है।

  2. आम -:  बैतूल, भोपाल

  3. संतरा-:  बैतूल, छिंदवाड़ा जिले में होता है। 

  4. आंवला-: प्रदेश में अमरूद का सर्वाधिक उत्पादन पन्ना जिले में होता है। 

  5. केला-: बुरहानपुर, धार ,बड़वानी।

मध्यप्रदेश में सब्जियों का उत्पादन

  • मध्यप्रदेश में मुख्यतः आलू प्याज टमाटर लौकी गोभी आदि सब्जियों का उत्पादन होता है। 

  • मध्यप्रदेश में सब्जी की खेती का कुल फसल क्षेत्र 8.8 लाख हेक्टेयर है। 

  • सब्जी उत्पादन में मध्यप्रदेश का देश में चौथा स्थान है। 

मध्यप्रदेश की प्रमुख सब्जियां

  1. टमाटर-:  जबलपुर, बालाघाट। 

  2. प्याज-: जबलपुर, बालाघाट।

  3. लौकी -: जबलपुर ,रतलाम।

  4. गोभी-: जबलपुर ,इंदौर। 

  5. आलू-: इंदौर, छिंदवाड़ा।

मध्यप्रदेश में फूलों का उत्पादन

  • मध्यप्रदेश में मुख्यतः गेंदा गुलाब रजनीगंधा सेवंती आदि के फूलों का उत्पादन होता है। 

  • मध्यप्रदेश में वर्ष 2018-19में फूलों का कुल उत्पादन 3.7 लाख टन था।

  • फूलों के उत्पादन में मध्यप्रदेश का देश में तीसरा स्थान है। 

मध्यप्रदेश में सर्वाधिक फूलों की खेती -: 

  • ग्वालियर

  •  विदिशा 

  • उज्जैन 

  • इंदौर 

आदि जिलों में की जाती है।

मध्यप्रदेश में मसालों का उत्पादन 

  • मध्यप्रदेश में मुख्यतः मिर्च अदरक लहसुन धनिया आदि मसालों का उत्पादन किया जाता है। 

  • वर्ष 2018-19 में मध्यप्रदेश में मसालों की खेती का कुल फसल क्षेत्र 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि था। 

  • मध्य प्रदेश मसाला के उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर है। 

मध्यप्रदेश के प्रमुख मसाले

  • लहसुन-: इंदौर ,रतलाम। 

  • धनिया-: इंदौर, शाजापुर

  • मिर्च-: भोपाल, खंडवा।

मध्यप्रदेश में उद्यानिकी की संभावनाएं

  • मध्यप्रदेश में उद्यानिकी के लिए पर्याप्त श्रम की उपलब्धता है। 

  • मध्य प्रदेश की 72% आबादी गांव में निवास करती है वह गांव में जैविक खाद की पर्याप्त उपलब्धता होती है अतः उद्यानिकी के लिए पर्याप्त खाते उपलब्ध है। 

  • मध्यप्रदेश में फलों एवं सब्जियों की पर्याप्त मांगे हैं यहां तक कि हमें अन्य राज्यों से भी फलों का आयात करना पड़ता है अर्थात यहां पर उद्यानिकी उत्पादों के विक्रय के लिए पर्याप्त बाजार उपलब्ध है। 

  • मध्यप्रदेश में 68% किसान ऐसे ही जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम भूमि है आता है सीमांत एवं लघु किसानो के लिए कम भूमि पर अधिक से अधिक आर्थिक लाभ कमाने हेतु उद्यानिकी करना उपयुक्त है। 

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उद्यानिकी के विकास हेतु किए गए सरकारी प्रयास-: 

  1.  उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण संचनालय-:

मध्यप्रदेश में उद्यानिकी फसलों का विकास, विस्तार करने तथा उद्यानिकी फसलों की गुणवत्ता में सुधार लाने वर्ष 1982 में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण संचनालय की स्थापना की गई। 

  1. हॉर्टिकल्चर हब की स्थापना नीति-: 

मध्यप्रदेश राज्य में उद्यानिकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य वर्ष 2012 में हॉर्टिकल्चर हब की स्थापना नीति जारी की गई। 

इसके तहत मध्य प्रदेश की उद्यानिकी विकास संभावना वाले क्षेत्रों में हॉर्टिकल्चर हब की स्थापना की जाती है ,जहां पर उद्यानिकी उत्पादों के विपरण, संग्रहण, पैकेजिंग आदि का कार्य किया जाता है। 

इसके अलावा मध्यप्रदेश में उद्यानिकी को बढ़ावा देने के लिए अनेकों सरकारी योजनाएं संचालित है जैसे-: 

  • फल पौध रोपण योजना।

  • सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना। 

  • मसाला क्षेत्र विस्तार योजना। 

  • औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना। 

  • उद्यानिकी के विकास हेतु यंत्रीकरण को बढ़ावा देने की योजना। इसके तहत 50% अनुदान पर उद्यानिकी के लिए आधुनिक यंत्र प्रदान किए जाते। 

  • केला विकास योजना। 

  • आलू विकास योजना। 

  • पुष्प विकास योजना। 

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