मध्यप्रदेश में बीज एवं खाद
बीज-:
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Toggleपौधों को जन्म देने वाली भ्रूण युक्त संरचना बीज कहलाती है।
क्योंकि जब बीज को मिट्टी एवं उपयुक्त मौसमी दर्शाए उपलब्ध की जाती है तो वह देश पौधे में बदल जाता है।
बीजों के प्रकार-:
आधार बीज-: ऐसे बीज जिनसे प्रमाणित बीज तैयार किए जाते हैं
प्रमाणित बीज-: ऐसे बीच जो किसी प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में सरकारी फॉर्म में तैयार किए जाते हैं।
नाभिकीय बीज-: ऐसे बीज जो अच्छे गुणों वाले पौधों से प्राप्त किये जाते है।
ब्रीडर बीज-: ऐसे बीज जो वैज्ञानिकों द्वारा शोध करके विकसित किए जाते हैं।
उन्नत बीज की विशेषताएं -:
उन्नत बीजों की उत्पादकता अपेक्षाकृत काफी ज्यादा होती है।
उन्नत बीजों को परंपरागत बीच की तुलना में सिंचाई एवं उर्वरक की अधिक आवश्यकता होती है।
उन्नत बीज की फसलें अपेक्षाकृत कम समय में ही पक जाती हैं। उदाहरण के लिए चावल की परंपरागत बीजों को पकने में 130 दिन का समय लगता है जबकि नए उन्नत बीजों को पकने में औसतन 100 दिन का ही समय लगता है।
गुणवत्तापूर्ण बीज का महत्व-:
फसल की उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है, परिणाम स्वरूप किसानों की आय बढ़ती है।
गुणवत्तापूर्ण बीज के उपयोग से उगने वाली फसल द्वारा किसानों को भविष्य के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज प्राप्त हो जाता है।
कृषि लाभदायक बनती है परिणामस्वरूप किसी को प्रोत्साहन मिलता है।
मध्यप्रदेश में किसानों को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण बीच उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास-:
मध्य प्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था
मध्यप्रदेश में गुणवत्तापूर्ण बीजों का उत्पादन करने एवं उन्हें प्रमाणित करने के लिए वर्ष 1980 में मध्य प्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना की गई।
वर्तमान में मध्यप्रदेश में बीजों की गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए चार बीज गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएं संचालित है
ग्वालियर में
जबलपुर में
भोपाल में
इंदौर में।
इसके अलावा मध्यप्रदेश में गुणवत्तापूर्ण बीजों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अनेकों कार्यक्रम संचालित हैं
जैसे-:
बीज उत्पादन कार्यक्रम-: इस कार्यक्रम का उद्देश्य पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण बीजों का उत्पादन करके प्रमाणित बीजों को कृषकों तक उपलब्ध करवाना है।
सूरजधारा अन्नपूर्णा योजना-: 2001
यह योजना वर्ष 2001 में आरंभ हुई थी, इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सीमांत एवं लघु कृषकों को लाभकारी फसलों के गुणवत्ता पूर्ण बीज उपलब्ध करवाना है।
इस योजना के तहत अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के सीमांत एवं लघु कृषकों के अलाभकारी बीज लेकर उन्हें लाभकारी बीच जैसे दलहन तिलहन के बीच प्रदान किए जाते हैं।
तथा कृषकों की 10% भूमि के लिए 75% अनुदान पर बीज उपलब्ध करवाए जाते हैं।
बीज ग्राम योजना-: 2005-06
इस योजना का उद्देश्य कृषकों में उन्नत बीज उत्पादन के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
इसके लिए किसको को उन्नत बीज उत्पादन हेतु प्रशिक्षण भी दिया जाता है तथा चयनित कृषकों को उन्नत बीज उत्पादन हेतु आधा एकड़ के लिए 50% अनुदान पर प्रमाणित बीज प्रदान किया जाता है।
मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम-:
मध्यप्रदेश में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए तथा गुणवत्तापूर्ण बीजों का उत्पादन कर उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 1980 में मध्य प्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम की स्थापना की गई इसका मुख्यालय भोपाल में स्थित है
क्षेत्रीय कार्यालय निम्न हैं-:
भोपाल ,सागर, सतना, उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर।
खाद एवं उर्वरक
फसल को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करके, फसल की उत्पादकता बढ़ाने वाले जैविक अथवा रासायनिक अपघटकों को खाद कहते है।
चूंकि उर्वरकों में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व(नाइट्रोजन फोटोस फास्फोरस) विद्वान होते हैं अतः उर्वरकों के प्रयोग से पौधों को पर्याप्त पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं और पौधे अपना पर्याप्त विकास कर पाते हैं।
खाद के प्रकार-:
खाद मुक्ता दो प्रकार की होती है
जैविक खाद या कार्बनिक खाद। ऐसी खाद जो जैविक अपशिष्टों के सड़ने-गलने से बनती है। उदाहरण के लिए-: गोबर खाद ,कंपोस्ट खाद, हरी खाद, मछली एवं हड्डी की खाद, पीएसबी(PSB)।
अजैविक खाद या रासायनिक खाद। फसल की उत्पादकता बढ़ाने वाले ऐसे रसायन जिनको कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है। उसे रासायनिक खाद कहते हैं। रासायनिक खाद के प्रकार-: नाइट्रोजन उर्वरक, फास्फेट उर्वरक, पोटाश उर्वरक, मिश्रित उर्वरक।
खाद प्रयोग के लाभ
फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं परिणाम स्वरुप वह हष्ट पुष्ट होती हैं।
खाद के प्रयोग से फसल की उत्पादकता पड़ती है जिससे किसानों की आय भी बढ़ती है।
जैविक खाद के प्रयोग से मृदा की उर्वरता शक्ति की बढ़ती है।
किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा किया गये प्रयास-:
उर्वरक उत्पादन केंद्र
मध्यप्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता या पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उर्वरकों का निर्माण करने वाली अनेकों सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई संचालित हैं।
जैसे-: नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड ,गुना।
मध्य प्रदेश एग्रो मोरारी जी फर्टिलाइजर लिमिटेड इटारसी ,होशंगाबाद।
चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड ,मुरैना।
उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशालाएं
किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध करवाने के लिए उर्वरकों के नमूनों की जांच हेतु मध्यप्रदेश में चार उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशाला स्थापित की गई है-:
उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशाला ग्वालियर
उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशाला भोपाल
उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशाला इंदौर
उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशाला जबलपुर
मृदा स्वास्थ्य परीक्षाण योजना
मृदा का परीक्षण करके मृदा की उर्वरता तथा कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा देश की सभी राज्यों में मिर्धा स्वास्थ परीक्षण योजना लागू की गई।
योजना के तहत प्रत्येक 3 साल में किसानों की भूमिका परीक्षण किया जाता है और संबंधित किसानों को यह शिक्षण या सलाह दी जाती है कि बे संबंधित मृदा मैं किस फसल को उपजाये तथा किस खाद का कितनी मात्रा में और कैसे उपयोग करें ?